गर्भावस्था में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन – गर्भवती महिलाओं को सीपीआर कैसे दिया जाना चाहिए

Pregnancy Mein Cardiopulmonary Resuscitation - Pregnant Mahilao Ko CPR Kaise Diya Jana Chahiye

गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय कोई भी अनहोनी हो सकती है और अगर ये आपकी सेहत से जुड़ी हो, तो जानलेवा भी साबित हो सकती है। ऐसे में सही समय पर सही मदद मिलना उतना ही जरूरी है जितना किसी की जान बचाना। कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक ऐसी तकनीक है जो आपातकाल में जान बचाने में मदद करती है। लेकिन अगर कोई महिला गर्भवती है, तो उसे सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है। सीपीआर देने का सही तरीका जानना बहुत जरूरी है, खासकर जब सामने वाली महिला गर्भवती हो, क्योंकि सही जानकारी से ही आप माँ और बच्चे दोनों की जान बचा सकते हैं।

सीपीआर क्या है?

सीपीआर यानी कार्डियोपल्मोनरी रीससिटेशन एक प्राथमिक चिकित्सा प्रक्रिया है, जो किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए दी जाती है। जब किसी को दिल का दौरा पड़ता है या दिल धड़कना बंद हो जाता है, तो सीपीआर देकर उसके शरीर में खून का बहाव बनाए रखने में यह प्रक्रिया काम आती है और इससे दिल की धड़कन नियमित रूप से वापस चलने लगती है। सीपीआर के दौरान, व्यक्ति के सीने को दबाकर और अपने मुंह से सांस देकर उसकी सांस लाने का प्रयास किया जाता है। इसे हर कोई सीख सकता है और यह आपातकाल में किसी की भी जान बचाने में बेहद मददगार साबित हो सकता है।

क्या गर्भवती महिला को सीपीआर देना सुरक्षित है?

हां, गर्भवती महिला को सीपीआर देना बिल्कुल सुरक्षित है, बस इसे सही तरीके से देना जरूरी है। जब किसी गर्भवती महिला को सीपीआर की जरूरत पड़ती है, तो उसकी और बच्चे की जान बचाने के लिए इसे सही तरीके से देना बहुत जरूरी है। सीपीआर कोई भी दे सकता है, लेकिन इस दौरान ध्यान रखना होता है कि सीपीआर देते वक्त माँ और बच्चे दोनों का ख्याल रखा जाए। सही पोजीशन और तरीके से सीपीआर देने से दोनों की जान बचाई जा सकती है और किसी भी तरह का नुकसान होने से बचा जा सकता है।

गर्भावस्था के दौरान किन परिस्थितियों में सीपीआर की जरूरत पड़ती है?

गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जो कभी-कभी ऐसी स्थिति पैदा करते हैं, जिसमें सीपीआर देना जरूरी हो जाता है।

1. कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम में बदलाव होना

गर्भ में पल रहे बच्चे की देखभाल के लिए महिला के शरीर में खून की मात्रा काफी बढ़ जाती है, लेकिन लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल) की संख्या उतनी नहीं बढ़ती। इससे महिला में खून की कमी (एनीमिया) हो सकता है। इस कमी को पूरा करने के लिए दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है, जिससे दिल की धड़कन और खून की मात्रा का बहाव बढ़ जाता है। इस अतिरिक्त दबाव के कारण शरीर पर जोर पड़ सकता है।

2. सांस लेने के तरीके में बदलाव

गर्भवती महिला को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है क्योंकि उसे खुद के साथ-साथ बच्चे की भी जरूरतें पूरी करनी होती हैं। जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, फेफड़ों पर दबाव बढ़ने लगता है। इसके अलावा, गर्भाशय बढ़ने से महिला के डायाफ्राम में जगह कम रह जाती है। इससे महिला को जल्दी-जल्दी सांस लेनी पड़ती है और थकान होती है।

3. पाचन तंत्र में बदलाव

गर्भावस्था के दौरान महिला को मॉर्निंग सिकनेस का सामना करना पड़ता है। सुबह के समय उल्टी, कब्ज, एसिडिटी जैसी कई समस्याएं भी हो सकती हैं। ये सब गर्भावस्था के कारण मांसपेशियों के ढीले होने की वजह से होता है, जिससे आंतों की गति धीमी पड़ जाती है और जिससे अक्सर उल्टी हो जाती है। इससे एसिडिक पदार्थ कभी-कभी फेफड़ों में चले जाते हैं, जो स्थिति को खतरनाक बना सकते हैं।

4. गर्भाशय में बदलाव

गर्भावस्था के दौरान सबसे ज्यादा बदलाव गर्भाशय में होते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, गर्भाशय भी फैलने लगता है ताकि बच्चे को जगह मिल सके। इससे पेट के अन्य अंग अपनी जगह से हटकर दब जाते हैं, जिससे कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसमें सीपीआर की जरूरत पड़ जाती है।

गर्भवती महिलाओं के लिए सीपीआर की प्रक्रिया अलग क्यों होती है?

बहुत से लोग सोचते हैं कि गर्भवती महिला को सीपीआर देने का तरीका अलग क्यों होता है। दरअसल, गर्भवती महिला के पेट में बच्चा होता है, जिससे सामान्य तरीके से सीने पर दबाव डालना मुश्किल हो सकता है। सीपीआर देते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि सीने पर सही तरीके से दबाव दिया जाए ताकि माँ और बच्चे दोनों को कोई नुकसान न हो। इसके अलावा, गर्भाशय को सुरक्षित रखने के लिए उसे हल्का बाईं ओर घुमाना पड़ता है, जिससे सीपीआर देने में आसानी हो और महिला के शरीर में खून का बहाव ठीक से बना रहे। इसलिए गर्भवती महिला के लिए सीपीआर में थोड़ी सी सावधानी बरतना जरूरी होता है।

चरण दर चरण गर्भवती महिला को सीपीआर देने का तरीका

सीपीआर तभी फायदेमंद होता है जब इसे सही तरीके से किया जाए। इसलिए नीचे दिए गए स्टेप्स का ठीक से अनुसरण करें।

  1. गर्भवती महिला पर सीपीआर शुरू करने से पहले आसपास मदद के लिए आवाज लगाएं। महिला से बात करते रहें और उसे होश में रखने की कोशिश करें। साथ ही, तुरंत एंबुलेंस को भी कॉल करें।
  2. महिला को धीरे-धीरे 45 डिग्री तक बाईं ओर घुमाकर लिटा दें। ध्यान दें कि उसे कहीं कोई चोट तो नहीं लगी है।
  3. महिला की पीठ को सपोर्ट देने के लिए जैकेट, कंबल या कोई भी चीज उसकी पीठ के नीचे लगाएं। ध्यान रखें कि बच्चे का पूरा वजन महिला की पीठ पर न पड़े।
  4. महिला की सांस को चेक करें कि वह सही से चल रही है या नहीं। उसके सीने पर ध्यान दें, नाक और मुंह से हवा आ रही है या नहीं और उसकी नब्ज को भी चेक करें।
  5. महिला के दोनों हाथों को एक-दूसरे के ऊपर रखकर उसकी दोनों छातियों के बीच रखें। हल्के से 30 बार 30 सेकंड के लिए दबाव डालें।
  6. महिला की नाक को उंगलियों से बंद करें और उसके मुंह में दो बार सांस दें।
  7. महिला के सीने पर दबाव डालने और सांस देने की प्रक्रिया को तब तक दोहराते रहें जब तक वहां एंबुलेंस न आ जाए।
  8. अगर आप पीड़ित महिला को जानते हैं, तो अस्पताल के कर्मचारी को उसके बारे में जानकारी जरूर दें, ताकि इलाज में मदद मिल सके।

सावधानी बरतें

सीपीआर तभी देना चाहिए जब आपने इसे देने की सही ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन ली हो। गलत तरीके से सीपीआर देने पर मरीज की हालत और भी ज्यादा बिगड़ सकती है और जान का खतरा बढ़ जाता है।

सीपीआर तभी फायदेमंद है जब इसे सही व्यक्ति द्वारा और सही तरीके से दिया जाए। गर्भवती महिला को सीपीआर देते समय खास सावधानियां बरतनी जरूरी होती हैं और उन निर्देशों का पालन करना होता है जो खासतौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए बनाई गए हैं। इससे महिला और बच्चे की सुरक्षा बनी रहती है, जब तक कि उसे उचित चिकित्सक इलाज न मिल जाए। इसलिए बिना सही जानकारी और ट्रेनिंग के सीपीआर देना खतरनाक हो सकता है।