गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन होना – कारण, लक्षण और उपचार

प्रेगनेंसी में डिहाइड्रेशन होना

यदि आप गर्भवती हैं और हेल्दी डाइट भी ले रही हैं, लेकिन इसके साथ-साथ आपको बहुत सारा पानी पीना भी बहुत जरूरी है। डॉक्टर ने आपको इस समय हाइड्रेटेड रहने की सलाह जरूर दी होगी और यह आपके लिए अच्छा ही है। डिहाइड्रेशन के लक्षणों को समझ पाना थोड़ा सा कठिन हो सकता है पर इससे गर्भवती महिलाओं को कई सारी समस्याएं होती हैं। डिहाइड्रेशन से किसी को भी समस्या हो सकती है पर यह एक गर्भवती महिला को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। गर्भावस्था के दौरान ज्यादातर महिलाओं को डिहाइड्रेशन माइल्ड ही होता है पर यदि यह समस्या गंभीर रूप से हो जाती है तो इससे माँ और बच्चे दोनों को तकलीफ हो सकती है।  

डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) क्या है?

शरीर में पानी की बहुत ज्यादा कमी होने से डिहाइड्रेशन हो सकता है। यदि आप जितना पानी पीती हैं वह आपके शरीर की आवश्यकता को पूरा नहीं कर पा रहा है तो आप डिहाइड्रेटेड हो सकती हैं। डिहाइड्रेशन होने की वजह से अन्य समस्याएं भी होती हैं, जैसे हीट क्रैंप्स (पानी की कमी से मांसपेशियों में क्रैम्प आना), हीट एक्जॉशन (शरीर में ओवरहीटिंग की वजह से पल्स तेज हो जाना और पसीना आना) और स्ट्रोक। इससे आपके शरीर के सामान्य फंक्शन में भी कठिनाई हो सकती है। शरीर में खून और फ्लूइड की अधिक मात्रा के लिए गर्भावस्था के दौरान आपका पानी पीना बहुत जरूरी है ताकि आप हाइड्रेटेड रह सकें। 

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन होने के कारण

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन होने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। यदि गर्भावस्था में आपको निम्नलिखित कारणों से डिहाइड्रेशन होता है तो आप इसके लिए आवश्यक उपचार कर सकती हैं। वे कारण कौन से हैं, आइए जानें;

  • खून की मात्रा बढ़ जाने के कारण: गर्भावस्था के दौरान खून की मात्रा 50% तक बढ़ जाती है। गर्भावस्था के शुरूआती समय में डीहाड्रेशन होने का यह एक मुख्य कारण है। इस दौरान शरीर को ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है पर शरीर में पानी रुक पाना कठिन होता है।
  • मॉर्निंग सिकनेस की वजह से: लगभग 50% गर्भवती महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है जिसमें उन्हें मतली, उल्टी, होती है व बहुत ज्यादा पेशाब आती है और पसीना भी आ सकता है। इन सभी समस्याओं की वजह से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। मॉर्निंग सिकनेस की समस्या अक्सर पहली तिमाही में होती है और दूसरी तिमाही में यह ठीक हो जाती है। बहुत ज्यादा उल्टी होने से भी डिहाइड्रेशन हो सकता है। 
  • कम पानी पीने से: सब जानते हैं कि हम सभी को दिनभर में लगभग 8 गिलास पानी पीना चाहिए। पर एक गर्भवती महिला को हाइड्रेटेड रहने के लिए लगभग 12 गिलास पानी पीने की जरूरत होती है। यदि आप इससे कम पानी पीती हैं तो आपको डीहाड्रेशन हो सकता है। पसीना ज्यादा आने से: गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अक्सर पसीना आता है पर यदि इस समय आप पानी नहीं पीती हैं तो आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है। 
  • डायरिया की वजह से: गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में आपको डायरिया की समस्या हो सकती है। यह शरीर में हॉर्मोनल बदलावों की या पेट को स्वस्थ रखने के बजाय किसी खाद्य पदार्थ के उल्टे प्रभावों की वजह से भी सकता है। यदि इस समय आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीती हैं तो आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है।
  • मौसम की वजह से: यदि आप किसी ऐसी जगह में रहती हैं जहाँ बहुत गर्मी व ह्यूमिडिटी है तो इससे भी आपके शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इस समय ए.सी. चलाने से भी मदद नहीं मिलेगी। कमरे में ए.सी. लगा होने की वजह से नमी कम होती है जिसके परिणामस्वरूप आपके लंग्स में भी मॉइस्चर कम हो सकता है। 
  • आपकी आयु भी मायने रखता है: यदि आप 35 वर्ष की आयु में गर्भवती हुई हैं तो आपकी आयु के कारण भी शरीर में कम पानी रुकता है। यदि आप 30 के बाद गर्भवती होती हैं तो आपको हाइड्रेटेड रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। 

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को डिहाइड्रेशन होने के लक्षण 

डिहाइड्रेशन होने का एक सामान्य संकेत प्यास लगना है। यदि गर्भवती महिला को ओवरहीटिंग होती है तो यह भी डिहाइड्रेशन का एक महत्वपूर्ण संकेत है। यदि आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीती हैं तो शरीर को हीट रेगुलेट करने में कठिनाई होती है और इसके परिणामस्वरूप आपको ओवरहीटिंग की समस्या हो सकती है। डिहाइड्रेशन के और भी बहुत सारे कारण है जिनके बारे में आपको जानना चाहिए। आपको डिहाइड्रेशन की समस्या माइल्ड से मॉडरेट और मॉडरेट से गंभीर तक भी हो सकती है, आइए जानते हैं कि इसके कारण क्या हैं;

गर्भावस्था के दौरान माइल्ड डिहाइड्रेशन होना 

  • गर्भावस्था में डिहाइड्रेशन होने से आपको हल्की-हल्की प्यास लगती रहेगी। 
  • इस समय आप थोड़ी चिंतित भी हो सकती हैं। 
  • गर्भावस्था में डिहाइड्रेशन होने से हार्ट रेट बढ़ती है। 
  • गर्भावस्था में डिहाइड्रेशन होने से पेशाब कम आती है। 

गर्भावस्था के दौरान मॉडरेट डिहाइड्रेशन होना 

  • डिहाइड्रेशन की वजह से बहुत ज्यादा प्यास लगती है। 
  • थकान भी होती है। 
  • गर्भावस्था में डिहाइड्रेशन के कारण पेशाब कम आती है। 
  • डीहाड्रेशन की वजह से पेशाब का रंग गाढ़ा पीला हो सकता है। 
  • इस दौरान आपको चक्कर आ सकते हैं। 
  • सिर में दर्द रहता है 
  • इस समय आपको मतली भी हो सकती है। 
  • डिहाइड्रेशन की वजह से कब्ज हो सकता है। 
  • इसकी वजह से मुँह सूख सकता है।

गर्भावस्था के दौरान गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन होना 

  • इसमें डिहाइड्रेशन बहुत ज्यादा होता है। 
  • होंठ फटते हैं। 
  • गर्भावस्था में अत्यधिक डिहाइड्रेशन होने की वजह से पेशाब कम और गाढ़े पीले रंग की आती है। 
  • इस समय आपको मतली, उल्टी और सिर में दर्द हो सकता है। 
  • डिहाइड्रेशन की वजह से पेट में ऐंठन हो सकती है। 
  • इस दौरान सिर में अत्यधिक दर्द होता है। 
  • चक्कर आते हैं। 
  • आपको कन्फ्यूजन भी हो सकती है। 
  • हार्ट रेट बढ़ जाती है। 
  • सांस भी तेज होने लगती है। 
  • डिहाइड्रेशन की वजह से आँखों के नीचे गड्ढे पड़ सकते हैं। 
  • इसकी वजह से त्वचा रूखी हो सकती है। 
  • ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है। 

यदि गर्भावस्था के दौरान आपको ऊपर दिए हुए कोई भी लक्षण या संकेत मिलते हैं तो आप अपने बच्चे को इसके प्रभाव से बचाने के लिए तुरंत डॉक्टर से मिलें

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन के जोखिम 

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन से होने वाले खतरे निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • डिहाइड्रेशन के कारण एक महिला को मतली की समस्या हो सकती है। 
  • गर्भवती महिलाओं में एमनियोटिक फ्लूइड कम हो सकता है। 
  • डिहाइड्रेशन होने की वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट मिल्क की आपूर्ति कम होती है। 
  • गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन होने के कारण समय से पहले डिलीवरी हो सकती है। 

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन से होने वाली कॉम्प्लीकेशंस 

डिहाइड्रेशन की समस्या एक गर्भवती महिला में अलग-अलग तरह से प्रभाव डाल सकती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी गर्भावस्था को कितना समय हुआ है। गर्भावस्था की 3 तिमाही में डिहाइड्रेशन से संबंधित जोखिम यहाँ बताए गए हैं, आइए जानें;

गर्भावस्था की पहली तिमाही में डिहाइड्रेशन के प्रभाव 

  • गंभीर रूप से मतली हो सकती है और चक्कर भी आ सकते हैं: गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस के साथ-साथ आपको गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन भी होता है और इसके परिणामस्वरूप आपको मतली की समस्या भी हो सकती है। यदि गर्भवती महिला को डिहाइड्रेशन होता है तो उन्हें आईवी फ्लुइड्स देने की सलाह दी जाती है। 
  • एमनियोटिक फ्लूइड कम हो सकता है: गर्भावस्था के शुरूआती महीनों में एमनियोटिक द्रव महिलाओं द्वारा तरल पदार्थ पीने से बनता है। यदि इस समय आप कम पानी पीती हैं तो आपके गर्भाशय में एमनियोटिक द्रव की मात्रा कम हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप बच्चा फ्लूइड में तैरने के बजाय गर्भाशय की दीवार के साथ ही जुड़ा रह सकता है। 

गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में डिहाइड्रेशन के प्रभाव 

  • डिहाइड्रेशन के कारण समय से पहले डिलीवरी हो सकती है: गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन होने से शरीर में खून की मात्रा कम होने लगती है, जिसके कारण ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन का स्तर बढ़ने लगता है। इस हॉर्मोन की वजह से गर्भाशय में संकुचन हो सकता है। यानि हाइड्रेशन की कमी प्रीमैच्योर डिलीवरी का कारण बनता है। 
  • मांसपेशियों में ऐंठन आ सकती है: गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन होने की वजह से शरीर का तापमान बढ़ जाता है जिसकी वजह से मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है। गर्भवती महिला को इस समस्या में भी बहुत ज्यादा असुविधा होती है। 
  • थकान हो सकती है: गर्भावस्था के दौरान ज्यादातर महिलाओं को थोड़ी बहुत थकान होती है पर डिहाइड्रेशन की वजह से यह थकान बहुत ज्यादा बढ़ सकती है। 
  • डिहाइड्रेशन के कारण आपको यू.टी.आई. भी हो सकता है: इस चरण में डिहाइड्रेशन होने से यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है जिसकी वजह से आपकी किडनी में समस्या होती है और इसके परिणामस्वरूप समय से पहले डिलीवरी हो सकती है। 

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन के लिए उपचार  

गर्भावस्था के दौरान यदि आपको माइल्ड या मॉडरेट डिहाइड्रेशन होता है तो इसे ठीक करने का सबसे सही तरीका यही है कि आप ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। यदि आपको मतली और उल्टी की वजह से डिहाइड्रेशन होता है तो आप मतली की दवा लेने के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और मतली की समस्या भी कम हो सकती है। आप डॉक्टर से इलेक्ट्रोलाइट का सप्लीमेंट पीने के लिए भी पूछ सकती हैं क्योंकि यह समस्या को कम कर सकता है। हालांकि यदि आपकी समस्या गंभीर है तो आप तुरंत हॉस्पिटल जाएं और इसके लिए आईवी फ्लुइड्स लें। 

गर्भवती महिला को लगभग कितना पानी पीना चाहिए 

गर्भावस्था के दौरान आपको कितना पानी पीना चाहिए यह जानने के लिए आप अपनी पेशाब के रंग की जांच कर सकती हैं। पेशाब का रंग हल्का पीला या बिलकुल साफ होना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान यदि पेशाब का रंग गाढ़ा पीला या ऑरेंज है तो आपको दिन में बहुत सारा पानी पीने की आवश्यकता है। यदि आप दिन में कई हल्के कामों में व्यस्त हैं तो आपको काम के बीच हर एक घंटे में एक कप पानी पीना चाहिए। यदि आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करती हैं तो आपको पानी की कमी पुरी करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की जरूरत है। 

कई महिलाओं को यह महसूस नहीं होता है कि उन्हें प्यास लगी है। यदि आप पाने पीना भूल जाती हैं और आपको जल्दी प्यास नहीं लगती है तो आप नोट करें कि आपने कब कितना पानी पिया है। यह आप किसी ऐप में भी कर सकती हैं क्योंकि यह आपको रिमाइंडर दे सकता है कि आपको कब कितना पानी पीना है, या फिर होने परिवारजन को बोले की वह आपको पानी पीना याद दिलाते रहें। आप खाना खाने से पहले और बाद में एक गिलास पानी जरूर पिएं। इससे आप याद रख सकती हैं कि आपको कब पानी पीना है और इससे कब्ज जैसी समस्याएं भी ठीक हो सकती हैं। 

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन से बचने के तरीके 

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन से बचने के लिए आप निम्नलिखित टिप्स का उपयोग कर सकती हैं, आइए जानते हैं; 

  • इस समय आप पर्याप्त मात्रा में और धीरे-धीरे (हर थोड़ी देर के बाद) पानी पिएं। एक बार में ज्यादा पानी पीने से आपकी किडनी में दबाव पड़ सकता है। 
  • जितने समय तक आप जागती रहती हैं, उतने समय में आप हर घंटे एक गिलास पानी पिएं। 
  • आप चाहें तो स्वाद बदलने के लिए पानी एक नींबू का एक स्लाइस या तरबूज के टुकड़े भी डाल सकती हैं। 
  • गर्भावस्था के दौरान आपको अपने आहार में तरल पदार्थ भी शामिल करना चाहिए। आप अपनी डायट में फलों का जूस और सूप भी शामिल कर सकती हैं क्योंकि इसमें पानी की मात्रा बहुत होती है। इस बात का ध्यान रखें कि आपका जूस घर में ही बना हो और शुगर-फ्री हो। 
  • इस समय आप कैफीन, सोडा या शुगर डालकर बनाया हुआ जूस न लें। यह पदार्थ ड्यूरेटिक होते हैं जिससे आपकी समस्याएं बढ़ सकती हैं। 
  • यदि बहुत ज्यादा गर्मी है तो आप कठिन एक्सरसाइज न करें और कहीं बाहर भी न जाएं। इससे पानी की बहुत ज्यादा कमी हो सकती है और आपके शरीर में दबाव पड़ता है।

डॉक्टर से कब मिलें 

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन होने की वजह से आपको कई गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। यदि आपकी पल्स रेट धीमी है या आपको चक्कर आते हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा यदि आपकी दिल की धड़कनें बहुत तेज हो रही हैं या आपकी पॉटी में खून आता है तो भी आपको डॉक्टर से मदद लेनी चाहिए। यदि आपको 8 घंटे से ज्यादा समय तक पेशाब नहीं आती है तो भी आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन होने से संबंधित अक्सर महिलाएं बहुत से सवाल पूछती हैं। उनमें से कुछ के जवाब यहाँ दिए हुए हैं, आइए जानते हैं;

1. क्या डिहाइड्रेशन की वजह से समय से पूर्व डिलीवरी कैसे हो सकती है?

यदि आपको डिहाइड्रेशन है तो आपके शरीर में खून की कमी होने लगेगी और ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन्स का स्तर बढ़ सकता है। इस हॉर्मोन की वजह से गर्भाशय में संकुचन होता है। यदि आपको गर्भावस्था के अंतिम दिनों में डिहाइड्रेशन होता है तो इससे संकुचन इतना बढ़ जाता है कि आपकी प्री-मैच्योर डिलीवरी हो सकती है। 

2. क्या गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में डिहाइड्रेशन की वजह से आपको क्रैम्प आ सकता है? 

डिहाइड्रेशन होने पर आपके शरीर का तापमान बढ़ सकता है और इससे आपकी मांसपेशियों में क्रैम्प आ सकता है। आपको यह समस्या गर्भावस्था के किसी भी चरण में हो सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप हाइड्रेटेड रहने के लिए लगातार फल खाएं और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। 

डिहाइड्रेशन एक ऐसी समस्या है जो आपको अनजाने में भी हो सकती है। इसलिए आप लगातार पानी पीती रहें और जब भी आप पेशाब जाती हैं तो उसका रंग जरूर चेक करें। दिनभर में आपकी कितना पानी पीना चाहिए इसका ध्यान रखने के लिए आप ऐप्स का उपयोग कर सकती हैं या आप रिमाइंडर भी लगा सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि आप सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी पानी पी रही हैं। इसलिए हाइड्रेटेड रहें और यदि इस समय आपको कोई गंभीर कॉम्प्लिकेशन होती है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

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