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हेल्दी गर्भावस्था के लिए बैलेंस्ड और न्युट्रिश्यस डायट लेना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान सही मात्रा में न्यूट्रिशन लेने से सिर्फ आप ही स्वस्थ नहीं रहेंगी बल्कि बच्चे को भी पोषण मिलता है। इस समय आपको अपने लिए खाद्य पदार्थ चुनने में बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान मेटाबॉलिज्म और सर्कुलेशन में बदलाव के कारण आपको फूड पॉयजनिंग भी हो सकती है। यदि आप कोई गलत खाद्य पदार्थ खा लेती हैं तो इससे आपको फूड पॉइजनिंग हो सकती है और आपकी गर्भावस्था में कॉम्प्लीकेशंस भी होती हैं। यदि बहुत ज्यादा गंभीर रूप से फूड पॉइजनिंग हुई है तो इसकी वहज से आपको डिहाइड्रेशन, मिसकैरेज या प्रीमैच्योर डिलीवरी भी हो सकती है। यदि गर्भावस्था में आपको फूड पॉइजनिंग होती है तो आप डॉक्टर से संपर्क करें।
फूड पॉइजनिंग होने का यह मतलब नहीं है कि आपके खाने में कोई जहरीला पदार्थ है। इसका सिर्फ इतना मतलब है कि आपका खाना संक्रमित है। यह बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट की वजह से हो सकता है। फूड पॉइजनिंग के लक्षण अन्य बीमारियों की तरह ही होते हैं या आप इसमें और मॉर्निंग सिकनेस के बीच अंतर करने में कन्फ्यूज हो सकती हैं। ज्यादातर फूड पॉइजनिंग से हानि नहीं होती है और इससे आपको व बच्चे को लंबे समय तक कोई समस्या भी नहीं होगी। हालांकि इससे कुछ दिनों तक असुविधाएं हर महिला को हो सकती हैं।
फूड पॉइजनिंग के साथ मुख्य समस्या यह है कि इससे आपको और बच्चे को कुछ कॉम्प्लीकेशंस हो सकती हैं। हालांकि इसके खतरे विभिन्न महिलाओं में अलग-अलग हो सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान आपको व बच्चे को यह समस्या होने का कितना खतरा है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका इम्यून सिस्टम माइक्रोऑर्गेनिज्म या अन्य संक्रमण से लड़ने में कितना सक्षम है। यदि आपको गंभीर रूप से फूड पॉइजनिंग होती है तो आपका मिसकैरेज हो सकता है, प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है, मृत बच्चे का जन्म हो सकता है या माँ की मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए यह कहा जाता है कि गर्भवती महिलाओं में फूड पॉइजनिंग के हर मामले का इलाज करना बहुत जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान शरीर में हॉर्मोनल बदलावों की वजह से महिला का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और उसे कुछ बीमारियां होने के खतरे बढ़ सकते हैं, जैसे फूड पॉइजनिंग। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग होने का स्टैटिस्टिकल डेटा विश्वसनीय नहीं है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि इस समस्या से संबंधित ज्यादातर मामले सामने नहीं आए हैं और इसमें मेडिकल केयर की बहुत ज्यादा जरूरत भी नहीं है।
आपको फूड पॉइजनिंग की समस्या हल्की-फुलकी, गंभीर या खतरनाक भी हो सकती है। यहाँ पर अत्यधिक गंभीर प्रकार की फूड पॉइजनिंग के बारे में बताया गया है जिससे आपको बचना चाहिए, आइए जानते हैं;
लिस्टेरियोसिस इन्फेक्शन लिस्टीरिया मोनोसाइटोजीन्स बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर कच्ची सब्जियों, मीट, दूध के प्रोडक्ट्स और प्रोसेस्ड सॉफ्ट चीज़ में होता है। इसके लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों का दर्द, मतली या डायरिया, सिर में दर्द शामिल हैं और इस समस्या में मरीज को दौरे भी पड़ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं में यह समस्या होने से प्रीमैच्योर डिलीवरी, बच्चे में इन्फेक्शन, मृत बच्चे का जन्म या बच्चे को लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आम लोगों की तुलना में गर्भवती महिलाओं को यह इन्फेक्शन होने की संभावना 10 गुना ज्यादा होती है।
टॉक्सोप्लाज्मोसिस इन्फेक्शन टॉक्सोप्लाज्मा गोंडी पैरासाइट की वजह से होता है। यह इन्फेक्शन बिल्ली की पॉटी से से जमीन या मिट्टी को छूने से होता है। इसके लक्षण फ्लू की तरह ही होते हैं या इसमें ग्लैंड्स में सूजन होती है और मांसपेशियों में दर्द होता है। इस प्रकार का इन्फेक्शन माँ से बच्चे को भी हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप मिसकैरेज, मृत बच्चे का जन्म और जन्म के दौरान विकार होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
यह समस्या साल्मोनेला बैक्टीरिया से होती है। यदि आप किसी संक्रमित जानवर को छू लेती हैं या आप संक्रमित खाना खा लेती हैं तो आपको सालमोनेलोसिस इन्फेक्शन हो सकता है। इसके मुख्य लक्षणों में डिहाइड्रेशन और बक्टेरेमिया (खून में बैक्टीरिया होना) शामिल है। गर्भावस्था के दौरान सालमोनेलोसिस इन्फेक्शन माँ से बच्चे को हो सकता है। यदि जन्म के दौरान बच्चे को सालमोनेलोसिस है तो उसे डायरिया, बुखार या यहाँ तक कि जन्म के बाद मेगनिन्जाइटिस भी हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं में फूड पॉइजनिंग की समस्या लिस्टेरिया, ई. कोली और साल्मोनेला जैसे सामान्य बैक्टीरिया के अलावा केमिकल-युक्त दूषित पदार्थों से भी हो सकता है। यह सभी पदार्थ महिला के शरीर में निम्नलिखित तरीकों से जा सकते हैं, आइए जानें;
फूड पॉइजनिंग से आमतौर पर पेट व आंतों में प्रभाव पड़ता है और इसमें कुछ हल्के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं, जैसे बुखार और शरीर में दर्द। गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग होने के आम लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
इन लक्षणों की गंभीरता आपके पूर्ण स्वास्थ्य और इन्फेक्शन को बढ़ाने वाले ऑर्गेनिज्म को खत्म करने की क्षमता पर निर्भर करती है। कुछ मामलों में इसके लक्षण हल्के हो सकते हैं या नहीं भी हो सकते हैं या इन लक्षणों से आपको यह नहीं पता लग पाएगा कि गर्भ में बच्चे को खतरा है।
गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे बैलेंस्ड डायट का ही सेवन करें। अच्छे खाने से माँ और बच्चे को आवश्यक न्यूट्रिएंट्स व एनर्जी मिलती है।
यदि आप अपनी खाने की आदतों में सावधानी बरतती हैं तो आपको खाने से संबंधित इन्फेक्शन या फूड पॉइजनिंग नहीं होगी। गर्भावस्था के दौरान खाने को स्क्रीन करने के कुछ टिप्स यहाँ बताए गए हैं, आइए जानें;
खाने में हानिकारक माइक्रोऑर्गेनिज्म या भारी पदार्थ या केमिकल होने से यह सभी चीजें प्लैसेंटा में जा सकती हैं और बच्चे को प्रभावित करती हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे को ऐसे इन्फेक्शन हो सकते हैं क्योंकि उसका इम्यून सिस्टम अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है। इसके परिणामस्वरूप बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग होने से बच्चे पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान यदि फूड पॉइजनिंग हो जाती है तो इस समय आपको क्या करना चाहिए, यह जानना कठिन है। इसलिए इस समस्या के लिए आप डॉक्टर से सलाह जरूर लें। फूड पॉइजनिंग की समस्या को ठीक करने के लिए आपको निम्नलिखित उपचार करने चाहिए, आइए जानें;
यदि आपका शरीर पेट से संबंधित किसी भी समस्या का संकेत देता है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। इसके अलावा फूड पौइजनिंग की समस्या को ठीक करने कुछ घरेलू उपचार निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए आप ऐसे खाद्य पदार्थ ही खाएं जो आपको स्वस्थ रखें और गर्भावस्था के लिए आवश्यक न्यूट्रिशन से युक्त भोजन खाएं जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा कम हो सके। अच्छी हाइजीन बनाए रखने से भी आपकी गर्भावस्था सुरक्षित रह सकती है और आपको कोई भी समस्या नहीं होगी।
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