गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान कमर में दर्द होना

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में अलग-अलग तरह के दर्द होते हैं जिसमें कमर का दर्द सबसे आम है। इस दर्द से पूरी गर्भावस्था के सफर में आपको कई समस्याएं होती हैं। इससे सिर्फ आपको चिड़चिड़ाहट ही नहीं होगी बल्कि आपके अन्य नियमित कामों पर भी बेहद प्रभाव पड़ेगा और आपके लिए कोई भी काम करना कठिन हो जाएगा। यह दर्द जल्दी ठीक नहीं होता है और कुछ विशेष तरीकों से इसका डायग्नोसिस होता है व कुछ तरीकों से इसे ठीक किया जा सकता है। पर पहले यह समझना जरूरी है कि गर्भवती महिलाओं को कमर में दर्द क्यों होता है। यह जानने के लिए आगे पढ़ें। 

गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द होना आम क्यों है?

क्या गर्भावस्था के शुरुआती समय में कमर दर्द होना आम है? पहली बार बनी मांएं अक्सर यह सवाल करती हैं। यहाँ तक कि गर्भावस्था के बाद के दिनों में भी यह दर्द रहता है। 

गर्भावस्था के दौरान शरीर में अंदर से बहुत सारे बदलाव होते हैं जो आपके शारीरिक पोस्चर से ही समझ आता है। इसकी वजह से पीठ पर दबाव पड़ता है और कमर में हल्का दर्द होने लगता है। ज्यादातर महिलाएं इस दर्द के बारे में जानती हैं।

गर्भावस्था के दौरान शरीर तो बढ़ता ही है और साथ ही विभिन्न प्रकार के हॉर्मोन्स भी रिलीज होते हैं। इसकी वजह से लिगामेंट्स आरामदायक स्थिति में होते हैं और शरीर के अधिक वजन का खयाल रखते हैं। इससे अक्सर पेल्विक क्षेत्र और कमर के निचले हिस्से में दबाव पड़ता है और यह दर्द का कारण बनता है। यदि इसके साथ पेल्विस में तनाव आता है या लिगामेंट्स के जोड़ खराब हो जाते हैं तो इससे कमर का दर्द ज्यादा बढ़ जाता है। इसे मुख्य रूप से सिम्फिसिस प्युबिस और सैक्रोइलिएक कहते हैं जिसमें शरीर के किसी भी पोजीशन से महिलाओं की कमर में दर्द होता है। 

गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द होने के कारण

शुरुआती समय या पूरी गर्भावस्था में कमर दर्द होना शरीर के भीतर की बायोलॉजिकल प्रक्रिया है जिसमें शारीरिक मूवमेंट्स और मेंटल हेल्थ भी शामिल है। 

1. शारीरिक पोस्चर के कारण

शरीर की ग्रेविटी का केंद्र बदलने की वजह से गर्भ में पल रहा बच्चा भी मूव करता है। इससे महिला का वास्तविक पोस्चर बदल जाता है ताकि वह सुविधाजनक रूप से इधर-उधर जा सके पर इससे पीठ पर बहुत ज्यादा दबाव व रीढ़ पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। 

2. हॉर्मोन्स के कारण

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन बढ़ता है जिससे लिगामेंट्स ढीले हो जाते हैं और शरीर स्ट्रेच होता व बढ़ता है। गर्भावस्था के बाद के चरण में रिलैक्सिन नामक हॉर्मोन पेल्विक क्षेत्र को बढ़ाता है जिससे शरीर डिलीवरी के लिए तैयार होता है। शरीर में इतने सारे बदलाव होने की वजह से लिगामेंट्स का शेप खराब हो जाता है और इसमें असंतुलन आने लगता है जिससे कमर में भी दर्द होना शुरू हो जाता है। 

3. स्ट्रेस होना

कमर में दर्द होना पूरी तरह से शारीरिक बदलावों से संबंधित नहीं है। विशेषकर पहली बार बनी मांओं को गर्भावस्था के दौरान बच्चे की सुरक्षा व स्वास्थ्य की चिंताओं के कारण एंग्जायटी और स्ट्रेस होता है। स्ट्रेस होने की वजह से शारीरिक मांसपेशियां टाइट हो जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप कमर में दर्द होना शुरू हो जाता है।

4. वजन बढ़ना

गर्भ में बच्चा होने और महिला का शरीर बढ़ने से गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने लगता है। अचानक से अत्यधिक वजन बढ़ने के कारण पीठ और रीढ़ पर दबाव पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप महिला को दर्द व तकलीफें होने लगती हैं। 

5. पेट स्ट्रेच होना

गर्भावस्था के दौरान पेट की मसल्स बाहर तक खिंचती हैं। इससे लंबर जॉइंट्स का सपोर्ट भी खत्म हो जाता है जिससे रीढ़ के निचले अंत में दबाव पड़ता है। गर्भाशय का साइज बढ़ने से यह दबाव भी बढ़ता है जिससे कमर का दर्द बढ़ने लगता है। 

कमर में दर्द होने के प्रकार

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की कमर में कुछ विभिन्न प्रकार से दर्द होता है और इसके कुछ कॉमन प्रकार निम्नलिखित हैं, आइए जानें; 

1. पोस्टीरियर पेल्विस में दर्द

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को यह बहुत गंभीर रूप से होता है। इसमें पेल्विस के आसपास हिप्स या जांघों में दर्द होता है। जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान भी ऑफिस जाती हैं उन्हें डेस्क पर बैठने और आगे की ओर या कमर से झुकने में भी यह दर्द होता है। इसके अलावा चलने, सीढ़ियां चढ़ने या कोई सामान उठाने से भी इस प्रकार का दर्द हो सकता है। 

2. लंबर दर्द

पेल्विस के ऊपर निचला वर्टेब्रे होता है जिसे पीठ का लंबर क्षेत्र कहते हैं। कभी-कभी लंबर में दर्द कमर में दर्द की तरह ही आमतौर पर रोजाना महसूस होता है। यह दर्द रीढ़ के आसपास कमर के हिस्से में होता है। इसकी वजह से कभी-कभी पैरों में भी दर्द होने लगता है। यदि आप दिनभर डेस्क पर बैठी या खड़ी रहती हैं या कुछ सामान उठाने के लिए आपको बार-बार नीचे झुकना पड़ता है तो पूरी गर्भावस्था के दौरान आपकी कमर में दर्द रह सकता है। इससे शाम के समय या रात में सोते समय तेज दर्द होता है।

गर्भावस्था के दौरान ज्यादातर किसे कमर दर्द होता है?

यदि महिला को गर्भावस्था से पहले भी इस प्रकार का दर्द हुआ है तो संभव है कि गर्भावस्था के दौरान भी उसे ऐसा दर्द हो सकता है। इसके अलावा यदि आप ज्यादा एक्टिविटीज नहीं करती हैं और अक्सर बैठी रहती हैं, एक्सरसाइज नहीं करती हैं तो इसके परिणामस्वरूप आपको दर्द हो सकता है। यह पेट और पीठ की मांसपेशियां कमजोर होने की वजह से होता है। कई मामलों में यदि आप जुड़वां या इससे ज्यादा बच्चों से गर्भवती हैं तो इसका अर्थ है कि आपके शरीर का वजन बहुत ज्यादा होगा और पीठ पर बहुत ज्यादा जोर आता है। 

गर्भावस्था में कमर दर्द को कैसे ठीक करें?

गर्भावस्था के दौरान सही एक्सरसाइज व देखभाल करके आप कमर के दर्द को ठीक कर सकती हैं। इसके लिए आप निम्नलिखित टिप्स अपनाएं, आइए जानते हैं;

  1. एक्सरसाइज करें
  • आराम करने के अलावा आप अपने शरीर को एक्टिव रखने के लिए कुछ बेसिक एक्सरसाइज करें इससे आपका दर्द कम होगा। इस दौरान आपको कौन सी एक्सरसाइज करनी चाहिए, इस बारे में डॉक्टर से चर्चा करें।
  • इस दौरान आप लाइटवेट ट्रेनिंग ले सकती हैं जिससे आपकी पीठ व अंदरूनी मांसपेशियां मजबूत होंगी।
  • आराम के लिए मांसपेशियों में फ्लेक्सिबिलिटी होना भी बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेचिंग या योग करने से आपको आराम मिल सकता है और इससे आपके लिगामेंट्स के जॉइंट्स पर तनाव भी नहीं आएगा। सीधे खड़ी होकर पेल्विक टिल्ट या पीठ की एक्सरसाइज करने से आपको काफी मदद मिल सकती है।
  • स्विमिंग करने से भी मांसपेशियां मजबूत होती हैं क्योंकि इसमें पानी के उछाल से शरीर का वजन कम होता है। गर्भावस्था के दौरान पानी की कुछ विशेष एक्सरसाइज होती हैं जिन्हें आप कर सकती हैं।
  • टहलने से पैर व जांघों में मजबूती आती है इसलिए आप बिना दौड़े या बिना जॉगिंग करे धीमे – धीमे टहलने का प्रयास करें।
  1. सही पोस्चर बनाएं
  • आप अपने हिप्स दृढ़ और कंधों को पीछे करके सीधे खड़ी होने का प्रयास करें। कंधे व पीठ झुकाकर खड़े होने से आपकी रीढ़ पर दबाव पड़ सकता है।
  • बैठते समय आप कुर्सी की पूरी जगह का उपयोग करें और सीधे बैठें। यदि आपको पोस्टीरियर दर्द होता है तो आप अपने नीचे तकिया रख सकती हैं। आप बहुत देर तक बैठी न रहें और थोड़ी-थोड़ी देर में टहलने का प्रयास भी करें।
  • बैठने के साथ-साथ आप बहुत देर तक खड़ी भी न रहें। इधर – उधर चलने व खड़े रहने के बजाय आप एक तरफ पेट के बल लेट जाएं ताकि आपके पेट व पैरों को पूरा आराम मिले।
  • सुरक्षित व सुविधाजनक रहने के लिए आप पैरों में चप्पल या जूते पहनें। यदि आपको पोस्टीरियर दर्द होता है तो आप सीढ़ियां न चढ़ें और कोई भी काम न करें ताकि आपका यह दर्द बढ़ने न पाए।
  • बिस्तर से उठते समय या कोई भी चीज उठाने के लिए आप अपने घुटनों व हिप्स को मोड़ें। आप सोफे या कुर्सी खिसकाने के लिए अपने हाथों का जोर लगाएं। इस दौरान आप कोई भी भारी सामान न उठाएं और कमर से झुकने के बजाय आप अपने घुटनों को मोड़ें।
  1. खुद की देखभाल के लिए टिप्स
  • आप नियमित रूप से मेडिटेशन और आरामदायक एक्सरसाइज करें। शरीर के दर्द को कम करने के लिए आप अपना स्ट्रेस कम करें। अच्छी शुरूआत के लिए आप इसे सोने से पहले और उठने के तुरंत बाद करें।
  • यदि आपका दर्द बहुत ज्यादा या गंभीर हो जाता है और आपको आराम की जरूरत है तो आप हॉट वाटर बैग या आइस पैक का उपयोग करें। इस बात का ध्यान रखें कि तौलिया में लपेटने के बाद ही आप इसका उपयोग करें ताकि आपकी त्वचा को कोई भी नुकसान न हो।
  • कभी कभी आप मालिश भी करवाएं। गर्भावस्था के दौरान आप किसी प्रोफेशनल से ही अपनी मालिश करवाएं ताकि आपको कोई नुकसान न हो और आपकी पीठ व कमर में पूरा आराम मिले।

यदि कमर में दर्द रहता है तो क्या करें?

यदि आपकी कमर में दर्द सामान्य से अधिक होता है तो आप इसे ठीक करने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकती हैं। यद्यपि यदि यह आपके लिए सही हैं फिर भी आप एक बार डॉक्टर से इस बारे में चर्चा जरूर करें; 

  • अपने दर्द को ठीक करने के लिए एक्सरसाइज के अलावा एक्यूपंक्चर का उपयोग भी कर सकती हैं।
  • किसी भी विशेष थेरेपी से आपको लंबे समय के लिए आराम मिल सकता है और यह पीठ के दर्द को भी कम करता है।
  • यद्यपि गर्भवती महिलाओं के लिए यह प्रमाणित नहीं है पर फिर भी काइरोप्रैक्टर्स भी आपके शरीर के पोस्चर को ठीक करने और कमर के दर्द को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
  • कुछ प्रकार की बेल्ट, जैसे सेक्रल बेल्ट से भी महिलाओं को बहुत आराम मिलता है। हालांकि इससे सभी को फायदा नहीं होता है और इसके उपयोग से कुछ महिलाओं का दर्द बढ़ता है।
  • किसी भी तरह से यदि दर्द अत्यधिक गंभीर हो जाता है तो डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान आपको सुरक्षित दवाइयां प्रिस्क्राइब करेंगे।

डॉक्टर से कब मिलें?

यदि आपको निम्नलिखित संकेत दिखाई देते हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से सलाह लें;

  • यदि आपने सभी तरीकों का उपयोग कर लिया है और किसी से भी फायदा नहीं हो रहा है।
  • यदि आपका दर्द बढ़ रहा है और ठीक नहीं हो रहा है।
  • यदि आपको बुखार आता है या वजायनल ब्लीडिंग शुरू हो जाती है या बाद के दिनों में आपको लेबर का दर्द शुरू हो जाता है।
  • यदि पेशाब करते समय आपको जलन महसूस होती है।
  • यदि आप पहले से ही दर्द की दवाएं लेती हैं पर इससे कोई फायदा नहीं हुआ है।

इस दर्द को कम करने के बहुत सारे तरीके हैं और कई महिलाएं इन तरीकों का उपयोग भी करती हैं। शरीर को हेल्दी व एक्टिव रखने के लिए जरूरी है कि आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और मेडिटेशन करके व अन्य तरीकों से अपने मन को शांत व स्ट्रेस से मुक्त रखें। यह सब करने से आपको दर्द नहीं होगा और बच्चा भी हेल्दी रहेगा। 

यह भी पढ़ें: 

गर्भावस्था के दौरान राउंड लिगामेंट पेन होना
गर्भावस्था के दौरान पेल्विक गर्डल दर्द – कारण, लक्षण और उपचार
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज़ (पी.आई.डी.)

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

22 hours ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

22 hours ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

22 hours ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago