गर्भावस्था थोड़ा सा कठिन समय भी होता है। यद्यपि इस समय बच्चे के आने की खुशी बहुत होती है पर इस दौरान एक गर्भवती महिला को कई कॉम्प्लीकेशंस भी हो सकती हैं। इस समय महिलाओं को अक्सर सिर में दर्द, पेट में तकलीफ, कमर दर्द और इत्यादि समस्याएं होती हैं। यद्यपि एक गर्भवती महिला की देखभाल करना जरूरी है पर इसका मतलब यह नहीं है कि आप फार्मासिस्ट द्वारा कहे अनुसार मेडिकल से कोई भी दवा लें। वैसे तो ज्यादातर ओटीसी दवाएं सुरक्षित होती हैं पर कुछ ऐसी दवाएं भी हैं जिनसे गर्भ में पल रहे बच्चे को हानि हो सकती है। इसके अलावा आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि इस आर्टिकल में आपको 9 महीनों तक बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। यहाँ पर बताई गई कोई भी सलाह आप बिना डॉक्टर से चर्चा किए बिलकुल भी न अपनाएं।
गर्भावस्था में असुरक्षित दवाओं की लिस्ट
यहाँ पर ऐसी कुछ दवाओं के बारे में बताया गया है जो गर्भवती महिलाओं को बिलकुल भी नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है। वे दवाएं कौन सी हैं, आइए जानें;
1. एंटी-फंगल ड्रग
गर्भावस्था के दौरान वजायना में यीस्ट इन्फेक्शन होना बहुत आम है। हालांकि इसके लिए आप खुद से फ्लुकोनाजोल टेबलेट जो अक्सर ओरल थ्रश और अन्य फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए ली जाती है बिलकुल भी न लें। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन ड्रग्स में कुछ ऐसी इंग्रेडिएंट्स डाली जाती हैं जो खून के साथ अम्ब्लिकल कॉर्ड के माध्यम से प्लेसेंटा में जा सकती हैं और बच्चे के विकास में नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। ऐसी समस्याओं के लिए आप डॉक्टर से संपर्क करें।
2. एंटीहिस्टामाइन्स
एंटीहिस्टमाइंस टेबलेट आमतौर पर एलर्जी की दवाइयां होती हैं और यदि आपको रैश, सांस लेने में समस्या और लगातार छींकें आती हैं तो यह दवाइयां दी जाती हैं। कुछ प्रकार की एंटीहिस्टामाइन्स में एक्टिव इंग्रेडिएंट्स होते हैं जिससे विशेषकर तीसरी तिमाही में अत्यधिक रिएक्शन हो सकता है। इसके अलावा एंटीहिस्टामाइन्स लेने से गर्भवती महिलाओं को सूखापन, बेहोशी और थकान जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। यदि आपको हे फीवर या अन्य एलर्जी हो जाती है तो आप इसे ठीक करने के लिए अन्य तरीकों का उपयोग कर सकती हैं, जैसे अपने आसपास हाइजीन व सफाई रखें, ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें और नमक के पानी से नेजल स्प्रे का उपयोग करें।
3. हर्बल रेमेडी
हर्ब्स से गर्भवती महिलाओं को भी बहुत सारे फायदे होते हैं। यद्यपि गर्भावस्था के दौरान कुछ हर्ब्स लेने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि महिलाओं में इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, इससे मिसकैरेज हो सकता है, मृत बच्चे का जन्म हो सकता है या बच्चे में विकास संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसमें कुछ हर्ब्स शामिल हैं, जैसे लिकोरिस, रोजमेरी, जिनसेंग, वॉर्मवुड, दालचीनी, एफेड्रा, येरो, कोहोश और इत्यादि। किसी भी हर्बल रेमेडी का उपयोग करने से पहले आप अच्छी तरह से रिसर्च कर लें।
4. एंटीबायोटिक्स
इन्फेक्शन से छुटकारा पाने के लिए एंटीबायोटिक्स लेना बहुत जरूरी है पर विशेषकर गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में महिलाओं को ये दवाएं नहीं लेनी चाहिए। कई स्टडीज से यह पता चलता है कि टेट्रासाइक्लिन और स्ट्रेप्टोमाइसिन दवाएं लेने से बच्चे के दूध के दाँतों में दाग हो सकते हैं और वे पीले भी पड़ सकते हैं और यह हड्डियों के विकास में भी गंभीर रूप से प्रभाव डालता है।
5. सब्स्टेंस अब्यूस
गर्भवती महिलाओं के लिए अवैध ड्रग्स लेना भी सही नहीं है। मेथाम्फेटामाइन्स और मैरूआना जैसे ड्रग्स से बढ़ते बच्चे को दिल की समस्याएं हो सकती हैं और इससे प्रीमैच्योर डिलीवरी या मिसकैरेज भी हो सकता है। यही बात कुछ प्रिस्क्राइब्ड दवाओं पर भी लागू होती है जिससे एडिक्शन हो सकता है, जैसे कौडीन, रिटैलिन और जायनेक्स।
6. एस्पिरिन
अक्सर सिर दर्द के लिए उपयोग की जाने दवाई एस्पिरिन, एक गर्भवती महिला के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। यदि आप विशेषकर पहली तिमाही में इस दवा का सेवन कर लेती हैं तो इससे गर्भावस्था में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे मिसकैरेज, प्लेसेंटा में क्षति और मृत बच्चे का जन्म। इब्रुफेन दवाई से भी यह समस्याएं हो सकती हैं इसलिए जब तक बच्चे का जन्म न हो जाए तब तक आप इन दोनों दवाओं का सेवन न करें।
7. मॉर्निंग सिकनेस के लिए दवाएं
यदि आपको मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है और जाहिर है होगी भी तो ऐसे में आप ओटीसी दवाई, जैसे पायरीडॉक्सीन या जिंजर पिल्स लेने के बजाय डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसा माना जाता है कि यदि आप इन दवाओं का हाई डोज ले लेती हैं तो इससे मिसकैरेज भी हो सकता है।
8. नेजल डिकंजेस्टेन्ट
इन दवाओं से नाक में जकड़न व खुजली, आँखों में पानी आना और अन्य लक्षण ठीक हो सकते हैं जो अक्सर गर्भावस्था के दौरान होते हैं। पर इस समय इन ट्रीटमेंट्स को करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इससे अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे मतली, माइग्रेन और अनिद्रा जिससे आपके शरीर में अधिक स्ट्रेस आ सकता है। इसके बजाय रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में ब्लॉकेज के लिए आप स्टीम लें।
9. ट्रैवल इम्यूनाइजेशन
जो लोग ऐसी जगह पर जाते हैं जहाँ पर मलेरिया व यलो फीवर ज्यादातर होता है उन्हें इसकी वैक्सीन जरूर दी जाती हैं पर कुछ डॉक्टर के अनुसार ये गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। हालांकि, वैक्सीन न लेने पर होने वाला जोखिम इसे लेने के बाद गर्भावस्था से जुड़े जोखिम से कहीं ज्यादा है।
10. ट्रैंक्विलाइजर
क्लोरडाएजपोक्साइड और डायजेपैम साधारण दवाएं हैं जिनका उपयोग मानसिक विकार, जैसे एंग्जायटी, पैनिक अटैक और अनिद्रा को ठीक करने के लिए किया जाता है और इससे शांति मिलती है। पर यह दवाइयां एडिक्टिव होती हैं और इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को खतरा हो सकता है।
11. एंटीकॉन्वेलसेंट ड्रग्स
दवाएं जैसे क्लोनाजेपैम ट्रैंक्विलाइजर जैसी ही होती हैं। महिलाओं को शरीर में कुछ अनैच्छिक मूवमेंट के लिए इन दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जाती है, जैसे सीजर्स। हालांकि इससे संबंधित की गई बहुत सारी रिसर्च के अनुसार प्रीमैच्योर डिलीवरी और मिसकैरेज होने की संभावनाएं हैं इसलिए इन दवाओं का सेवन करना बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है।
12. मनोरोग की दवाएं
यदि आपको मानसिक समस्याएं होती हैं, जैसे बायपोलर विकार, एडीएचडी, पीटीएसडी और इत्यादि तो ऐसे में भी आपको विशेषकर गर्भावस्था में ओटीसी दवाएं नहीं लेनी चाहिए क्योंकि कुछ दवाओं में कंपाउंड्स होते हैं, जैसे पेरॉक्सटाइन जिससे बच्चे का विकास में हानि हो सकती है।
13. एमएओ इन्हिबिटर्स
यह एक्टिव इंग्रेडिएंट्स होती हैं जो कई सारी एंटीडेप्रेस्सेंट ड्रग्स में डाली जाती हैं, जैसे आइसोकार्बोक्साजिड और फेनेल्जिन। इन दवाइयों से बच्चे में इरिटेशन हो सकती है और अन्य हानिकारक लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। यद्यपि गर्भवती महिलाओं में डिप्रेशन का खतरा बढ़ता है पर इसे ठीक करने के लिए डॉक्टर से ही सलाह लेनी चाहिए।
14. एक्ने की दवाएं
मुंहासे कभी भी हो सकते हैं पर यह शारीरिक हॉर्मोन्स में उतार-चढ़ाव के कारण बहुत ज्यादा होते हैं। यद्यपि इसके बहुत सारे ट्रीटमेंट सही होते हैं, जैसे बेंजॉइल पेरोक्साइड और क्लिंडामाइसिन पर ऐसे बहुत सारे ट्रीटमेंट हैं जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। उदाहरण के लिए विटामिन ‘ए’-युक्त दवाइयां, जैसे आइसोट्रेटिनॉइन और रेटिनो-एसी टेराटोजेनिक दवाएं होती है जिससे बच्चे को दिल, दिमाग और हड्डियों में अब्नोर्मलिटीज हो सकती हैं। एक्ने यानि मुंहासों को ठीक करने के लिए आप प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करें, जैसे टर्मेरिक पेस्ट, दही और एलोवेरा। हाइड्रेटेड रहने से भी आपकी त्वचा में चमक आ सकती है।
ध्यान देने योग्य कुछ जरूरी बातें
गर्भावस्था के दौरान बिना दवाओं के कुछ लक्षण व असुविधाओं से बचने के लिए कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
1. डॉक्टर से सलाह लें
गर्भावस्था के दौरान यदि आप कोई भी दवाई लेना चाहती हैं तो सबसे पहले आपको इसके बारे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर को इस बात की जानकारी होती है कि कौन सी दवाई एक गर्भवती महिला के लिए हानिकारक हो सकती है और इसके विकल्प में वह क्या ले सकती है। गर्भावस्था में आप कभी भी बिना डॉक्टर से पूछे ओटीसी दवाएं न लें।
2. अपनी दवाओं को जानें
ऐसी बहुत सी दवाएं हैं, जैसे विक्स वैपोरब जिसके एक्टिव इंग्रेडिएंट में कुछ सब्स्टेंस भी हो सकते हैं जैसे कैफीन, एस्पिरिन और अल्कोहल जो आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरे का कारण हो सकते हैं। इसका उपयोग करने से पहले एक बार लेबल जरूर पढ़ें।
3. दवाओं को एक साथ न लें
गर्भावस्था वह समय नहीं है जिसमें आपको कई सारी समस्याओं के लिए ट्रीटमेंट लेना चाहिए। जैसे, सर्दी, फ्लू और एलर्जी की दवाइयां जिन्हें गर्भवती महिलाओं को लेने की सलाह नहीं दी जाती है। उदाहरण के लिए अस्टमीनोफेन एनाल्जेसिक के रूप में सही काम करती है पर इसमें मौजूद डीकंजेस्टेंट्स और कुछ पदार्थ, जैसे फेनिलेफ्रीन हानिकारक हो सकते हैं।
4. ओटीसी दवाएं बिलकुल भी न लें
गर्भावस्था के दौरान यदि आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा चिंतित रहती हैं तो इस समय आप कोई भी ऐसी चीज का उपयोग नहीं करना चाहेंगी जिससे आपको या बच्चे को हानि हो सकती है। यद्यपि आप पिछले कई सालों से ओटीसी (ओवर द काउंटर) दवाएं यानि सीधे मेडिकल से दवाएं लेती थी और उसे अब पूरी तरह से छोड़ना आसान नहीं है पर गर्भावस्था की पहली तिमाही में जब बच्चे के ऑर्गन विकसित होते हैं तब ये दवाएं लेनी सलाह बिलकुल भी नहीं दी जाती है। इसके बाद अगली दो तिमाही में सामान्य दिनचर्या के लिए आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार कुछ दवाएं ले सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान शारीरिक और मानसिक समस्याओं को ठीक करने के लिए बहुत सारे तरीके हैं जिनमें आपको सिंथेटिक केमिकल का उपयोग करने की जरूरत नहीं है। इसके लिए आप स्ट्रेस को आराम देनेवाली एक्सरसाइज करें, मालिश करवाएं, योगा, रिफ्लेक्सोलॉजी, ध्यान और हल्की कार्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज करें। इस दौरान आप संतुलित आहार लेना न भूलें और आपके आहार में सब्जियां, फल, होल ग्रेन्स, नट्स और सीड्स भी शामिल होने चाहिए। दिनभर में 3-4 लीटर पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें।
डिस्क्लेमर: इस लेख में गर्भावस्था के दौरान दवाएं लेने की सामान्य जानकारी दी गई है और यह डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का सब्स्टीट्यूट नहीं है। इन दवाओं को लेने से पहले कृपया डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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