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बच्चे को जन्म देना एक असुविधाजनक व दर्दनाक अनुभव होता है। इस समय आपको सिर्फ बच्चे के स्वास्थ्य की ही नहीं बल्कि डिलीवरी के दौरान होने वाले दर्द व कॉम्प्लिकेशंस की भी चिंता होगी। इसलिए डॉक्टर महिलाओं को गर्भावस्था में कीगल एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं। यह एक्सरसाइज पेल्विक की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है जिससे लेबर का समय कम हो जाता है और डिलीवरी के बाद रिकवरी भी जल्दी होती है। कीगल एक्सरसाइज असंयमिता जैसी समस्याओं को भी प्रभावी रूप से कम करता है।
पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए कीगल एक्सरसाइज को गायनोक्लोजिस्ट अर्नाल्ड कीगल ने डिजाइन किया था और फिर बाद में गर्भावस्था के दौरान भी यह एक्सरसाइज की जाने लगी थी। पेल्विक फ्लोर में बहुत सारी मांसपेशियां और लिगामेंट्स हैं जो पेल्विक की हड्डियों के ऊपर बैंड की तरह रहती है और गर्भाशय, ब्लैडर और अन्य अंगों को सपोर्ट करती है। पेल्विक फ्लोर की वजह से ही यूरिन का बहाव, एनल स्पिंस्टर व गर्भाशय का संकुचन नियंत्रित रहता है।
कीगल एक्सरसाइज करना बहुत आसान है और आप इसे कहीं भी कर सकती हैं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार आप दिन के समय में यह एक्सरसाइज एक-एक सेट में पूरा कर सकती हैं।
गर्भ में बच्चे के बढ़ने और विकसित होने से आपके पेल्विक फ्लोर पर सामान्य से अधिक वजन होगा। दुर्भाग्य से कुछ महिलाओं का पेल्विक फ्लोर पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं होगा। यदि खांसते या छींकते समय आपको पेशाब आ जाती है तो इसका यह मतलब है कि आपका पेल्विक फ्लोर मजबूत नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कमजोर पेल्विक फ्लोर में बच्चे का अधिक वजन रहता है जो सपोर्ट देने के लिए तैयार नहीं है।
तीसरी तिमाही में या जन्म के दौरान कई महिलाओं के पेल्विक फ्लोर पर चीरा आ जाता है। वैसे यह तुरंत नहीं होता है और इससे गर्भावस्था के बाद असंयमिता हो सकती है। यदि यह चीरा बहुत बड़ा है तो इससे मल असंयमितता भी हो सकती है।
हालांकि यह प्रमाणित करने के लिए कई स्टडीज हो चुकी है जिससे यह पता लगता है कि पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने की एक्सरसाइज करने से ऊपर बताई हुई समस्याएं कम हो सकती हैं। इन स्टडीज में यह भी पता चला है कि जो महिलाएं कीगल एक्सरसाइज करती हैं उनके लेबर में कम समय लगता है जिसका मतलब है कि उन्हें लेबर का दर्द कम समय के लिए ही होता है। कीगल एक्सरसाइज करने से गर्भावस्था के बाद रिकवरी जल्दी होती है।
मेडिकल में पेल्विक फ्लोर को पीएफएम या पेल्विक डायफ्राम से भी जाना जाता है। यह पेट के निचले हिस्से के सभी अंगों को सपोर्ट करता है, जैसे गर्भाशय, ब्लैडर, रेक्टम और आंतें। यह डायफ्राम लिगामेंट्स के साथ तीन अलग-अलग मांसपेशियों से बना है जो अन्य मांसपेशियों को पेल्विक की हड्डियों से जोड़ने में मदद करती हैं। पीएफएम में मौजूद मांसपेशियां यूरिन को नियंत्रित करने के लिए एक साथ काम करती हैं। यह एक्सरसाइज मूत्रमार्ग को बंद करती है जो एक मजबूत पीएफएम है और इससे बेहतर तरीके से यूरिन नियंत्रित होती है।
गर्भावस्था के दौरान कीगल एक्सरसाइज करने से महिलाओं को कई फायदे होते हैं, आइए जानें;
पेशाब करने के दौरान पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों का पता लगाना बहुत आसान है। पेशाब करते समय आप इसे बीच में ही रोकने का प्रयास करें। इस समय आपकी जिन मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है वे पेल्विक फ्लोर मांसपेशियां हैं और इसका टाइट होना ही कीगल एक्सरसाइज है। यह करते समय सावधानी बरतें – आप इस एक्सरसाइज को कई बार न करें क्योंकि इससे आपको कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे यूटीआई का संकुचन।
यदि आपको नहीं पता कि यह सही मांसपेशियां हैं या नहीं तो आप अपनी वजायना में एक उंगली डालें और इससे जिस पर भी दबाव पड़ता है वह पेल्विक फ्लोर ही है। यदि आप इसे सही कर रही हैं तो आपको महसूस होगा कि वजायना आपकी उंगली के चारो तरफ है। यह ध्यान रखें कि आप इस समय अपने शरीर के किसी और अंग पर ऐसा दबाव न डालें क्योंकि इससे आपको गलत संभवनाएं हो सकती हैं।
यदि आपको लगातार समस्याएं होती हैं तो आप गाइनोक्लोजिस्ट से संपर्क करें। वे आपको इस बारे में पूरी तरह से बता सकते हैं।
कीगल एक्सरसाइज शुरू करने से पहले आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए। याद रखने योग्य सबसे जरूरी चीज यह है कि एक्सरसाइज करते समय आपका ब्लैडर पूरा या थोड़ा बहुत भी भरा हुआ नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे चोट लग सकती है या दर्द हो सकता है। आप एक्सरसाइज शुरू करने से पहले पेशाब के लिए बाथरूम में जरूर जाएं।
एक्सरसाइज शुरू करते समय आप अपने शरीर के कुछ क्षेत्र की मांसपेशियों का ध्यान जरूर रखें, जैसे जांघे, पेट और हिप्स। इस दौरान आप गहरी सांस लें और गहरी सांस छोड़ें क्योंकि इससे एक्सरसाइज के दौरान रिलैक्स करने में मदद मिलती है। आप पेल्विक की मांसपेशियों को संभलने में सहायता के लिए पेट पर हाथ रखें।
ऐसी कई प्रकार की कीगल एक्सरसाइज हैं जिनकी मदद से आप फिट रह सकती हैं। हालांकि यह सभी एक्सरसाइज समान नहीं हैं इसलिए यह करने से पहले आपको डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। यहाँ पर दो बेस्ट कीगल एक्सरसाइज के बारे में बताया गया है जो आपकी हेल्थ के लिए सही हैं, आइए जानें;
शुरू करने के लिए यह एक्सरसाइज सबसे सही है क्योंकि इससे आप अपने समय में पूरी गतिविधि कर सकती हैं।
इसे करने के लिए आप पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों पर दबाव डालते हुए गहरी सांस लें। आप दो गिनने तक अपनी सांस व मांसपेशियों को होल्ड करें और सांस छोड़ते समय रिलैक्स करें। आप इस एक्सरसाइज को दस बार दोहराएं और यह आपका पूरा एक सेट होगा।
यह एक्सरसाइज पेल्विक क्षेत्र में मौजूद दो मांसपेशियों के ग्रुप को जोड़ता है जिससे ज्यादा ताकत और क्षमता मिलती है।
यह एक्सरसाइज करने के लिए पहले आप पीठ के बल लेट जाएं और अपने घुटनों को मोड़ते हुए पैरों को कंधों की सीध पर रखें। आप अपने हिप्स को ऊपर उठाते हुए पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों पर दबाव डालें। अब आप कुछ देर के लिए हिप्स की पोजीशन को ऐसे ही रखें और पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों को आराम दें। आप इस एक्सरसाइज को 5 बार करें और फिर अपने हिप्स को धीरे-धीरे नीचे करके आराम करें।
कीगल एक्सरसाइज करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि संकुचन के बाद आप अपनी सभी मांसपेशियों को आराम दें। क्योंकि इसे संकुचित रखने से आपको अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
कीगल एक्सरसाइज करने का कोई भी समय गलत नहीं है। गर्भावस्था में आप इसे जितना जल्दी शुरू करेंगी आपको इसके उतने ही ज्यादा फायदे मिलेंगे और आप अपनी तीसरी तिमाही व लेबर को एन्जॉय कर सकेंगी। यहाँ तक कि आप डिलीवरी के तुरंत बाद भी यह एक्सरसाइज करना शुरू कर सकती हैं ताकि आपकी रिकवरी जल्दी हो सके। यह संभव है क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है जो रिकवरी में मदद करता है।
आप कीगल एक्सरसाइज कहीं भी और किसी भी समय में कर सकती हैं। आप डॉक्टर का इंतजार करते समय या ट्रैफिक में या काम के समय या किचन में भी कर सकती हैं। शुरूआत में इसकी आदत डालने के लिए आपको सुबह-सुबह और रात में सोते समय यह एक्सरसाइज करनी चाहिए। यदि इससे आपका रूटीन नहीं बनता है तो आपको ऐसी बहुत सारी एप्स मिल जाएंगी जो एक्सरसाइज करने के लिए आपको एक रिमाइंडर सेंड करती हैं।
शुरूआत में आप सिर्फ कीगल एक्सरसाइज सही से करना सीखें। आप अपनी मांसपेशियों को 10 सेकंड तक होल्ड करके ऊपर की ओर दबाव डालें और फिर रिलैक्स करें। एक बार यदि आपको कीगल एक्सरसाइज करने की आदत पड़ गई तो इसका पूरा सेट करने में आपको कोई भी समस्या नहीं होगी। आप एक सेट में 10 बार यह एक्सरसाइज दोहराएं और दिन भर में इस सेट को 2 से 3 बार दोहराएं। हालांकि आपको इस बारे में डॉक्टर से चर्चा कर लेनी चाहिए क्योंकि वे ही आपकी क्षमता और स्वास्थ्य के अनुसार आपको यह एक्सरसाइज करने की सलाह दे सकते हैं।
पेल्विक को मजबूत बनाने के लिए कीगल एक्सरसाइज की जाती है। यदि आप अपने शरीर के पेल्विक क्षेत्र को मजबूत बनाना चाहती हैं तो हमेशा के लिए कीगल एक्सरसाइज करें। बढ़ती आयु की वजह से आपको असंयमिता जैसी समस्या हो सकती है। कीगल एक्सरसाइज लगातार करने से आपकी सभी समस्याएं कम करने में मदद मिलती है। पेल्विक के अंग बढ़ने की वजह से भी असंयमिता, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, पेल्विक क्षेत्र में असुविधाएं और सेक्स के दौरान असुविधाएं हो सकक्ति हैं। यह सभी समस्याएं भी कीगल एक्सरसाइज करके कम की जा सकती हैं।
जो महिलाएं कीगल एक्सरसाइज करती हैं उन्हें इसके परिणाम कुछ सप्ताह या महीनों में दिखने लगते हैं। हालांकि यदि यह एक्सरसाइज कुछ महीनों तक सही से लगातार करने के बाद भी आपको लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। आपको अपनी समस्याएं ठीक करने के लिए डॉक्टर से मदद लेने की आवश्यकता पड़ सकती है।
कीगल एक्सरसाइज को मजेदार बनाने के कई तरीके निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
महिलाओं को मैटरनल और सेक्सुअल स्वास्थ्य के लिए कीगल एक्सरसाइज करना चाहिए। नियमित रूप से यह एक्सरसाइज करने से पेल्विक क्षेत्र हेल्दी और मजबूत रहता है जिससे पेल्विक की सामान्य समस्याओं के खतरे कम हो जाते हैं, जैसे प्रोलैप्स, बवासीर और असंयमिता। हालांकि कोई भी एक्सरसाइज शुरू करने से पहले आप डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें और एडवाइस फॉलो करते समय ध्यान रखें। यदि इन एक्सरसाइज से संबंधित आपके पास कोई भी सवाल हैं तो इसे पूछने से आप बिलकुल न झिझकें। कीगल एक्सरसाइज सिर्फ गर्भावस्था के लिए ही अच्छी नहीं है बल्कि डॉक्टर सभी महिलाओं को यह एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे पेल्विक क्षेत्र का आकार सही रहता है।
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