गर्भावस्था महिलाओं के लिए एक नाजुक समय होता है। गर्भवती महिलाओं से कहा जाता है कि वे अपने बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए पौष्टिक आहार लें और पूरी तरह से जंक फूड का त्याग करें। यदि आप गर्भवती हैं, तो आपको भी ऐसा कहा गया होगा और आप सोच रही होंगी कि आप उन स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों को कैसे छोड़ेंगी, जो आपको बहुत पसंद हैं! कॉफी, पिज्जा, पास्ता को अचानक छोड़ना कठिन लगता है, है ना? लेकिन आप ऐसा कर सकती हैं, हम पर विश्वास कीजिए! ऐसा होता है कि कई खाद्य पदार्थ जो अन्य दिनों में खाने के लिए सुरक्षित होते हैं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान कतई स्वास्थ्यप्रद और सुरक्षित नहीं होते । इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप उन खाद्य पदार्थों के बारे में जानें जो गर्भावस्थ में वर्जित हैं और जिन्हें इस दौरान खाना आपके लिए हानिकारक हो सकता है ।
गर्भावस्था के दौरान आप जो कुछ भी खाती हैं, वह आपके बच्चे के साथ भी बाँटा जाएगा। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप स्वस्थ आहार का चुनाव करें । जो आपके लिए अच्छा है, जरूरी नहीं कि वह आपके गर्भ में पल रहे उस छोटे बच्चे के लिए भी अच्छा ही हो, तो समझदारी वाले विकल्प चुनिए; गर्भावस्था के दौरान ऐसे खाद्य पदार्थों से बचिए और अपने बच्चे को सुरक्षित रखिए। जानिए, गर्भावस्था में वर्जित वे कौन से 10 भारतीय खाद्य पदार्थ हैं।
आप यह पहले से ही जानती हैं कि गर्भावस्था के दौरान पपीते के सेवन से बचना चाहिए, लेकिन क्या आप जानती हैं कि ऐसा क्यों है? गर्भावस्था के दौरान कच्चे पपीते या अधपके पपीते का सेवन करना सुरक्षित नहीं है। हरे पपीते में गाढ़ी मात्रा में लेटेक्स होता है, जो विशेष रूप से हानिकारक हो सकता है क्योंकि इससे गर्भाशय में संकुचन हो सकते हैं, जिससे गर्भपात भी हो सकता है। कच्चे पपीते में पेपैन और पेप्सिन भी होते हैं, जो भ्रूण के विकास को प्रभावित करते हैं और इससे शिशु में कई जन्म दोष पैदा हो जाते हैं।
हां, गर्भावस्था के दौरान तुलसी के पत्ते सेवन के लिए सुरक्षित नहीं हैं। सर्दी या खांसी होने पर हम अक्सर काढ़ा, चाय आदि में तुलसी के पत्ते डालते हैं। लेकिन तुलसी के पत्तों में पारा होता है, जो गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है और संकुचन की शुरुआत कर सकता है।
एलोवेरा जो कि त्वचा की समस्याओं को ठीक करने के लिए जाना जाता है, वास्तव में गर्भावस्था के दौरान हानिकारक हो सकता है। यह न सिर्फ गर्भाशय को प्रभावित करके पेट में संकुचन का कारण बनता है, बल्कि शरीर में शर्करा के स्तर को भी कम करता है। इसके अलावा एलोवेरा से उल्टी और दस्त की भी समस्या हो सकती है, जिससे शरीर के इलेक्ट्रोलाइट स्तर में असंतुलन हो सकता है।
हींग भारतीय व्यंजनों में डाली जानी वाली एक आम सामग्री है। हम इसका उपयोग करी, दाल और कई सब्जियों में करते हैं । यह किसी भी पकवान का स्वाद बढ़ाने के लिए जाना जाता है। हालांकि इसके बावजूद गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन न करने की सलाह दी जाती है। हींग शरीर की आंतरिक गर्मी को बढ़ाता है और ऊर्जा प्रदान करने के लिए शरीर के तापमान में वृद्धि करता है। यह भ्रूण के लिए ठीक नहीं होता क्योंकि निरंतर विकास के लिए इसे शरीर के एक आदर्श तापमान की आवश्यकता होती है। अतः गर्भावस्था के दौरान हींग खाने से बचना ही सबसे अच्छा है!
प्रसव के बाद मेथी दाना एक महिला के आहार का मुख्य हिस्सा होता है, क्योंकि यह स्तनपान हेतु दूध के उत्पादन को उत्तेजित करता है। लेकिन अगर मेथी के बीज का गर्भावस्था के दौरान सेवन किया जाए तो इससे होने वाली माँ और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। मेथी के बीज में फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं, जो शरीर में प्रवेश करते हैं और मासिक धर्म चक्र को शुरू कर देते हैं और साथ ही हार्मोन को प्रभावित करते हैं। यह गर्भाशय में समय से पहले संकुचन पैदा कर सकता है और इससे गर्भपात हो सकता है।
कुछ महिलाओं को प्रसव की नियत तारीख निकट आने पर अनानास का सेवन करने की इच्छा होती है, जो उस परिस्थिति में ठीक है जब डॉक्टर ने इसके लिए अनुमति दे रखी हो। तथापि गर्भावस्था की पहली तिमाही में अनानास बिलकुल भी नहीं खाना चाहिए। अनानास में ब्रोमेलैन एंजाइम होता है, जो गर्भाशय ग्रीवा को नरम करता है और प्रसव पीड़ा को प्रेरित करने में सहायक होता है। इस प्रकार अवांछित संकुचन हो सकता है और गर्भपात हो सकता है।
निस्संदेह अंडे एक बेहद लोकप्रिय और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ हैं । लेकिन क्या आप गर्भावस्था के दौरान इनका आनंद ले सकती हैं? हाँ, लेकिन सभी रूपों में नहीं! यदि आप चाहें तो उबले हुए अंडे खा सकती हैं, वे आपके गर्भावस्था आाहार में शामिल करने के लिए सुरक्षित हैं लेकिन आपको कभी भी कच्चे अंडों का सेवन नहीं करना चाहिए। कच्चे अंडों का उपयोग विभिन्न रेसिपीज में भी किया जाता है जैसे मूस, मेयोनेज़, विभिन्न डिजर्ट और सॉस । कच्चे अंडे में साल्मोनेला वायरस होने का तीव्र खतरा होता है, और यह पूरी तरह से माना जाता है कि यह वायरस गर्भावस्था की कई जटिलताओं का कारण बन सकता है। इसलिए, कच्चे अंडों के सेवन से बचें।
नमकीन और मसालेदार खाद्य पदार्थ खाने में बहुत टेस्टी होते हैं। आप उन्हें आस्वाद लेकर खाते हुए अपनी स्वादकलिकाओं को तृप्त कर सकती हैं, लेकिन गर्भावस्था में इसके सेवन की कतई सलाह नहीं दी जाती है। वास्तव में इस समय आपको उन खाद्य पदार्थों से बिलकुल दूर रहना चाहिए जिनमें अधिक मात्रा में नमक होता है । इनमें आपका पसंदीदा समोसा, पकौड़े और यहाँ तक कि आलू वेफर्स भी शामिल हैं। अधिक नमक के सेवन से आपके शरीर में ज्यादा वॉटर रिटेंशन हो सकता है और यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए फिलहाल इन पदार्थों का त्याग कर दें।
हाँ, यह आपके लिए एक बुरी सूचना हो सकती है, लेकिन अगर आप अपने शिशु को स्वस्थ और सुरक्षित रखना चाहती हैं, तो स्ट्रीट फूड यानि सड़क किनारे के खाने से बचें। कुछ दिनों के लिए, चटपटी चाट और चाइनीज खाने के बारे में भूल जाइए । हो सकता है कि आपको इन खाद्य पदार्थों को खाने की तीव्र इच्छा होती होगी, विशेषतः गर्भावस्था में और भी अधिक, लेकिन ध्यान रखिए, इस तरह के खाने को बनाने में अधिकांशतः स्वच्छता का खयाल नहीं रखा जाता । इस प्रकार गर्भावस्था के दौरान स्ट्रीट फूड खाने से आपको और आपके बच्चे को संक्रमण और बीमारियों का खतरा हो सकता है। आपको पेट की समस्या या अपच हो सकता है। स्ट्रीट फूड मसालेदार भी होता है और इसीलिए आपको इससे बचना चाहिए। मसालेदार भोजन का सेवन करने से सीने और पेट में जलन भी हो सकती है। इसलिए, इससे दूर रहें ।
‘सुशी’ आपके सबसे पसंदीदा खाद्य पदार्थों में से एक हो सकती है, लेकिन जब आप गर्भवती हों तो अपनी पसंदीदा खाद्य पदार्थों की सूची में से इसे निकाल दें । कच्चा मांस और विशेष रूप से मछली का कच्चा मांस बेहद अस्वास्थ्यकर होता है क्योंकि कच्चे मांस में परजीवी और अन्य रोगाणु हो सकते हैं। पकी हुई मछली की करी या तली हुई मछली खाने से भी बचना चाहिए। हाँ, मछली में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जिनकी आवश्यकता एक महिला को गर्भावस्था के दौरान हो सकती है, लेकिन इसे खाने से अपने आप को रोकें। समस्या मछली से नहीं बल्कि पानी से है। पानी में बड़ी संख्या में प्रदूषक होते हैं जिनमें पारा भी शामिल है, जो मछलियां खाती हैं। यह अनिवार्य रूप से आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है और कई समस्याओं का कारण बन सकता है। कुछ किस्म की मछलियां जैसे झींगा, सामन और कैटफिश को आमतौर पर गर्भवती महिलाओं द्वारा सेवन के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन आपको उन्हें अपने आहार का हिस्सा बनाने से पहले अपने डॉक्टर से इस बात की पुष्टि करनी चाहिए।
सौंफ में फाइटोएस्ट्रोजन के अंश होते हैं जो स्त्री एस्ट्रोजन हार्मोन की तरह काम करते हैं और गर्भाशय के संकुचन को प्रेरित करने के लिए जाने जाते हैं। मेथी दाने की तरह ही सौंफ महिलाओं को प्रसव के बाद दी जाती है क्योंकि इससे दूध का उत्पादन बढ़ता है और साथ ही यह गर्भाशय की सफाई भी करती है। डॉक्टर के परामर्श के बाद सौंफ का सेवन गर्भावस्था में कम मात्रा में किया जा सकता है। तथापि एक स्वस्थ गर्भावस्था के लिए इससे दूर रहना ही बेहतर है।
आप इस बात से दुखी तो होंगी कि आप वह सब नहीं खा पा रही हैं जिसकी आपको तीव्र इच्छा होती है, लेकिन याद रखें कि आप इसे अपने और अपने बच्चे के लिए कर रही हैं। यहाँ आपको कुछ भारतीय खाद्य पदार्थ बताए गए जिन्हें गर्भावस्था के दौरान नहीं खाना चाहिए, लेकिन ऐसे बहुत से अन्य खाद्य पदार्थ हैं जो गर्भावस्था के दौरान खाने में कोई तकलीफ नहीं होती और वे स्वादिष्ट भी होते हैं, तो उनका आनंद लें! स्वस्थ रहने और अपने बच्चे को सुरक्षित रखने पर ध्यान दें ताकि आप एक निरोगी शिशु को जन्म दे सकें!
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