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नई मां होने के नाते, आप अक्सर खुद को बच्चे का डायपर बदलता हुआ पाएंगी। अगर आपके बेबी के जन्म को 2 महीने (या उससे अधिक!) हो चुके हैं, तो आप यह समझ चुकी होंगी, कि दिन के समय बच्चे का डायपर बदलने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन रात में यह एक मुश्किल काम हो सकता है। क्यों? क्योंकि रात के समय बच्चे का डायपर बदलने के क्रम में, अक्सर उसकी नींद खुल जाती है और उसके जागने के बाद उसे दोबारा शांत करना और सुलाना बहुत मुश्किल हो जाता है। तो ऐसे में आप क्या कर सकती हैं? इस बात का समाधान हम लेकर आए हैं। आगे पढ़ें और जानें, कि रात के समय बच्चे का डायपर कितनी बार बदलें और कैसे बदलें, कि उसकी नींद खराब न हो।
रात में डायपर ना बदलने से आप और बच्चा दोनों ही बिना किसी रोक-टोक के पूरी रात सो सकते हैं। लेकिन, ऐसे में बच्चे की त्वचा पूरी रात पेशाब के संपर्क में रहती है और उसे डायपर रैश हो सकता है। डायपर रैश में बच्चे की त्वचा लाल हो जाती है और उसमें खुजली और दर्द होता है। वहीं दूसरी ओर, रात में बच्चे का डायपर बदलने से उसे डायपर रैश होने की संभावना बहुत कम होती है लेकिन इसका नुकसान यह है, कि आपकी और आपके बच्चे की नींद खराब होती है।
ऐसे में, रात के समय डायपर बदलना है या नहीं, इसका फैसला लेने के लिए आपको इसके फायदे और नुकसान के बारे में सावधानीपूर्वक विचार कर लेना चाहिए। आमतौर पर, पेरेंट्स बच्चे को डायपर रैश से सुरक्षित रखने के लिए रात को डायपर बदलना जरूरी समझते हैं।
अगर आप यह सोच रही हैं, कि रात में बच्चे का डायपर कब बदलें, तो इसका जवाब है, कि जब बच्चे का डायपर पेशाब से पूरी तरह से भर जाए या बच्चा पॉटी कर दे, तब उसे बदल देना चाहिए। डायपर को कितनी बार बदलना है, यह इस पर निर्भर करता है, कि आप किस तरह का डायपर इस्तेमाल कर रही हैं। बेहतर यही है, कि एक रेगुलर डायपर के बजाय सुपर अब्जॉर्बेंट ओवरनाइट डायपर का इस्तेमाल करें, क्योंकि ये डायपर जब तक पूरी तरह से भर नहीं जाते या बच्चा पॉटी नहीं कर देता, तब तक इन्हें बदलने की जरूरत नहीं होती है। सुपर अब्जॉर्बेंट ओवरनाइट डायपर का इस्तेमाल करने से आपको और शिशु को पूरी रात अच्छी नींद मिलती है। हालांकि सुपर अब्जॉर्बेंट डायपर महंगे हो सकते हैं, इसलिए दिन के समय इनका इस्तेमाल प्रैक्टिकल नहीं है। बच्चे को सुलाने से ठीक पहले, उसे नया और साफ डायपर पहनाना भी एक अच्छा आईडिया है, ताकि उसे पूरी तरह से भरने में अधिक समय लगे।
ऐसे कुछ तरीके हैं, जिनकी मदद से आप बच्चे की नींद खराब किए बिना, उसके डायपर को बदल सकती हैं। इसके कुछ तरीके यहां पर दिए गए हैं:
एक नियमित रूटीन सेट करने से, आपको और आपके बच्चे को निश्चित रूप से पर्याप्त आराम मिल सकता है। बच्चों को रूटीन काफी आरामदायक लगते हैं। रात का डायपर रूटीन, अगर दिन के रूटीन से अलग हो, तो इससे बच्चे को जल्दी सोने में मदद मिल सकती है। आप बच्चे के साथ दिन में जिस तरह से खेलती हैं और आई कांटेक्ट बनाती हैं, वैसा रात को करने से बचें। इससे रात में डायपर बदलने के दौरान वह पूरी तरह से नहीं जागेगा।
बच्चे के सोने से ठीक पहले एक फ्रेश डायपर पहनाने से, वह लंबे समय तक सूखा रहेगा। इससे आपको और आपके बच्चे को रात के समय गहरी नींद सोने का मौका मिलेगा।
रात के इस्तेमाल के लिए खासकर बनाए गए, एक्स्ट्रा अब्जॉर्बेंट डायपर के इस्तेमाल से रात में डायपर बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये डायपर महंगे हो सकते हैं, लेकिन इनसे पूरी रात आपको और आपके बच्चे को बिना किसी रुकावट के अच्छी नींद भी मिलती है।
अगर आप पूरी रात बच्चे को गीले डायपर में छोड़ने को लेकर चिंतित हैं और आपको उसे डायपर रैश होने का डर लग रहा है, तो आप उसे फ्रेश डायपर पहनाने से पहले डायपर रैश क्रीम लगा सकती हैं। इससे त्वचा और गीले डायपर के बीच एक बैरियर बन जाता है, जिससे उसकी त्वचा डायपर रैश से सुरक्षित रहती है।
रात में डायपर बदलने के दौरान, चमकीले लाइट ऑन न करें। इससे बच्चे की नींद खुल सकती है और उसे दोबारा सुलाना मुश्किल हो सकता है। नाइट लाइट का इस्तेमाल करें, जिसकी रोशनी कम हो और बच्चे की नींद भी ना खुले। साथ ही, उसकी रोशनी इतनी हो, कि आप आराम से डायपर बदल सकें।
तेज आवाज और बच्चे से बात करने से वह पूरी तरह जाग जाएगा और उसे दोबारा सुलाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए आवाज को मद्धम रखें और रात के समय बच्चे से बातचीत न करें।
अगर आपका बच्चा रात को फीडिंग के लिए जागता है, तो आप उसे दूध पिलाने के ठीक पहले डायपर बदल सकती हैं। आप फीडिंग के बीच में भी डायपर बदल सकती हैं (ब्रेस्ट स्विच करने के ठीक पहले), इस प्रकार वह दूध पीने के बाद तुरंत सो जाएगा। लेकिन फीडिंग के बाद डायपर न बदलें, इससे वह फिर से जाग सकता है।
जहां रात के समय हल्के गीले डायपर को कुछ देर के लिए छोड़ा भी जा सकता है, लेकिन अगर बच्चा उसमें पॉटी कर देता है, तो उसे तुरंत बदलना जरूरी है। इसे ना बदलने से इंफेक्शन हो सकते हैं। रात के समय पॉटी वाले डायपर बदलने के दौरान, बच्चे के साथ बातचीत न करें या उसके साथ खेले नहीं, जैसा आप आमतौर पर दिन में करती हैं। फटाफट डायपर बदलें और लाइट को फिर से ऑफ कर दें, ताकि आप और बेबी दोनों ही दोबारा सो सकें।
अगर बच्चे का डायपर पूरी तरह से गीला हो जाता है या बच्चा पॉटी कर देता है, तो रात में डायपर बदलना जरूरी होता है। लेकिन धीरे-धीरे बच्चा रात में पॉटी करना बंद कर देता है और सोने के दौरान पेशाब भी कम करता है। ऐसे मामलों में, रात में एक ही डायपर से काम चल जाता है और आप रात में डायपर बदलना बंद कर सकती हैं। हालांकि हर बच्चा अलग होता है और हर बच्चे की जरूरतें भी अलग होती है, इसलिए आपके शिशु का डायपर कितना गीला होता है और वह पॉटी करता है या नहीं, इसके आधार पर आप यह तय कर सकती हैं, कि आपको रात में उसका डायपर बदलना चाहिए या नहीं।
जब आप रात में बच्चे का डायपर बदलती हैं, तो आपको यह काम चुपचाप और जल्दी-जल्दी करना चाहिए, ताकि बच्चे की नींद खराब न हो। अगर वह जाग जाता है, तो उसे दोबारा सुलाना कठिन हो सकता है। जो महिलाएं पहली बार मां बनती हैं, शुरू-शुरू में उन्हें ऐसा करने में मुश्किलें आ सकती हैं। लेकिन लगभग 2 सप्ताह के अनुभव के बाद आप इसे बेहतर तरीके से करना सीख जाती हैं। धीरे-धीरे आपको महसूस होगा, कि रात के समय बच्चे का डायपर बदलने की कोई जरूरत नहीं है और वह सारी रात एक ही डायपर में आराम से सो सकता है।
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