बच्चों के लिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा से जुड़े तथ्य और जानकारियां l Bacchon Ke Liye Rashtriya Dhwaj Tiranga Se Jude Thathya Aur Jankariyan

किसी भी देश का झंडा उस देश की पहचान और गौरव का प्रतीक होता है। यह देश की संस्कृति, परंपरा, और लोगों की भावनाओं को दर्शाता है। झंडा वह चीज है जिसे हर खिलाड़ी गर्व से लहराने का सपना देखते हैं, सैनिक जिसके लिए अपनी जान देते हैं और लोग जिसे सम्मान देने की कोशिश करते हैं। आसान भाषा में कहें, तो झंडा अपने देश और वहां के लोगों का प्रतीक होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि हमारे भारतीय झंडे के पीछे कौन-कौन से आदर्श छुपे हैं और बच्चों के लिए इससे जुड़ी कुछ खास बातें भी बताएंगे।

हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का इतिहास

तिरंगा, जो आज हमारा राष्ट्रीय ध्वज है, 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। यह निर्णय उस समय की संविधान सभा ने लिया था। तिरंगे को श्री पिंगली वेंकय्या ने डिजाइन किया था। फिर 15 अगस्त 1947 को, इसे आजाद भारत का झंडा बना दिया गया। हमारा तिरंगा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे से प्रेरित था और यह देश की एकता, धर्म, संस्कृतियों और आदर्शों का प्रतीक है। इससे पहले भी कई अलग-अलग झंडे रहे हैं। पहला झंडा, जो पूरे देश के लिए बना, वह सिस्टर निवेदिता ने 1906 में बनाया था। तिरंगा बनने से पहले, भारतीय झंडे के कई अलग-अलग रूप थे और नौ बार बदलाव के बाद, यह आज के तिरंगे के रूप में आया।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का विकास

भारतीय झंडे का सफर 1906 से शुरू हुआ, जब पहला झंडा सामने आया जिसे देश के लोगों ने एक स्वतंत्र भारत का प्रतीक माना। यह झंडा स्वामी विवेकानंद की एक शिष्या, सिस्टर निवेदिता ने बनाया था। यह झंडा लाल और पीले रंग का था और उस पर ‘वज्र’ का निशान था, जो एक पवित्र हथियार है। लाल रंग आजादी की लड़ाई को दर्शाता था, पीला रंग जीत का प्रतीक था और वज्र का मतलब था कि भगवान का आशीर्वाद और मार्गदर्शन हमारे साथ है।

दूसरी बार झंडे में बदलाव 1907 में हुआ, जो तिरंगे का पहला रूप था। इस झंडे में तीन रंग की पट्टियां थीं – हरा, पीला, और लाल। हरे पट्टे पर कई सितारे बने थे, और लाल पट्टे पर सूरज और चांद का निशान था

1916 में पिंगली वेंकय्या, जो कि एक वैज्ञानिक और लेखक थे, उन्होंने पहला ऐसा झंडा बनाया, जो पूरे देश को एक साथ लाने का मकसद रखता था। यह झंडा आगे चलकर आज के तिरंगे के विकास की शुरुआत बना। श्री वेंकय्या ने इस झंडे में कई बार बदलाव किए, और अंत में तिरंगा बना, जिसके बीच में खादी का चरखा था। 1947 में झंडे का आखिरी बदलाव हुआ, जब गांधी जी ने कहा कि इसमें सभी धर्मों और समुदायों का बराबर सम्मान होना चाहिए।

आधुनिक भारतीय झंडा

हमारे तिरंगे झंडे को, जैसा कि आज हम जानते हैं, पहली बार पंडित नेहरू ने 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में पेश किया। इसमें तीन रंग होते हैं – केसरिया, सफेद, और हरा। झंडे के बीच में पुराने खादी के चरखे की जगह ‘अशोक चक्र’ को रखा गया, जो न्याय और धर्म का प्रतीक है। नेहरू जी ने इसे खादी के कपड़े से बनाया था, और इसे सभा में सभी ने तुरंत मंजूरी दे दी।

तिरंगे के रंग और अशोक चक्र का क्या मतलब है?

हमारे देश के पहले उपराष्ट्रपति और महान दार्शनिक, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने तिरंगे का मतलब बताया। उन्होंने इसे इस तरह समझाया:

  • केसरिया रंग हमारे नेताओं के अंदर त्याग की भावना को दर्शाता है। साथ ही, यह साहस और बलिदान का प्रतीक भी है।
  • हरा रंग हमारी धरती से गहरे संबंध को दिखाता है, जिससे जीवन को बनाए रखने वाले पेड़-पौधे आते हैं। हरा रंग विश्वास और वीरता का भी संकेत देता है।
  • सफेद रंग सत्य के मार्ग को दर्शाता है, जो रौशनी और शांति से आलोकित होता है।
  • अशोक चक्र धर्म का प्रतीक है, जो भारतीयों का मुख्य सिद्धांत है। चक्र यह भी बताता है कि भारत को हमेशा बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए और स्थिर नहीं होना चाहिए।

भारतीय झंडे का मतलब

हमारा तिरंगा झंडा हमेशा खादी के कपड़े से बनाया जाता है, जो हमें याद दिलाता है कि हमें हमेशा खुद पर निर्भर रहना चाहिए। झंडे के रंग अलग-अलग धर्मों का प्रतीक हैं। केसरिया रंग हिंदू, जैन, और बौद्ध धर्म को दिखाता है। हरा रंग इस्लाम धर्म का प्रतीक है और सफेद रंग ईसाई धर्म को दर्शाता है। बीच में अशोक चक्र यह बताता है कि हमारे धर्मों के ऊपर सच्चाई और सहनशीलता का मार्ग सबसे जरूरी है।

तिरंगा झंडा फहराने के नियम

2002 में गणतंत्र दिवस पर नियमों में बदलाव किया गया ताकि कोई भी भारतीय पूरे साल कभी भी तिरंगा फहरा सके। पहले तिरंगा केवल खास दिनों पर ही फहराया जाता था। नियमों का पालन करके कोई भी तिरंगा फहरा सकता है।

ध्यान रखने योग्य कुछ नियम:

  • स्कूल-कॉलेज अपने छात्रों में देशप्रेम जगाने के लिए तिरंगा फहरा सकते हैं।
  • तिरंगे को कपड़े के रूप में नहीं इस्तेमाल किया जा सकता।
  • तिरंगा सिर्फ सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जा सकता है।
  • ध्वज जमीन को छूना नहीं चाहिए।
  • तिरंगे से ऊंची कोई भी चीज नहीं होनी चाहिए।
  • तिरंगे को किसी भी गाड़ी पर नहीं लपेटा जा सकता।

भारतीय ध्वज तिरंगा से जुड़ी मजेदार बातें

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में कुछ और रोचक तथ्य यहां दिए गए हैं।

  • झंडे के निर्माण का एकमात्र अधिकार हुबली के कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ के पास है।
  • झंडे के लिए सिर्फ कड़ी का कपड़ा ही इस्तेमाल होता है। किसी अन्य सामग्री से बनाने पर तीन साल की जेल की सजा हो सकती है।
  • भारतीय ध्वज का आयाम 2:3 के अनुपात में होना चाहिए।
  • अशोक चक्र में 24 तीलियां होनी चाहिए और यह गहरे नीले रंग की होनी चाहिए।
  • 29 मई 1953 को माउंट एवरेस्ट पर भारतीय ध्वज फहराया गया था।
  • 22 अगस्त 1922 को जर्मनी के स्टटगार्ट में पहली बार विदेशी धरती पर भारतीय ध्वज फहराया गया था।
  • भारतीय ध्वज ने 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा के साथ बाहरी अंतरिक्ष में उड़ान भरी, जो अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय थे।
  • इंडियन फ्लैग 2014 में चेन्नई में 50,000 से अधिक स्वयंसेवकों द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा ह्यूमन फ्लैग था।
  • भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंग भी राष्ट्र के प्रमुख धर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं, भगवा हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करता है, सफेद अल्पसंख्यक धर्मों का प्रतिनिधित्व करता है और हरा इस्लाम का प्रतिनिधित्व करता है, अशोक चक्र सभी धर्मों के बीच सद्भावना का प्रतीक माना जाता है और समान रूप से एक राष्ट्र के रूप में इस तरह के सद्भाव का प्रतीक है।
  • 7 अगस्त, 1906 को स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआत में पहली बार कोई राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था, यह सिस्टर निवेदिता का ध्वज था जिसे पहला राष्ट्रीय ध्वज माना जाता था।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश की शान और गौरव का प्रतीक है। इसे बनाने का काम कोई भी व्यक्ति या कंपनी, केवल पैसे कमाने या गलत कारणों से नहीं कर सकता। इसीलिए देश में सिर्फ एक ही जगह है जहां आधिकारिक तौर पर झंडा बनाया जाता है – कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ। झंडा बनाने के लिए पहले सरकार से इजाजत और लाइसेंस लेना पड़ता है, जो भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा जारी किया जाता है। हमारा तिरंगा सिर्फ देशभक्ति का ही नहीं, बल्कि एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है। यही हमारी आजादी की नींव है और यही वह भावना है जो पूरे देश को एकजुट करती है। इसी वजह से हमारा झंडा हमेशा ऊंचा फहराया जाता है, सिवाय उन मौकों के जब कोई बड़ी हस्ती हमें छोड़ कर चली जाती है या कोई बड़ा दुखद हादसा होता है। ऐसे समय में झंडा आधा झुका दिया जाता है। झंडा हमेशा फहराया जाता है लेकिन इसका एक खास महत्व तब होता है जब नई सरकार बनती है या राष्ट्रपति का चुनाव होता है। इसके अलावा, 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) के दिन तिरंगा फहराना हमारे लिए बहुत ही भावपूर्ण और गर्व का पल होता है। ये दोनों दिन हमारे उन संघर्षों की याद दिलाते हैं जो हमने आजादी और न्याय के लिए लड़े थे।

यह भी पढ़ें:

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बच्चों को भाषण तैयार कराने के टिप्स
बच्चों के लिए भारतीय स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी दिलचस्प जानकारियां

समर नक़वी

Recent Posts

प्रिय शिक्षक पर निबंध (Essay On Favourite Teacher In Hindi)

शिक्षक हमारे जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वह केवल किताबों से ज्ञान नहीं…

2 weeks ago

मेरा देश पर निबंध (Essay On My Country For Classes 1, 2 And 3 In Hindi)

मेरा देश भारत बहुत सुंदर और प्यारा है। मेरे देश का इतिहास बहुत पुराना है…

2 weeks ago

शिक्षा का महत्व पर निबंध (Essay On The Importance Of Education In Hindi)

शिक्षा यानी ज्ञान अर्जित करने और दिमाग को सोचने व तर्क लगाकर समस्याओं को हल…

2 weeks ago

अच्छी आदतों पर निबंध (Essay On Good Habits in Hindi)

छोटे बच्चों के लिए निबंध लिखना एक बहुत उपयोगी काम है। इससे बच्चों में सोचने…

3 weeks ago

कक्षा 1 के बच्चों के लिए मेरा प्रिय मित्र पर निबंध (My Best Friend Essay For Class 1 in Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना बहुत उपयोगी होता है क्योंकि इससे वे अपने विचारों को…

3 weeks ago

मेरा प्रिय खेल पर निबंध (Essay On My Favourite Game In Hindi)

खेल हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ये न सिर्फ मनोरंजन का साधन…

3 weeks ago