शिशु

शिशुओं के पेट में दर्द होना – कारण, लक्षण और उपचार

पेट दर्द की समस्या बच्चे को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है। नवजात शिशुओं में पेट दर्द होना आम है। चूंकि बच्चा पेट दर्द की समस्या को व्यक्त नहीं कर पाता है इसलिए वह बहुत ज्यादा रोने लगता है। पर बच्चे को किस चीज से समस्या हो रही है इसके बारे में वह नहीं बता पाएगा। पेट में दर्द स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याओं से हो सकता है। यहाँ पर बच्चों में पेट दर्द के कुछ प्रकार, कारण, लक्षण व ट्रीटमेंट के बारे में बताया गया है, जानने के लिए आगे पढ़ें। 

छोटे बच्चों में पेट दर्द के आम लक्षण

 बच्चों में पेट दर्द के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • बच्चा सामान्य से ज्यादा फ्रस्टेट और इरिटेट होता है।
  • यदि बच्चा सामान्य से ज्यादा रोता है।
  • यदि बच्चे को डायरिया हो जाता है।
  • यदि उसे उल्टी होती है।
  • यदि बच्चे की मसल्स में तनाव आता है या यह मुड़ जाती हैं।
  • यदि बच्चे की नींद खराब हो जाती है।
  • यदि बच्चा नियमित रूप से दूध नहीं पीता है।

छोटे बच्चों में पेट दर्द के कुछ आम कारण और उपचार

बच्चों में पेट दर्द होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

1. कोलिक

यदि बच्चा देर तक लगातार रोता है तो यह कोलिक होने की वजह से भी हो सकता है। यह 2 – 3 सप्ताह के बच्चों में हो सकता है और लगभग 4 – 5 महीने तक रहता है। इसे नवजात शिशुओं में गैस का दर्द भी कहते हैं। यदि बच्चा लगतार 3 सप्ताह तक दिन में 2 घंटे से ज्यादा रोता है तो यह कोलिक के कारण भी हो सकता है। 

कारण

कोलिक होने के वास्तविक कारण कोई भी नहीं जानता। यह पेट में हवा भरने या पाचन खराब होने की वजह से हो सकता है। कुछ लोग सोचते हैं कि बच्चा माँ के दूध में मौजूद किसी चीज से इन्टॉलरेट है जिसकी वजह से उसे यह समस्या हो रही है। 

लक्षण 

बच्चा रोते हुए अपनी पीठ को स्थिर या आर्च के शेप में करने का प्रयास करेगा और अपने घुटने मोड़ेगा। इससे पेट की मांसपेशियां खिंचती हैं और वह गैस भी पास कर सकता है। 

ट्रीटमेंट 

गुनगुने पानी से नहाने या पेट में गर्म सिकाई का उपयोग करने, घुटनों तक पुशअप एक्सरसाइज करने से दर्द कम हो सकता है और गैस से आराम मिलता है। कोलिक को ठीक करने के लिए कोई भी दवा नहीं है। यदि यह समस्या बहुत गंभीर है तो डॉक्टर से संपर्क करें। कोलिक की वजह से पेट दर्द को ठीक करने के लिए आप अपने बच्चे को सौंफ का पानी, तुलसी का पानी और पिपरमिन्ट का पानी गुनगुना करके दें। नेचुरल चीजों में एन्टीस्पैस्मोडिक और एंटी-फ्लैटुएन्स गुण होते हैं जो गैस की समस्याओं को ठीक कर सकते हैं। यदि आप बच्चे को ये चीजें देने की सोच रहे हैं तो पहले डॉक्टर से संपर्क करें और इसके साइड-इफेक्ट्स, डोज और यह बच्चे को कैसे देना चाहिए इन सब चीजों के बारे में जान लें। 

2. कब्ज या कॉन्स्टिपेशन

आमतौर पर जब बच्चे सॉलिड फूड खाना शुरू करते हैं तो उन्हें कब्ज होता है। यदि बच्चे को पॉटी करने में तकलीफ होती है या वह 3 दिन तक पॉटी नहीं जाता है तो यह कब्ज की समस्या हो सकती है। 

कारण 

यह दूध से एलर्जी होने के कारण, बच्चे की डायट में फाइबर न होने के कारण, पर्याप्त पानी न पीने से या पॉटी को देर तक रोकने से होता है 

लक्षण 

यदि बच्चे को कब्ज है तो उसे ड्राई, हार्ड पॉटी हो सकती है। इस पर भी ध्यान दें यदि बच्चे को पॉटी करने में बहुत ज्यादा दम लगाने की जरूरत पड़ती है। बच्चे की पॉटी के रंग में बदलाव, जैसे लाल, काला या मैरून होता है तो यह भी एक चिंता का कारण है। 

ट्रीटमेंट 

यदि बच्चे ने सॉलिड फूड खाना शुरू कर दिया है तो आप उसे वो खाद्य पदार्थ दें जिससे कब्ज में आराम मिले, जैसे मटर, आलूबुखारा, ओट्स और नाशपाती। हल्की एक्सरसाइज करने से भी इसमें मदद मिलती है। आप अपने बच्चे को पीठ के बल लिटाएं और उसके पैरों को साइकिल के मोशन में हिलाएं। यदि डॉक्टर के अनुसार बच्चे के लिए ग्लिसरीन सपोसिटरी का उपयोग करना सही है तो आप इसका उपयोग करें क्योंकि यह बच्चे के शरीर में लुब्रिकेशन प्रदान करता है ताकि पॉटी हो सके। 

3. रिफ्लक्स

यदि एसोफेगस और पेट के बीच की नली ठीक से काम नहीं कर रही है तो यह समस्या होती है। बच्चे के पेट से खाना ऊपर आने व मुँह से निकालने पर रिफ्लक्स होता है। इसे गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स कहते हैं और यह दुर्लभ मामलों में गंभीर होता है। 

कारण 

शरीर में निचला एसोफेगल स्पिंस्टर मैच्योर न होने से रिफ्लक्स होता है। यह एक रिंग मसल है जो खाने को एसोफेगस तक पहुँचाती है और पेट में ही रखती है। यदि इमैच्योर एलइएस खुला रह जाता है तो खाना ऊपर आ सकता है। 

लक्षण 

इसमें बच्चे को उल्टी, चोकिंग, खांसी, खराश और खाना उलटने जैसी समस्याएं होती हैं। रिफ्लक्स होने के कारण बच्चा खाना खाते समय व बाद में बहुत रोता है। 

ट्रीटमेंट 

बच्चे को लगातार दूध पिलाने से मदद मिल सकती है। यदि आप तकिए का उपयोग करके बच्चे का सिर ऊपर की ओर रखती हैं तो दूध पिलाने के बाद इससे भी मदद मिलती है। पेट में एसिड को कम करने के लिए भी डॉक्टर कुछ दवाएं प्रिस्क्राइब करते हैं ताकि परेशानी कम हो सकें। 

4. दस्त या डायरिया

डायरिया में बच्चे को पतली पॉटी होती है और इससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। 

कारण 

यह आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने से होता है जिसे रोटावायरस कहते हैं। बैक्टीरियल स्ट्रेन जैसे, कम्पाइलोबैक्टर, साल्मोनेला, एस्चेरीकिया कोली होता है जिसे डायरिया भी कहते हैं। यह दूषित खाने और पैरासाइट की वजह से भी होता है। 

लक्षण 

बच्चे को गीली पॉटी के साथ बुखार व तकलीफ भी होती है। 

ट्रीटमेंट

चूंकि डायरिया होने से बच्चे को डिहाइड्रेशन होता है इसलिए पानी व दूध पिलाना बहुत जरूरी है। आप डॉक्टर से सलाह जरूर लें क्योंकि इस समस्या को खत्म करने के लिए आपको डॉक्टर की सलाह व प्रिस्क्रिप्शन की जरूरत पड़ती है। यदि बच्चे ने सॉलिड फूड खाना शुरू कर दिया है तो आप उसे हल्का व हेल्दी भोजन ही खिलाएं। 

5. इंटससेप्शन

यह एक दुर्लभ समस्या है जिसमें बच्चे को पेट दर्द होता है और यह 8 से 14 महीने की उम्र में होता है। यह तब होता है जब आंतों का एक भाग दूसरे भाग को ब्लॉक करता है और इससे दर्द भी होता है। इससे शरीर में ब्लड फ्लो और अन्य फ्लुइड्स का फ्लो बंद हो जाता है। 

कारण 

बच्चों में यह समस्या होने का स्पष्ट कारण नहीं पता चला है पर बड़ों में यह ट्यूमर की वजह से होता है। 

लक्षण 

बच्चा अपने पैर को पेट की ओर खींचता है, उसे बार-बार उल्टी होती है और पॉटी गाढ़ी, या इसमें खून के साथ म्यूकस भी होता है। 

ट्रीटमेंट 

बच्चे के पेट का एक्स-रे कराने की जरूरत है जिसे बेरियम एनीमा कहते हैं  जिससे आंतें पीछे की ओर जाती हैं इसलिए डॉक्टर से संपर्क करें।

6. कुछ समय के लिए लैक्टोज इनटॉलेरेंस

यदि शरीर में लैक्टेज एन्जाइम्स उत्पन्न नहीं हो रहे हैं जिससे दूध या अन्य डेयरी प्रोडक्ट में मौजूद शुगर विभाजित होती है तो इससे इनटॉलेरेंस होता है। 

कारण 

इसकी वजह से बच्चे के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल में समस्याएं होती हैं, जैसे पेट में फ्लू और डायरिया। ये समस्याएं छोटी आंतों की परत को डैमेज कर सकती हैं और इससे लैक्टोज पचने में कठिनाई होती है। 

लक्षण 

इस आम समस्या में अक्सर डायरिया, पेट में क्रैम्प, सूजन व गैस की समस्याएं होती हैं। 

ट्रीटमेंट 

बच्चे को कुछ दिनों के लिए कोई भी डेयरी प्रोडक्ट न दें और इसके बारे में पेडिअट्रिशन से सलाह लें। 

7. मोशन सिकनेस

यदि कार में यात्रा के दौरान बच्चा बीमार पड़ता है तो यह मोशन सिकनेस है। इसमें अक्सर बच्चे के पेट में दर्द होता है और वह बीमार पड़ जाता है। हालांकि दो साल से कम उम्र के बच्चों में मोशन सिकनेस होना बहुत दुर्लभ होता है। 

कारण 

यदि बच्चे में मोशन और देखने के बीच संबंध नहीं बन पाता है तो इससे शरीर का एक भाग मोशन से सेंसिटिव हो जाता है, जैसे कान और नर्व्ज। 

लक्षण 

मोशन सिकनेस की वजह से अक्सर पेट में दर्द और मतली होती है। मतली की वजह से बच्चे के मुँह में नमकीन स्वाद आता है और उसकी लार टपकती है। 

ट्रीटमेंट 

यात्रा के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लें। आप इसे ऐसे प्लान करें ताकि बच्चे को सोने या नैप लेने का समय भी मिल सके। इस बात का ध्यान रखें कि कार में कोई भी दुर्गंध न आए और फ्रेश हवा से अधिक मदद मिलती है। 

8. अपेंडिसाइटिस

बच्चों के अपेंडिक्स में सूजन होने से यह समस्या होती है जो बहुत दुर्लभ है। अपेंडिक्स अब्डॉमिनल कैविटी के दाहिने कोने में होता है। इसके ब्लॉक होने की वजह से दर्द होने लगता है। 

कारण 

यदि पॉटी टाइट होने या लिम्फ नोड में दबाव पड़ने और ओपनिंग ब्लॉक होने की वजह से अपेंडिक्स में बैक्टीरिया हो जाता है तो इसमें सूजन आ जाती है। सूजन होने से पेट में दबाव पड़ता है और तेज दर्द होता है। 

लक्षण 

दर्द होने की वजह से बच्चा बहुत तेज रोता है। इसमें बच्चे को बुखार, उल्टी और कभी-कभी डायरिया भी हो सकता है। 

ट्रीटमेंट 

इसके लिए सर्जरी कराने की जरूरत होती है ताकि अपेंडिक्स को पेट में ही फटने से रोका जा सके। यह एक आम समस्या है और इसमें चिंता की जरूरत नहीं है। 

9. पेडिएट्रिक हर्निया

यह वो समस्या है जिसमें अब्डॉमिनल कैविटी की छोटी और बड़ी आंतें खिसक जाती हैं और इससे इन्फेक्शन व तकलीफ भी होती हैं। हर्निया दो प्रकार से होता है, एक इनगुइनल हर्निया और दूसरा अम्ब्लिकल हर्निया। यदि आंतें इनगनल कैनाल में खिसक जाती हैं तो इससे ग्रोइन में सूजन होती है जिसे इनगनल हर्निया होता है। अम्ब्लिकल हर्निया तब होता है जब आंतें पेट की दीवार से बाहर नाभि के पीछे खिसक जाती हैं। 

कारण 

पेट की मसल्स कमजोर होने की वजह से हर्निया होता है। लड़कों में इनगनल कैनाल ठीक से बंद न होने पर होता है और इसमें आंतों का कुछ भाग कैनाल की ओर खिसक जाता है। 

लक्षण 

हर्निया पूरे पेट पर गोलाई में होता है जिसकी वजह से दर्द, उल्टी और बुखार आ सकता है। 

ट्रीटमेंट 

इस समस्या को ठीक करने के लिए सर्जरी की जरूरत है। समय के साथ हर्निया बंद भी हो जाता है पर इसमें दर्द बहुत तेज होता है जिसमें इलाज की जरूरत पड़ती है। 

10. यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन

बच्चे के 12 महीने के होने तक उसे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हो सकता है। इससे बच्चे के पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। ट्रैक्ट में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने से बच्चे को यह समस्या हो सकती है।

कारण 

यदि बाहरी बैक्टीरिया ब्लैडर या मूत्रमार्ग में फैल जाता है तो आमतौर पर यह इन्फेक्शन होता है। यह समस्या साफ-सफाई न होने के कारण होती है। 

लक्षण 

इसमें बच्चे को बुखार हो सकता है, वह पेशाब करते समय रोता है (यह दर्द होने का संकेत है और उसके पेशाब में दुर्गंध आ सकती है। 

ट्रीटमेंट 

इस इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक का उपयोग किया जाता है। आप बच्चे की आयु के अनुसार उसे एंटीबायोटिक देने से संबंधित जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। आप एंटीबायोटिक्स का पूरा कोर्स करें ताकि यह समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाए। 

छोटे बच्चे के पेट दर्द में आराम के लिए कुछ खास टिप्स

  • आप अपने बच्चे के पेट पर सर्कुलर मोशन के साथ मालिश करें ताकि उसे दर्द से आराम मिल सके।
  • गुनगुने पानी से नहलाने से बच्चे को आराम मिलता है और उसके पेट का दर्द ठीक होता है।
  • बच्चे को दूध पिलाने के बाद डकार दिलाना न भूलें। इससे उसे गैस और पेट में दर्द नहीं होगा।
  • बच्चे के पैरों को साइकिलिंग मोशन में घुमाएं ताकि पेट से गैस निकल सके।

बच्चों को पेट में दर्द कई कारणों से होता है पर यह किसी गंभीर कारण या रोग की वजह से होना दुर्लभ है। ऊपर बताए हुए ज्यादातर कारण घरेलू उपचारों से ठीक हो सकते हैं या कुछ समय के बाद ठीक हो जाएंगे। इस दर्द का सिर्फ कारण जानने के लिए ही नहीं पर सही उपचार खोजने के लिए भी आप डॉक्टर से संपर्क करें। 

यह भी पढ़ें:

छोटे बच्चों में एनीमिया होना
शिशुओं को पित्ती होना: कारण, लक्षण और उपचार
शिशुओं में पेट-दर्द के 9 आसान और प्रभावी घरेलू उपचार

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

20 hours ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

20 hours ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

20 hours ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago