शिशु

सोने से पहले छोटे बच्चों के रोने के 3 कारण

जब बच्चे अक्सर सोने से पहले घंटों तक रोते रहते हैं, तो ऐसे में कई माता-पिता को यह पता नहीं होता है कि उनका बच्चा क्यों इतना रो रहा है और उनको क्या करना चाहिए। आप पूरे दिन अपने बच्चे की देखभाल करते-करते थक जाती हैं और ऐसे में जिस एक पल आपको सोने का मौका मिलता है आप कुछ देर के लिए नैप ले लेती हैं, लेकिन इस मामले में आपका बच्चा आपके जैसा बिलकुल नहीं है। बच्चे ने अपना सारा समय आपके गर्भ में बिताया होता है, जहां उसके लिए सब कुछ अपने आप उसके हिसाब से होता गया था। इसलिए, इस बात का ध्यान रखना हमारा फर्ज है कि बच्चे को बाहर भी एक सुरक्षित और आरामदायक माहौल मिले जिसके लिए आपको अधिक प्रयास करने की जरूरत पड़ेगी।

आखिर सोने से पहले छोटे बच्चे क्यों रोते हैं?

वैसे तो बच्चे कई कारणों से रो सकते हैं, लेकिन उनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं जो उन्हें परेशान करते हैं, खासकर जब वह सोने का प्रयास करते हैं।

1. रात में नींद आने असमर्थता

कई शिशुओं को देखकर ऐसा बिलकुल नहीं लगता है कि उनके साथ कोई भी परेशानी है। हालांकि, वे हर बार रात को सोते समय रोने लगते हैं। यह आमतौर पर 3 महीने से कम उम्र के बच्चों में दिखाई देता है। रोना उनके शरीर की स्लीप साइकिल की आदत का एक रिएक्शन है क्योंकि यह शुरुआत में उनके लिए सामान्य नहीं होता है। दिल से लेकर ब्लैडर और डाइजेस्टिव सिस्टम तक कई शारीरिक अंग और प्रक्रियाएं होते हैं, जिन सभी को शरीर की नींद प्रणाली के अनुरूप होना चाहिए। जन्म के 3 महीने पूरे होने के बाद बच्चे के शरीर को धीरे-धीरे उसकी आदत होने लगती है।

2. किसी तरह की शारीरिक परेशानी होना

बच्चों के लिए रोना उनकी बात दूसरों तक पहुंचाने का एकमात्र तरीका है, यही वजह है कि वे हर बार रोने लगते हैं जब भी उन्हें कुछ बताना होता है। और कई बार, जब उन्हें परेशानी या असहजता महसूस होती है तब भी वो ऐसा कर सकते हैं। इसके अलावा यदि उनकी सोने की जगह का माहौल अनुकूल नहीं है तो वे रोने लगेंगे। साथ ही अगर बच्चे को सर्दी या गर्मी लग रही हो तब भी रोएंगे। बच्चों के दांतों का विकास रात के समय में ही ज्यादातर होता है, जिसकी वजह से उनको अधिक दर्द होता है। यही नहीं कभी-कभी डायपर में पॉटी करने या टाइट कपड़े पहनने से भी बच्चों को जलन होती है और तकलीफ के कारण वो रोना शुरू कर देते हैं।

3. जुड़ाव का प्रयास

एक और अहम कारण है जिससे बच्चा सोने के ठीक समय पर रोना शुरू कर देता है, जिसका सीधा संबंध उसके व्यवहार से अधिक होता है। अटेंशन पाने की उसकी जरूरत और सामाजिक संपर्क बनाने के कारण वह जोर-जोर से रोते हुए आपसे बात करने की कोशिश करता है। कुछ बच्चे यह जानते हैं कि सोने के समय का मतलब यह है कि वे अपनी माँ को अब नहीं देखेंगे, जिसके कारण वे रोने लगते हैं। बच्चे जो दिन भर खेलने के बाद थक जाते हैं या जिनमें बहुत अधिक एनर्जी होती है, उनको रात की शांति नहीं भाती है। किसी तरह की बीमारी या भूख भी उन्हें जगाए रखती है या सोने से पहले थोड़ी देर खेलने के लिए उसको आपकी जरूरत होती है।

रोते हुए छोटे बच्चे को शांत करने के टिप्स

जब छोटा बच्चा रोता है खासकर सोने के वक्त तब उसको शांत कराने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत उसके माता-पिता की होती है। यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं जो ज्यादातर समय सभी प्रकार के बच्चों पर काम करती हैं।

1. बच्चे के अनुकूल वातावरण बनाएं

बच्चे को आसानी से सुलाने के लिए, उसके कमरे में तापमान ऑप्टिमम लेवल पर होना चाहिए। यह आपके बच्चे के पेट या उसकी पीठ के आसपास के तापमान की जांच करके बहुत अच्छी तरह से पहचाना जा सकता है। मौसम के हिसाब से उसके लिए कपड़े चुनें और उसी के अनुसार उसे पहनाएं। सर्दियों में भी उसे कंबल में लपेटने से बचें, क्योंकि ऐसा करने से उसका दम भी घुट सकता है और एसआईडीएस हो सकता है। सर्दियों के दौरान उन्हें गर्मी पहुंचाने का प्रयास करें और गर्मियों में हवा बनाए रखने के लिए हल्के पंखे का उपयोग करें।

2. बच्चे को सुलाने से पहले अच्छी तरह से स्वैडल करें

नींद में भी, आपके बच्चे को सुरक्षित महसूस कराने की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह जैसे उसे माँ द्वारा गले लगाया और पकड़ा जाता है। ऐसा महसूस कराने के लिए बच्चे को आमतौर पर एक हल्के कंबल में लपेटा जाता है। यह बच्चे के किसी भी तरह के मूवमेंट, खासकर पैरों की गति को नियंत्रण में रखने में भी मदद करता है, जो गलती से उसे नींद से जगा सकता है। हल्के मलमल के कपड़े में उसे इस तरह लपेटें कि उसकी ठुड्डी, कान और सिर खुले रहें। छोटे बच्चों के लिए बने स्लीपिंग बैग को चुनना भी एक अच्छा विकल्प है।

3. सोने के लिए सही कपड़े चुनें

बच्चे अपनी छोटी से छोटी पसंद के प्रति हद से ज्यादा सेंसिटिव होते हैं। यहां तक ​​​​कि उनमें थोड़ी सी भी गड़बड़ी होना, उनका सोना मुश्किल कर देती है। ऐसे में बच्चे के कपड़े एक अहम भूमिका निभाते हैं और उन्हें उचित रूप से चुनना जरूरी है। आप दिन में बच्चे को फिटिंग के कपड़े पहना सकती हैं, लेकिन रात में सोते समय उसे ढीले-ढाले कपड़े ही पहनाएं। लेकिन चुने हुए कपड़े ढीले होने के साथ इतने मोटे भी होने चाहिए कि उसे गर्माहट और कंफर्ट के साथ रखा जा सके। सिर को कवर तब तक न करें जब तक कि वह बीमार न हो क्योंकि वे इससे काफी असहज महसूस कर सकते हैं या उनकी नींद में खलल पड़ सकता है। ऐसे किसी भी कपड़े से दूर रहें जिसमें फीते या तार हों जो आपके बच्चे के मुंह में जा सकें।

यह जानने के बाद कि आखिर में बच्चे रात को सोने से पहले क्यों रोते हैं, आपको इससे कैसे निपटना है, इसमें बहुत मदद मिली होगी और आपको अपने बेबी के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होगी। ज्यादातर बच्चे 4 से 6 महीने की उम्र तक रात में लंबे समय तक सोने लगते हैं और उनका रोना भी कम होने लगता है। यदि इन टिप्स के बाद भी बच्चे का रोना अनियंत्रित रूप से जारी रहता है, तो आपको उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

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समर नक़वी

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