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बच्चों का जागते समय हंसना और मुस्कुराना आम बात है। लेकिन वे सोते हुए भी मुस्कुराते हैं। यदि आपने हाल ही में अपने बच्चे को जन्म दिया है और उसे कई घंटों तक सोते हुए देखती हैं, तो फिर आपने सोते समय उसके चेहरे पर मुस्कुराहट भी देखी होगी और इस दौरान आपका मन किया होगा कि आप अपने बच्चे को ऐसे ही निहारती रहे! लेकिन क्या आप जानती हैं कि बच्चा सोते समय मुस्कुराता क्यों है? आइए जानते हैं!
हमारे बुजुर्गों का कहना है कि जब बच्चे सपने में भगवान को देखते हैं तो मुस्कुराते हैं। लेकिन यह बात सच नहीं है, क्योंकि इसके पीछे साइंटिफिक रीजन मौजूद है। यहाँ आपको कई कारण बताए गए हैं जिसकी वजह से बच्चा सोते समय हँसता या मुस्कुराता है। आइए, जानते हैं;
जागते समय, बच्चे कई सारी अलग-अलग आवाजों को सुनते हैं और नई चीजों को देखते हैं। इस समय के दौरान, बच्चे का विकासशील दिमाग अपने रोजाना के अनुभवों और जानकारियों को रिकॉर्ड कर सकता है और जब बच्चा सो रहा होता है उस दौरान यह थॉट प्रोसेस करने लगते हैं। इसलिए जब बच्चा हैप्पी इमोशन महसूस करता है तो सोते समय हँसने या मुस्कुराने लगता है। इस प्रकार बच्चे का सोते समय मुस्कुराना या हँसना उसके इमोशन डेवेलप होने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
ऐसा माना जाता है कि 3-4 महीने का हो जाने के बाद बच्चे सोशल स्माइल देना शुरू कर देते है। लेकिन अगर कोई बच्चा जन्म के शुरूआती कुछ हफ्तों में मुस्कुराता है, तो हो सकता है कि उसके गैस पास हो रही हो। हालांकि यह इस बात का कोई ठोस साइंटिफिक प्रूफ नहीं है। फिर भी, यह फैक्ट है कि पेट की परेशानी के कारण बच्चे बच्चे चिड़चिड़े रहते हैं और गैस पास हो जाने के बाद उन्हें राहत महसूस होती है। तो सोने के दौरान बच्चे के मुस्कुराने का एक कारण यह भी हो सकता है कि वो गैस पास कर रहा है।
आरईएम स्लीप के दौरान बच्चे को कुछ शारीरिक परिवर्तनों का अनुभव हो सकता है, जिससे उसके रिफ्लेक्स ट्रिगर हो सकते हैं और बच्चा नींद में मुस्कुरा सकता है। आरईएम स्लीप फेज के कारण बच्चा तेजी से आई मूवमेंट करने लगता और कई सपने भी देख हो सकता है। यदि आप अपने बच्चे को मुस्कुराते हुए या उसे नींद में हँसते हुए नोटिस करती हैं, तो वह अपने आरईएम स्लीप में हो सकता है, जो दिन में हुए कुछ मजेदार चीजों को याद करता है।
दुर्लभ मामलों में, मरोड़ के कारण भी बच्चे को हँसी आ सकती है। यदि आपको बच्चे में वजन कम होना, सोने में परेशानी होना, लगातार चिड़चिड़ापन होना या बिना किसी कारण के हँसना आदि अन्य लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। मरोड़ के कारण आने वाली हँसी से बच्चे का रेस्टिंग शेड्यूल खराब हो सकता है और उसकी हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है।
अब तक आप जान चुकी होंगी कि सोते समय बच्चे क्यों मुस्कुराते हैं। इसके पीछे का कारण इमोशनल डेवलपमेंट और आरईएम स्लीप साइकिल हो सकता या फिर कुछ मेडिकल इशू भी हो सकता है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि बच्चों की मुस्कान भी अलग अलग प्रकार की होती है? जी हाँ, बच्चे में अलग-अलग तरह की मुस्कान होती है, जिसके अलग-अलग मायने होते हैं। ये सभी मुस्कान बच्चे के जीवन के अहम पड़ाव में शामिल होती है। यदि एक नवजात शिशु नींद में मुस्कुराता है, तो उसकी मुस्कान तीन अलग-अलग प्रकार की होती है और इसका अलग अलग मतलब होता है:
बच्चे शुरूआती कुछ सालों में काफी इमोशनल चेंजेस से गुजरते हैं। जैसे-जैसे वो बड़े होने लगते हैं, दूसरे लोगों के प्रति, सतर्क हो जाते हैं, उनसे बातचीत करने लगते हैं। 3 और 4 महीने की उम्र के बच्चे, अपनी माँ के इशारों और प्रतिक्रिया पर उन्हें स्माइल देते हैं।
अगर आपका बच्चा सोशल स्माइल देता है, तो इसका मतलब है कि उसने अपने विकास के अहम पड़ाव में कदम रख दिया है, जो प्रतिक्रिया के रूप में आपके सामने व्यक्त करता है। इसका मतलब है कि आपका बच्चा आपसे बोंडिंग बना रहा है। जब बच्चा सोशल स्माइल देता है, तो यह उसके मस्तिष्क के विकास का संकेत होता है। इसका यह भी मतलब होता है कि बच्चे के संचार कौशल में सुधार हो रहा होता है। इस दौरान आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप ज्यादा से ज्यादा बच्चे से बातचीत करें उसके साथ खेलें और मजेदार चेहरा बनाएं, इससे बच्चे की सोशल स्माइल बढ़ती है।
बच्चे सोते समय भी मुस्कुराते हैं, खासकर जन्म के शुरूआती कुछ दिनों के दौरान। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह स्माइल बच्चों में रिफ्लेक्स के कारण होता है और यह रिफ्लेक्स बच्चों में सकिंग और रूटिंग की क्रिया के कारण होता है। सोते समय बच्चे का रेफ्लेक्सिव स्माइल देना एक जन्मजात होता है। यह इमोशनल डेवलपमेंट को ट्रिगर नहीं करता है, लेकिन आमतौर पर यह बच्चे की अलग-अलग स्किल को डेवलप मदद करता है। यहाँ तक कि बच्चा 25 से 27 सप्ताह में माँ के गर्भ में रिफ्लेक्स स्माइल देने लगता है। जन्म के बाद, रेफ्लेक्सिव स्माइल आमतौर पर आरईएम स्लीप फेज के दौरान आ सकती है।
रेस्पोंसिव स्माइल बच्चे जन्म के लगभग 6 से 8 सप्ताह में नोटिस की जाती है। सोते समय बच्चा रेस्पोंसिव स्माइल तब देता है जब वो किसी सेंसरी एक्सपीरियंस से गुजरता है, कोई मजेदार चीज महसूस करता है, किसी परिचित आवाज को सुनता है या जब उसे कोई प्यार करता है आदि। रेस्पोंसिव स्माइल सोशल रिएक्शन नहीं होती है, लेकिन बच्चा जो महसूस करता है उसके बदले में रिएक्शन देता है। रेस्पोंसिव स्माइल आपको आपके बच्चे की पसंद और नापसंद के बारे में जानने में मदद कर सकती है।
सोते समय एक बच्चे को मुस्कुराते हुए देखना न केवल दिल खुश कर देने वाला होता है, बल्कि यह अहम संकेत भी होता है कि बच्चा इमोशनली और फिजिकली रूप से विकास कर रहा होता है। माता-पिता को यह समझना जरूरी है कि अलग अलग बच्चों में अलग अलग विकास पड़ाव होते हैं। यदि आपका बच्चा कोई पड़ाव को देर से प्रदर्शित करता है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। अपने बच्चे को उसकी गति से विकसित होने दें और इन पलों को एंजॉय करें।
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