शिशु

स्तनपान करने वाले बच्चे को बॉटल या कप देने की शुरुआत करना

ब्रेस्टफीडिंग और बॉटल फीडिंग, ये दोनों ही काम अलग-अलग तरीके से होते हैं। यही कारण है, कि स्तनपान करने वाले बच्चे को बॉटल से दूध पीने की शुरुआत करने में दिक्कतें आती हैं। ब्रेस्टफीडिंग में एरियोला के इर्द-गिर्द पकड़ बनाकर निप्पल को दबाना होता है, जिससे दूध का बहाव सौम्यता से होता है और बच्चा उसके घूंट भरता जाता है। वहीं, बॉटल से दूध पीने में बच्चे को ज्यादा प्रयास करने पड़ते हैं, क्योंकि उसे अपनी सुविधा के अनुसार दूध के बहाव को कम करने की जरूरत पड़ती है। इसलिए बच्चे को बॉटल से दूध पिलाने की शुरुआत करने में, कुछ खास कोशिशें करनी पड़ती हैं। 

ब्रेस्टफीड करने वाले बच्चे को बॉटल से दूध पिलाना कैसे शुरू करें

यहाँ पर कुछ खास स्टेप्स और प्रक्रियाएं दी गई हैं, जिन्हें अपनाकर, आप ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चे को बॉटल से दूध पीना सिखा सकती हैं। 

  • बच्चे के भोजन के समय के बजाय, जब उसे भूख लगी हो, तब उसे बॉटल देने की कोशिश करें। अगर आप उसके शेड्यूल के अनुसार खाने के समय पर उसे बॉटल देंगे, तो वह इस फर्क को तुरंत पहचान जाएगा और बॉटल को दूर धकेल देगा। वहीं, एक भूखे बच्चे के लिए दूध की मौजूदगी उसके स्रोत की मौजूदगी से ज्यादा महत्व रखती है। जिसके कारण, बॉटल को स्वीकार करने की संभावना बढ़ जाती है।
  • बच्चे को बिठाकर बॉटल से दूध पिलाने के लिए, अपनी तरफ से बेहतर प्रयास करें। कई माँएं बच्चे को लिटा कर ही, उसे दूध पिलाना जारी रखती हैं। हालांकि इसमें कोई समस्या नहीं है, पर ऐसे बच्चों में कान के इंफेक्शन और दाँतों की समस्या का खतरा पैदा हो जाता है। क्योंकि, जब बच्चे लेटकर ही दूध पीते हैं, तो उनके मुँह में बहुत सारा दूध इकट्ठा हो जाता है। जब बच्चा बॉटल से दूध पी रहा हो, तो उसे सहारा दें और उसे थामे रहें।
  • आप कोशिश करें, कि बॉटल से दूध पीने का समय लगभग 15 मिनट का हो। क्योंकि जब बच्चा ब्रेस्टफीड करता है, तो उसमें भी लगभग इतना ही समय लगता है। इसके लिए, सही आकार का निप्पल चुनना भी जरूरी हो जाता है। इससे दूध का बहाव भी ब्रेस्ट मिल्क के बहाव जैसा ही हो जाता है। क्योंकि इसमें किसी तरह का बदलाव होने से या तो बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है या फिर जरूरत से ज्यादा दूध पी सकता है।
  • बॉटल के निप्पल को बच्चे के मुँह में ना धकेलें, क्योंकि यह जरूरी है, कि बच्चा निप्पल को अपनी इच्छा से स्वीकार करे। बिलकुल वैसे ही, जैसे उसने आपके ब्रेस्ट को स्वीकार किया था। बॉटल के निप्पल को बच्चे के होठों के पास हल्के-हल्के फेरें। इससे बच्चे में चूसने के रिफ्लेक्स की शुरुआत होगी। शुरुआत में थोड़ा समय लग सकता है, क्योंकि आर्टिफिशियल निप्पल के अलग टेक्सचर की आदत होने में और उसमें भी दूध की मौजूदगी का एहसास होने में, बच्चे को थोड़ा समय लग सकता है।
  • जब एक बच्चा ब्रेस्टफीड करता है, तो वह सांस लेने के लिए या आसपास देखने के लिए बीच-बीच में कई बार ब्रेक लेता है। इस बात का ध्यान रखें, कि बॉटल फीडिंग के दौरान भी ऐसा ही हो। कभी-कभी बच्चे एक ही बार में बहुत सारा दूध पी लेते हैं, जिससे डकार के दौरान उल्टी भी हो जाती है। इसलिए जितना संभव हो सके, इसे ब्रेस्टफीडिंग के जैसा ही बनाए रखें।
  • बॉटल में मौजूद सारा दूध पीने के लिए बच्चे पर दबाव न डालें। ज्यादातर बच्चों को अपनी संतुष्टि का अंदाजा होता है और पेट भर जाने के बाद वे बॉटल को धकेल देते हैं। कुछ बच्चों को पेट भरने के बाद बीच में ही नींद आ जाती है और वे सो जाते हैं। उन्हें दूध को खत्म करने के लिए जगाएं नहीं।
  • शुरुआत में बच्चे को एक ब्रेस्ट छोड़ कर दूसरे ब्रेस्ट से दूध पिलाने की कोशिश करें, ताकि वह एक ही ब्रेस्ट पर निर्भर न हो। धीरे-धीरे आप उसे एक ब्रेस्ट से बॉटल और फिर बॉटल से वापस ब्रेस्ट से दूध पिला सकते हैं। इससे बच्चे को इस एहसास की आदत हो जाएगी और उसका विश्वास भी जाग जाएगा।
  • बॉटल में ब्रेस्टमिल्क और फार्मूला मिल्क को मिक्स न करें। बच्चा एक नए निप्पल के एहसास की आदत डालने की कोशिश कर रहा है और ऐसे में अगर दूध का स्वाद भी अलग होगा, तो उसे इसे अपनाने में कठिनाई होगी। शुरुआत के लिए आप पहले ब्रेस्टमिल्क का इस्तेमाल कर सकती हैं और जब वह बॉटल को स्वीकार कर लेता है, तो फिर आप फॉर्मूला दूध का इस्तेमाल कर सकती हैं।

अगर बच्चा बॉटल से दूध पीने से मना कर रहा है तो क्या करें

बच्चे के मुँह में कोई नई चीज जाने से उसे संशय होना स्वाभाविक है, खासकर अगर यह एहसास ब्रेस्ट से बिल्कुल अलग हो तो। अगर आपका बच्चा बॉटल को स्वीकार करने से मना कर रहा है, तो यहाँ पर दिए गए कुछ तरीकों को आजमा कर आप इसे बच्चे के लिए आसान बना सकते हैं। 

  • कुछ बच्चे जब पूरी तरह से जगे होते हैं, तो बॉटल को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। इसलिए एक अलग समय का चुनाव करें और देखें कि यह काम करता है या नहीं। रात के समय जब बच्चा आधी नींद में होता है, तो वह आसानी से बॉटल को स्वीकार कर लेता है।
  • कभी-कभी दूध के तापमान के कारण भी बच्चा उसे स्वीकार नहीं कर पाता है। जहाँ आपके ब्रेस्ट से आने वाला दूध शरीर के तापमान के अनुसार गर्म होता है, वहीं बॉटल से पीने के दौरान दूध का स्वाद बेहतर तब लगता है, जब उसका तापमान और भी कम हो या फिर वह ठंडा हो। इसके साथ कुछ एक्सपेरिमेंट करने की भी कोशिश करें और देखें कि यह काम करता है या नहीं।
  • अगर फीडिंग की पोजीशन बच्चे के लिए असुविधाजनक हो, तो भी वह बॉटल को अस्वीकार कर सकता है। अगर बैठकर दूध पीना आपके और बच्चे के लिए परेशानी का कारण बन रहा है, तो आप शुरुआत में उसे अपनी गोद में पीठ के बल बिठाकर इसका प्रयास करें या फिर अगर उसे कोई खास जगह या कोई सीट बहुत ज्यादा पसंद है, तो वहीं से इसकी शुरुआत करें। धीरे-धीरे आप फीडिंग की सामान्य पोजीशन पर वापस लौट सकते हैं।
  • अगर आपका बच्चा बॉटल से दूध नहीं पीता है, तो भी उसे उसके साथ खेलने दें और उसकी आदत होने दें। वह निप्पल को चबा सकता है या फिर उसके साथ खेल सकता है। इससे वह बॉटल के साथ कंफर्टेबल हो जाएगा और उससे दूध पीना शुरु कर देगा। कई बार बच्चे निप्पल को दाँतों से काट डालते हैं, और उसका टुकड़ा निगल सकते हैं, इसलिए, अगर आपके बच्चे के दाँत आ चुके हैं, तो इसे लेकर सावधानी बरतें।
  • आपके बच्चे को आर्टिफिशियल निप्पल का बेस्वाद एहसास अजीब लग सकता है। अपने ब्रेस्ट को दबाकर बॉटल के निप्पल पर थोड़ा ब्रेस्ट मिल्क लगाकर, इस समस्या को आसानी से सुलझाया जा सकता है। जाना पहचाना स्वाद मिलने से, बच्चा तुरंत ही बॉटल से दूध पीना शुरू कर देगा।
  • जो बच्चा किसी खास पैसिफायर को पहले से ही पहचानता है, उसके लिए उसी मटेरियल से बने हुए बॉटल निप्पल का चुनाव करें। निप्पल को थोड़ा सा गर्म करके, उसे अपने शरीर के तापमान के जैसा बनाने की कोशिश करें।

अगर बच्चा शुरुआत में बॉटल स्वीकार कर लेता है, पर बाद में केवल ब्रेस्टफीडिंग ही चाहता है तो क्या करें

बच्चे अपना मन जल्दी-जल्दी बदल लेते हैं, जिसके कारण कभी-कभी ब्रेस्ट को छोड़कर बॉटल की शुरुआत आसानी से कर लेते हैं। और जब आप इस बात की खुशी मना रही होती हैं, तो वह कुछ दिनों के बाद बॉटल से दूध पीना छोड़ देता है और दोबारा ब्रेस्टफीडिंग की मांग करता है। इसके पीछे का कारण एक अचानक होने वाला एहसास हो सकता है, कि बॉटल से दूध पीने से उसकी माँ का ब्रेस्ट, उसकी त्वचा का स्पर्श और शरीर की गर्माहट नहीं मिल रही है। अगर आपके बेबी के साथ यही स्थिति है, तो कुछ और दिनों तक उसके साथ बैठकर बॉटल का इस्तेमाल करने की कोशिश करें। कभी-कभी किसी बीमारी या किसी अन्य समस्या के कारण भी, बच्चा बॉटल को अस्वीकार कर सकता है। ऐसी स्थिति में, आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और इसके कारण का पता लगाना चाहिए। 

बच्चे को कप से दूध पीना कैसे सिखाएं

कुछ परिवार बच्चे के लिए बॉटल का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं। इसके बजाय, वे अधिक समय तक बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना और उसके बाद उन्हें सीधा कप से दूध पिलाने की शुरुआत करना चाहते हैं। निश्चित रूप से इसके कई फायदे हैं। बच्चे को निप्पल से होने वाली दुविधा बिल्कुल खत्म हो जाती है। जहाँ ज्यादातर परिवार बच्चे को लिटा कर बॉटल से दूध पिलाने की शुरुआत कर देते हैं, वहीं एक कप का चुनाव करने से आगे जाकर दाँतों की समस्या होने से बचाव होता है। ऐसे में बच्चे को खिलाने की शुरुआत करना भी बहुत आसान हो जाता है। 

ब्रेस्टफीडिंग छोड़कर कप से दूध पिलाने की शुरुआत करने में, बॉटल की तुलना में अधिक समय लगता है। शुरुआत में सिपर-कप में दूध पिलाना बेहतर होता है। इससे बच्चा अलग तरह से दूध चूसना सीखता है। एक बार जब बच्चे को इसकी आदत हो जाती है, तो आप इस बात का ध्यान रख सकती हैं, कि दिन भर में कम से कम एक बार बच्चा कप से दूध पिए। बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है, उसे कप से दूध पीने की आदत पड़ जाती है।

अगर बच्चा बॉटल से दूध पीना बिल्कुल ही अस्वीकार कर दे तो क्या करें

कुछ पेरेंट्स इस बात की शिकायत करते हैं, कि उनका बच्चा बॉटल से बिल्कुल भी दूध नहीं पीना चाहता है। भले ही, इसके लिए वे समय या आदत को जिम्मेदार ठहराएं, कुछ बच्चे बॉटल से दूध पीना पूरी तरह से अस्वीकार कर देते हैं। बॉटल पकड़ने के लिए बच्चे को लंबे समय तक भूखा रखने का तरीका भी अच्छा नहीं है। ऐसे बच्चे निप्पल के एहसास के आदी होते हैं और हो सकता है कि वे सिपी-कप को आसानी से स्वीकार कर लें। 

अगर आप बच्चे की ब्रेस्टफीडिंग छुड़ाना तय कर चुकी हैं तो क्या करें

बच्चे को जल्दी ब्रेस्टफीडिंग छुड़ाने का कारण, चाहे केवल इसकी आदत डालना हो या फिर काम पर दोबारा लौटने की इच्छा हो, दूसरे तरीकों से बच्चे को ब्रेस्टमिल्क देना जारी रखना जरूरी है। इसके लिए या तो आपका बच्चा बॉटल से दूध पीने का आदी हो जाना चाहिए या फिर कप से दूध पीने की शुरुआत हो जानी चाहिए। इससे यह बदलाव आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए ही आसान होगा। 

ब्रेस्टफीडिंग छोड़कर बॉटल से दूध पिलाने की शुरुआत करने से, माँ को अपने बच्चे के साथ बॉन्डिंग के टूटने का एहसास हो सकता है, लेकिन यह बॉन्डिंग माँ के प्यार और उसकी मौजूदगी से बनती है, जो कि ब्रेस्टफीडिंग के अलावा भी कई तरीकों से बनी रह सकती है। 

यह भी पढ़ें: 

शिशु को कप फीडिंग कराना – फायदे और कमियां
बोतल वीनिंग: बच्चे से दूध की बोतल छुड़ाने के टिप्स
बच्चों को बोतल से दूध पिलाना – फायदे और साइड इफेक्ट्स

पूजा ठाकुर

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

4 days ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

4 days ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

4 days ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

2 weeks ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

2 weeks ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago