टॉडलर (1-3 वर्ष)

टॉडलर को डायरिया (दस्त) की समस्या

आपका बच्चा अगर खाना खाने के साथ उसे सही ढंग से पचा रहा है, तो यह उसके स्वस्थ रूप से बढ़ने का एक मजबूत संकेत है। हालांकि कभी-कभी, बच्चे अपने खाने को ठीक से डाइजेस्ट नहीं कर पाते हैं जिससे उन्हें दस्त की समस्या हो जाती है, जो कुछ देर तक या फिर कई दिनों तक भी चल सकती है। जब 1 से 3 साल की उम्र वाले बच्चे में यह समस्या कई दिनों तक बनी रहती है, तो इस स्थिति को टॉडलर डायरिया कहा जाता है। आइए जानते हैं इसमें किस प्रकार की समस्या होती है, इस उम्र के बच्चों को दस्त होने का क्या कारण होता है और साथ ही इसका इलाज कैसे किया जा सकता है। 

टॉडलर डायरिया क्या है?

सामान्य तौर पर, जब मल त्याग बहुत पतला, पानीदार जैसा होने लगे और ऐसा हर थोड़ी में हो, तो इसे दस्त कहते है। ऐसा ज्यादातर तब होता है जब पेट में इंफेक्शन होता है। आमतौर पर कुछ ही दिनों में पॉटी की प्रक्रिया सामान्य हो जाता है, यहाँ तक ​​कि छोटे बच्चों के मामले में भी ये कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन, अगर ऐसा नहीं होता है, तो इसे टॉडलर डायरिया कहा जाता है। टॉडलर डायरिया से पीड़ित बच्चे दिन भर में दो से लेकर दस बार वॉशरूम जाते है, साथ ही उन्हें काफी अधिक मात्रा में पानी जैसी पॉटी होती है। इस तरह की पॉटी में कई बार ढंग से न पचने वाला खाना भी शामिल होता है। टॉडलर डायरिया एक सप्ताह से अधिक समय तक रहता है और बच्चों में डिहाइड्रेशन का बड़ा कारण बनता है।

टॉडलर में यह कितना आम है?

इस प्रकार के दस्त सामान्य दस्त से अलग होते हैं, जो पेट में इंफेक्शन के कारण होता है। ज्यादातर बच्चे स्कूल जाने से लेकर बड़े होने तक सामान्य दस्त का अनुभव करते हैं। बच्चों में दस्त होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ के बारे में नीचे विस्तार में बताया गया है।

टॉडलर में दस्त होने के कारण

कुछ सामान्य कारण यहाँ आपको बताए गए हैं, जो इस प्रकार हैं –

1. वायरल इंफेक्शन

ज्यादातर वायरस जैसे रोटावायरस, एडिनोवायरस, नोरोवायरस, एस्ट्रोवायरस बच्चों को टारगेट करते हैं, उनमें से कई वायरस बच्चों में दस्त के साथ पेट दर्द, उल्टी, बुखार, शरीर में दर्द आदि कई परेशानियां पैदा करते हैं।

2. बैक्टीरियल इंफेक्शन

स्टैफीलोकोक्क्स, शिगेला, ई.कोलाई, साल्मोनेला और अन्य बैक्टीरिया मुख्य रूप से पेट में इंफेक्शन और दस्त के लिए जिम्मेदार होते हैं। आपके बच्चे को मल पास करते समय पेट में ऐंठन महसूस हो सकती हैं, मल में खून आ सकता है, बुखार हो सकता है और इनमें से किसी एक बैक्टीरिया से संक्रमित होने पर गंभीर दस्त हो सकता है। कुछ इंफेक्शन, जैसे कि ई.कोलाई बैक्टीरियल इंफेक्शन आपके बच्चे के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं। लिस्टेरिया भी ऐसा इंफेक्शन है जो बच्चों में दस्त का कारण बनता है। यह ठंडे तापमान में पनपता है और मीट, अपाश्चुरीकृत चीज़ और यहाँ तक ​​कि आइसक्रीम में भी पाया जाता है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि खाने को अधिक समय तक फ्रिज में रखने से बचें और जितना हो सके ताजा खाना खाएं।

3. कान में इंफेक्शन

कान में कुछ प्रकार के बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन भी दस्त को ट्रिगर करने का एक कारण बनते हैं, ज्यादातर 2 साल से कम उम्र के बच्चों में ये देखने को मिलता है। कभी-कभी, बच्चे को सर्दी के साथ-साथ कान में इंफेक्शन हो जाता है और उल्टी, दस्त व भूख न लगने जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। छोटे बच्चों में कान के इंफेक्शन को पहचानने के कई संकेत है जैसे कि बच्चा हर समय कान को लेकर परेशान रहेगा, अपने कानों को खींचेगा और कान के दर्द के कारण लगातार रोएगा।

4. पैरासाइट से होने वाला इंफेक्शन

परजीवी/पैरासाइट आमतौर पर आंतों पर हमला करते हैं जिससे दस्त होता है। जिआर्डिया नाम का एक परजीवी सबसे आम परजीवियों में से एक है जो बच्चों को प्रभावित करता है। इससे प्रभावित बच्चा अत्यधिक पानी वाले दस्त, सूजन, गैस और पेट में ऐंठन से पीड़ित होता है। यह परजीवी इंफेक्शन आमतौर पर उन जगहों पर फैलता है जहाँ बड़ी संख्या में लोग समूहों में एक साथ रहते हैं, जैसे कि चाइल्ड केयर होम, नर्सिंग होम, शेल्टर आदि।

5. एंटीबायोटिक का प्रभाव

जब आपका बच्चा एंटीबायोटिक्स ले रहा हो या उसने अभी-अभी इसका कोर्स पूरा किया है, तो उसे साइड इफेक्ट के रूप में दस्त का अनुभव हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एंटीबायोटिक्स शरीर में सभी प्रकार के बैक्टीरिया को प्रभावित करते हैं, जिसमें आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया भी शामिल हैं और जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं।

6. जूस का अत्यधिक सेवन

जूस का सेवन जिसमें बहुत अधिक फ्रुक्टोज या सोर्बिटोल होता है, साथ ही मीठे पल्प और ड्रिंक से ब्लोटिंग होती है, जिसके कारण दस्त आ सकते हैं। आमतौर पर हाई फ्रुक्टोज जूस जैसे प्रून जूस और एप्पल जूस, सोडा और स्वीट ड्रिंक्स दस्त का कारण बनते हैं। जूस/चाय/कॉफी का सेवन कम करना आमतौर पर समस्या का समाधान करता है। रोजाना एक गिलास जूस दें, आपका बच्चा ठीक हो जाएगा।

7. फूड एलर्जी

बच्चों का शरीर खाने में पाए जाने वाले सामान्य प्रोटीन पर रिएक्ट कर सकता है और इस पर इस तरह अटैक करता है जैसे कि वह इंफेक्शन से लड़ रहा हो। गाय के दूध, अंडे, मूंगफली, सोया, गेहूं, मछली आदि जैसे खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने पर शरीर की इम्युनिटी एक गंभीर प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकती है। ज्यादातर समय, बच्चों को दस्त, गैस और पेट दर्द का अनुभव होता है। कभी-कभी, मल में रक्त, उल्टी, पित्ती, चकत्ते या यहाँ तक ​​कि सांस लेने में कठिनाई भी आती है।

8. खाद्य पदार्थों के प्रति असहिष्णुता

जहाँ एक तरफ फूड एलर्जी बॉडी के इम्यून सिस्टम को ट्रिगर करती है, वहीं फूड इन्टॉलरेंस की वजह से किसी विशेष खाने को पचाने में परेशानी होती है। उदाहरण के लिए, एक बच्चा जो लैक्टोज इन्टॉलरेंट है, तो उसका शरीर लैक्टोज को पचाने के लिए आवश्यक एंजाइम का उत्पादन करने में फेल होता है। इसलिए, यह पचता नहीं है और दस्त और गैस का कारण बनता है। कुछ बच्चे अन्य चीजों जैसे अंडे, पोल्ट्री, अन्य मिल्क प्रोडक्ट्स जैसे पनीर, और रॉ प्रोडक्ट्स के प्रति भी इन्टॉलरेंट हो सकते हैं।

9. पॉइजनिंग का रिएक्शन

दस्त किसी प्रकार का पॉइजनिंग रिएक्शन भी हो सकता है जो गलती से किसी बाहर की चीज या केमिकल को निगलने या वाइल्ड बेरी या पौधे के पत्ते के सेवन के कारण हो सकता है। लक्षणों में उल्टी, गैस, चक्कर आना और पेट दर्द भी शामिल है। ऐसे मामलों में बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत होती है।

10. आंतों में सूजन

इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिसऑर्डर एक क्रोनिक समस्या है जो दस्त का कारण बनती है और इसमें आंतों में जलन और सूजन भी होती है। खराब खाने और ड्रिंक्स के सेवन से ये स्थिति फिर से हो सकती है। कई प्रकार के आंत विकार हैं जिनसे बच्चे पीड़ित हो सकते हैं। कुछ परजीवी, बैक्टीरिया के कारण होते हैं, जबकि कुछ खाद्य पदार्थों जैसे ग्लूटेन, लैक्टोज आदि के कारण होते हैं।आंतों में सूजन से होने वाली गड़बड़ी के सामान्य लक्षण उल्टी, मल में रक्त, वजन कम होना, पेट में दर्द और आंत में परेशानी होना है। यदि आपने इनमें से सभी या कुछ लक्षणों को देखा है, तो तुरंत डॉक्टर की सहायता लेना बेहतर है।

माता-पिता के रूप में आपको यह जरूर पहचानना चाहिए कि आपका बच्चा दस्त से गंभीर रूप से प्रभावित है या नहीं। इसलिए आपको इन लक्षणों से सावधान रहना चाहिए।

टॉडलर डायरिया के लक्षण

ये लक्षण आपको यह पहचानने में मदद करेंगे कि आपका छोटा बच्चा दस्त से पीड़ित है या नहीं, और क्या आपको तुरंत मेडिकल मदद लेनी चाहिए।

  • एक दिन में तीन से अधिक बार पानीदार पॉटी आना।
  • पतली होने के साथ बदबूदार और हल्के रंग की पॉटी।
  • पॉटी में हाल ही में खाए हुए खाने के छोटे -छोटे कण होना।
  • पेट में हल्का दर्द या कभी-कभी कब्ज।
  • पेट दर्द और बेचैनी।

जब आपको मेडिकल सहायता चाहिए हो, तो डॉक्टर के पास निदान के लिए जाएं और पूरी तरह से बच्चे की जांच कराएं, आइए इस विषय में और विस्तार से जानते हैं।

टॉडलर में डायरिया का निदान कैसे किया जाता है?

यदि आपके बच्चे को दस्त हो रहे हैं और आप डॉक्टर को बुलाती हैं, तो वह आपको पूछेंगे कि यह समस्या कितने दिनों से हैं? यदि ऐसा होता है, तो वह आपके बच्चे की जांच करेंगे और उन कारणों को समझेंगे, जिनकी वजह से यह समस्या पैदा हुई है। खून, बैक्टीरिया और वायरस की उपस्थिति की जांच के लिए मल का नमूना लिया जाता है। डॉक्टर किसी भी फूड एलर्जी के बारे में पूछताछ कर सकते हैं जो आपके बच्चे को हो सकती है या कोई भी फूड इनटॉलेरेंस जो फैमिली हिस्ट्री में मौजूद हो, जिसके कारण दस्त ट्रिगर हो सकता है।

एक बार डायग्नोज हो जाने के बाद, आपको धैर्यपूर्वक अपने बच्चे को ठीक करने में मदद करनी होगी। अगले भाग में आपको टॉडलर डायरिया से निपटने में विशेष रूप से मदद मिलेगी।

टॉडलर डायरिया से निपटने के लिए उपयोगी टिप्स

डायरिया से पीड़ित बच्चों को कौन सा खाना देना है, यह जानना उनके स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने और समस्या को मैनेज करने के लिए आवश्यक है। इससे खाने के बहुत से विकल्प सवालों के घेरे में आ जाते हैं। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने बच्चे को इस स्थिति से कुछ राहत दिला सकती हैं।

  • अपने बच्चे की डाइट में अधिक फैट वाले खाने को शामिल करें। फैट वयस्कों के लिए भले ही बहुत अच्छी चीज नहीं हो लेकिन यह बच्चों के लिए अत्यधिक जरूरी है। एक बच्चे की डाइट में लगभग 40 प्रतिशत फैट होना चाहिए। दही, हलवा और इसी तरह के अन्य खाने को चुनना चाहिए।
  • एक दिन में फलों के जूस का सेवन सिर्फ एक गिलास ही हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि जूस में बहुत अधिक चीनी होती है जो आंतों में अवशेष के रूप में रह सकती है जिससे दस्त हो सकते हैं। पानी ज्यादा पिलाएं क्योंकि यह बच्चे की प्यास बुझाने का सबसे अच्छा तरीका है। यदि आपका बच्चा अभी भी जूस के लिए जिद करता है, तो उसे पानी मिलाकर पतला करके दें।
  • आपके बच्चे की डाइट में फाइबर की मात्रा संतुलित होनी चाहिए। खाने में बहुत अधिक फाइबर उतना ही खतरनाक है जितना कि बहुत कम होना। फाइबर आमतौर पर शरीर द्वारा पचता नहीं है और मल के हिस्से के रूप में बाहर आता है। साथ ही, यह पॉटी में सहायता करता है और कब्ज की संभावना को कम करता है। चूंकि फलों और सब्जियों में फाइबर मौजूद होता है, इसलिए अपने बच्चे की डाइट पर नजर रखें। यदि इसमें फाइबर कम है, तो इसे सामान्य स्तर तक बढ़ाना अच्छा है क्योंकि रेशेदार खाना आंतों में अतिरिक्त पानी को अब्जॉर्ब करता है। यदि फाइबर की मात्रा अधिक है, तो यह आंत पर दबाव डाल सकता है और पतली पॉटी का कारण बन सकता है। इसलिए, इतने छोटे बच्चों को कम फाइबर खिलाना ही सही होता है।

अपने बच्चे को सही भोजन देना और समय पर इलाज देना दस्त को रोकने का एक अच्छा उपाय होता है। तो, क्या आप बच्चों के दस्त के इलाज के लिए बड़ों की दवा का उपयोग कर सकती हैं? चलिए जानते हैं!

क्या आप टॉडलर को वयस्कों की डायरिया की दवा दे सकती हैं?

इस सवाल का जवाब नहीं है! बड़ों और बच्चों के शरीर में बहुत अंतर होता है, यही वजह है कि दवा के एलिमेंट्स और उनकी खुराक की मात्रा उन दोनों के लिए अलग होती है। कुछ मामलों में, डॉक्टर एडल्ट दवा को कम मात्रा में देने की सलाह दे सकते हैं, लेकिन केवल तभी जब मामला गंभीर हो। एडल्ट दवा की कोई भी अनियंत्रित खुराक आपके बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है।

इसलिए, जब आप बच्चे में दस्त के लक्षण देखती हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यदि आप अभी भी इसके बारे में अनजान हैं, तो आगे पढ़कर और बेहतर रूप से इसके बारे में जान पाएंगी।

डॉक्टर से कब परामर्श करें?

  • जब आपका बच्चा दिन भर में कई बार उल्टी कर रहा हो।
  • जब बच्चे में डिहाइड्रेशन के मजबूत लक्षण दिखें, उसका मुंह सूख रहा हो और वह छह घंटे में एक बार भी पेशाब न करें।
  • जब पॉटी में रक्त आए या इसका रंग काला हो।
  • जब बच्चे को 102 डिग्री से अधिक बुखार हो।
  • जब बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो और वह बेहोश हो जाए।
  • जब आपके बच्चे को अचानक से कन्वल्जन (ऐंठन) होने लगे।

बच्चों में दस्त को मैनेज करना काफी कठिन हो जाता है और, हमें यकीन है कि आप इस बात से सहमत होंगी कि सावधानी बरतना इलाज से बेहतर है। तो, आप अपने बच्चे में दस्त को कैसे रोक सकती हैं? अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें।

टॉडलर को दस्त से बचाने के लिए आप क्या कर सकती हैं?

यहाँ कुछ निवारक उपाय दिए गए हैं जिन्हें आप अपने बच्चे में दस्त से बचने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं।

  • हर काम में साफ-सफाई बनाए रखें।
  • हाथों को किसी भी रोगाणु से मुक्त रखने के लिए नियमित रूप से धोएं।
  • खिलौनों या वस्तुओं को स्टरलाइज करें जिन्हें आपका बच्चा अक्सर छूता है।

  • बच्चे को संभालने या उसके डायपर साफ करने से पहले और बाद में अपने हाथों को अच्छी तरह धोएं।
  • अपने हाथों के साथ-साथ बच्चे के हाथों को भी साबुन और पानी से अच्छे से बीस से पैंतीस सेकंड तक धोएं।

हालांकि इन उपायों से आपको अपने बच्चे में दस्त को रोकने में मदद मिलेगी, यहाँ कुछ और बातें हैं जो आपको यह सुनिश्चित करने के लिए याद रखनी चाहिए कि स्थिति खराब न हो और आपका बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ रहे।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • टॉडलर डायरिया का मतलब हमेशा यह नहीं होता है कि आपके बच्चे को गंभीर मेडिकल समस्याएं हैं। अधिकतर समय, बच्चा स्वस्थ होता है लेकिन ऊपर बताए गए मामूली कारणों में से एक के कारण दस्त की समस्या हो जाती है, जिसका इलाज किया जा सकता है या यह कुछ दिनों में सही हो जाएगा।
  • अपने बच्चे की डाइट में बदलाव करते समय हमेशा जांच लें कि दस्त के लक्षण और बढ़ तो नहीं रहे हैं।
  • जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है उसका डाइजेशन भी अच्छा होने लगता है। इससे दस्त के लक्षणों में सुधार होता है।
  • दस्त के साथ आने वाली किसी भी असामान्य स्थिति, जैसे खूनी मल, वजन कम होना, बुखार, हिलना-डुलना या पॉटी कंट्रोल न होना, में तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

टॉडलर डायरिया एक असामान्य स्थिति है लेकिन फिर भी काफी आम है। यह शरीर ही है जो नई डाइट को समझने और ग्रोथ साइकिल की तैयारी करने की कोशिश कर रहा है। जब तक इस स्थिति में कोई कॉम्प्लिकेशन न हो, चिंता की कोई बात नहीं है, और आपके बच्चे का विकास बिना किसी परेशानी के आगे बना रहता है। ज्यादातर मामलों में, बच्चों के दस्त को ऊपर बताए गए सरल उपायों से कंट्रोल में किया जा सकता है।

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समर नक़वी

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