वेट नर्सिंग – जब बच्चे को कोई अन्य महिला ब्रेस्टफीड कराती है

वेट नर्सिंग - जब बच्चे को कोई अन्य महिला ब्रेस्टफीड कराती है

किसी दूसरी महिला के बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने को वेट नर्सिंग का नाम दिया गया है। वेट नर्सिंग के चुनाव के कई कारण हो सकते हैं और यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो कि आपकी सोच के विपरीत काफी आम है। 1900 के पहले यह लोकप्रिय था और आज भी यह चला आ रहा है। शिशुओं को वेट नर्सिंग कराने के बारे में अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़ें। 

वेट नर्सिंग - जब बच्चे को कोई अन्य महिला ब्रेस्टफीड कराती है

वेट नर्सिंग क्या है? 

टेक्निकली, जब एक बच्चे को उसकी बायोलॉजिकल मां के बजाय, कोई दूसरी महिला पूरी तरह से ब्रेस्टफीड कराती है, तब उसे वेट नर्सिंग कहते हैं। हाल के समय में क्रॉस नर्सिंग का मतलब समझाने के लिए भी इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता रहा है। जब शिशु को कभी-कभी उसकी बायोलॉजिकल मां के बजाय कोई दूसरी महिला दूध पिलाती है, तब उसे क्रॉस नर्सिंग कहते हैं। जो महिला किसी दूसरी महिला के बच्चे को अपना दूध पिलाती है, उसे वेट नर्स कहते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं, कि वेट नर्सिंग सुरक्षित है या नहीं, तो इसका जवाब है, हां! वेट नर्सिंग हजारों वर्षों से चली आ रही है और अगर पर्याप्त सावधानी बरती जाए, तो यह बच्चे को दूध पिलाने का एक बेहतरीन तरीका है। एक वेट नर्स पूरी तरह से स्वस्थ होनी चाहिए, जिसके शरीर में शिशु को दूध पिलाने के लिए पर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क की सप्लाई हो रही हो। 

वेट नर्सिंग का इतिहास

ऐतिहासिक आंकड़ों को देखा जाए, तो वेट नर्सिंग काफी लंबे समय से चली आ रही है। इजिप्शियन जैसी कुछ सबसे शुरुआती सभ्यताओं के बीच वेट नर्सिंग की जाती थी और इसके संचालन के लिए कोड स्थापित किए गए थे। 17वीं शताब्दी के पहले उच्च वर्ग की कई महिलाओं के बीच, अपने शिशुओं को उनके जीवन के शुरुआती 2 या 3 वर्षों के लिए ग्रामीण किसानों या निम्न वर्ग के वेट नर्सेज के पास भेजने का चलन हुआ करता था। धनी महिलाओं की असुविधा से बचाव के लिए और उनके बच्चों को मां के दूध का पर्याप्त पोषण मिल सके, इसलिए ऐसा किया जाता था। इंग्लैंड में वेट नर्सों को 18 वीं शताब्दी के दौरान बहुत मान सम्मान दिया जाता था। विश्व के दूसरे हिस्सों में भी वेट नर्स का चलन था, क्योंकि अगर बायोलॉजिकल माँ के शरीर में दूध नहीं बनता था, तो बच्चे को पोषण देने का यह एकमात्र तरीका हुआ करता था। जिन महिलाओं के शरीर में अत्यधिक दूध बनता था, वे अक्सर दूसरे जरूरतमंद बच्चों को क्रॉस नर्स किया करती थीं। असल में 1900 ईसवी तक शिशुओं के लिए ब्रेस्ट मिल्क का कोई भी सुरक्षित विकल्प आसानी से उपलब्ध नहीं था और जो माँएं अपने शिशु को स्तनपान नहीं करा सकती थीं, उन बच्चों की मृत्यु निश्चित थी। भारत में वेट नर्सिंग आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में आम है और शहरी क्षेत्रों में इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। 

आप वेट नर्सिंग का चुनाव कब कर सकते हैं? 

ऐसी कई स्थितियां हैं, जिनमें आप वेट नर्स की मदद ले सकते हैं, जैसे कि: 

  • जो वर्किंग मॉम्स अपने करियर के प्रति समर्पित हैं और अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए समय नहीं दे सकती हैं, पर अपने बच्चों को फॉर्मूला के बजाय मां का दूध देना चाहती हैं। 
  • जो माँएं किसी विशेष दवाओं का सेवन कर रही हैं, जो कि ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से बच्चे के शरीर में पहुंचकर उसे नुकसान पहुंचा सकता है और इस कारण वे अपने बच्चे को दूध पिलाने में सक्षम नहीं हैं। 
  • जिन महिलाओं के शरीर में दूध नहीं बनता है और बच्चे की बढ़ती हुई भूख को संतुष्टि नहीं मिल पाती है, उनके लिए भी वेट नर्सिंग एक अच्छा तरीका है। 
  • गोद लेने वाली माँ या समलिंगी जोड़े, जो अपने बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने में अक्षम हैं, लेकिन अपने बच्चे को फार्मूला देकर बड़ा नहीं करना चाहते हैं, वे बेबी वेट नर्सिंग को आजमा सकते हैं। 

आप वेट नर्सिंग का चुनाव कब कर सकते हैं? 

क्या वेट नर्सिंग से कोई खतरा हो सकता है? 

वेट नर्सिंग से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जिनके बारे में विचार करना चाहिए: 

  • एक मां जो कि किसी दूसरे बच्चे को भी वेट नर्सिंग करा रही है, उसे अपने बच्चे के लिए ब्रेस्ट मिल्क में रुकावट पैदा हो सकती है। 
  • मां और बच्चे दोनों के लिए ही इंफेक्शन का खतरा संभव है। 
  • बच्चे के बढ़ने पर ब्रेस्ट मिल्क कंपोजिशन में बदलाव हो सकता है, जिसके कारण अगर मां का खुद के बच्चे की उम्र अलग हो, तो दूसरे बच्चे के पोषण में फर्क पड़ सकता है। 
  • वेट नर्सों की ब्रेस्ट मिल्क की मात्रा अक्सर बहुत अधिक होती है, जिसके कारण लेट-डाउन रिफ्लेक्स हो सकता है। 
  • कभी-कभी जो बच्चे चार महीने से अधिक उम्र के होते हैं, वे वेट नर्स का दूध पीने से मना कर देते हैं। 
  • कभी-कभी वेट नर्सिंग के कारण बच्चे के भाई-बहनों या घर के लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। 

अपने बच्चे के लिए वेट नर्स कैसे हायर करें?

आप या तो एक स्वस्थ मां से व्यक्तिगत रूप से अरेंजमेंट कर सकते हैं, जिसके बच्चे की उम्र आपके बच्चे की उम्र से मिलती-जुलती हो। बच्चे की आयु महत्वपूर्ण है, क्योंकि बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है, वैसे ही ब्रेस्ट मिल्क का कंपोजीशन भी बदलता जाता है। सही पोषण के लिए, आपके बच्चे को ऐसे दूध की जरूरत है, जो कि उसकी उम्र और उसके विकास की स्थिति के लिए बनी हो। या फिर, आप चाहें, तो एक ऑनलाइन एजेंसी या स्थानीय स्रोतों के द्वारा प्रोफेशनल वेट नर्स की सर्विस का चुनाव भी कर सकते हैं। वेट नर्स को हायर करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। 

  • वेट नर्स के शिशु के गोल मटोल शरीर को देखकर झांसे में ना आएं और उसके दूध की क्वालिटी का अंदाजा ना लगाएं। अगर आप उसे व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, तो भी पूरी तरह से बैकग्राउंड चेक करें और बीमारियों की जांच करें। 
  • इस बात को सुनिश्चित करें, कि वेट नर्स का स्वास्थ्य पूरी तरह से अच्छा है। उसकी मेडिकल हिस्ट्री साफ होनी चाहिए और वह किसी प्रिसक्रिप्टिव या ओटीसी दवा का सेवन ना कर रही हो, इस बात का ध्यान रखें। आपको हर्बल सप्लीमेंट्स के बारे में भी जांच करनी चाहिए। 
  • वेट नर्स की हेपेटाइटिस और ट्यूबरकुलोसिस जैसी आम बीमारियों और एसटीडी की जांच होनी चाहिए। किसी तरह का खतरा ना हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए वेट नर्सिंग मां और बायोलॉजिकल मां दोनों की ही जांच होनी चाहिए। चूंकि हॉस्पिटल ऐसा नहीं करते हैं, इसलिए इन जांचों को व्यक्तिगत रूप से करने की जरूरत होती है। 
  • वेट नर्स की जीवनशैली बायोलॉजिकल मां के जैसी ही होनी चाहिए। वह शराब, सिगरेट या ऐसे ही किसी अन्य पदार्थ का सेवन ना करती हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए। अगर आपको केवल ऑर्गेनिक भोजन लेने की सलाह दी गई है या चाय या कॉफी की सीमित मात्रा में सेवन करने की सलाह दी गई है, तो आपको किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढना चाहिए जो इन नियमों का पालन करता हो। 

वेट नर्सिंग कराने के विकल्प

जब आप किन्ही कारणों से अपने बच्चे को स्तनपान कराने में सक्षम नहीं होते हैं, तो बच्चे के पोषण के लिए कुछ अन्य विकल्प भी होते हैं: 

  • जिन माँओं में पर्याप्त ब्रेस्टमिल्क ना बनने की समस्या होती है, उन्हें क्रॉस नर्सिंग से बहुत फायदा मिलता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली किसी जानी पहचानी मां या एक प्रोफेशनल से सांठगांठ करके आपके बच्चे की न्यूट्रीशनल जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। 
  • अगर ब्रेस्टफीडिंग संभव नहीं है, तो ब्रेस्ट पंप करके दूध को सुरक्षित रखा जा सकता है, जिसे बाद में बोतल में डालकर पिलाया जा सकता है। 
  • कम ब्रेस्टमिल्क की स्थिति में, आंशिक रूप से इन्फेंट फॉर्मूला का इस्तेमाल किया जा सकता है या फिर आप अपने बच्चे को केवल फार्मूला भी पिला सकते हैं। 
  • ब्रेस्ट मिल्क बैंक में ब्रेस्ट मिल्क उपलब्ध होता है, जिसे डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर खरीदा जा सकता है। 

जो महिलाएं अपने बच्चे की न्यूट्रिशनल जरूरतों को खुद पूरा करने में सक्षम नहीं होती हैं, उनके लिए वेट नर्सिंग एक बेहतरीन विकल्प है। इस प्रक्रिया को पूरी तरह से समझ कर और इसमें शामिल खतरों के बारे में जानकारी रखकर, इसकी तैयारी करना बहुत जरूरी है। 

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