In this Article
- एनॉमली स्कैन (अल्ट्रासाउंड स्तर II) क्या है
- एनॉमली स्कैन क्यों किया जाता है
- एनॉमली स्कैन कब किया जाता है
- एनॉमली स्कैन की तैयारी कैसे करें
- एनॉमली स्कैन की प्रक्रिया
- यह स्कैन क्या पता लगा सकता है
- एनॉमली स्कैन से शिशु के बारे में क्या पता चलता है
- क्या एनॉमली स्कैन माँ या बच्चे को नुकसान पहुँचा सकता है?
- एनॉमली स्कैन का उद्देश्य क्या है
- एनॉमली स्कैन का क्या परिणाम होता है
- एनॉमली स्कैन के द्वारा कौन सी असामान्यताओं का पता लगाया जाता है
- क्या एनॉमली स्कैन सटीक होता है
- क्या होगा अगर स्कैन किसी समस्या की ओर इंगित करता है
गर्भावस्था तीन तिमाहियों में विभाजित है और प्रत्येक तिमाही बच्चे के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। शिशु की वृद्धि ठीक तरीके से हो रही है, यह सुनिश्चित करने के लिए नौ महीने की अवधि में विभिन्न स्कैन और स्वास्थ्य जाँच करवाना आवश्यक होता है। इसी जाँच का एक हिस्सा है एनॉमली स्कैन जो गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में किया जाता है। इसका काम भ्रूण की वृद्धि को ट्रैक करना है। इसे ‘विसंगति स्कैन’ भी कहा जाता है ।
स्कैन के दौरान, सोनोग्राफर (वह व्यक्ति जो परीक्षण करता है) बच्चे के अंगों के समग्र विकास और शरीर की संरचना के गठन की अच्छे से जाँच करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भ्रूण का विकास सामान्य है। आइए, हम लेख के जरिए विसंगति स्कैन (एनॉमली स्कैन) के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं।
एनॉमली स्कैन (अल्ट्रासाउंड स्तर II) क्या है
एनॉमली स्कैन, जिसे ‘अल्ट्रासाउंड स्तर II’ के रूप में भी जाना जाता है, यह गर्भावस्था के मध्य चरण में किया जाने वाला स्कैन है जो आपके भ्रूण और गर्भ का निकटता से परीक्षण करता है। इस स्कैन में, सोनोग्राफर यह देख सकता है कि क्या बच्चा सामान्य रूप से विकसित हो रहा है और यह आपके प्लेसेंटा, गर्भनाल, और बच्चे के चारों ओर एमनियोटिक द्रव की स्थिति की भी जाँच करेगा। इस स्कैन को मॉर्फोलॉजी स्कैन या 20 सप्ताह के स्कैन के रूप में भी जाना जाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस स्कैन का उद्देश्य आपके बच्चे के स्वास्थ्य की जाँच करना है, न कि बच्चे के लिंग का निर्धारण करना है ।
एनॉमली स्कैन क्यों किया जाता है
जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, आपके बच्चे के विकास और स्वास्थ्य को निर्धारित करने के लिए एनॉमली स्कैन किया जाता है। यह स्कैन करवाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन आपके बच्चे के विकास की जाँच के लिए इसे कराने की सलाह दी जाती है। एनॉमली स्कैन प्रक्रिया को कराने से माता-पिता को गर्भ में अपने बच्चे को देखने का अवसर प्राप्त होता है ।
एनॉमली स्कैन कब किया जाता है
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में एनॉमली स्कैन किया जाता है। यह तब किया जाता है जब आप गर्भावस्था के लगभग 20वें सप्ताह में होती हैं। यह गर्भावस्था के 18वें और 23वें सप्ताह के बीच कभी भी किया जा सकता है। यह 18 से 23 सप्ताह के बीच किया जाने वाला गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड परीक्षण, यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि बच्चे की वृद्धि सामान्य है और सभी महत्वपूर्ण अंग सही तरीके से विकसित हो रहे हैं।
एनॉमली स्कैन की तैयारी कैसे करें
गर्भावस्था के दौरान एनॉमली परीक्षण कराना एक सामान्य प्रक्रिया है और इसके लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो स्कैन को आसान और कुशल बना सकते हैं:
- स्कैन से पहले आराम करने की सलाह दी जाती है। डायग्नोस्टिक सेंटर थोड़ा जल्दी पहुँचे और सहज हो जाएं।
- इस स्कैन के लिए, बेहतर होगा कि मूत्राशय (ब्लैडर) भरा हुआ हो, क्योंकि खाली ब्लैडर होने पर स्कैन नहीं किया जा सकता है। यदि आपका मूत्राशय पर्याप्त रूप से भरा हुआ नहीं है, तो आपको थोड़ी देर इंतजार करना पड़ सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान किए जाने वाले स्कैन की तरह ही एनॉमली स्कैन के लिए भी नाभि से जघन हड्डी (प्यूबिक बोन) तक पेट को उजागर करने की आवश्यकता होती है और इसलिए ऐसे कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है जिन्हें आसानी से समायोजित किया जा सकता है। इसके अलावा, परीक्षण से पहले ऊँची एड़ी के जूते को निकालना होगा, इसलिए इस तरह के जूते न पहने तो ज्यादा बेहतर है।
- स्कैन के दौरान आपके शरीर पर मौजूद किसी भी आभूषण को निकालने की आवश्यकता पड़ सकती है।
- अपने सभी पिछले परीक्षणों की रिपोर्ट और मेडिकल रिकॉर्ड ले जाएं, ताकि जरूरत पड़ने पर वे आसानी से उपलब्ध हों।
एनॉमली स्कैन की प्रक्रिया
एनॉमली स्कैन या अल्ट्रासाउंड स्कैन शरीर के अंदर की छवियों को उत्पन्न करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। सोनोग्राफर उस हिस्से पर जेल लगाएगा जिसे स्कैन करने की आवश्यकता होती है और एक ट्रांसड्यूसर का उपयोग करके ध्वनि तरंगों के माध्यम से स्कैन पूरा करेगा। इन तरंगों का उपयोग कंप्यूटर द्वारा आपके बच्चे की छवि बनाने के लिए किया जाता है । आमतौर पर, इस प्रक्रिया में कोई विकिरण (रेडिएशन) की जोखिम नहीं होती है, क्योंकि यह परीक्षण आयनीकृत विकिरण का उपयोग नहीं करता है। ये स्कैन कोई नुकसान नहीं पहुँचाता है।
एनॉमली स्कैन को पूरा होने में लगभग 20 मिनट लगते हैं और आप इस स्कैन के जरिए आप बच्चे के शरीर के विभिन्न अंगों के साथ-साथ हृदय गति को देख सकती हैं । सोनोग्राफर आपके बच्चे के लिंग का खुलासा नहीं करते हैं क्योंकि भारतीय कानून के मुताबिक बच्चे के जन्म से पहले उसके भ्रूण लिंग की जाँच करवाना कानूनी अपराध है, इसलिए इसे अस्पतालों में करने से रोक हैं।
यह स्कैन क्या पता लगा सकता है
स्कैन का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चा किसी असामान्यताओं के बिना अच्छी तरह से बढ़ रहा है। एनॉमली सोनोग्राफर स्कैन के दौरान निम्नलिखित बातों की जाँच करता है:
- सोनोग्राफर जाँच करेगा कि बच्चे का दिल सही तरीके से विकसित हो रहा है और कार्य कर रहा है या नहीं। सभी धमनियों और नसों, जो रक्त को हृदय से ले जाती हैं, उसकी जाँच की जाती है।
- क्लेफ्ट होंठ के लिए बच्चे के चेहरे की जाँच की जाती है। हालांकि, क्लेफ्ट होंठ को पकड़ना काफी मुश्किल होता है और इस समस्या को स्कैन के जरिए हमेशा पकड़ा नहीं जा सकता है।
- सोनोग्राफर जाँच करता है कि आपके भ्रूण में दो गुर्दे हैं या नहीं और मूत्राशय भर रहा है या नहीं। यदि परीक्षण की शुरुआत में मूत्राशय खाली है, स्कैन के दौरान इसे भरते हुए निरीक्षण करना आसान होता है।
- आपके बच्चे के सिर के आकार की भी जाँच की जाती है और मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं की पहचान की जाती है।
- सोनोग्राफर इस बात की भी जाँच करता है कि बच्चे की रीढ़ ठीक से विकसित हो रही है या नहीं और पीठ की त्वचा इसे ठीक से ढकती है या नहीं।
- सोनोग्राफर आपके बच्चे की बाहें, पैर, पंजे और हाथों की भी जाँच करेगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी वृद्धि ठीक से हो रही हैं।
- इस स्कैन में बच्चे की एब्डोमिनल मनल वॉल की भी जाँच की जाती है और ये उनके सामने से सभी अंगों को कवर करता है। सोनोग्राफर बच्चे के पेट की भी जाँच करते हैं।
- सोनोग्राफर यह भी जाँच करते हैं कि क्या सुरक्षा प्रदान करने के लिए शिशु के चारों ओर पर्याप्त एमनियोटिक द्रव है या नहीं।
- स्कैन के दौरान प्लेसेंटा की स्थिति भी जांची जाती है। यदि आपके गर्भाशय में प्लेसेंटा नीचे स्थित है, तो आपका डॉक्टर आपको इसकी सूचना देगा। इस स्थिति को प्लेसेंटा प्रिविया के रूप में जाना जाता है और तीसरी तिमाही में इसके लिए एक और अल्ट्रासाउंड का सुझाव दिया जाता है, ताकि यह जाँच की जा सके कि क्या प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा से सरक गया है या नहीं । तीसरी तिमाही में भी नीचे स्थित प्लेसेंटा प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव का कारण बन सकता है, लेकिन 18-20 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान नीचे स्थित प्लेसेंटा चिंता का कारण नहीं है।
- सोनोग्राफर, स्कैन के दौरान आपके बच्चे के शरीर के अंगों को भी मापेगा और गर्भावस्था के उस चरण के दौरान मानक वृद्धि के साथ इसकी तुलना करेगा।
सोनोग्राफर आमतौर पर एनॉमली स्कैन द्वारा निम्नलिखित चीजों की माप लेगा:
- सर की परिधि
- पेट की परिधि
- जांघ की हड्डी
एनॉमली स्कैन से शिशु के बारे में क्या पता चलता है
- स्कैन आपके बच्चे की एक ब्लैक एन्ड वाइट छवि दिखाएगा। किया गया स्कैन आमतौर पर एक 2 डी स्कैन होता है और आप अपने बच्चे का केवल एक ही भाग देख सकती हैं, लेकिन यदि आप 3डी या 4डी स्कैन कराती हैं, तो आप अपने बच्चे के शरीर की सही छवि अलग-अलग एंगल से देख सकती हैं।
- स्कैन आपके बच्चे के शरीर की सामान्य स्थिति को दिखाता है। सोनोग्राफर, शिशु की वृद्धि की जाँच करेगा और असामान्यताओं (यदि कोई हो) की पहचान करेगा। स्कैन आपको यह निर्धारित करने में मदद करेगा कि आपके एक या अधिक बच्चे हैं, इसके अलावा सोनोग्राफर आपके बच्चे के शरीर के अंगों की सामान्य वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए उनका माप लेगा।
क्या एनॉमली स्कैन माँ या बच्चे को नुकसान पहुँचा सकता है?
एक्स-रे के विपरीत, अल्ट्रासाउंड एनॉमली स्कैन में आयनीकृत विकिरण का उपयोग नहीं किया जाता है और इसलिए यह माँ या बच्चे के लिए हानिकारक नहीं होता है। इसके अलावा, सोनोग्राफर यह सावधानी बरतता है कि स्कैन के दौरान माँ सहज रहे।
जेल और ट्रांसड्यूसर के उपयोग से स्कैनिंग प्रक्रिया थोड़ी असहज हो सकती है, लेकिन यह स्कैन करने के लिए हानिकारक या दर्दनाक नहीं है।
एनॉमली स्कैन का उद्देश्य क्या है
एनॉमली स्कैन का मुख्य उद्देश्य बच्चे के विकास की जाँच करना होता है। इसके जरिए बच्चे के शरीर महत्वपूर्ण अंगों की जाँच की जाती है और ये पता लगाया जाता है की उनके शरीर के विभिन्न अंगों की संरचना ठीक से हो रही है या नहीं। स्कैन का उपयोग किसी भी महत्वपूर्ण असामान्यताओं की पहचान करने और उनका आकलन करने के लिए किया जाता है जो बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। यह स्कैन मध्य-गर्भावस्था के दौरान कराने की सलाह दी जाती है।
आमतौर पर एनॉमली स्कैन मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे, रीढ़ की हड्डी जैसे अंगों पर और गर्भ में प्लेसेंटा के स्थान पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।
एनॉमली स्कैन का क्या परिणाम होता है
एनॉमली स्कैन परिणाम गर्भ में बच्चे की प्रगति को दर्शाता है और बच्चे का विकास ग्राफ को निर्धारित करने में मदद करता है। परिणाम या तो स्थिति को सामान्य दिखाएंगे या फिर बच्चे में पाए जाने वाली असामान्यताओं को ओर इशारा करेगा। यदि बच्चे के विकास से जुड़े उनमें कोई दोषों पाए जाते हैं, तो आपके डॉक्टर इसके लिए सुधारात्मक कार्रवाई करेंगे।
एनॉमली स्कैन के द्वारा कौन सी असामान्यताओं का पता लगाया जाता है
अवलोकनों की एक सूची मौजूद है, जो स्कैन करते समय सोनोग्राफर द्वारा देखे जाते हैं, जिसमे बच्चे के सिर से पैर तक सारी चीजें मौजूद होती हैं। भ्रूण में पाई जाने वाली असामान्यताएं आम हो सकती हैं जिनका आपके बच्चे के जन्म के बाद इलाज किया जा सकता है। यदि वे गंभीर हैं, तो उनपर तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है।
यहाँ कुछ असामान्यताएं हैं जिन्हें एनॉमली स्कैन में पता लगाया जाता है:
- क्लेफ्ट होंठ
- स्पाइना बिफिडा (रीढ़ की हड्डी का दोष)
- हृदय की समस्याएं ,गुर्दे से संबंधित समस्याएं
- एनेस्थली, या सिर के शीर्ष का न होना
- अंगों में समस्या (उदाहरण के लिए – बहुत छोटे अंग)
जबकि स्कैन असामान्यताओं को खोजने के उद्देश्य से किया जाता है, लेकिन शिशु में इसमें से पाई जाने वाली कोई भी असामान्यताओं का पता लगाना उतना आसान नहीं होता है। उदाहरण के लिए, यदि ऐब्डामनल वॉल, गुर्दे, अंगों या रीढ़ की हड्डी के साथ किसी प्रकार की कोई समस्या होती है, तो काफी संभावना है कि इस स्कैन से उसका पता लगाया जा सके । लेकिन दिल में स्पॉटिंग दोष की संभावना या यह आकलन करना कि क्या मांसपेशियों में कोई छेद तो नहीं है जो छाती और पेट को अलग करता है, व मस्तिष्क में अतिरिक्त द्रव निर्माण आदि का पता लगाना तुलनात्मक रूप से ज्यादा मुश्किल होता है।
यदि कोई असामान्यता दिखाई देती है, तो सोनोग्राफर रिपोर्ट के अवलोकन की पुष्टि करने के लिए किसी दूसरे विषेशज्ञ को इस रिपोर्ट की जाँच करने के लिए दे सकते हैं ताकि इसपर बेहतर से बेहतर कार्रवाई की जा सके।
क्या एनॉमली स्कैन सटीक होता है
मध्य-गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड स्कैन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बच्चे के विकास को निर्धारित करने में मदद करता है और उन असामान्यताओं का शीघ्र पता लगाने में सहायता करता है जो बच्चे में विकसित हो रही हो। एनॉमली स्कैन आमतौर पर सटीक होते हैं और एक स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं। हालांकि, यह हमेशा आवश्यक नहीं है कि स्कैन 100% सटीक हो और हर समय सही परिणाम दिखाता हो।
ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे में असामान्यताएं निर्धारित करना मुश्किल होता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण अंगों में और एनॉमली स्कैन इसे दिखा भी सकता है और नहीं भी। एक सोनोग्राफर को शिशु की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने के लिए पेट को कई बार स्कैन करने की आवश्यकता होती है। आमतौर पर, माता-पिता को इस बात की सहमति देने के लिए भी कहा जाता है कि वो इस बात से सहमत हैं की स्कैन के परिणाम 100% सटीक ना होने की भी संभावना होती है।
क्या होगा अगर स्कैन किसी समस्या की ओर इंगित करता है
यह समझना आवश्यक है कि एनॉमली स्कैन रिपोर्ट हमेशा 100% सटीक नहीं होती है और ये अवलोकन हमेशा सही नहीं होते हैं। इसके अलावा, ध्यान दें कि इस स्तर पर किसी गंभीर समस्या की पहचान करने की संभावना दुर्लभ है। हालांकि, यदि कोई समस्या देखी जाती है, तो आपके डॉक्टर इससे निपटने के लिए आपको सलाह देंगे । यदि स्कैन के जरिए किसी समस्या की पहचान की जाती है, तो आप निम्नलिखित चरणों की अपेक्षा कर सकती हैं:
- ऐसी परिस्थितियां सामने आ सकती हैं, जहाँ सोनोग्राफर को सब कुछ दिखाई नहीं देता है, क्योंकि जब स्कैन किया जा रहा था, तब आपका शिशु सही स्थिति में नहीं था। इसके साथ ही, यदि आपका वजन अधिक है, तो शरीर में मौजूद वसा के कारण स्कैन ठीक से संगत नहीं होता है। ऐसी स्थितियों में, आपको 23वें सप्ताह में दोबारा स्कैन करवाना पड़ सकता है।
यदि सोनोग्राफर को किसी समस्या का पता चलता है, तो आपको तुरंत सूचित किया जाएगा और यह सलाह दी जाती है कि आप स्कैन के परिणाम मिलने के 72 घंटे के भीतर भ्रूण चिकित्सा विशेषज्ञ से जरूर मिलें।
- यदि आपके बच्चे को हृदय की समस्या होने का संदेह है, तो आपको भ्रूण इको स्कैन करवाने के लिए कहा जा सकता है। यह स्कैन आपके बच्चे के दिल की विस्तृत जानकारी प्राप्त करेगा
आपका डॉक्टर पता लगाई गई समस्या के लिए उपयुक्त समाधान सुझाएंगे। यह समस्या की गंभीरता पर निर्भर करेगा की इस स्तर में हस्तक्षेप की आवश्यकता है या नहीं। समाधान के रूप में आमतौर पर जन्म के बाद बच्चे की सर्जरी की जाती है। लेकिन कुछ गंभीर समस्याओं के मामले में, सर्जरी तब ही की जाती है, जब बच्चा गर्भ में होता है।
अपने गर्भ के अंदर बच्चे को बड़े होते हुए महसूस करता बेहद खूबसूरत अहसास होता है। इसे मामलों में, आपको अपने जीवनसाथी जाना चाहिए । इन स्कैन को करने वाले नैदानिक केंद्र (डायग्नोस्टिक सेंटर), आमतौर पर आपको स्कैन करने के बाद स्कैन की तस्वीरें और वीडियो प्रतियां प्रदान करते हैं।
आपको एनॉमली स्कैन कराने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह सुनिश्चित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि आपके बच्चे की वृद्धि सामान्य रूप से हो रही है या नहीं।
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