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जब आपकी जिंदगी में एक बच्चा आ जाता है, तो ऐसा लगता है जैसे आपकी रेगुलर जिंदगी में उथल-पुथल मच गई हो। अचानक एक छोटा सा इंसान आपके बीच आ जाता है, जिसे आपकी पूरी देखभाल, ध्यान और प्यार की जरूरत होती है और शुरुआत में एक रूटीन को फॉलो कर पाना नामुमकिन होता है। दिन भर में न जाने कितनी ही बार दूध पिलाना पड़ता है, डायपर बदलने पड़ते हैं और सुलाना पड़ता है। आप अपनी और अपने बच्चे की देखभाल की पूरी कोशिश कर रही होती हैं।
लेकिन अब इसके लिए चिंता की कोई बात नहीं है। बच्चे के आने के बाद, कुछ सप्ताह के अंदर आप एक निश्चित डेली रूटीन की आदी हो जाती हैं और 2 महीनों के अंदर-अंदर बच्चे के साथ आपकी दिनचर्या, तेल डाली हुई एक मशीन जैसी चलने लगती है। हालांकि, जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, आपको उसके डेली शेड्यूल में बदलाव करने होते हैं, जो कि उसके विकास में मदद करते हैं।
एक शेड्यूल बनाना, अपने नन्हे बच्चे के विकास की प्लानिंग का एक जरूरी हिस्सा होता है। जिसके अंदर कई तरह की चीजें होती हैं, जैसे – एक्टिविटी टाइम, सोने का टाइम, घूमने का टाइम या खेलने का टाइम। इस बात का ध्यान रखें, कि आप अपने बच्चे के लिए जो शेड्यूल बनाती हैं, उसका असर उसके नींद के पैटर्न, व्यवहार और आदतों पर पड़ता है।
नीचे दिए गए फैक्टर्स के अनुसार आपके बच्चे के शेड्यूल में बदलाव की जरूरत होती है:
याद रखें, एक बच्चे के लिए शेड्यूल बनाने से, आप कम उम्र में ही उसे अनुशासन के साथ जीने की आदत डाल देती हैं, जो कि उसके विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा, नियमितता बहुत जरूरी है, इसलिए इस बात का ध्यान रखें, कि हर दिन अपने बच्चे के साथ एक ही रूटीन फॉलो करें।
यहां पर, 5 से 6 महीने की उम्र के बच्चों की कुछ जरूरतें दी गई हैं। बच्चे के लिए शेड्यूल बनाने से पहले आपको इन पर विचार करना चाहिए:
बच्चे के लिए शेड्यूल बनाने के दौरान पहले यह समझना जरूरी है, कि आपके समय का इस्तेमाल किस तरह हो रहा है। बच्चे के साथ अपने शेड्यूल का तालमेल बिठाने से, बच्चे के साथ आपका बिताया गया समय और भी अधिक खास बन जाता है, खासकर जब बात ब्रेस्टफीडिंग की आती है।
यह शेड्यूल उस माँ के लिए है, जो अटैचमेंट पेरेंटिंग स्टाइल को फॉलो करती है और जो अपने बच्चे को ब्रेस्टफीड भी करा रही है। यह पैटर्न बच्चे के बजाय माँ द्वारा फॉलो किया जाता है। यह शेड्यूल 6 महीने के बच्चे के लिए एक नमूना है।
घर पर रहने वाली मां को इस बात की सलाह दी जाती है, कि वह एक ऐसा शेड्यूल बनाए, जो कि फ्लेक्सिबल हो। फ्लेक्सिबल शेड्यूल में अनेक काम किए जा सकते हैं और बच्चे को रूटीन लीड करने का मौका मिलता है और अच्छी नींद लेने में मदद मिलती है। इस तरह के शेड्यूल से पैरंट को स्वतंत्रता के विकास में मदद मिलती है।
इस उम्र में, धीरे-धीरे आपको यह प्रयास करना चाहिए, कि बच्चे के दिन भर की फीडिंग के बीच की समय अवधि कम न हो कर, अधिक हो। यानी, उनके बीच के गैप को बढ़ा दिया जाए, जो कि नियमित हो। ऐसा करने से आपके 6 महीने के बच्चे के सोने का रूटीन नियमित हो जाएगा और उसे पूरी रात सोने में मदद मिलेगी। लेकिन याद रखें, एक फ्लेक्सिबल शेड्यूल को भी एक ठोस आधार चाहिए होता है। इसलिए एक अच्छे स्लीप टाइम और नैप टाइम को सेट करने की कोशिश करें। एक ठोस आधार के बिना फ्लेक्सिबिलिटी काम नहीं कर सकती है। इसके लिए आप शेड्यूल-1 के रूटीन को भी फॉलो कर सकती हैं और अपनी दिनचर्या के अनुसार टाइमिंग में बदलाव कर सकती हैं।
एक बच्चे के साथ वर्क फ्रॉम होम करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है। खासकर अगर बच्चे की उम्र 5 से 6 महीने हो, तो बच्चे को बहुत सारे ध्यान की जरूरत होती है। अगर एक सही रूटीन न बनाया जाए, तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए मुश्किल हो सकता है।
एक बेबी-लेड शेड्यूल यहां पर सही नहीं होगा। यहां पर पैरंट-लेड शेड्यूल का एक नमूना दिया गया है, जो कि घर से काम करने वाली मांओं के लिए उपयोगी हो सकते हैं:
वर्किंग मॉम के रूटीन की तरह ही, कामकाजी महिलाओं के लिए ब्रेस्टफीडिंग और बॉटल फीडिंग का कॉन्बिनेशन बड़े पैमाने पर पैरेंट-लेड होता है।
यह शेड्यूल, शेड्यूल-3 से काफी मिलता-जुलता है। इस रूटीन में, बॉटल फीडिंग और ब्रेस्टफीडिंग की सायकल बदलती रहती हैं। दिन भर के 4 फीडिंग सेशन में से, दो फीडिंग के दौरान बोतल का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। बच्चे के सोने के समय को ब्रेस्टमिल्क की पंपिंग के लिए इस्तेमाल करना ना भूलें।
फॉर्मूला फीडिंग, बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने का एक विकल्प है, जिससे मां को थोड़ा बदलाव मिल जाता है। अगर मां बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने में सक्षम नहीं है, तो भी वह बच्चे के जीवन के पहले एक वर्ष के दौरान जरूरी पोषक तत्वों की आपूर्ति कर सकती है। ऐसी मान्यता है, कि बच्चे को फॉर्मूला देने से बच्चे को बेबी फूड की शुरुआत करने में आसानी होती है। लेकिन इसके लिए पर्याप्त मेडिकल सबूत उपलब्ध नहीं हैं।
घर पर रहकर ब्रेस्टफीडिंग कराने का एक सबसे बड़ा फायदा यह है, कि मां जब चाहे बच्चे को दूध पिलाने में सक्षम होती है। हम घर पर रहने वाली मां को एक फीड-ऑन-डिमांड शेड्यूल का इस्तेमाल करने की सलाह देंगे, क्योंकि उसे घर के काम और बच्चे को मैनेज करने के लिए समय चाहिए होता है।
ऐसे में मां को बच्चे के साथ बहुत सारा समय और फ्लेक्सिबिलिटी मिल जाती है। जब उसे भूख लगती है, तब उसे दूध पिलाया जा सकता है। सुविधा के लिए माँ फॉर्मूला मिल्क फटाफट तैयार करके पिला सकती है।
जुड़वां बच्चों को दूध पिलाना एक चुनौती भरा काम हो सकता है, जिसमें बहुत थकान हो सकती है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को बहुत अच्छी तरह से खाना खाने की जरूरत होती है, ताकि उसके शरीर में पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ दूध का निर्माण हो सके। वहीं फार्मूला देने वाली मांओं के लिए चीजें थोड़ी आसान हो जाती हैं, क्योंकि उसके ब्रेस्ट दो छोटे मुंह को फीड करने के तनाव से नहीं गुजर रहे होते हैं। अगर आप अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए फार्मूला का इस्तेमाल कर रही हैं, तो आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए, कि घर पर अच्छी मात्रा में फार्मूला मौजूद हो और इमरजेंसी के लिए फ्रिज में थोड़ा एक्स्ट्रा दूध तैयार पड़ा हो।
ऐसी परिस्थिति के लिए एक बेबी-लेड, फीड-ऑन-डिमांड शेड्यूल की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे जुड़वां बच्चों के दूध पीने के समय में थोड़ी दूरी आने में मदद मिलती है। रेगुलर फीडिंग्स के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखें, कि दोनों ही बच्चे परिवार के साथ अच्छा समय बिताएं और उन्हें बराबर मात्रा में मालिश, खेलना और टमी टाइम मिल सके।
जब जिम्मेदारियों की बात आती है, तो एक कामकाजी मां संभवतः इनसे सबसे अधिक जूझती है। यहां पर एक कामकाजी मां के लिए रिकमेंडेड शेड्यूल दिया गया है:
ऐसी मां के लिए जो फॉर्मूला फीडिंग करवाती है, इवनिंग शिफ्ट में काम करना उपयोगी है। यहां पर एक रेकमेंडेड शेड्यूल का नमूना दिया गया है:
यहां पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चे के लिए शेड्यूल तैयार कर सकते हैं:
एक शेड्यूल बनाना, आपके और बच्चे दोनों के लिए ही दिन का एक जरूरी हिस्सा है। इससे आपको अनुशासन और समझदारी के साथ, रोज के कामकाज को ऑर्गेनाइज करने में मदद मिल सकती है। बच्चे की जरूरतों का ध्यान रखें, जैसे – उसका खाना-पीना, उसकी नींद और खेलने का समय। साथ ही शेड्यूल बनाने से पहले ठोस आहार की शुरुआत करने पर भी विचार करें। इस प्रक्रिया में गलतियां होती रहती हैं, लेकिन आपके लिए जो शेड्यूल सही हो, उसे ढूंढें और उसे फॉलो करें और फ्लेक्सिबल बने रहें।
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