बेबी ब्लूज से कैसे निपटें

बेबी ब्लूज से कैसे निपटें

बच्चे के घर में आने से आपको जितनी एक्साइटमेंट होती है उतना ही आपके लिए चैलेंज भी होता है। जी हाँ बच्चे के आने से आपका जीवन खुशियों से भर जाता है, लेकिन साथ ही साथ आपके ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां भी आ जाती हैं। इस प्रकार आपकी दिनचर्या पूरी तरह से बदल जाती है यहाँ तक कि आपको ठीक से सोने तक का समय नहीं मिलता है। जबकि बच्चे को जन्म देने के बाद आपको आराम की बहुत जरूरत होती है क्योंकि अभी आपका शरीर रिकवर हो रहा होता है। ऐसे में इन सबके बीच बेबी ब्लूज से गुजरना कॉमन है।

पोस्टपार्टम ब्लूज क्या हैं? 

पोस्टपार्टम ब्लूज क्या हैं?

लगभग 70-80% नई मांओं को डिलीवरी के बाद बेबी ब्लूज सिंड्रोम का अनुभव होता है। इस दौरान आपको दुख, एंग्जायटी और चिड़चिड़ाहट होती है। डिलीवरी के अनुभव के आधार माँ को डिलीवरी के 4-5 दिन बाद या उससे पहले ब्लूज का अनुभव हो सकता है। गर्भावस्था के बाद जैसा लोग सोचते हैं कि आप ग्लोइंग और हैप्पी मॉम होंगी लेकिन सच्चाई इससे अलग होती है।

क्या सभी मांओं को बेबी ब्लूज का अनुभव होता है? 

सभी नई मांओं को बेबी ब्लूज का अनुभव नहीं होता है, लेकिन 70-80% मामलों में ऐसा होता है। डिप्रेशन से जुड़ी फैमिली हिस्ट्री या घरेलू झगड़ों की वजह से उदासी महसूस होने की संभावना बढ़ सकती है। आने वाले कई बदलावों के कारण डिलीवरी के बाद का समय तनाव से भरा हो सकता है। गर्भावस्था के तुरंत बाद जब महिला को अपने परिवार और पार्टनर द्वारा सपोर्ट मिलता है तो उसे बेबी ब्लूज से निपटने में बहुत मदद मिल सकती है।

बेबी ब्लूज होने का क्या कारण है? 

बेबी ब्लूज कई वजह से हो सकता है जैसे शारीरिक बदलाव, हार्मोनल बदलाव और भावनात्मक कारण। गर्भावस्था के दौरान एक महिला के शरीर में हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का लेवल सबसे ज्यादा होता है। डिलीवरी के बाद हार्मोन के स्तर में होने वाले उतार चढ़ाव बेबी ब्लूज को ट्रिगर कर सकते हैं। एक आदर्श माँ बनने की चाहत या क्या आप एक अच्छी माँ बन पाएंगी यह विचार आपको भावनात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। डिलीवरी के दौरान ट्रॉमा, ब्रेस्टफीडिंग में परेशानी, नींद की कमी, डिप्रेशन से जुड़ी फैमिली हिस्ट्री, आदि भी बेबी ब्लूज का कारण बन सकते हैं।

बेबी ब्लूज के संकेत और लक्षण

बच्चे के जन्म के बाद बेबी ब्लूज होने के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं:

1. बिना किसी कारण के भावुक होना, रोना और कमजोर महसूस करना

आप छोटी छोटी बातों पे भी रोना शुरू कर सकती है। आप कैसा महसूस कर रही हैं इस बारे में अपने पति या किसी फैमली मेंबर से बात करें। ऐसा करने से आपको खुद महसूस होगा कि आप जिन बातों को लेकर परेशान हो रही हैं या एंग्जायटी महसूस कर रही हैं वो उतनी बड़ी बात भी नहीं हैं।

2. उलझन, चिड़चिड़ापन, घबराहट, एंग्जायटी

यदि आपको लगता है कि आप अपने साथी और अन्य बच्चों पर बेवजह भड़क रही हैं या चिड़चिड़ी हो रही हैं तो समझ लें कि आपको ब्लूज हो गया है। इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका है कि आराम करें और बाकी की जाने वाली चीजों के बारे में सोचना बंद कर दें। अपना और अपने बच्चे का ध्यान रखें, बाकी चीजें बाद में भी की जा सकती हैं।

3. थकान, इनसोम्निया, एकाग्रता में कमी

इन लक्षणों के लिए रातों में मिलने वाली कम नींद को दोष दें। जब बच्चा सो जाए तो सोने की कोशिश करें, ऐसे में आपको कुछ घंटों की नींद मिल जाएगी।

बेबी ब्लूज कितने समय तक रहता है? 

बेबी ब्लूज डिलीवरी के लगभग तुरंत बाद हो जाता है और कुछ हफ्तों तक रहता है। बेबी ब्लूज पोस्टपार्टम (डिलीवरी के बाद) डिप्रेशन का सबसे हल्का रूप है, जो लंबे समय तक रहता है और इसके लिए मेडिकल अटेंशन की आवश्यकता होती है।

बेबी ब्लूज और पोस्टपार्टम डिप्रेशन

गर्भावस्था और डिलीवरी के उतार-चढ़ाव के बाद माताओं के लिए बेबी ब्लूज होना काफी स्वाभाविक है। यदि ब्लूज बदतर होने लगता है या कुछ हफ्तों के बाद भी दूर नहीं होता है, तो यह पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकता है।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण लगभग बेबी ब्लूज जैसे ही दिखते हैं मगर उससे बुरे होते हैं। इसमें साथी से दूरी, बच्चे से संबंध बनाने में कठिनाई, एंग्जायटी की वजह से नींद न आना, अपराध की भावना और आत्महत्या के विचार शामिल हैं। हार्मोनल परिवर्तन, शारीरिक परिवर्तन, शारीरिक मेटाबॉलिज्म में परिवर्तन और तनाव जैसे कई कारक डिप्रेशन बन सकते हैं। ऐसे में डिप्रेशन से निपटने के लिए काउंसलिंग की मदद लें।

डिलीवरी के बाद साइकोसिस एक गंभीर विकार यानी डिसऑर्डर है जो वास्तविकता के साथ संपर्क को तोड़ देता है। आत्महत्या और शिशु हत्या इस डिसऑर्डर से जुड़े जोखिम हैं और इसलिए माँ और बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक है। लक्षणों में हैलुसिनेशन, भ्रम, अत्यधिक एंग्जायटी, आत्महत्या के बारे में सोचना और कदम उठाना, अत्यधिक भ्रम या भटकाव, मूड स्विंग, अजीब व्यवहार और बच्चे को नुकसान पहुंचाने के विचार शामिल हैं।

बेबी ब्लूज का इलाज कैसे होता है?  

बेबी ब्लूज से निपटने के तरीके के बारे में यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

1. अपने लिए कुछ समय निकालें

बच्चे के पैदा होने के बाद आपको बिल्कुल भी फुर्सत नहीं मिल पाती, मगर खुद के लिए भी थोड़ा समय निकालना जरूरी है। आप घर के किसी और सदस्य से मदद ले सकती हैं और दिन में सभी कामों को रोक कर थोड़ा वक्त खुद को दे सकती हैं। बच्चा जब सो जाए तो आप भी सोने की कोशिश करें और इसके अलावा भी आराम करने का प्रयास करें।

2. बात करें

अपने किसी करीबी के साथ अपनी भावनाओं को बांटना जरूरी होता है, यह बेबी ब्लूज से निपटने में मदद करता है। यदि आप उदास महसूस कर रही हैं, तो इसके लिए खुद को दोषी महसूस न करें। जब लोगों को पता चलता है कि आप मायूस हैं तो वे आपका सहयोग और सहायता करते हैं।

3. अच्छा खाना खाएं

अपने आहार में पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें और बच्चे के पैदा होने के बाद दिन भर की भागदौड़ में खुद खाना न भूलें। प्रेगनेंसी के बाद आप फिर से पहले जैसा शरीर चाहती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप भूखी रखें। खुद जल्दी रिकवर करने के लिए आपको समय पर और हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी है।

4. टहलने जाएं

बाहर घूमने से आपको काफी अच्छा महसूस होगा। प्रेगनेंसी के बाद कपड़े बदलकर बच्चे के साथ बाहर वॉक पर जाना मुश्किल काम लग सकता है। मगर ताजी हवा और बाहर का माहौल आपको एक नया दृष्टिकोण देगा और साथ ही आपके जीवन में पॉजिटिव वाइब्स भी लाएगा।

5. मदद लें

घर के काम और बच्चे को संभालने के लिए दूसरो की मदद लें। ऐसा करने से बिलकुल भी न हिचकिचाएं। ऐसा करने से आपको भी थोड़ा आराम और नींद मिलने में आसानी होगी जो आपके लिए बहुत जरूरी है।

6. खुद को पूरी तरह से न थकाएं

आपको अपने बच्चे के लिए खुद को खुश रखना होगा। मगर ढेर सारा काम करने के बाद आपका शरीर इसके लिए तैयार नहीं होता है यह हम समझ सकते हैं। इसलिए थोड़ा आराम करें और खुद से यह कहें कि आप अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हुए जितना अच्छा कर सकती हैं, उतना अच्छा कर रहीं हैं।

आपको कब चिंता करनी चाहिए 

डिलीवरी के बाद बेबी ब्लूज होना काफी नेचुरल है और इसमें कोई चिंता करने वाली बात नहीं है। लेकिन अगर आपको इसके लक्षण दो हफ्तों से ज्यादा समय तक दिखते हैं तो हो सकता है आप डिप्रेशन का शिकार हो रही हों। इसके अलावा अगर आपको आत्महत्या के विचार आ रहे हों या बच्चे को नुकसान पहुंचाने का विचार आ रहा हो तो बिना देर किए डॉक्टर से बात करें।

यह भी पढ़ें:

यह बेबी ब्लूज है या पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन – लक्षण और इसके प्रभावी उपचार
डिलीवरी के बाद कमजोरी – कारण और इसे मैनेज करने के तरीके