बेबी फॉर्मूला – प्रकार और बेस्ट बेबी फॉर्मूला चुनने के टिप्स

बेबी फॉर्मूला - प्रकार और बेस्ट बेबी फॉर्मूला चुनने के टिप्स

बच्चों के लिए मां का दूध सर्वोत्तम आहार होता है, लेकिन सभी शिशुओं को इससे संतुष्टि नहीं मिल पाती है। कभी-कभी मां पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं पिला पाती है या ब्रेस्टफीडिंग हर वक्त संभव नहीं हो पाती है। ऐसी परिस्थितियों में बेबी फॉर्मूला बहुत उपयोगी साबित होते हैं, क्योंकि ये बच्चे को सभी जरूरी पोषक तत्व सही तरह से उपलब्ध कराते हैं। लेकिन क्या हर फॉर्मूला आपके बच्चे के लिए सही है? सबसे हेल्दी बेबी फॉर्मूला की खोज में आपको जवाबों से ज्यादा सवाल मिलेंगे! ऐसे में, पहले इससे जुड़े हुए सभी पहलुओं को समझना जरूरी है। 

बेबी फॉर्मूला के विभिन्न फॉर्म

बेबी फॉर्मूला के विभिन्न फॉर्म

बच्चों के लिए उपलब्ध अलग-अलग फॉर्म में मिलने वाले फॉर्मूला के बारे में नीचे बताया गया है: 

1. रेडी-टू-यूज फॉर्मूला 

ढक्कन खोलें और अपने बच्चे को पीने को दें। इस तरह के फॉर्मूला में केवल इन दो स्टेप्स को फॉलो करना होता है। ज्यादातर, ऐसे फॉर्मूला का इस्तेमाल अस्पतालों में किया जाता है, जब नवजात शिशु को तुरंत दूध पिलाने की जरूरत होती है। आमतौर पर, अगर आप बच्चे के साथ सफर कर रही हैं, तो ऐसे फॉर्मूला का इस्तेमाल करके आप बाहरी पानी के इस्तेमाल से बच जाती हैं और इसलिए बेबी को देने के लिए यह सबसे सुरक्षित विकल्प होता है। 

ये फॉर्मूला काफी महंगे होते हैं और चूंकि ये पीने के लिए तैयार होते हैं, इसलिए इनके डिब्बे आकार में बड़े होते हैं, ताकि फॉर्मूला सुरक्षित रह सके। यदि आप ढक्कन को खोलती हैं, तो फॉर्मूला को 48 घंटों के अंदर इस्तेमाल करना होता है या फिर इसे फेंकना पड़ता है। इसका रंग गहरा होता है, जिसके कारण कपड़ों पर गिरने पर दाग लगने का खतरा होता है। 

2. लिक्विड कंसंट्रेट फॉर्मूला

पाउडर वाले फॉर्मूला की तुलना में यह महंगा होता है, लेकिन सुविधा को देखते हुए इसकी कीमत उचित लगती है। फॉर्मूला को तैयार करने के लिए केवल फॉर्मूला और पानी को बराबर मात्रा में मिलाना होता है। इससे मापने का समय बचता है और फॉर्मूला को झटपट तैयार करने में मदद मिलती है। रेडी टू यूज फॉर्मूला की तुलना में ये छोटे डिब्बे में आते हैं। 

3. पाउडर फॉर्मूला

ज्यादातर पेरेंट्स इसी फॉर्मूला को चुनते हैं, खासकर अगर इसे बच्चे को नियमित रूप से देना हो तो। इसे कैरी करना आसान होता है, इसकी कीमत भी सामान्य होती है और डिब्बे का ढक्कन खोलने के बाद भी यह एक महीने तक रह सकता है। लेकिन जब सही मात्रा में तैयार करने की बारी आती है, तब यह थोड़ा ट्रिकी हो सकता है। 

पाउडर फॉर्मूला में सही मात्रा में पाउडर माप कर लेने की जरूरत होती है और पानी में मिलाना होता है। इसके लिए डब्बे पर दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करना होता है। कभी-कभी इसे तैयार करने में झल्लाहट महसूस हो सकती है, खासकर यदि बीच रात में उठकर इसे तैयार करना हो तो। 

छोटे बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के फॉर्मूला मिल्क

यहां पर फॉर्मूला मिल्क के कुछ प्रकार दिए गए हैं, जिन्हें अपने बच्चे को देने के बारे में आप सोच सकती हैं: 

1. गाय के दूध पर आधारित फॉर्मूला 

मार्केट में उपलब्ध ज्यादातर फार्मूला मुख्य रूप से गाय के दूध से बने होते हैं, क्योंकि गाय के दूध में पोषक तत्वों का अच्छा संतुलन होता है, जो कि बच्चे के लिए अच्छा होता है। इसमें फैट, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का अनुपात बिल्कुल परफेक्ट मात्रा में होता है और बच्चे का पेट इसे आसानी से पचा सके, इसलिए आगे इसमें बदलाव भी किए जाते हैं। 

2. पूरी तरह से या आंशिक रूप से हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूला

कुछ कंपनियां हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूला के निर्माण को प्राथमिकता देती हैं। यानी कि, ऐसे फॉर्मूला को आंशिक रूप से हाइड्रोलाइज करने के लिए प्रोटीन मॉलिक्यूल को छोटे भागों में तोड़ा जाता है और संपूर्ण हाइड्रोलाइज फॉर्मूला के लिए अति सूक्ष्म कर दिया जाता है। इससे बच्चे का शरीर इसे आसानी से डाइजेस्ट कर पाता है और बिना अधिक कठिनाई के प्रोटीन को सोख पाता है। ऐसे फॉर्मूला प्रीमैच्योर बच्चों के लिए ज्यादातर रेकमेंड किए जाते हैं, क्योंकि उनका डाइजेस्टिव सिस्टम अपरिपक्व होता है या फिर जिस बच्चे को दूध में मौजूद प्रोटीन से एलर्जी होती है, उसके लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। 

3. सोया बेस्ड फॉर्मूला

आप मार्केट में उपलब्ध सोया मिल्क की मौजूदगी से भली भांति परिचित होंगी, जिसका इस्तेमाल कुछ लोग रेगुलर दूध के विकल्प के रूप में करते हैं। इसी तरह से बेबी फॉर्मूला भी उपलब्ध होते हैं, जिनमें गाय के दूध से लिए जाने वाले प्रोटीन के बजाय, प्लांट बेस्ड प्रोटीन का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे फॉर्मूला का इस्तेमाल एक व्यक्तिगत चुनाव होता है, लेकिन कुछ मामलों में डॉक्टर इसे लेने की सलाह दे सकते हैं। 

बच्चे को गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल इंफेक्शन हो सकता है, जिसमें स्थाई रूप से लैक्टोज इनटॉलरेंस हो सकता है। ऐसे मामलों में सोया मिल्क जरूरी पोषण देता है। कभी-कभी, बच्चे को गाय के दूध में मौजूद प्रोटीन से एलर्जी हो सकती है। इसे आईजीए या इम्यूनोग्लोबुलिन ई एलर्जी कहते हैं। यह एलर्जी सोया मिल्क से भी ट्रिगर हो सकती है, इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना इसे अपने बच्चे को ना दें। 

गैलेक्टोसेमिया के कुछ दुर्लभ मामले, जिसमें शरीर दूध में मौजूद शक्कर को ब्रेकडाउन नहीं कर पाता है या कंजेनिटल लैक्टोज डिफिशिएंसी नामक बहुत गंभीर लैक्टोज इनटॉलरेंस जैसी स्थितियों में, सोया मिल्क का इस्तेमाल जरूरी हो जाता है। 

4. लैक्टोज रहित फॉर्मूला

अगर बच्चा लैक्टोज इंटॉलरेंस के कारण फॉर्मूला का सेवन नहीं कर सकता है, तो आपके लिए एक विकल्प है। चूंकि यह इनटॉलरेंस मिल्क शुगर को पचाने की अक्षमता के कारण होता है, ऐसे में यह लैक्टोज फ्री फॉर्मूला सामान्य शक्कर के बजाय, किसी अलग प्रकार के शक्कर का इस्तेमाल करता है। इसके लिए ज्यादातर कॉर्न सिरप को प्राथमिकता दी जाती है। इसे बिना किसी समस्या के आप अपने बच्चे को दे सकती हैं। 

5. प्रीमैच्योर बच्चों के लिए विशेष रूप से बने फॉर्मूला

फुलटर्म बच्चों की तुलना में, जो बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं या जन्म के समय जिनका वजन सही नहीं होता है, उनके शरीर के लिए पोषक तत्वों की जरूरत थोड़ी भिन्न होती है। बाजार में ऐसे खास फॉर्मूला उपलब्ध हैं, जो कि मुख्य रूप से कैलोरी और प्रोटीन पर फोकस करते हैं, जो कि बच्चे को एमसीटी या मीडियम-चैन ट्राइग्लिसराइड नामक फैट के द्वारा तुरंत दिए जाते हैं। बच्चे के मौजूदा वजन के अनुसार आप सही प्रकार का फॉर्मूला चुन सकती हैं। 

6. फोर्टीफायर के रूप में काम करने वाला फॉर्मूला

अगर बच्चा मां का दूध पी रहा है, तो उसे फॉर्मूला मिल्क की जरूरत नहीं होगी। लेकिन बेहतर विकास के लिए कुछ अतिरिक्त पोषण की जरूरत महसूस हो सकती है। ये ब्रेस्ट मिल्क फोर्टीफायर कुछ विशेष मामलों के लिए होते हैं। जिन बच्चे को मां से पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है, इन्हें स्टोर किए गए ब्रेस्ट मिल्क के साथ मिलाकर या फीडिंग के बाद अलग से देकर बच्चे को सही विकास में मदद की जा सकती है। 

7. मेटाबॉलिज्म पर केंद्रित फॉर्मूला

कुछ दुर्लभ मामलों में, बच्चा ऐसी बीमारी से ग्रस्त हो सकता है, जिसमें सही पोषण के द्वारा शरीर की मेटाबॉलिक एक्टिविटीज के लिए एक्स्ट्रा सपोर्ट की जरूरत होती है। डॉक्टर ऐसे मेटाबोलिक फॉर्मूला के इस्तेमाल की सलाह दे सकते हैं, जो कि ऐसी स्थितियों के लिए विशेष रूप से बनाए गए हों। 

8. ऑर्गेनिक रूप से बने फॉर्मूला

पारंपरिक फॉर्मूला और ऑर्गेनिक फॉर्मूला में अधिक फर्क नहीं होता है। फर्क बस इतना सा है, कि ऑर्गेनिक फॉर्मूला में रेगुलर गाय के दूध के बजाय, ऑर्गेनिक दूध का इस्तेमाल होता है। कइयों का मानना है, कि ऑर्गेनिक दूध के अपने हेल्थ बेनिफिट होते हैं। हालांकि यह निर्णायक रूप से साबित नहीं हो पाया है। अगर आप इसके लिए अधिक कीमत देने के लिए तैयार हैं, तो इसका चुनाव कर सकती हैं। 

9. विशेष स्थितियों के लिए बने फॉर्मूला

ये फॉर्मूला आम फॉर्मूला से महंगे होते हैं और इनके न्यूट्रिशनल स्ट्रक्चर में थोड़ा फर्क होता है। कुछ विशेष रूप से बच्चे की डाइजेशन संबंधित समस्या जैसी स्थितियों में मदद के लिए होते हैं। इसके लिए उनके कंपोजिशन में फेरबदल किया जाता है। ऐसे फॉर्मूला की जरूरत शायद ही होती है और आमतौर पर डॉक्टर भी इनकी सलाह नहीं देते हैं। ज्यादातर बच्चे लगभग 6 महीने के अंदर अपने शरीर को अपना लेते हैं। 

फॉर्मूला के जरूरी घटक

बेबी फॉर्मूला के बेसिक इनग्रेडिएंट का स्ट्रक्चर एक जैसा ही होता है, और कुछ एक्स्ट्रा घटक मौजूद होते हैं, जो कि उसमें मौजूद पोषक तत्वों को बढ़ा देते हैं: 

  • गाय का दूध बेसिक इनग्रेडिएंट होता है, जिसे कुछ विशेष फॉर्मूला में सोया मिल्क या लैक्टोज फ्री विकल्पों के साथ बदल दिया जाता है। वेगन परिवारों के लिए बने फॉर्मूला में ऑर्गेनिक दूध का भी इस्तेमाल होता है। 
  • कुछ फॉर्मूला डीएचए/एआरए से फोर्टीफाइड होते हैं, जो कि मां के दूध में मौजूद फैट के आर्टिफिशियल स्वरूप होते हैं। सिंथेटिक फैटी एसिड के इस्तेमाल के साथ विवाद भी जुड़े हुए हैं, क्योंकि ऐसे कोई निर्णायक सबूत उपलब्ध नहीं हैं, जो कि यह साबित कर सकें, कि सिंथेटिक फैटी एसिड प्राकृतिक फैटी एसिड की तरह ही काम करते हैं। 
  • ज्यादातर फॉर्मूला में आम तौर पर आयरन फोर्टिफिकेशन मौजूद होता है और यह बेहद जरूरी होता है। जब तक आपके डॉक्टर ने विशेष रूप से सलाह न दी हो, तब तक ऐसे फॉर्मूला का चुनाव न करें, जो कि आयरन फोर्टीफाइड न हों। 
  • बाजार में कुछ ऐसे फॉर्मूला उपलब्ध हैं, जिनमें प्रोबायोटिक्स भी मौजूद होते हैं। ये बच्चे की आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया को रहने में और बच्चे को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। डायरिया से ग्रस्त बच्चे या एंटीबायोटिक ले रहे बच्चे यदि मां के दूध का सेवन न कर रहे हों, तो उनके लिए ऐसे फॉर्मूला काफी फायदेमंद होते हैं। 

बेबी फॉर्मूला कैसे चुनें?

बच्चे के लिए सही फॉर्मूला चुनने से पहले आपको नीचे दी गई बातों पर विचार करना चाहिए: 

1. बच्चे का जन्म होने दें

अगर आप बच्चे के लिए फॉर्मूला लेने के बारे में सोच रही हैं, तो बच्चे के जन्म लेने से पहले उन्हें स्टोर न करें। फॉर्मूला सैंपल्स के इस्तेमाल से अनुकूलता और एलर्जी की जांच करें और फिर उस फॉर्मूला का चुनाव करें, जो आपके बच्चे के लिए आपको सही लगे। 

2. बड़े सुपर स्टोर से खरीदें 

कोई भी स्टोर फ्रेंचाइजी जिनकी पूरे देश में ब्रांच होती हैं, आमतौर पर उनके पास ताजा स्टॉक होता है और वे अधिक मात्रा में खरीदने पर डिस्काउंट भी देते हैं। इससे आप कम कीमत पर जरूरी मात्रा में इसे खरीद सकती हैं। 

3. सेविंग प्लान की जांच करें

कुछ फॉर्मूला ब्रांड या सुपरमार्केट स्पेशल बेबी मेंबरशिप ऑफर देते हैं। इससे आप कम कीमत पर फॉर्मूला खरीद सकते हैं या कुछ खास मात्रा में खरीदने पर आपको कूपन भी मिल सकते हैं। 

4. पाउडर फॉर्मूला आपकी पहली पसंद होनी चाहिए

नियमित सेवन और फीडिंग के लिए आपको पाउडर फॉर्मूला का चुनाव करना चाहिए। ये सस्ते होते हैं और इनका इस्तेमाल और स्टोरेज सुविधाजनक होता है। यदि आप यात्रा आदि पर हैं, तो थोड़ी मात्रा में लिक्विड फॉर्मूला या रेडी टू यूज फॉर्मूला खरीद कर रख सकती हैं। 

5. बड़े पैक खरीदें

फॉर्मूला कंपनियां आमतौर पर फॉर्मूला के बड़े डिब्बे और कैन, मात्रा के अनुसार छोटे डिब्बों की तुलना में कम कीमत पर बेचते हैं। नियमित इस्तेमाल के लिए आपको कम कीमत पर अधिक मात्रा खरीदनी चाहिए। 

6. किसी खास स्टोरब्रांड को चुनें 

सभी बेबी फॉर्मूला को एडमिनिस्ट्रेटिव पॉलिसी के द्वारा बताए गए नियमों का सख्ती से पालन करना होता है। हालांकि फॉर्मूला स्ट्रक्चर का टाइम अलग हो सकता है, लेकिन सभी फॉर्मूला में अपेक्षित पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसलिए आप एक स्टोर बेस्ट ब्रांड को चुन सकते हैं, जो कि दूसरे ब्रांड की तुलना में सस्ता होता है। 

7. एक्सपायरी डेट चेक करें

एक्सपायरी डेट आने पर फॉर्मूला में पोषक तत्व और उसमें मौजूद गुण खोने लगते हैं। इसलिए अधिक मात्रा में फॉर्मूला खरीदते समय इनकी तारीख को नोट करना न भूलें। 

8. एक ही ब्रांड का इस्तेमाल

जब आपको पता चल जाता है, कि एक ब्रांड आपके बच्चे के लिए अच्छा है, तो उसे न बदलें। क्योंकि दूसरा कोई ब्रांड लेने पर अनुकूलता में समस्या हो सकती है। 

9. स्पेशल डिस्काउंट के साथ इस्तेमाल के लिए कैश कूपन को सुरक्षित रखें

प्रमुख स्टोर में क्लीयरेंस सेल पर नजर रखें। ब्रांड द्वारा दिए गए कैश कूपन को इन डिस्काउंट के साथ मिलाकर फॉर्मूला खरीदने पर आपको ये काफी कम कीमत पर मिल जाएंगे। 

10. फॉर्मूला के चुनाव के समय तीनों पहलुओं पर विचार करें

आपको ऐसा फॉर्मूला चुनना चाहिए, जो आपके नजदीक उपलब्ध हो, आपके बच्चे के लिए अनुकूल हो और जिसकी कीमत भी कम हो। ऐसा फॉर्मूला आपके लिए सबसे बेहतर होगा। 

जेनेरिक ब्रांड वर्सेस ब्रांड का नाम

जब बेबी फॉर्मूला के बड़े और प्रसिद्ध ब्रांड और लोकल ब्रांच के बीच तुलना करने की बात आती है, तो आपको अपने बच्चे के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। ऐसे जाने-माने ब्रांड को चुनें, जिससे आप आश्वस्त हो सकें, कि बच्चे को सबसे बेहतर मिल रहा है। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

यहां पर बेबी फॉर्मूला को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले कुछ सवालों के जवाब दिए गए हैं: 

1. क्या हम घर पर फॉर्मूला बना सकते हैं? 

हम आप को सख्त हिदायत देंगे, कि ऐसा न करें! क्योंकि होममेड फॉर्मूला में पोषक तत्वों का सही संतुलन नहीं हो पाता है और कुछ मामलों में इससे जटिलताएं भी हो सकती हैं। 

2. क्या बच्चे के फॉर्मूला में सीरियल या दूध मिलाना सही है? 

बेबी फॉर्मूला में वे सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिनकी आपके बच्चे को जरूरत होती है। इसमें अलग से कुछ भी न डालें, क्योंकि कुछ चीजें फॉर्मूला के साथ रिएक्ट कर सकती है और बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं। 

3. बच्चे के लिए सही फॉर्मूला को लेकर अगर मुझे अब भी दुविधा हो, तो क्या करना चाहिए? 

आपके बच्चे के लिए फॉर्मूला के विभिन्न विकल्पों के बारे में डॉक्टर को विचार करने दें। वे सबसे बेहतर विकल्प चुनने में आपकी मदद करेंगे।

बच्चे का स्वस्थ विकास कई बातों पर निर्भर करता है। इस संबंध में सही पोषण मिलना ही सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है। जरूरी फॉर्मूला के साथ ब्रेस्टफीडिंग करने से आपके बच्चे के लिए पोषक तत्वों का सही संतुलन बन जाता है और उसे अच्छी तरह से विकसित होने में मदद मिलती है। 

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