यदि आप बच्चे को वीनिंग कराना यानी उसका दूध छुड़ाना चाहती हैं तो उसके लिए वेजिटेरियन डायट बहुत जरूरी है क्योंकि इसमें वो सभी आवश्यक न्यूट्रिएंट्स होते हैं जो जन्म के बाद शुरुआती दिनों के लिए जरूरी हैं। बच्चे को एक साल या उससे ज्यादा का होने के बाद नॉन-वेजिटेरियन डाइट भी दी जा सकती है ताकि उसे नए खाद्य पदार्थ व स्वाद के बारे में भी पता चले।
ज्यादातर पेरेंट्स विशेषकर वीनिंग के दौरान बच्चे के लिए वेजिटेरियन डाइट का ही उपयोग करते हैं। छोटे बच्चे को न्यूट्रिशियस फल व सब्जियां खिलाने से बहुत सारे फायदे मिलते हैं। एक बच्चे को आमतौर पर कैल्शियम, आयरन, जिंक, मैग्नीशियम और प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा में जरूरत होती है।
ऐसी ज्यादातर चीजें सिर्फ सब्जियों में होती हैं और मीट व मछली में नहीं होती हैं। इसके अलावा छोटे बच्चों का पाचन तंत्र बहुत छोटा होता है जिसकी वजह से वे नॉन-वेजीटेरियन फूड के बजाय फल व सब्जियों को अच्छी तरह से पचा पाते हैं।
छोटे बच्चों को वेजिटेरियन डाइट से परिचित कराने के लिए आप 1-2 चम्मच सब्जी या फलों की प्यूरी से शुरुआत कर सकती हैं। यह धीरे-धीरे 6 से 7 चम्मच में बढ़ाया जा सकता है। आप बच्चे को फॉर्मूला मिल्क, ब्रेस्ट मिल्क या उबले हुए पानी में राइस सीरियल भी खिलाने का प्रयास करें।
इस उम्र में बच्चे के लिए दूध बहुत जरूरी है। हालांकि आप इसके सप्लीमेंट में बच्चे को सेब, नाशपाती, बेबी राइस या जड़ वाली सब्जियां भी खिलाएं।
7 महीने के बच्चे को आप थिक कंसिस्टेंसी वाले फूड आइटम्स खिलाना शुरू कर सकती हैं। बेबी को दाल, चावल की प्यूरी और सीरियल खिलाएं। बच्चे को सीरियल में ब्रेस्ट मिल्क, मैश किया हुआ केला मिलाकर खिलाएं इससे उसका पेट भरा रहेगा। इस उम्र में बच्चे को आयरन-युक्त खाद्य पदार्थों की जरूरत होती है इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि उसे पर्याप्त मात्रा में आयरन मिलना चाहिए।
इस उम्र में बच्चा परिवार के साथ भोजन करने में शामिल हो सकता है। आप उससे खाने में कुछ भी शेयर करें पर उसके चीनी या नमक के सेवन पर नजर रखें। आप उसे मैश किया हुआ आलू, टोफू, बीन्स, मैश की हुई मटर और फल खिलाएं। इसके अलावा बच्चा फिंगर फूड भी खा सकता है, जैसे खीरा, ब्रेड के स्टिक और गाजर।
इस समय बच्चा सबसे ज्यादा एक्टिव रहता है। वह हर समय इधर-उधर दौड़ता, कूदता, किक करता और घूमता रहता है। इस बात का ध्यान रखें कि इस दौरान उसकी डाइट में आवश्यक न्यूट्रिएंट्स जरूर होने चाहिए। बच्चे की डाइट में स्टेपल फूड भी शामिल करें, जैसे चावल, आलू, फ्रेश फल, ब्रेड आदि। बच्चे में प्रोटीन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उसे दाल, टोफू आदि दें।
बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के न्यूट्रिएंट्स और उनके फायदे यहां बताए गए हैं, आइए जानें;
प्रोटीन से अमीनो एसिड मिलता है जो शरीर में सेल और हॉर्मोन्स के विकास में मदद करता है। दाल, मटर, बीन्स, मूंगफली, सोया और सीरियल ग्रेन में प्रोटीन की मात्रा बहुत होती है।
आयरन दिमाग के विकास, रेड ब्लड सेल के बनने और बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी है इसके स्रोतों में हरी सब्जियां, जैसे ब्रोकोली, पालक और फ्रेश हर्ब्स, दाल, ब्राउन ब्रेड, ब्राउन राइस, सूरजमुखी के बीज और आदि भी शामिल हैं।
कैल्शियम से बच्चों की हड्डियां, दांत मजबूत होते हैं और साथ ही पूरा स्वास्थ्य ठीक रहता है। एक बच्चे के लिए कैल्शियम का मुख्य स्रोत दूध है। कैल्शियम के अन्य स्रोतों में वाइट ब्रेड, हरी सब्जी, सोया, बेक की हुई बीन्स, ड्राई फ्रूट्स आदि भी शामिल हैं।
शरीर में ज्यादातर एन्जाइम्स जिंक पर निर्भर होते हैं जो पाचन, मेटाबॉलिज्म और सेक्सुअल डेवलपमेंट में मदद करते हैं। तरह-तरह की बेरी, गोभी, मूंगफली, डेयरी प्रोडक्ट्स, ओट्स, व्हीट जर्म, ब्राउन राइस जैसे कुछ खाद्य पदार्थ हैं जिनमें जिंक की मात्रा भरपूर होती है।
चूंकि छोटे बच्चों का विकास बहुत तेजी से होता है इसलिए उन्हें रोजाना की एक्टिविटीज करने के लिए बहुत ज्यादा एनर्जी की जरूरत पड़ती है। वेजिटेरियन बच्चों में फैट्स और कार्बोहाइड्रेट एनर्जी के लिए अच्छे स्रोत होते हैं। डेयरी फूड, फलों की प्यूरी, वेजिटेबल फैट्स, जैसे एवोकाडो, नट्स, बीज, नारियल, ऑलिव ऑयल और हेंप ऑयल में प्रचुर फैट और कार्बोहाइड्रेट होता है।
यदि बच्चा वीनिंग कर रहा है तो उसके लिए वेजिटेरियन डायट जरूरी है पर जैसे-जैसे वो बड़ा होता है उसे नॉन वेजिटेरियन खाने की इच्छा भी हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि बड़े होते बच्चे को विभिन्न प्रकार के फूड आइटम्स की न्यूट्रिशनल वैल्यू के बारे में सिखाएं ताकि उसे पता हो कि उसके लिए क्या सही है और क्या गलत है।
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