शिशु

बेबी के लिए टी ट्री ऑयल

कई पेरेंट्स बच्चों में कुछ बेसिक समस्याओं को ठीक करने के लिए हर्बल ऑयल का उपयोग करना पसंद करते हैं। आजकल ऐसे ही लोग टी ट्री ऑयल का उपयोग भी बहुत तेजी से कर रहे हैं। इसका उपयोग शिशुओं और बच्चों की त्वचा में माइक्रोबियल और फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए किया जाता है। टी ट्री ऑयल, इसके फायदे, उपयोग और साइड इफेक्ट्स के बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें। 

टी ट्री ऑयल क्या है?

टी ट्री, जो ऑस्ट्रेलिया में ज्यादा मिलता है, उसका वानस्पतिक नाम ‘मेलेलुका अल्टरनीफोलिया’ है। यह टी ट्री ऑयल का एकमात्र स्रोत है। औषधीय तेल पाने के लिए इसकी पत्तियों और टहनियों की स्टीम और डिस्टिलेशन प्रोसेस की जाती है। इस ऑयल में औषधीय और कीटाणुनाशक गुण होते हैं। इसलिए, यह कई प्रकार की बीमारियों के लिए एक उपयोगी घरेलू उपचार है।

क्या टी ट्री का उपयोग ऑयल छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित है?

टी ट्री ऑयल एक हर्बल उपचार है और इसे केवल शिशुओं पर ऊपरी तौर पर ही इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इस ऑयल का सेवन छोटे बच्चों लिए घातक हो सकता है। इस ऑयल को ऊपर से लगाने से कभी-कभी छोटे बच्चों को गंभीर एलर्जी हो सकती है। इसलिए अपने बेबी को यह ऑयल लगाने से पहले उसके पेडिअट्रिशन से जरूर बात कर लें। 

छोटे बच्चों के लिए टी ट्री ऑयल के फायदे

टी ट्री ऑयल एक हर्बल ऑयल है और सेहत के लिए यह बहुत उपयोगी है। यहाँ पर इसके कुछ फायदे बताए गए हैं, आइए जानें;

1. स्किन इन्फेक्शन को ठीक करता है

यह ऑयल एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक है। इसका उपयोग करने से शिशुओं और बच्चों में स्किन का ऊपरी इन्फेक्शन ठीक हो सकता है । यह घाव, कीड़ों के काटने, डायपर रैशेस आदि समस्याओं को ठीक करने के लिए प्रभावी है।

2. यह घावों को तेजी से भरने में मदद करता है

चोट में लगाने पर इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण घाव के बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं और इसे तेजी से भरने में मदद करते हैं। घाव या चिकन पॉक्स के दाग-धब्बों को भी यह तेल बहुत कम कर देता है। 

3. फंगल इन्फेक्शन का इलाज करता है

टी ट्री ऑयल एंटी फंगल होने की वजह से बच्चों में दाद जैसे फंगल इन्फेक्शन को पूरी तरह से ठीक करने में मदद करता है। यह त्वचा में इन्फेक्शन, रैशेस और बीमारियों का कारण बनने वाले प्रोटोजोआ से संबंधित कई हानिकारक माइक्रोब्स को भी नष्ट करता है। 

4. इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है

त्वचा पर टी ट्री ऑयल लगाने से इम्युनिटी मजबूत रहती है और रोगों से लड़ने के लिए ताकत मिलती है। यह हॉर्मोन और ब्लड सर्कुलेशन को उत्तेजित करता है। इससे छोटे बच्चों में इन्फेक्शन होने का खतरा कम रहता है। 

5. खांसी और जुकाम को ठीक करता है

छोटे बच्चों में सर्दी जुकाम के लिए टी ट्री ऑयल बहुत अच्छा है और यह सांस के मार्ग में रुकावट के उपचार के लिए भी बेहतरीन है। चूंकि इस ऑयल में कफ निकालने के गुण भी हैं इसलिए इसका उपयोग लंबे समय से सर्दी व खांसी के लिए किया जाता रहा है। कफ से निजात पाने के लिए आप सिर्फ इसे बच्चे के सीने और गले पर लगाएं। 

6. ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है

इस ऑयल में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो शरीर के दर्द को कम करने में मदद करते हैं। बच्चे की मांसपेशियों पर यह ऑयल लगाएं जिससे उसे अच्छा लगेगा। यह ऑयल लगाने से सूजन कम होती है और गले की मांसपेशियों का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर रहता है। इससे रिकवरी जल्दी होती है। 

7. त्वचा को स्वस्थ रखता है

यह ऑयल पसीना निकालता है जिससे बच्चे के शरीर से टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और त्वचा भी स्वस्थ रहती है।  

8. स्वास्थ्य ठीक रखता है

बेबी के नहाने के पानी में टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदें मिलाने से उसका स्वास्थ्य ठीक रहता है। इसके बाल्सेमिक गुण बच्चे के पूरे स्वास्थ्य को ठीक रखने में मदद करते हैं।

बेबी के लिए टी ट्री ऑयल का उपयोग कैसे करें

टी ट्री ऑयल मुख्य रूप से कंसन्ट्रेटेड फॉर्म में उपलब्ध होता है। इसे अपनी बेबी की त्वचा पर सीधे न लगाएं। टी ट्री ऑयल को पहले आप कैरियर ऑयल, जैसे ऑलिव ऑयल, मीठे बादाम के तेल या नारियल तेल में मिलाकर ही बच्चे को लगाएं। 

छोटे बच्चों के लिए टी ट्री ऑयल का उपयोग करने के घरेलू उपाय

टी ट्री ऑयल और अन्य एसेंशियल ऑयल से निम्नलिखित समस्याएं दूर हो सकती हैं, आइए जानें;

1. कटने और जलने के इलाज के लिए

अपने बच्चे में कटने और जलने का इलाज करने के लिए, टी ट्री ऑयल का घोल नारियल, ऑलिव ऑयल या आल्मंड ऑयल जैसे कैरियर ऑयल साथ मिलाकर तैयार करें। किसी भी एक चम्मच कैरियर ऑयल में टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदें मिलाएं। इसे लगाने से पहले प्रभावित जगह को पानी से साफ करें और फिर लगाएं। हर दो से तीन घंटे में इसे दोहराएं ताकि घाव तेजी से भरने लगे। 

2. डायपर रैशेस में आराम के लिए

डायपर रैश के इलाज के लिए कोकोनट ऑयल के साथ टी ट्री ऑयल का उपयोग करना बेहतर है। इसे बनाने के लिए 3 बड़े चम्मच कोकोनट ऑयल में टी ट्री ऑयल की 4-5 बूंदें मिलाएं। इसे लगाने से पहले प्रभावित जगह को साफ करें। आप जब भी बच्चे का डायपर बदलें तब इस ऑयल को जरूर लगाएं। इससे छोटे बच्चों में थ्रश भी ठीक होता है। 

3. कीड़े के काटने के इलाज के लिए

यदि बच्चे को किसी कीड़े ने काट लिया है तो आप किसी भी कैरियर ऑयल में टी ट्री ऑयल मिलाकर लगाएं। इसके लिए एक चम्मच कैरियर ऑयल में एक बूंद टी ट्री ऑयल मिलाएं। प्रभावित जगह को साफ करके इस मिश्रण को लगाएं और हर 2-3 घंटे में इसे दोहराएं। टी ट्री ऑयल प्राकृतिक रूप से कीड़े के काटे हुए घाव को ठीक करने में सक्षम है। 

4. क्रैडल कैप के इलाज के लिए

शिशुओं में क्रैडल कैप का इलाज करने के लिए, टी ट्री ऑयल की एक बूंद को एक चम्मच ऑलिव ऑयल में मिलाएं और बच्चे के सिर पर लगाएं। इसे पांच मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें, फिर धो लें।

5. बेबी वाइप सॉल्यूशन बनाने के लिए

आप टी ट्री ऑयल से घर में नियमित उपयोग किया जाने वाला बेबी वाइप सॉल्यूशन बना सकती हैं। मिश्रण को बनाने के लिए पहले एक बड़ा चम्मच बेबी ऑयल लें और इसमें 2-3 बूंद लैवेंडर ऑयल, 2-3 बूंद टी ट्री ऑयल और 2 कप डिस्टिल्ड वॉटर मिलाएं। अब सभी सामग्री को अच्छी तरह मिला लें और उपयोग के लिए एक स्प्रे बोतल में भरकर रख लें। डायपर बदलते समय आप वाइप्स पर इस घोल को डालें और इस्तेमाल करें। 

क्या छोटे बच्चों पर टी ट्री ऑयल का उपयोग करने के कोई साइड इफेक्ट्स हैं?

अन्य घरेलू उपायों की तरह ही टी ट्री ऑयल से भी छोटे बच्चों को कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे;

1. त्वचा में रैशेस

कुछ मामलों में यदि इसका उपयोग टॉपिकल ट्रीटमेंट के रूप में किया जाता है तो इससे बच्चों को एलर्जी भी हो सकती है, जैसे स्किन रैशेस, सूजन, रेडनेस आदि। यद्यपि छोटे बच्चों में डायपर रैशेस को ठीक करने के लिए टी ट्री ऑयल का उपयोग किया जाता है पर यदि बच्चे की त्वचा सेंसिटिव है तो इससे रैशेस बढ़ भी सकते हैं। यदि बेबी को एक्जिमा है तो उसके लिए टी ट्री ऑयल का उपयोग करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इससे स्किन ड्राई हो जाती है और इससे गंभीर रूप से जलन होने लगती है। 

2. एलर्जी

यदि इसे कंसन्ट्रेटेड रूप में उपयोग किया जाता है तो बेबी की त्वचा में जलन होने लगती है, उसकी त्वचा की रंगत बदलने लगती है और उसका पाचन खराब हो सकता है। यह ऑयल थोड़ा सा लगाने पर भी बेबी को डर्मेटाइटिस या गंभीर रूप से छाले हो सकते हैं। कुछ मामलों में इस ऑयल का उपयोग नहीं करना चाहिए। 

3. प्रीप्यूबर्टल गाइनेकोमास्टिया

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ साइंसेज (एनआईईएचएस) के अनुसार प्रीप्यूबर्टल गाइनेकोमास्टिया और टी ट्री व लैवेंडर ऑयल युक्त उत्पादों में एक संबंध है। यह एक बहुत दुर्लभ समस्या है जो अक्सर युवा लड़कों में होती है और इससे ब्रेस्ट के टिश्यू बढ़ने लगते हैं।  

बेबी को टी ट्री ऑयल लगाते समय सावधानियां

बच्चे के लिए टी ट्री ऑयल का उपयोग करने से पहले इन सावधानियों को याद रखें:

  • तेल बच्चे के शरीर में कुछ हॉर्मोनल परिवर्तनों को उत्तेजित कर सकता है।
  • इस ऑयल को कैरियर ऑयल के साथ मिलाकर पतला जरूर करें।
  • यह ऑयल टॉक्सिक होता है इसलिए इसे गलती से भी बच्चे के मुंह में न जानें दें क्योंकि यह बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है।
  • बच्चे को यह ऑयल लगाने से पहले उसके डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • यदि टी ट्री ऑयल लगाने के बाद बच्चे में रैशेस, सूजन के लक्षण दिखाई देते हैं तो आप इस ऑयल का उपयोग करना तुरंत बंद कर दें।

6 महीने से कम उम्र के बच्चे विशेषकर लड़कों के लिए इस तेल का उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए क्योंकि इससे हॉर्मोनल असंतुलन हो सकता है। अगर आपको बेबी में रैशेस या सूजन जैसी एलर्जी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो इसका इस्तेमाल तुरंत बंद कर दें। इस बात का ध्यान रखें कि डायपर रैश पर उपाय के लिए यह तेल लगाने से पहले आप इसका उपयोग खुद की बांह पर करके पैच टेस्ट कर लें। 

अगर त्वचा पर ऊपरी तौर पर इस्तेमाल किया जाए तो टी ट्री ऑयल से बच्चों की कई आम समस्याएं खत्म हो सकती हैं। 

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सुरक्षा कटियार

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