शिशु के बॉडी लैंग्वेज को डिकोड करना – आपका बच्चा आपसे क्या कहना चाह रहा है

छोटे बच्चे के बॉडी लैंग्वेज को समझने के 12 इफेक्टिव टिप्स

पहली बार रोने के साथ ही आपका बच्चा आपसे बात करना शुरू कर देता है। शुरुआती कुछ दिनों के लिए, अपनी भूख, नींद, तकलीफ, परेशानी आदि जैसी भावनाओं को वह केवल रो कर ही लोगों को बता सकता है। जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है, तब वह अपने बॉडी लैंग्वेज (शरीर के हाव-भाव) के द्वारा बात करना शुरू कर देता है। लेकिन एक माँ के तौर पर आप यह कैसे समझ सकती हैं, कि बच्चा आपसे क्या कहना चाहता है?  

अपने बेबी के अलग-अलग बॉडी लैंग्वेज में छिपे संकेतों को समझना

एक नई माँ के तौर पर, नवजात शिशु के बॉडी लैंग्वेज को समझना मुश्किल होता है। लेकिन आप में बच्चे के बॉडी लैंग्वेज को समझने की क्षमता का होना जरूरी है। जब शिशु कुछ महीनों का हो जाता है, तब उसके बॉडी लैंग्वेज को समझना इतना मुश्किल नहीं रह जाता है। बेबी के बॉडी लैंग्वेज में छिपे संकेतों को समझने के लिए यहाँ पर एक क्विक गाइड दी गई है। 

1. पैरों को हवा में किक करना

यह बच्चे के शुरुआती संकेतों में से एक है, कि वह आपसे बात करने की कोशिश कर रहा है। 

इसका क्या मतलब है

अगर आप अपने बच्चे को ऐसा करता हुआ देख रही हैं, तो इसका मतलब है, कि वह बहुत खुश और उत्साहित है। यह उत्साह आपको देखकर या किसी ऐसी चीज को देखकर हो सकता है, जिससे उसे खुशी मिलती है, जैसे पानी, उसका कोई पसंदीदा खिलौना या फिर उसका खाना (अगर वह भूखा हो तो)। 

ऐसे में क्या करें 

हवा में किक करने से बच्चे की मांसपेशियों का विकास होगा, जिससे उसे आगे चलकर रेंगने में मदद मिलेगी। इसलिए उसे खुश करने वाली चीजें सामने लाकर, उसे हवा में पैरों को किक करने के लिए प्रोत्साहित करें। 

2. अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाना

हो सकता है, कि आप उसे दूध पिला रही हों या उससे बात करने की कोशिश कर रही हों, लेकिन वह आपकी ओर नहीं देखता है। तो क्या आपका बच्चा आपको नजरअंदाज कर रहा है या आपसे नाराज है? 

इसका क्या मतलब है

इसके दो अर्थ हो सकते हैं। पहला अर्थ हो सकता है, कि वह यह समझने की कोशिश कर रहा है, कि उसके आसपास क्या हो रहा है और दूसरा अर्थ हो सकता है, कि उसके अकेलेपन में दखलअंदाजी करने के लिए वह आपसे गुस्सा है। 

ऐसे में क्या करें 

थोड़ी देर के लिए उसे अकेला छोड़ दें। उसे चीजों को समझने दें। हो सकता है, उसने दीवार पर कोई छिपकली देखी हो और वह जानना चाहता हो, कि वह क्या है। या फिर हो सकता है, कि वह आईने में खुद को देख कर आश्चर्यचकित हो। एक बार जब उसकी उत्सुकता शांत हो जाती है, तो फिर वह वापस आपके पास आ जाएगा। 

अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाना

3. पीठ अकड़ाना 

कुछ शिशु दूध पिलाने के दौरान या गोद में होने के दौरान अपनी पीठ को घुमा कर अकड़ने लगते हैं। बच्चे के ऐसा करने के कई कारण हो सकते हैं।

इसका क्या मतलब है

अगर बच्चा फीडिंग के बीच में ऐसा करता है, तो इसका यह मतलब हो सकता है, कि वह अब और दूध नहीं पीना चाहता है। इसका यह मतलब भी हो सकता है, कि बच्चे को कोलिक है या वह जीईआरडी या एसिड रिफ्लक्स जैसी डाइजेस्टिव बीमारियों से परेशान है। थोड़े बड़े बच्चे नाराजगी, थकावट या परेशानी में भी अपनी पीठ को घुमाकर अकड़ाने लगते हैं।

कभी-कभी ऑटिज्म, रुमिनेशन डिसऑर्डर या करनिक्टेरस जैसी बीमारियों से ग्रस्त शिशु भी अपनी पीठ को अकड़ाते हुए देखे जाते हैं। 

ऐसे में क्या करें 

आप बस उसे शांत करने की कोशिश करें। आप उसे बाहर घुमा कर या कुछ आकर्षक चीजें दिखाकर उसके ध्यान को भटका सकती हैं। अगर उसे नींद आ रही हो, तो आप उसकी पीठ को धीरे-धीरे थपथपा सकती हैं या उसे झुला भी सकती हैं। अगर उसका रोना जारी रहता है, तो तुरंत एक पेडिअट्रिशन से परामर्श लें। 

4. बाहों को फैलाना

बच्चों का खुले हाथों और उंगलियों के साथ बाहों को फैलाना एक अच्छा संकेत है। 

इसका क्या मतलब है

इसका मतलब है, कि आपका नन्हा सा बच्चा खुश है और अच्छे मूड में है। लेकिन अगर बच्चे ने अभी-अभी बैठना सीखा है, तो इसका यह अर्थ हो सकता है, कि वह सीधा बैठने के दौरान बाहों को फैला कर अपना संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। 

ऐसे में क्या करें 

आप दोनों को ही इस पल का आनंद उठाना चाहिए। उसे एक पार्क में ले जाएं या कहीं टहलने के लिए ले जाएं। अगर बच्चा अच्छे मूड में हो, तो आप उसे लेकर शॉपिंग के लिए भी जा सकती हैं। उसे सामने आने वाली नई-नई चीजों को देखने-समझने में मजा आएगा और आपको खरीदारी के लिए थोड़ा समय भी मिल जाएगा। 

अगर आपका बच्चा बैठने के दौरान बाहें फैलाकर, अपना संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है, तो उसे हाथ का सहारा दें। या फिर आप उसके आस-पास बहुत सारे तकिए और कुशन भी रख सकते हैं, ताकि अगर उसका संतुलन बिगड़ जाए तो भी उसे चोट न पहुँचे। 

बाहों को फैलाना

5. मुट्ठियां कसना

ऐसा करते हुए बच्चे रो भी सकते हैं और नहीं भी रो सकते। 

इसका क्या मतलब है

मुट्ठियाँ कसना एक संकेत है, कि बच्चा भूख से बहुत ज्यादा परेशान है। 

ऐसे में क्या करें 

अगर आप अपने बच्चे को ऐसा करता हुआ देखती हैं (अगर वह न भी रो रहा हो) तो निश्चित रूप से आपको तुरंत बच्चे को खाना खिलाना चाहिए। 

6. घुटनों को मोड़ना

कभी-कभी बच्चे दोनों घुटनों को मोड़कर पेट की ओर ले आते हैं। 

इसका क्या मतलब है

घुटनों को मोड़ कर पेट के पास लाना इस बात का संकेत है, कि उसे कब्ज, गैस या पेट की ऐसी ही कोई तकलीफ हो रही है। 

ऐसे में क्या करें 

बच्चे को धीरे से डकार दिलाकर और उसकी पीठ को थपथपाकर, आराम दिलाने की कोशिश करें। अगर आप उसे दूध पिलाती हैं, तो ऑयली और मसालेदार खाना खाने से बचें, क्योंकि इससे बच्चे को गैस, एसिड रिफ्लक्स या कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर ये संकेत बने रहते हैं, तो पेडिअट्रिशन से परामर्श लें। 

घुटनों को मोड़ना

7. कान पकड़ना

आमतौर पर, बच्चे ऐसा तब करते हैं, जब वे अपने शारीरिक अंगों का पता लगाने की कोशिश कर रहे होते हैं। लेकिन इनका अर्थ कुछ और भी हो सकता है। 

इसका क्या मतलब है

अपने कानों को ढूंढने के अलावा, यह कान में इन्फेक्शन के कारण होने वाले दर्द और तकलीफ का एक संकेत भी हो सकता है। दाँत निकलने के दौरान भी बच्चों को ऐसा करता हुआ देखा गया है। 

ऐसे में क्या करें 

अगर आपके बच्चे के दाँत नहीं आ रहे हों, तो आप उन्हें एक पेडिएट्रिक ईएनटी स्पेशलिस्ट के पास ले जाकर चेकअप करवा सकते हैं। 

8. आँखों को मलना

अक्सर आँखों को मलने के बाद, एक बड़ी सी जम्हाई और कभी-कभी रोना भी देखा जाता है। 

इसका क्या मतलब है

इसका मतलब है, कि वह थका हुआ है और सोना चाहता है। 

ऐसे में क्या करें 

उसे थोड़ी देर के लिए झुलाएं और हल्के-हल्के थपथपाएं। वह जल्दी ही सो जाएगा। अगर वह रो रहा हो, तो आप पहले उसे शांत करने के लिए लोरी या कोई मीठा संगीत गा कर सुना सकती हैं और अगर उसे नींद नहीं आ रही है, तो आपको उसकी आँखों में इंफेक्शन की जांच करनी चाहिए और डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। 

आँखों को मलना

9. अपना सिर पीटना

बच्चों में सिर पीटना एक आम बात है और इसमें कुछ भी चिंताजनक नहीं है। ऐसा लड़कियों की तुलना में लड़कों में अधिक देखा जाता है। 

इसका क्या मतलब है

देखने में यह डरावना लग सकता है और बच्चों को सिर पीटता हुआ देख आप भी परेशान हो सकती हैं। लेकिन यह बच्चों की केवल एक टेक्निक है, जिससे वे खुद को आराम दिलाते हैं। कभी-कभी इसका अर्थ यह भी हो सकता है, कि बच्चे को दर्द हो रहा है। 

ऐसे में क्या करें 

अगर बच्चे को सिर पीटने की आदत है, तो इस बात का ध्यान रखें, कि वह किसी दीवार के आसपास न हो। अगर वह अपने क्रिब की रेलिंग पर अपना सिर पीटता है, तो उस पर कुशन लगवा दें या पैडिंग करवा दें। आप उसे कोई कहानी सुना कर, उसके लिए गाना गाकर या उसके साथ खेलकर भी उसके ध्यान को भटकाने की कोशिश कर सकती हैं। उसे किसी तरह का दर्द तो नहीं है, यह जानने के लिए, डॉक्टर से बात कर सकती हैं। 

10. चौंकना 

सोने के दौरान बच्चों का चौंकना एक आम बात है। इसके बारे में चिंता करने वाली कोई भी बात नहीं है। यह एक रिफ्लेक्स होता है, जो कि 5-6 महीने की उम्र तक के बच्चों में एक आम बात है। 

इसका क्या मतलब है

इसका मतलब यह हो सकता है, कि वह किसी तेज आवाज या नींद में रुकावट डालने वाली किसी चीज से चौंक गया है। 

ऐसे में क्या करें 

हर तरह की बाहरी आवाज को ब्लॉक करने की कोशिश करें। बच्चे को हल्की आवाज वाले कमरे में सुलाएं, जैसे टेलीविजन या रेडियो की आवाज को सामान्य रखकर या फोन पर बात करते हुए, ताकि बच्चे को इसकी आदत हो जाए।

चौंकना 11. किक करना और तेज व जल्दी-जल्दी सांस लेना

हम वयस्कों की तरह ही, बच्चे भी उत्साहित होने पर कुछ करना चाहते हैं। जब बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं, तो वे किक करते हैं और तेज सांस लेते हैं। 

इसका क्या मतलब है

इसका मतलब है, कि बच्चा खुश है और किसी बात से उत्साहित है। वह किसी चीज या किसी व्यक्ति को देखकर या कोई मनचाहा काम कर पाने के कारण खुश है। 

ऐसे में क्या करें 

अपने बच्चे को खुश देख कर उसके साथ बेबी टॉक करें। उसके साथ खेलें और उतने ही उत्साह के साथ उस पर प्रतिक्रिया दें। 

12. उंगलियां चूसना

बच्चे का उंगली या मुट्ठी चूसना, अक्सर उसके भूखे होने को दर्शाता है। पर हर बार ऐसा ही हो यह जरूरी नहीं है। 

इसका क्या मतलब है

अगर आपका बच्चा भूखा नहीं है, तो इसका यह मतलब हो सकता है, कि वह सोने से पहले खुद को आराम दिलाने की कोशिश कर रहा है। 

ऐसे में क्या करें 

पहले चेक करें, कि क्या यह उसके खाने का समय है। अगर ऐसा नहीं है, तो उसे कोई गाना या लोरी गा कर सुनाएं और उसे हल्के हाथों से थपथपा कर सुला दें। 

उंगलियां चूसना

अपने बच्चे की बॉडी लैंग्वेज को समझना वह पहली चीज है, जिसे आपको एक माँ के तौर पर सीखना चाहिए। इससे न केवल आपको उसके बेहतर पालन पोषण में मदद मिलेगी, बल्कि इससे आपके और बच्चे के बीच का संबंध भी मजबूत बनेगा।