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तिल का तेल सबसे पुराना ऑयल सीड क्रॉप है। इसमें चिकनाई बहुत अधिक होती है और यह काफी पौष्टिक भी होता है। इसमें विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स, विटामिन ‘ए’ और विटामिन ‘डी’ के साथ-साथ फॉस्फोरस जैसे कई मिनरल्स और कैल्शियम और प्रोटीन भी पाए जाते हैं, जो कि आसानी से अब्जोर्ब किए जा सकते हैं। यह सेंसिटिव स्किन के लिए बहुत अच्छा होता है और यह एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी वायरल गुणों से भरपूर होता है।
यह एक एडिबल वेजिटेबल ऑयल है, जिसे तिल के बीज से निकाला जाता है। इसकी एक खास नटी खुशबू होती है। यह ओलेइक और लिनोलेइक एसिड से समृद्ध होता है। इसकी चिकनाई, औषधीय गुणों और पौष्टिक गुणों के कारण इसे हाईली रिकमेंड किया जाता है।
6 महीने की उम्र से जब बच्चे ठोस आहार की शुरुआत करते हैं, तब उन्हें तिल के तेल युक्त खाना देना बिल्कुल सुरक्षित होता है। तिल से होने वाली एलर्जी, बच्चों में बहुत कम सुनी जाती है। अगर बच्चे के खाने में तिल के तेल को शामिल किया जाए, तो सेवन किए गए पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है।
बच्चे के भोजन में तिल का तेल 6 महीने की उम्र से दिया जा सकता है। लेकिन कुछ लोग बच्चे की उम्र 1 साल होने के बाद ही इसे देना रेकमेंड करते हैं। बच्चे का डाइजेस्टिव सिस्टम, तिल का तेल पचाने के लिए तैयार होना जरूरी है। अगर नई मां अपने भोजन में तिल का तेल शामिल करती है, तो ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मां के दूध के द्वारा तिल के तेल का फायदा बच्चे को भी मिल सकता है।
अगर आपके परिवार में, तिल के तेल से एलर्जी का इतिहास रहा है या आपके बच्चे में फूड एलर्जी के कोई लक्षण नजर आते हैं, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लिए बिना बच्चे को तिल का तेल नहीं देना चाहिए। अगर आपको बच्चे में घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई, रैश या सूजन जैसे कोई लक्षण दिखते हैं या एग्जिमा या अस्थमा दिखता है, तो आपको उसे तिल का तेल देने से पहले डॉक्टर से इजाजत लेना जरूरी है।
बच्चे के भोजन में तिल का तेल शामिल करने से, उसके पोषक तत्व बढ़ जाते हैं, जो कि बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
तिल बच्चों के साथ साथ बड़ों के लिए भी काफी नुट्रिशयस है, इसलिए यह बैलेंस्ड डाइट का भी एक जरूरी हिस्सा है। यह बच्चे के संपूर्ण विकास में मदद करता है और बच्चे को लीवर और दिल की बीमारियों से बचाता है। इसके बहुत से फायदे और उपयोग होते हैं, जो इसे किसी भी अन्य तेल का एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं।
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