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आपके बच्चे का सुनाई देने से संबंधित विकास होना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि हियरिंग एक ऐसा सेंस है, जो बच्चे को बातचीत करने में मदद करता है। बच्चे आवाजें सुनकर उनकी नकल करना शुरू कर देते हैं, और इस प्रकार, उनकी बोलने की क्षमता बेहतर होती जाती है। वे अपने कम्फर्ट के लिए अपने पेरेंट्स की आवाज भी सुनना पसंद करते हैं। हियरिंग डेवलपमेंट बच्चे के विकास का एक अहम हिस्सा है। इसका मतलब यह नहीं है कि यदि बच्चा नहीं सुन सकता है तो उसकी ग्रोथ नहीं होती है, इसका मतलब यह है जब उनमें यह डेवलपमेंट समय से होता है, तो वे तेजी से बढ़ते हैं।
बच्चों में डेवलप होने वाला पहला सेंस ‘सुनना’ ही होता है। यहाँ तक कहा जाता है कि बच्चे में सुनने की क्षमता उसके पैदा होने के पहले से ही विकसित हो जाती है। यही कारण है कि बहुत सारे पेरेंट प्रेगनेंसी के समय सॉफ्ट म्यूजिक या अपने मनपसंद गाने चलाना पसंद करते हैं। पैदा होने से पहले बच्चे द्वारा साउंड के प्रति रिएक्शन देना, बच्चे के पैदा होने के बाद पूरी तरह से विकसित हो जाता है। भले ही बच्चे में सुनने की क्षमता पहले महीने के अंदर डेवलप हो जाती है, लेकिन वो इस पर रिस्पांड करना बाद में शुरू करता है। आप उसे अलग-अलग आवाजों में रिएक्ट करते हुए नोटिस करेंगी, जैसे जब आप बच्चे को गुनगुनाते हुए सुलाने का प्रयास करेंगी तो वह शांत हो जाएगा और रोना बंद कर देगा। इस तरह जब आप उससे बात करेंगी तब वह शांत हो जाएगा।
यह जानने के लिए कि बच्चा ठीक से सुन रहा है या नहीं इसके लिए आप स्क्रीनिंग प्रोसेस की मदद ले सकती हैं, जिसे ओटाकॉस्टिक इमिशन (ओएइ) कहा जाता है। यह टेस्ट डिलीवरी के तुरंत बाद किया जाता है जब आपका बच्चा हॉस्पिटल में ही होता है। अगर आप इस बात को लेकर डाउट में हैं कि बेबी ठीक से सुन पाता है या नहीं, तो अपने डॉक्टर से बात करें। वह आपसे बच्चे के ऑडिटरी स्क्रीनिंग का रिजल्ट शेयर करेंगे और अगर उन्हें लगता है कि इसकी पुष्टि के लिए दूसरी स्क्रीनिंग की जरूरत है तो वह ऐसा कर सकते हैं।
यह मुश्किल सवालों में से एक है जिसका जवाब लोग जानना चाहते हैं, और वह यह है कि बच्चे पहली बार कब सुनना शुरू करते हैं। इसका जवाब देना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि जैसा आपको पहले भी बताया गया है कि बच्चे के अंदर हियरिंग डेवलपमेंट गर्भ से हो जाता है, इसलिए बच्चे पहली बार सुनना कब शुरू करते हैं इसका सटीक समय नहीं बताया जा सकता। लेकिन, आप नोटिस करेंगी कि जब बच्चा आवाजों को सुनता है तो किक मारता है या जब परिचित आवाजों को सुनता है तो रिएक्ट करता है। जैसे जब बच्चा आपके पार्टनर की आवाज सुनता है, तो रिएक्ट करता है। बच्चे के जन्म के बाद यह डेवलपमेंट 4-7 हफ्तों के अंदर पूरी तरह से हो जाता है।
जन्म के बाद पहले वर्ष के लिए आपके बच्चे के सुनने की क्षमता को मॉनिटर करना बहुत जरूरी है। यहाँ आपको बताया गया है कि हियरिंग डेवलपमेंट के दौरान क्या-क्या होता है।
आपके पास कई ऐसे तरीके हैं, जो बच्चे के सुनने की क्षमता को बेहतर करने में मदद करते हैं। यहाँ आपको कुछ टिप्स दी गई हैं, जो इस प्रकार हैं:
यह मुश्किल हो सकता है। शुरुआत में बच्चे को लगभग 3 महीने लगते हैं आवाजों पर रिएक्ट करने के लिए। पहले 3 महीनों में आपको यह सुझाव दिया जाता है कि जितना हो सके बच्चे को तेज आवाज से दूर रखें। 3 महीने के बाद बच्चा तेज आवाज सुन कर रोने लगेगा। जैसे-जैसे वह बड़ा होने लगेगा, तेज आवाज के प्रति उसका रिएक्शन बदलता जाएगा। छह महीने की उम्र के बाद कुछ बच्चे रो सकते हैं, कुछ चौंक सकते हैं और कुछ बेहद शांत हो सकते हैं। अगर बच्चा मूव कर सकता होगा तो तेज आवाज सुनने पर उस जगह से हिलने की कोशिश करेगा।
ऐसे कई फैक्टर हैं जिनकी वजह से बच्चे की सुनने की क्षमता प्रभावित होती है, जो यहाँ दिए गए हैं:
ऊपर बताई गई इन स्थितियों के संपर्क में आने से यह आपके बच्चे के सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। जिस स्थिति में आपका बच्चा इन कारकों के संपर्क में आता है, यह उसकी हियरिंग एबिलिटी को अस्थायी या स्थायी रूप से बाधित कर सकता है।
अब यह ज्यादातर सभी हॉस्पिटल में होता है कि बच्चे के जन्म के उसका हियरिंग स्क्रीनिंग टेस्ट कराया जाता है। एक बार जब आप थोड़ा बेहतर हो जाएं तो ऑडिटरी स्क्रीनिंग टेस्ट रिजल्ट के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं। अगर उन्होंने अभी यह टेस्ट नहीं किया है तो ध्यान दें कि आपके हॉस्पिटल छोड़ने से पहले यह टेस्ट करा लें। घर जाने के बाद आप बताई गई गाइडलाइंस को फॉलो करते हुए बच्चे का आवाजों के प्रति रिएक्शन देखकर घर पर ही हियरिंग टेस्ट कर सकती हैं।
सबसे पहला रूल जो आपको समझना चाहिए वो यह है कि बच्चा जन्म के बाद से ही सुनना शुरू कर देता है। अगर हॉस्पिटल में बच्चे का स्क्रीनिंग टेस्ट रिजल्ट ठीक नहीं आता है या उसे सुनने में परेशानी हो रही है तो मेडिकल हेल्प लें।
बच्चों में जन्म के बाद 1-2 महीने के अंदर पूरी तरह से ऑडिटरी सिस्टम डेवलप हो जाता है। ऊपर बताई गई टिप्स के अनुसार आप अपने बच्चे की सुनने की क्षमता को बढ़ा सकती है।
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