कब्ज अक्सर बच्चों व बड़ों, दोनों को होती है। ज्यादातर फाइबर-युक्त सही डायट लेने से पाचन ठीक होने में मदद मिलती है। कुछ मामलों में डॉक्टर इस फंक्शन के लिए लैक्सेटिव प्रिस्क्राइब करते हैं। पर यदि पॉटी पूरी तरह से टाइट है तो इसे निकालना बहुत कठिन होता है। ऐसी समस्या होने पर बच्चे को एनिमा देना जरूरी होता है। 

क्या बच्चों के लिए एनिमा सुरक्षित है?

एनिमा बाहर से एक इनवेसिव प्रोसेस लगता है। बच्चे के कोलन में उल्टी दिशा में फ्लूइड जाने देना भी नॉन-बायोलॉजिकल है पर बच्चों के लिए एनिमा पूरी तरह से सेफ है। एनिमा का उपयोग तब किया जाता है जब बॉवल की समस्या को ठीक करने के सभी उपचार अपनाने से कोई भी फायदा नहीं होता है। हालांकि बच्चे के लिए इसका उपयोग करने से पहले आप एक बार डॉक्टर से बात जरूर कर लें। यदि बच्चे को गंभीर रूप से कब्ज हुआ है तो डॉक्टर आपको एनिमा लगाने का सही तरीका बता सकते हैं। डॉक्टर आपको यह भी बताएंगे कि बच्चे को कब और किस स्थिति में एनिमा दें। 

एनिमा कैसे काम करता है?

एनिमा एक प्रोसेस है जो पेट को खुद से साफ होने में मदद करता है। यह रेक्टम से फ्लूइड को अंदर डालकर पॉटी को सॉफ्ट करने में मदद करता है। अक्सर इस प्रोसेस में ट्यूब का उपयोग किया जाता है। जब फ्लूइड बॉवल में आ जाता है तो इसमें मौजूद हार्ड पॉटी प्रभावी रूप से सॉफ्ट हो जाती है। इससे बॉवल से पॉटी निकलने में बहुत आसानी होती है व बच्चे को दर्द या तकलीफ भी नहीं होती है। 

एनिमा के प्रकार

आमतौर पर विशेष फ्लूइड का उपयोग करके बच्चों को तीन प्रकार के एनिमा दिए जाते हैं। यह मिनरल ऑयल, सेलाइन सॉल्यूशन और फॉस्फेट सॉल्यूशन हैं। फॉस्फेस्ट सॉल्यूशन देते समय आपको ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इसे बिलकुल सही मात्रा में देने की सलाह दी जाती है। यदि इसका डोज उतना नहीं है जितना होना चाहिए तो इससे बच्चे को परेशानी हो सकती है। 

एनिमा का मिनरल ऑयल विशेष डोज के साथ आता है जो बच्चे की आयु के अनुसार ही होना चाहिए। सेलाइन सॉल्यूशन मेडिकल स्टोर से भी खरीदा जा सकता है या यह घर में भी बनाया जा सकता है। इसे ठीक से बनाने के लिए आपको सही मात्रा में गुनगुने पानी व नमक की जरूरत होगी। फॉस्फेट सॉल्यूशन बेस्ड एनिमा मेडिकल स्टोर में भी उपलब्ध हैं और यह इससे संबंधित सभी चीजों के साथ मिलता है। 

बच्चे को एनिमा कैसे दें?

बच्चों के लिए एनिमा का उपयोग पहले सिर्फ डॉक्टर ही करते हैं ताकि इसे बेस्ट तरीके से लगाने का एक आइडिया मिल सके। इसके बाद एनिमा देना पहले जितना कठिन नहीं लगता है। 

आवश्यक चीजें

  • एनिमा बोतल
  • गुनगुना पानी
  • मिनरल ऑयल
  • एनिमा ट्यूब जिसकी नोक सॉफ्ट होनी चाहिए
  • ग्लव्स
  • छोटा लुब्रिकेंट

स्टेप्स

  • सबसे पहले एनिमा बोतल खोलें और ट्यूब को इसके ऊपरी हिस्से से कनेक्ट करें। अब इसका उपयोग करके गुनगुना पानी व मिनरल ऑयल भर लें। यह एनिमा किट के साथ ही मिलेगा। आप ट्यूब के दूसरे छोर में एनिमा के लिए टिप फिक्स कर लें और एनिमा का अरेंजमेंट तैयार है।
  • बच्चे को करवट से लिटाएं व आराम करने दें। उसके दाहिने पैर को सीने की ओर ले जाएं और एनस को बाहर की तरफ करें।
  • अच्छी तरह से ग्लव्स पहनें और ट्यूब पर लगी टिप में लुब्रिकेंट लगाएं।
  • अब आप बहुत आराम से टिप को बच्चे के एनस में लगाएं। उसे थोड़ा सा अजीब लगेगा और वह हिलेगा या रोना शुरू कर देगा। बच्चे को शांत करें और बच्चे के एनस में अच्छी तरह से टिप डालें।
  • आप बच्चे के शरीर में लिक्विड पहुँचाने के लिए एनिमा बोतल को दबाना शुरू करें। इससे बच्चे के कोलन तक फ्लूइड पहुँचेगा।
  • टिप निकालें और बच्चे को लगभग 20 मिनट के लिए आराम दें। इतने समय में बॉवल में मौजूद टाइट पॉटी सॉफ्ट हो जाएगी। यदि बच्चा बहुत छोटा है तो वह पॉटी पर प्रभाव पड़ने से पहले ही शरीर से फ्लूइड को निकाल सकता है। इस मामले में आप उसके हिप्स को एक साथ होल्ड करें ताकि उसे थोड़ी देर के लिए पॉटी जाने की आवश्यकता महसूस न हो।
  • एक बार समय पूरा होने के बाद बच्चे को पॉटी करने के लिए जाने दें।

टिप्स

छोटे बच्चों के लिए बॉवल में लिक्विड होल्ड कर पाना कठिन होता है। बच्चा अपेक्षित समय पूरा होने से पहले ही टॉयलेट जा सकता है। यदि ऐसा हो तो आप उसे लगातार गहरी सांस लेने व छोड़ने के लिए कहें। इससे पॉटी के दौरान स्ट्रेस कम होगा और यह थोड़ी देरी से होगी। 

बच्चे को एनिमा देते समय ध्यान देने योग्य सावधानियां

बच्चे को एनिमा देने से पहले निम्नलिखित कुछ बातों पर ध्यान दें, जैसे; 

  • इस बात का ध्यान रखें कि इंजेक्शन ठीक से व पर्याप्त मात्रा में लुब्रिकेटेड होना चाहिए। बच्चे को सुई लगाते समय जबरदस्ती करने का प्रयास न करें। इससे एनल टिश्यू फटकर डैमेज हो सकता है और इसमें दर्द भी होगा। बच्चे के एनस में सुई लगाते समय उसे रिलैक्स रहने दें व शांत करें। बच्चे के रिलैक्स होते ही इसे तुरंत लगाया जाएगा।
  • यदि बच्चा 2 साल से कम उम्र का है तो बहुत दुर्लभ मामलों में एनिमा दिया जाता है। हालांकि कुछ गंभीर मामलों में जरूरत पड़ने पर डॉक्टर इसे आगे भी करने की सलाह दे सकते हैं।
  • यद्यपि एनिमा से बच्चों में कब्ज ठीक होता है पर इसकी आदत नहीं लगनी चाहिए। एनस में लगातार टिप डालने से, भले ही यह लुब्रिकेटेड हो, बच्चे को परेशानी और टिश्यू में डैमेज हो सकता है। इसके अलावा बॉवल ठीक करने के लिए बच्चे का शरीर एनिमा पर निर्भर हो जाएगा जिसकी वजह से मेकैनिज्म का खुद से कोई विकास नहीं होगा।
  • यदि बच्चे को उल्टियां होती हैं या उसमें मतली, सूजन, पेशाब या पॉटी कम होने के लक्षण दिखाई देते हैं और साथ ही दर्द भी होता है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं ताकि यह समस्या गंभीर रूप से न बढ़े।

बच्चों के लिए एनिमा वह अंतिम कोर्स है जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी भी तरह से बच्चे की पॉटी ठीक न हो रही हो। इसे देते समय बिलकुल भी न घबराएं विशेषकर तब, जब डॉक्टर ने इसकी सलाह दी हो। कुछ एनिमा बॉवल फंक्शन को ठीक करने में मदद करते हैं और आपका बच्चा पहले जैसे ही पूरी तरह ठीक हो जाता है। 

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