In this Article
- बच्चों को खुबानी (एप्रीकॉट) देना कब शुरू करें
- खुबानी (एप्रीकॉट) की न्यूट्रिशनल वैल्यू
- बच्चों के लिए खुबानी (एप्रीकॉट) के फायदे
- बच्चों के लिए खुबानी कैसे चुनें
- बेबी फूड के लिए खुबानी कैसे स्टोर करें
- क्या बच्चों के लिए खुबानी छीलने की जरूरत है?
- बच्चों को खुबानी खिलाने के तरीके
- क्या खुबानी से बच्चों को एलर्जी हो सकती है?
- बच्चों को खुबानी खिलाते समय बरतने योग्य सावधानियां
- बच्चों के लिए खुबानी (एप्रीकॉट) की रेसिपीज
खुबानी को इसके बेहतरीन स्वाद के लिए जाना जाता है। इन फलों को फ्रेश या ड्राई फ्रूट के रूप में भी खाया जा सकता है। खुबानी बीटा कैरोटीन, ल्यूटिन, अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर व विटामिन ‘सी’ से भरपूर हैं और इससे स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे भी मिलते हैं। पर क्या बच्चों के लिए भी यह फल सुरक्षित है? जानने के लिए आगे पढ़ें।
बच्चों को खुबानी (एप्रीकॉट) देना कब शुरू करें
खुबानी बच्चों के लिए एक बेहतरीन फिंगर फूड भी हो सकता है और आप 6 महीने से बड़ी उम्र के बच्चे को यह फल प्यूरी के रूप में भी खिला सकती हैं। हालांकि यदि आप चाहें तो 4 महीने की उम्र के बच्चे को खुबानी खिलाना शुरू कर सकती हैं पर यह करने से पहले एक बार पीडियाट्रिशन से संपर्क जरूर करें।
खुबानी (एप्रीकॉट) की न्यूट्रिशनल वैल्यू
पके हुए मीठे खुबानी में न्यूट्रिशन, मिनरल और विटामिन भरपूर होता है।
100 ग्राम खुबानी की न्यूट्रिशन वैल्यू
कैलोरी | 48 |
कार्बोहाइड्रेट | 11 ग्राम |
प्रोटीन | 1.4 ग्राम |
फाइबर | 2 ग्राम |
फैट | 0.4 ग्राम |
विटामिन ए | 180 माइक्रोग्राम |
विटामिन बी6 | 0.054 मिलीग्राम |
विटामिन सी | 10 मिलीग्राम |
विटामिन इ | 0.089 मिलीग्राम |
विटामिन के | 3.3 माइक्रोग्राम |
कैल्शियम | 13 मिलीग्राम |
आयरन | 0.39 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 10 मिलीग्राम |
फॉस्फोरस | 23 मिलीग्राम |
पोटेशियम | 259 मिलीग्राम |
सोडियम | 1 मिलीग्राम |
जिंक | 0.20 मिलीग्राम |
स्रोत: http://nutritiondata.self.com/facts/fruits-and-fruit-juices/1827/2
100 ग्राम सूखी खुबानी की न्यूट्रिशन वैल्यू
कैलोरी | 241 |
कार्बोहाइड्रेट | 63 ग्राम |
प्रोटीन | 3.4 ग्राम |
फाइबर | 7 ग्राम |
फैट | 0.5 ग्राम |
विटामिन ए | 180 माइक्रोग्राम |
विटामिन बी6 | 0.143 मिलीग्राम |
फोलेट (बी9) | 10 माइक्रोग्राम |
विटामिन सी | 1 मिलीग्राम |
विटामिन इ | 4.33 मिलीग्राम |
विटामिन के | 3.1 माइक्रोग्राम |
कैल्शियम | 55 मिलीग्राम |
आयरन | 2.66 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 32 मिलीग्राम |
फॉस्फोरस | 71 मिलीग्राम |
पोटेशियम | 1162 मिलीग्राम |
सोडियम | 10 मिलीग्राम |
जिंक | 0.29 मिलीग्राम |
स्रोत: http://nutritiondata.self.com/facts/fruits-and-fruit-juices/1838/2
बच्चों के लिए खुबानी (एप्रीकॉट) के फायदे
यहाँ पर खुबानी खाने के कुछ फायदे बताए गए हैं, आइए जानें;
1. इम्युनिटी बढ़ती है
खुबानी में विटामिन ‘ए’ भरपूर है इसलिए इससे बच्चे की दृष्टी में सुधार होता है। इसमें विटामिन ‘सी’ और ‘इ’ भी है जिससे बच्चों की इम्युनिटी बढ़ती है और उन्हें सर्दी, जुकाम व बुखार नहीं होता है।
2. पेट साफ होता है
बच्चे को खुबानी खिलाने से उसकी कब्ज की समस्या ठीक हो सकती हैं। इस फल में मौजूद डायट्री फाइबर से बॉवल मूवमेंट में मदद मिलती है। बच्चों को इसका 6 से 8 हिस्सा देने से उसका पेट ठीक रहता है और कब्ज से भी राहत मिलती है क्योंकि खुबानी में पेक्टिन और सेल्यूलोज है जो माइल्ड लैक्सेटिव होता है।
3. दिल स्वस्थ रहता है
खुबानी से खराब कोलेस्ट्रॉल कम होने में मदद है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है जिससे दिल हेल्दी रहता है। इसके अलावा खुबानी में पोटेशियम भी होता है जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट के स्तर को बनाए रखता है और दिल की मांसपेशियां सही रहती हैं।
4. इन्फेक्शन ठीक होता है
खुबानी में विटामिन ‘ए’ भरपूर है जिससे आंतों के कीड़े नष्ट होने में मदद मिलती है। इस फल में मौजूद विटामिन ‘सी’ से शरीर का इम्यून मजबूत होता है और हर प्रकार के पैरासिटिक इन्फेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है। इसके अलावा खुबानी में मौजूद फाइबर से कीड़े कम होने लगते हैं और साथ ही बॉवल संबंधी समस्याएं भी ठीक हो जाती हैं।
5. दिमाग बढ़ने में मदद करता है
खुबानी में मैग्नीशियम और पोटेशियम बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है और इन मिनरल से बच्चे के दिमाग का विकास होता है।
6. बुखार और त्वचा के रैशेज ठीक होते हैं
खुबानी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिससे बच्चों का बुखार और त्वचा की समस्याएं ठीक होने में मदद मिलती है। पानी में खुबानी का जूस और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से बच्चे का बुखार, जुकाम, सर्दी और त्वचा में मौजूद रैशेज भी ठीक हो जाते हैं।
7. रेस्पिरेटरी से संबंधित समस्याएं ठीक होती हैं
चूंकि खुबानी का तेल एंटी-इंफ्लेमेटरी है और इसमें बहुत सारे गुण होते हैं इसलिए इससे रेस्पिरेटरी से संबंधित समस्याएं नहीं होती हैं, जैसे अस्थमा। आपको सिर्फ इस तेल से बच्चे की मालिश करनी है।
बच्चों के लिए खुबानी कैसे चुनें
बच्चे को खुबानी खिलाने से पहले निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें, आइए जानें;
सूखी खुबानी
- आप सूखी हुई ऑर्गेनिक खुबानी खरीदें।
- यदि आप ऑर्गेनिक खुबानी नहीं खरीदती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि नॉन ऑर्गेनिक खुबानी में ऑरेंज रंग बनाए रखने के लिए सल्फर डाय ऑक्साइड का उपयोग न किया गया हो। सल्फर डाय ऑक्साइड से बच्चे को एलर्जी और रेस्पिरेटरी से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
- ऑर्गेनिक खुबानी नॉन ऑर्गेनिक खुबानी से ज्यादा गहरे रंग के होते हैं इसलिए गहरे रंग के खुबानी अच्छे हैं।
कैन्ड खुबानी
- आप खुबानी के ऐसे कैन चुनें जिनमें सिरप न डाला गया हो क्योंकि इससे बच्चा बहुत ज्यादा शुगर खा सकता है।
- यदि आप कैन में मिलने वाला खुबानी का जूस खरीदती हैं तो बिना शुगर वाला ही खरीदें।
फ्रेश खुबानी
- आप ऐसे खुबानी चुनें जिसका रंग सुनहरा हो और साथ ही यह हल्का सा कड़क भी होना चाहिए।
- आप फीके पीले और हरे-पीले खुबानी खरीदने से बचें।
- जो खुबानी बहुत ज्यादा सॉफ्ट और पिलपिला या मुरझाया सा दिखे तो उसे नहीं खरीदना चाहिए।
बेबी फूड के लिए खुबानी कैसे स्टोर करें
खुबानी को स्टोर करने के कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
- यह फल ज्यादा न पकने पाए इसलिए इसे आप फ्रिज में रखें। इससे यह फल एक सप्ताह तक फ्रेश रहेगा।
- यदि खुबानी की प्यूरी या मैश किया हुआ खुबानी बच गया है तो इसे एक नॉन बीपीए कंटेनर में रखकर फ्रिज में 3-4 दिनों तक स्टोर करें।
क्या बच्चों के लिए खुबानी छीलने की जरूरत है?
बच्चे को फिंगर फूड या प्यूरी के रूप में खुबानी खिलाने से पहले इसे छीलने की जरूरत नहीं है। इस फल का छिलका मुलायम होता है और पच सकता है। हालांकि यदि आप बच्चे को छिलके सहित खुबानी नहीं खिलाना चाहती हैं तो इससे छील लें। इसका सबसे आसान तरीका यही है कि पहले आप खुबानी को उबले हुए पानी में डालें और फिर इसे ठंडे पानी में डाल दें। इससे खुबानी का छिलका अपने आप ही निकल जाएगा।
बच्चों को खुबानी खिलाने के तरीके
खुबानी को आप बेक करके पका सकती हैं। इसके लिए पहले आप खुबानी को दो भागों में काटें, उसके बीज निकालें और फिर बेकिंग डिश में एक इंच तक पानी भरके इसे टुकड़ों में काट कर रख दें। आप इसे सॉफ्ट होने तक 400 डिग्री फारेनहाइट पर पकने दें।
आप खुबानी को कुछ मिनट तक स्टीम करके या उबलते हुए पानी में डालकर भी पका सकती हैं। खुबानी को पानी से बाहर निकालने के बाद इसे ठंडे पानी में डालें जिससे इसका छिलका निकल जाएगा। आप इसे लंबा काटें और बच्चे को फिंगर फूड के रूप में खाने के लिए दें या फिर खुबानी को मैश करके चम्मच से बच्चे को खिलाएं।
क्या खुबानी से बच्चों को एलर्जी हो सकती है?
खुबानी से एलर्जी होना दुर्लभ है पर ऐसा होता भी है। बच्चों को खुबानी से एलर्जी होने पर उनके होंठ, चेहरे, जीभ या गले में सूजन आ जाती है और साथ ही मुंह में झुनझुनी सी होती है। कुछ बच्चों को गंभीर रूप से रेस्पिरेटरी समस्याएं भी हो सकती हैं जिसे एनाफायलैक्सिस भी कहते हैं। सूखी खुबानी में सल्फाइड होता है जिससे अस्थमा भी हो सकता है।
यदि बच्चे को बर्च पौलन एलर्जी है तो खुबानी खाने से उसे ओरल एलर्जी सिंड्रोम हो सकता है। यहाँ तक कि अगर खुबानी खाने के बाद बच्चे को कोई भी समस्या नहीं हुई है तब भी उसे अचानक से मुंह और गले में खुजली या इरिटेशन हो सकती है। हालांकि इस प्रकार की एलर्जी में यह लक्षण ज्यादातर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। कुछ मामलों में इसके लक्षण रहते हैं और ऐनाफायलेक्सिस जैसी गंभीर समस्याएं बढ़ सकती हैं।
खुबानी खाने के बाद कई बच्चों को कोलिक हो सकता है। हालांकि यह खुबानी से होने वाली एलर्जी नहीं है पर खुबानी से इनटॉलेरेंस होने का संकेत जरूर है। इसका यही मतलब है कि बच्चा खुबानी पचा नहीं पा रहा है।
बच्चों को खुबानी खिलाते समय बरतने योग्य सावधानियां
बच्चे को खुबानी खिलाने से पहले आप निम्नलिखित सावधानियों पर ध्यान जरूर दें, आइए जानें;
- बच्चे को कोई भी नया खाद्य पदार्थ खिलाते समय लगभग 2 सप्ताह का समय जरूर दें। ऐसा करने से पता चलेगा कि बच्चे को इससे एलर्जी है या नहीं। यदि बच्चे को खुबानी से एलर्जी होती है तो उसके चेहरे, जीभ, होंठ, गले में सूजन होने के साथ मुंह में झुनझुनी सेंसेशन हो सकती है। यदि बच्चा खुबानी से इन्टॉलरेंट है तो उसे लूज मोशन या कब्ज, मतली, पेट में दर्द, सूजन और बेचैनी की समस्या भी हो सकती है।
- यदि आपने फ्रीजर में खुबानी को मैश करके या प्यूरी बनाकर रखा है तो खिलाने से पहले इसे सामान्य तापमान में होने तक का इंतजार करें। बच्चों को सीधे फ्रीजर से निकाल कर कोई भी चीज नहीं देनी चाहिए। बच्चों को सूखी फलों के बजाय फ्रेश फल देना ही बेहतर है।
- आज कल हम जो भी फल मार्केट से खरीदते हैं उसे पेस्टिसाइड्स की मदद से उगाया जाता है। इसलिए आप इसे बच्चे को देने से पहले सिर्फ पानी से ही न धोएं बल्कि लगभग एक या इससे ज्यादा घंटों तक पानी में भिगो कर रखें।
- आप बच्चे को सिर्फ पका हुआ खुबानी ही खिलाएं क्योंकि कच्चे खुबानी में टॉक्सिन्स होते हैं जिससे बच्चे को स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
- ऑरेंज रंग बनाए रखने के लिए सूखी खुबानी को सल्फर डाय-ऑक्साइड में रखा जाता है जो बच्चे के लिए टॉक्सिन भी हो सकता है। इसलिए बच्चों को सूखा खुबानी देने से पहले इसे आधे घंटे तक पानी में भिगो कर रखें।
बच्चों के लिए खुबानी (एप्रीकॉट) की रेसिपीज
यदि आप सोचती हैं कि बच्चों के लिए खुबानी की रेसिपीज कैसे बनाई जाएं तो यहाँ पर कुछ आसान रेसिपीज बताई गई हैं, आइए जानें;
1. सेब और सूखी खुबानी की प्यूरी
सूखी खुबानी में एंटीऑक्सीडेंट्स, न्यूट्रिएंट्स व मिनरल भरपूर होते हैं और सेब के साथ मिक्स करने पर यह पूर्ण आहार बन जाता है।
उपयुक्त आयु
6 महीने और अधिक
सामग्री
- खुबानी (सूखी और गुनगुने पानी में भीगी हुई)
- सेब (छिले हुए)
विधि
- सूखी खुबानी काटें और सेब को छील कर छोटा-छोटा काट लें।
- इसे ब्लेंडर में डालें और प्यूरी बनाने के लिए ब्लेंड कर लें।
2. फ्रेश खुबानी और केले की प्यूरी
केले और फ्रेश खुबानी की प्यूरी सबसे ज्यादा स्वादिष्ट और न्यूट्रिशन से भरपूर होती है और यह बच्चों को भी पसंद आएगी।
उपयुक्त आयु
- 6 महीने और अधिक
सामग्री
- फ्रेश खुबानी
- केला
विधि
- फ्रेश खुबानी को दो भाग में काट लें।
- कुछ मिनट तक इसे गुनगुने पानी में उबालें।
- खुबानी सॉफ्ट व पिलपिला होने पर इसे बाहर निकालें और छिलका हटा दें।
- अब दोनों फलों को एक साथ ब्लेंड करके प्यूरी बनाएं।
3. आम और खुबानी की स्मूदी
आप आम और खुबानी को कोकोनट मिल्क में ब्लेंड करके स्वादिष्ट व न्युट्रिश्यस स्मूदी बनाएं।
उपयुक्त उम्र
- आठ महीने से ज्यादा
सामग्री
- एक आम
- सूखी खुबानी
- कोकोनट मिल्क
विधि
- सबसे पहले आप आम छीलें और काटकर ब्लेंडर में डालें।
- सूखी खुबानी को गुनगुने पानी में आधे घंटे तक भिगोएं और छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
- सभी सामग्रियों को ब्लेंडर में डालें और एक साथ ब्लेंड कर लें।
खुबानी सबसे बेस्ट और न्यूट्रिशियस फल है जिसे आप बच्चे को पहली बार भी खिला सकती हैं। यह एक बेहतरीन फिंगर फूड भी है जिसे आप 6 महीने तक के बच्चे को भी खिला सकती हैं। हालांकि बच्चे को खुबानी खिलाते समय सावधानियां बरतें क्योंकि इससे एलर्जी हो सकती है और कुछ बच्चों के लिए यह फल इन्टॉलरेंस भी है।
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