बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों के लिए मैग्नीशियम – महत्व, स्रोत और सप्लीमेंट

बच्चों के बेहतर विकास के लिए सभी प्रकार के विटामिन और मिनरल की जरूरत होती है और ऐसा ही एक अहम माइक्रो-मिनरल है मैग्नीशियम। इस मिनरल की कमी से बच्चों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे नींद न आना, सुस्ती महसूस होना और मांसपेशियों में खिंचाव आदि। यदि आप ये सोच रही हैं कि अपने बच्चे की डाइट में मैग्नीशियम को कैसे शामिल करें और बच्चे को इसकी कितनी डोज देनी चाहिए, साथ ही यदि आप इसके फूड सोर्स व सप्लीमेंट्स के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं, तो ऐसे में हम आपको सलाह देंगे कि इस आर्टिकल को आगे जरूर पढ़ें।

बच्चों की डाइट में मैग्नीशियम क्यों होना चाहिए?

मैग्नीशियम, इंसान के शरीर में लगभग 800 एंजाइमैटिक फंक्शन के लिए जिम्मेदार माना जाता है और बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी बेहतर स्वास्थ्य के लिए सबसे अहम मिनरल्स में से एक है। आखिर बच्चों की डाइट में मैग्नीशियम को क्यों शामिल करना चाहिए उसके कुछ जरूरी कारणों के बारे में नीचे बताया गया है:

  • यह बच्चों को बेहतर नींद लेने में मदद करता है।
  • एनर्जी देता है।
  • यह शरीर में ब्लड शुगर और इंसुलिन को संभालने में सहायता करता है।
  • इसकी मदद से डीएनए बनता है।
  • यह बच्चों के हार्मोनल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है।
  • ब्लड प्रेशर को सही रखने के साथ यह हृदय के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखता है।
  • यह पाचन में सहायता करता है, शरीर द्वारा विभिन्न अहम पोषक तत्वों को अब्सॉर्ब करने में मदद करता है और मल त्याग को नियंत्रित करता है।
  • यह हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है।
  • इसे मांसपेशियों और नसों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।
  • यह कैल्शियम और पोटैशियम को शरीर की मेम्ब्रेन तक पहुंचाने में मदद करता है।
  • यह प्रोटीन सिंथेसिस में सहायक होता है।
  • रेस्पिरेशन (श्वसन) की प्रक्रिया में मदद करता है।

बच्चे को रोजाना मैग्नीशियम की कितनी खुराक की जरूरत होती है?

ऊपर हमने इस बात पर चर्चा की है कि आखिर बच्चों के लिए मैग्नीशियम क्यों जरूरी है और इस तरह सभी माता-पिता का अगला सवाल यह होता है कि बच्चों के लिए रोज के आधार पर मैग्नीशियम की कितनी मात्रा लेने की सलाह दी जाती है। बच्चों के लिए मैग्नीशियम की खुराक उनकी उम्र के अनुसार अलग-अलग होती है। यहां उम्र के हिसाब से रोज मैग्नीशियम की कितनी मात्रा लेनी चाहिए इसके बारे में बताया गया है:

  • 6 महीने तक की उम्र के शिशुओं को 30 मिलीग्राम की जरूरत होती है।
  • 7 से 12 महीने की उम्र के छोटे बच्चों को 75 मिलीग्राम देना चाहिए।
  • 1 से 3 साल की उम्र के बच्चों को 80 मिलीग्राम देना चाहिए।
  • 4 से 8 साल की उम्र के बच्चों को 130 मिलीग्राम देना चाहिए।
  • 9 से 13 साल की उम्र के बच्चों को 240 मिलीग्राम देना चाहिए।
  • 14-18 साल की उम्र के लड़कों को 410 मिलीग्राम और 14-18 साल की लड़कियों को 360 मिलीग्राम की जरूरत होती है।

ऊपर बताई गई मैग्नीशियम की मात्रा अनुमानित है।

मैग्नीशियम की कमी क्या है?

शरीर में मैग्नीशियम की कमी के कारण मैग्नीशियम डेफिशिएंसी यानी मैग्नीशियम की कमी की समस्या बढ़ जाती है। इस डेफिशिएंसी को हाइपोमैग्नीसिया के रूप में भी जाना जाता है, जिसकी वजह से नीचे बताई गई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:

  • हाई ब्लड प्रेशर
  • पैनिक अटैक
  • एंग्जायटी
  • टाइप 2 डायबिटीज
  • दिल की बीमारी
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • डिप्रेशन
  • मिर्गी
  • नर्व से जुड़ी समस्याएं
  • आंतों की समस्या
  • नींद न आना
  • थकान होना

यदि आपके बच्चे में मैग्नीशियम की कमी है तो ये कुछ समस्याएं हैं जो उसमें दिखाई दे सकती हैं।

मैग्नीशियम की कमी के कारण बच्चों में दिखने वाले लक्षण

पेरेंट्स इस बात को लेकर परेशान होते हैं कि वे यह कैसे पता लगाएं कि उनका बच्चा किसी प्रकार की मैग्नीशियम डेफिशिएंसी से पीड़ित है या नहीं। यहां कुछ लक्षण बताए गए हैं जो आपके बच्चे में मैग्नीशियम की कमी को दर्शाने में आपकी मदद करेंगे:

  • आपका बच्चा धुंधला दिखाई देने की शिकायत कर सकता है।

  • बच्चे को आंखों के नीचे फड़फड़ाने का अनुभव हो सकता है।
  • बच्चे में एनर्जी का लेवल बिलकुल कम हो सकता है और वह किसी भी काम को करने के लिए बहुत थका-थका हुआ महसूस कर सकता है।
  • बच्चे को सिरदर्द की शिकायत रह सकती है।
  • आपका बच्चा भ्रम, एंग्जायटी, बेचैनी और घबराहट का अनुभव कर सकता है।
  • बच्चे को सोने में दिक्कत हो सकती है या वह अनिद्रा से पीड़ित हो सकता है।
  • आपके बच्चे की हड्डियों या दांतों में समस्या शुरू हो सकती है।
  • बच्चे को खाना पचाने में समस्या हो सकती है और वह कब्ज का भी शिकार हो सकता है।
  • बच्चे को शरीर के कई हिस्सों में दर्द और पीड़ा महसूस हो सकती है।
  • ऐसे में बच्चे का हार्ट रेट असामान्य हो जा सकता है।

बच्चों में मैग्नीशियम की कमी को कैसे दूर करें

एक बार जब आपको पता चल जाता है कि आपके बच्चे में मैग्नीशियम की कमी है, तो यह जरूरी है कि आप इस कमी को दूर करने के लिए कई तरह के उपाय अपनाएं। कमी को दो तरह से रोका जा सकता है: पहला, अपने बच्चे की डाइट में मैग्नीशियम से भरपूर खाने की चीजों को शामिल करें और दूसरा मैग्नीशियम-लीचिंग  यानी मैग्नीशियम खत्म करने वाली खाने की चीजों को डाइट से हटा दें। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनकी मदद से आप ऐसा कर सकती हैं:

मैग्नीशियम से भरपूर खाना अधिक मात्रा में शामिल करें।

  • आप अपने बच्चे की डाइट में अधिक फलियां, बीज और नट्स शामिल कर सकती हैं।
  • बच्चे के रोजाना के खाने में अधिक साबुत अनाज शामिल करें।
  • उनके खाने में कोको पाउडर का इस्तेमाल करें। इसका कच्चे रूप में उपयोग करना सबसे बेहतर तरीका है।

मैग्नीशियम-लीचिंग खाने को डाइट से हटाना।

  • एनिमल प्रोटीन की जगह प्लांट प्रोटीन का इस्तेमाल करें।
  • सिंपल कार्बोहाइड्रेट और अधिक चीनी की मात्रा वाले खाने को हटा दें।
  • बच्चे के डेयरी प्रोडक्ट्स के सेवन पर नियंत्रण रखें और इसे सीमित करें।
  • अपने बच्चे की डाइट में कैफीन का उपयोग बिलकुल न करें।
  • विटामिन डी की अधिक खुराक से बचना चाहिए या धूप में कम निकलना चाहिए।

मैग्नीशियम से भरपूर खाना

यहां कुछ मैग्नीशियम से भरपूर खाने की चीजें दी गई हैं जो आपके बच्चे की जरूरतों को पूरा करने में मदद कर सकती हैं:

  • 1 कप सादा सोया दूध – 60 मिलीग्राम
  • भुने हुए काजू 28 ग्राम – 73 मिलीग्राम
  • ½ कप ऑल-ब्रान सीरियल – 90 मिलीग्राम
  • 1 बड़ा चम्मच आल्मंड बटर – 43 मिलीग्राम
  • ¼ कप तेल में भुनी हुई मूंगफली – 60 मिलीग्राम
  • ¼ कप पका हुआ पालक – 37 मिलीग्राम
  • ¼ कप पकी हुई ब्लैक बीन्स – 30 मिलीग्राम
  • 1 होल व्हीट ब्रेड का टुकड़ा – 22 मिलीग्राम
  • ¼ कप एवोकाडो के टुकड़े- 10 मिलीग्राम
  • ¼ कप किशमिश – 10 मिलीग्राम
  • ½ कप लो फैट गाय का दूध – 15 मिलीग्राम
  • ½ मीडियम केला – 16 मिलीग्राम
  • ¼ कप लोबिया – 15 मिलीग्राम
  • 1 बड़ा चम्मच पीनट बटर – 24 मिलीग्राम
  • ¼ कप ब्राउन राइस – 20 मिलीग्राम
  • 1-आउन्स हलिबेट – 7 मिलीग्राम
  • ½ कप छिलकेदार और पका हुआ ऐडैमेम (सोयाबीन की फलियां) – 47 मिलीग्राम
  • 1 पैकेट इंस्टेंट ओटमील

ऊपर बताई गई खाने की चीजों में मैग्नीशियम की मात्रा अनुमानित मात्रा है।

क्या बच्चों को मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स देना सही है?

कभी-कभी आपके बच्चे को अपनी मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स की जरूरत होती है। हालांकि, पूरी सख्ती के साथ यह सलाह दी जाती है कि आप अपने डॉक्टर से परामर्श किए बिना इसका सेवन न करें। मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स से जुड़े कई दुष्प्रभाव होते हैं और इसलिए इसे केवल आपके बच्चे के डॉक्टर द्वारा निर्धारित किए जाने के बाद ही दिया जाना चाहिए।

बच्चों को मैग्नीशियम के सप्लीमेंट्स कैसे दें

डॉक्टर आपको बता सकते हैं कि बच्चों को मैग्नीशियम के सप्लीमेंट्स कैसे दिए जाते हैं। यहां बच्चे को मैग्नीशियम के सप्लीमेंट्स देने के कुछ तरीके बताए गए हैं:

  • मैग्नीशियम ऑक्साइड की गोलियों के रूप में: यदि बच्चा गोलियां खाने में सक्षम है, तो डॉक्टर गोलियों के रूप में सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं।
  • मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड की गोलियों के रूप में: बच्चा इन गोलियों को चबा या सीधा निगल सकता है। तो आप अपने बच्चे की सुविधा के लिए गोलियों को क्रश या काटकर छोटा कर सकती हैं।
  • मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड लिक्विड के रूप में: इसकी खुराक के अनुसार आप बच्चे को सप्लीमेंट दे सकती हैं। बच्चे के खाने में इस लिक्विड को नहीं मिलाना चाहिए क्योंकि इससे इसकी प्रभावशीलता कम हो जाती है।

बच्चों को मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स देते समय अपनाएं ये सुरक्षा उपाय

यदि आपको लगता कि बच्चे में मैग्नीशियम की कमी है तो हमेशा यह सलाह दी जाती है कि सप्लीमेंट्स देने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें। हमेशा जितना बताया गया है उसके हिसाब से ही सप्लीमेंट्स दें और बच्चे को मैग्नीशियम की अधिक मात्रा देने से बचें, क्योंकि अधिक मात्रा में इसे लेने से भी स्वास्थ्य से जुड़े कई कॉम्प्लिकेशन पैदा हो सकते हैं। यदि आप अपने बच्चे को मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स दे रही हैं, तो यह अन्य दवाओं को अब्सॉर्ब करने में बाधा उत्पन्न करता है जो आपका बच्चा पहले से ले रहा होता है जैसे फॉस्फोरस, आयरन, या कैल्शियम सप्लीमेंट्स। इसलिए, अन्य दवाएं देने से दो घंटे पहले या बाद में मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स देना सही रहता है।

बच्चों पर मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स के साइड इफेक्ट

मैग्नीशियम आपके बच्चे के शरीर की जरूरत है, लेकिन कभी-कभी मैग्नीशियम सप्लीमेंट लेने से बच्चे में कई तरह के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। यहां कुछ दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया है:

  • बच्चे को पानी जैसी पतली पॉटी यानी डायरिया हो सकता है।
  • बच्चा अक्सर अत्यधिक थकान या कमजोरी महसूस कर सकता है।
  • उसके गले, होंठ, जीभ या चेहरे पर सूजन हो सकती है।
  • सांस लेने में दिक्कत या सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आ सकती है।
  • बच्चे को पित्ती या त्वचा पर लाल रैशेस हो सकते हैं।
  • बच्चे को गैस, ऐंठन या पेट दर्द की समस्या हो सकती है।

यदि आपका बच्चा ऊपर बताए गए लक्षणों में से किसी के भी बारे में आपको बताता है, तो ऐसे में आपको तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाने की सलाह दी जाती है। इससे ज्यादा गंभीर कॉम्प्लिकेशन नहीं होते हैं, लेकिन जब भी कोई बात बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी हो, तो कोई जोखिम नहीं लेना चाहिए और डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

मैग्नीशियम बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है और इसलिए आपको अपने बच्चे की डाइट में मैग्नीशियम से भरपूर खाने को शामिल करना चाहिए। उसके खाने में मैग्नीशियम को प्रभावी ढंग से कैसे शामिल करें उसके लिए अपने डॉक्टर से बात करें।

यह भी पढ़ें:

बच्चों पर जंक फूड के खतरनाक प्रभाव
बच्चों के खाने और न्यूट्रिशन से जुड़ी आम चिंताएं
बच्चों के लिए विटामिन बी – प्रकार, फायदे और स्रोत

समर नक़वी

Recent Posts

अच्छी आदतों पर निबंध (Essay On Good Habits in Hindi)

छोटे बच्चों के लिए निबंध लिखना एक बहुत उपयोगी काम है। इससे बच्चों में सोचने…

1 day ago

कक्षा 1 के बच्चों के लिए मेरा प्रिय मित्र पर निबंध (My Best Friend Essay For Class 1 in Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना बहुत उपयोगी होता है क्योंकि इससे वे अपने विचारों को…

2 days ago

मेरा प्रिय खेल पर निबंध (Essay On My Favourite Game In Hindi)

खेल हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ये न सिर्फ मनोरंजन का साधन…

3 days ago

पुस्तकों के महत्व पर निबंध (Essay On Importance Of Books In Hindi)

पुस्तकें सीखने, जानने, समझने और आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे आदर्श पर्याय मानी जाती हैं। ये…

4 days ago

कक्षा 2 के बच्चों के लिए मेरी माँ पर निबंध (My Mother Essay For Class 2 in Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना एक बहुत ही मजेदार और सीखने वाली गतिविधि होती है।…

5 days ago

कक्षा 1 के बच्चों के लिए मेरा परिचय पर निबंध (Essay On Myself For Class 1 In Hindi )

निबंध लेखन बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण एक्टिविटी होती है। इससे बच्चों की रचनात्मक लेखन…

6 days ago