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आज के दौर में माता-पिता की सबसे बड़ी चुनौती बच्चों के जीवन में रूटीन की कमी होना है, चाहे स्कूल जाना हो या छुट्टी का दिन हो, वो कोई भी काम समय से नहीं कर पाते हैं और इसका मुख्य कारण जिंदगी के हर हिस्से में टेक्नोलॉजी का बढ़ता प्रभाव है। ऐसे में बच्चों को अपने जीवन में आने वाले बदलावों से निपटने के लिए डेली रूटीन वाली आदत को अपनाने की जरूरत है। बुनियादी स्तर पर अनुशासन और रूटीन को अपनाने से बच्चों में शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से जागरूकता उत्पन्न होती है। जिससे बच्चे अपने कामों को तय समय सीमा में ही खत्म करने वाली चुनौती और टाइम मैनेजमेंट के महत्व को समझ जाते हैं।
जो बच्चे पहले से तय किए गए रूटीन के अनुसार चलते हैं वे परिस्थितियों और चुनौतियों को बेहतर तरीके से संभाल पाते हैं, क्योंकि उनके जीवन की ऊंची इमारत की नींव मजबूत होती है। हालांकि, दिनचर्या में सख्ती और कठोरता का संतुलन रखना बहुत जरूरी होता है। ऐसा नहीं करने पर खुशी और स्वतंत्रता की भावना मर जाती है और बच्चे का बचपन बर्बाद हो जाता है। जो माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में रूटीन को बहुत ज्यादा शामिल करते हैं, वे धीरे धीरे उनकी क्रिएटिविटी और सहजता को नष्ट कर देते हैं।
एक बच्चे के मस्तिष्क को वयस्क की तरह पूर्ण विकसित होने के लिए लगातार जुड़ाव, उत्तेजना और चुनौतियों की जरूरत होती है। एक रूटीन चार्ट बनाते समय बच्चे के रोजाना किए जाने वाले कामों को ही शामिल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उसकी खासियत और कमजोरियों को जानने के लिए दिन के कुछ कामों को बिना किए ही छोड़ देना चाहिए। रोज का रूटीन बनाने और उसका बच्चों से पालन करवाने पर,बच्चों को खुद पर नियंत्रण रखने, विभिन्न अनुकूल परिस्थितियों में रचनात्मक आदतों और व्यवहार को अपनाने में मदद मिलती है। दिनचर्या का पालन करने के अन्य लाभ यहां दिए गए हैं।
घर में होने वाली बहस की समस्या को दूर करने के लिए डेली रूटीन को अपनाना एक बहुत अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। क्योंकि इससे आपको अपने बच्चे की सभी गतिविधियों (ब्रश करना, झपकी लेना, टीवी बंद करना, भोजन का समय) पर लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही, रूटीन का पालन करने से आप लगातार बच्चे को टोकने से बच सकती हैं और अपनी इमेज को खराब होने से बचा सकती हैं।
रोजाना के रूटीन को अपनाने से बच्चों में एक-दूसरे से सहयोग करने की आदत का विकास होता है और
घर में तनाव और घबराहट के माहौल में कमी आती है। इससे घर के सभी लोग भी बिना किसी परेशानी के काम के प्राव्ह को समझकर उसके अनुसार ही चलते हैं।
जब बच्चे अपने दांत ब्रश करना सीख जाते हैं, अपना बैग पैक करने लगते हैं, अपना होमवर्क कर लेते हैं और लगातार बिना किसी रिमांइडर अपना भोजन खाने लगते हैं, तो इससे उनमें जिम्मेदारी की भावना पैदा होने लगती है। जिसे बच्चे बहुत पसंद करने लगते हैं कि वे स्वयं की कुछ जिम्मेदारी उठा सकते हैं। वे स्वयं को योग्य मानने लगते हैं और विद्रोह या किसी तरह की बहस नहीं करते।
जब बच्चों को पता होता है कि उन्हें आज कुछ नया सीखने को मिलेगा, चाहे वह पार्क में खेलना हो या कुछ अन्य दिलचस्प एक्टिविटीज को पूरा करना, तो ऐसे में बच्चे रोमांचक खेलों या गतिविधियों को ज्यादा एन्जॉय करने और एक्स्ट्रा टाइम जीतने के लिए अपने समय को मैनेज करते हुए सारे रूटीन कामों को बिना किसी परेशानी के पहले ही पूरा कर लेते हैं।
बच्चे का रेगुलर शेड्यूल बनाने से न सिर्फ उसके काम समय से हो पाते हैं, बल्कि उसे रात को जल्दी सोने में भी मदद मिलती है।
बच्चे के रूटीन फॉलो करने से आपको भी अपने बच्चे के साथ प्यार और स्नेह के कुछ यादगार पलों को जीने का मौका मिल सकेगा। इसमें रात के समय उसके साथ क्वालिटी टाइम बिताना हो या सवेरे गले लगाकर बच्चे को नींद से जगाना, आपका यह व्यवहार बच्चे के साथ आपके रिश्ते में सुरक्षा, सहयोग के साथ मजबूती देने में अहम भूमिका निभाएगा।
जो माता-पिता अपने रूटीन को अपनाना छोड़ देते हैं वो समस्याओं या विवादों को सुलझाने की स्थिति को बोझ समझने लगते हैं, लेकिन जब सब कुछ ठीक रहता है, तो वे भी फिर से घर और बाहर के सभी कामों को सुचारू रूप से करने लगते हैं।
कामकाजी माता-पिता को अक्सर तनाव वाली स्थितियों का सामना करना होता है, क्योंकि उनके बच्चों में अनुशासन की कमी और नियमों को न मानने जैसी समस्या पैदा हो जाती है, लेकिन अगर रोजाना के रूटीन का पालन किया जाए, तो तनाव वाली स्थिति को भी थोड़ी सी शांति के साथ सुलझाया जा सकता है।
एक रेगुलर रूटीन का पालन करने से बच्चों को वीक डे और वीकेंड में अंतर समझने में मदद मिलती है, जिससे उन्हें वीकएंड पर माता-पिता के साथ सुरक्षित महसूस होता है और तनाव कम हो जाता है।
रोजाना के रूटीन का पालन करने से बच्चे और पेरेंट्स दोनों ही कामों को पूरा करने वाली बहस और बार-बार की होने वाली चर्चा से बच जाते है। क्योंकि रूटीन से यह तय हो जाता है कि आपके बच्चे नाश्ते से पहले अपने दांतों को ब्रश जरूर करेंगे, जो कि रोज होता है।
एक तयशुदा पारिवारिक जीवन निश्चित रूप से बहुत भरोसेमंद होता है और रिसर्च से यह साबित हो गया है कि एक निर्धारित जीवन शैली एक स्वस्थ जीवन का मूलमंत्र है। लेकिन हमें बच्चों के लिए एक रूटीन सेट करते समय कुछ चीजों का ध्यान रखने की जरूरत है। हमें निम्नलिखित चीजों के आसपास काम करने की जरूरत है:
अगर आप अपने बच्चे के लिए रूटीन सेट कर रहीं हैं, तो ऐसे में उसके जागने, खाने और सोने के समय के मुताबिक ही रूटीन को बनाया जाना चाहिए। जिससे बच्चे को उसे अपनाने में कोई परेशानी महसूस न हो और वह स्वाभाविक रूप से उसका पालन कर सके।
अपने बच्चे से हमेशा उसके व्यक्तित्व और दिलचस्पी के मुताबिक ही उम्मीदें रखें। उसे किसी अलग पैटर्न को अपनाने के लिए कहना या दबाव बनाना केवल “समय की बर्बादी” कहलाएगी।
अगर आप अपने बच्चे के लिए रूटीन बना रही हैं, तो उसमें घर के काम का समय, हर बच्चे से अलग से बात करना, स्कूल क्लब और उसकी क्लासेस के बारे में जानकारी लेना जैसी कुछ अन्य चीजों को जोड़ना न भूलें।
अगर आप रोज बच्चे का रूटीन बनाती हैं, तो ऐसे में उसे रात में ही अगले दिन की तैयारी करना सिखाना चाहिए, जैसे बैग पैक करना, स्कूल के कपड़ों को तैयार करके रखना, खेल की चीजों को निकालकर अलग रखना। आप चाहें तो बच्चे की उम्र के मुताबिक इन सभी कामों को करने में उसकी भी मदद ले सकती हैं।
जब भी आप अपने बच्चे के लिए रोजाना का रूटीन बना रही हों, तो ऐसे में बच्चे के साथ सबसे ज्यादा टाइम बिताने वाले और देखभाल करने वाले सदस्य से दिनचर्या से जुड़ी सलाह ले सकती हैं। इसके अलावा अगर रूटीन बनाते वक्त बच्चे के सुझावों को ध्यान में रखा जाए तो बेहतर होगा, क्योंकि उसे ही उस रूटीन का पालन करना है।
जब आप अपने बच्चे के लिए रूटीन चार्ट बना रहीं हो, तो यह तय करें कि परिवार के सभी सदस्य भी उन बातों, उद्देश्यों और चीजों पर सहमत हों जो आप बनाने वाली हैं, जिससे उस रूटीन को बच्चा ही नहीं, बल्कि सभी लोग स्वाभाविक रूप से बिना किसी परेशानी के उस रूटीन का पालन कर सकें।
आमतौर पर सभी दंपति अपने कर्तव्यों और अधिकारों को याद रखने के लिए एक लंबी लिस्ट अपने पास रखते हैं। इसी तरह रूटीन बनाते समय आप अपने पार्टनर को साथ जरूर रखें, ताकि बच्चे को पता चल सके कि माता-पिता दोनों ही नियमित रूटीन को बनाने और उसका पालन करने के लिए उत्साहित हैं।
अगर आप बच्चे के किसी काम या गतिविधि को पूरा करने में कोई बाधा पाती हैं, तो उससे बचने के लिए उसे इनाम देकर और प्रशंसा करके के साथ इस समस्या को सुलझाने की कोशिश करें। आमतौर पर रात का रूटीन बहुत मुश्किल वाला समय होता है। जबकि बच्चे थके हुए और थोड़े चिड़चिड़े हो जाते हैं। ऐसे में उनके किसी काम को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हने टॉफी, चॉकलेट के अलावा रूटीन चार्ट में बताए गए काम संबंधी इनाम देने चाहिए।
रूटीन चार्ट को ऐसी जगह पर चिपकाएं, जिससे वह सभी को दिखाई दे और उसका सही पालन हो।
पेरेंट्स के लिए रूटीन चार्ट में कई चीजों को जोड़ना मुश्किल जरूर हो सकता है, लेकिन बच्चों के लिए डेली रूटीन को कैसे लागू किया जाए यह समझने के लिए नीचे एक चार्ट दिया गया है जिसमें आपको रोजाना की एक्टिविटीज को रिकॉर्ड करने के लिए एक नमूना भी दिया गया है जो बच्चे को समय के साथ काम करने और रूटीन को व्यवस्थित रखने में मदद करता है। चार्ट में उन बुनियादी गतिविधियों को शामिल किया गया है जो एक बच्चे के जीवन का हिस्सा होती हैं। आप इस डेली रूटीन चार्ट को फ्रिज या बच्चे के काम वाली किसी जगह पर चिपका सकती हैं।
काम | समय | रविवार | सोमवार | मंगलवार | बुधवार | गुरुवार | शुक्रवार | शनिवार |
सुबह उठना | ||||||||
ब्रश करना | ||||||||
एक्सरसाइज करना | ||||||||
नहाना | ||||||||
स्कूल के लिए तैयार होना | ||||||||
स्कूल के बाद खेलने का समय | ||||||||
होमवर्क करने का समय | ||||||||
घर के कामों में मदद करना | ||||||||
रात का खाना | ||||||||
खिलौनों को ठीक रखना | ||||||||
रात में ब्रश करने का समय | ||||||||
प्रार्थना करना और गुड नाइट कहना |
यह कोई परफेक्ट चार्ट नहीं है। यह सिर्फ एक सैंपल है कि आप अपनी लाइफस्टाइल को कैसे मैनेज कर सकती हैं।
आपके और बच्चों के लिए प्रतिदिन रूटीन की गतिविधियों का सामान्य रूप से पालन कर पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। ऐसे में नियमों का पालन करने और लगन से काम करने के महत्व को घर के अन्य लोगों और बच्चों को सिखाना बहुत जरूरी है। क्योंकि आपके बच्चे के लिए एक दिन में प्रोत्साहित होने की स्थिति और फोकस खोना आसान बात है और इसमें उसकी भी कोई गलती नहीं है। ऐसे में उनकी गति बनाए रखने के लिए कुछ टिप्स बताए गए हैं।
अपने बच्चों को चार्ट सही से चिपकाने और उस पर लिखी बातों को पढ़ने के लिए कहकर रूटीन को तय करने में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें।
अपने बच्चे को हर सुबह कोई अच्छी कहानी, कविता या कोई पुरानी बात याद दिलाकर उठाएं और उसमें उत्साह का संचार करें। ऐसे समय में किसी बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना पूरी तरह से गलत साबित हो सकता है।
शुरुआती कुछ दिनों तक अलग-अलग कामों में बच्चों के साथ रहकर रूटीन की गति तय करें।
उपलब्धि की भावना महसूस करने के लिए बच्चे से कहें कि बिस्तर पर जाने से पहले हर रात अपनी चेकलिस्ट जरूर चेक करे और अपने रोजाना के सही और गलत कामों को जानने की कोशिश करे।
बच्चे के प्रयास और उपलब्धि के लिए उसकी तारीफ करना न भूलें क्योंकि अगर वो किसी कार्य को करना चाहे, तो इससे होने वाले फायदों को बताने के साथ दिनचर्या के महत्व को बताएं, लेकिन यहां यह तय करना जरूरी है कि बच्चों को इन सब चीजों के लिए आदत डालनी होगी।
लेकिन एक बार बच्चों को आदत हो जाने के बाद वह भविष्य में सफल होने के लिए सहज रूप से इसका पालन करने लगेंगे।
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