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कपल के बीच अक्सर लड़ाई-झगड़ा और बहस हो जाते हैं, जो शादीशुदा जीवन का एक हिस्सा है – इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है! बच्चों को पालने, घर को संभालने के दौरान कई सारे काम करने पड़ते हैं जिनकी वजह से कपल में हर छोटी-बड़ी चीजो को लेकर झगड़ा होता है। लेकिन ये झगड़े तब खतरनाक हो जाते हैं जब इनका असर आपके बच्चों पर दिखने लगता है। माता-पिता के बीच रोज होने वाले झगड़ों से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए पॉइंट्स को ध्यान से पढ़ें।
हर शादीशुदा कपल में असहमति होती है, जो शांति से भी हल हो सकती है। हालांकि, अगर ये बहस बड़े झगड़े में बदल जाती हैं, तो बच्चों पर इनका बुरा असर पड़ सकता है। तो माता-पिता के झगड़े बच्चे पर कैसे नेगेटिव प्रभाव डालते हैं? नीचे बच्चों पर इससे पड़ने वाले कुछ गलत प्रभाव दिए गए हैं –
पेरेंट्स का बच्चों के सामने झगड़ने का असर काफी बुरा हो सकता है। जब छोटे बच्चे अपने माता-पिता के बीच झगड़े देखते हैं तो इसका सीधा असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है साथ ही उन्हें एंग्जायटी की भी समस्या पैदा हो जाती है। अपने माता-पिता को लड़ते-झगड़ते हुए देखकर बच्चे यह मानने लगते हैं कि हर समस्या को हल करने का यही सही तरीका है। इस प्रकार, वे अपनी परेशानियां भी सभी के साथ ऐसे ही सुलझाने की कोशिश करते हैं। जिसका परिणाम होता है असफल रिश्ते और सही ढंग से अपनी बात न कर पाना।
घरेलू हिंसा हो या माता-पिता का बच्चों के सामने हाथापाई करने का मामला हो, ये कुछ हालात होते हैं जो बच्चों को भावनात्मक रूप से बहुत तकलीफ देते हैं। पेरेंट्स के बीच रोजाना झगड़े देखने से बच्चों में एंग्जायटी और अन्य मानसिक समस्याएं सकती हैं। बचपन से ही घरेलू हिंसा देखने वाले बच्चों में असुरक्षा की भावना पैदा होती है साथ ही वो अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ नहीं पाते हैं।
बच्चे वही करते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं। यदि आप और आपका पार्टनर लगातार झगड़ रहे हैं, तो संभावना है कि आपका बच्चा भी यही बात सीखकर बड़ा होगा। जिसका नतीजा यह होगा कि आने वाले समय में आपका बच्चा भी अपने पार्टनर से इसी तरह झगड़े करेगा और उससे जुड़े हर रिश्ते असफल होंगे। इतना ही नहीं आपका बच्चा हर रिश्ते से बचने लगेगा ताकि उसको भी आगे चलकर किसी तरह का दुःख न पहुंचे।
अपने माता-पिता को रोजाना लड़ते हुए देखकर बच्चे परेशान, उदास और असहाय महसूस कर सकते हैं। ऐसे में उनके खाने-पीने पर असर होने लगता है। या तो वे खाना बंद कर देते हैं या जरूरत से ज्यादा खाने लगते हैं हैं। उनको सिरदर्द या पेट दर्द की परेशानियां होने लगती हैं। उन्हें रात में सोने में भी परेशानी हो सकती है। पेरेंट्स के बीच झगड़े बच्चों में फोबिया आदि जैसे व्यवहार संबंधी मुद्दों को जन्म दे सकते हैं।
घरेलू हिंसा के कारण होने वाली शर्म, अपराध बोध, अयोग्यता और लाचारी जैसी मिश्रित भावनाएं बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर डालती हैं। जिसके कारण बच्चे के आत्मसम्मान को नुकसान होता है और उसे प्रोफेशनल या पर्सनल जिंदगी में अच्छी छवि बनाने में मुश्किल होती है।
माता-पिता के बीच लगातार झगड़े बच्चे के दिमाग को पहले से व्यस्त और हमेशा डर में डाल सकते हैं। वह इसके बारे में सारा दिन सोचता रहता है और दूसरी चीजों पर ध्यान लगाने में असमर्थ होता है, किसी चीज में ध्यान न लगने के कारण बच्चे की पढ़ाई पर भी बहुत ज्यादा असर पड़ता है ।
जैसा कि आपको पहले भी बताया गया है कि माता-पिता का अपने बच्चे के सामने लड़ाई-झगड़ा करना उसके संपूर्ण विकास और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। जानें, पेरेंट्स के झगड़ों से बच्चा किस तरह प्रभावित होता है:
यह सभी को पता है कि हर कपल के पास ऐसा करने के अपने कारण अपने होंगे। लेकिन आपको फिर भी अपने झगड़ों को इतना नही खींचना चाहिए जिसके कारण आपका बच्चा डर जाए या आपके झगड़े उसके जीवन पर बुरा प्रभाव डालना शुरू कर दें। अपने बच्चे के सामने लड़ते समय इन बातों पर जरूर ध्यान दें।
झगड़ा और असहमति शादीशुदा जीवन का हिस्सा है। यह पूरी तरह से समझ में आता है कि एक कपल में विचारों को लेकर असहमति हो सकती है, लेकिन जरूरी बात यह है कि उन्हें शांत तरीके से सुलझाया जाए और उनका सही समाधान निकाला जाए। माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनकी लड़ाई से उनके बच्चों का दुनिया को देखने का नजरिया और व्यक्तित्व बहुत प्रभावित हो सकता है, यही कारण है कि आपको इन बातों का बहुत खयाल रखना चाहिए और यही कोशिश करनी चाहिए कि आप बच्चे के लिए एक अच्छी मिसाल कायम करें। अगर किसी कारण झगड़ा हो भी जाए तो ध्यान रहे कि यह आपके बच्चे को प्रभावित नहीं करना चाहिए।
स्रोत: Developmental Science
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