बच्चों के सामने पेरेंट्स के झगड़ों का प्रभाव

बच्चों के सामने पेरेंट्स के झगड़ों का प्रभाव

कपल के बीच अक्सर लड़ाई-झगड़ा और बहस हो जाते हैं, जो शादीशुदा जीवन का एक हिस्सा है – इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है! बच्चों को पालने, घर को संभालने के दौरान कई सारे काम करने पड़ते हैं जिनकी वजह से कपल में हर छोटी-बड़ी चीजो को लेकर झगड़ा होता है। लेकिन ये झगड़े तब खतरनाक हो जाते हैं जब इनका असर आपके बच्चों पर दिखने लगता है। माता-पिता के बीच रोज होने वाले झगड़ों से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए पॉइंट्स को ध्यान से पढ़ें।

माता-पिता का बच्चों के सामने लड़ने का नेगेटिव प्रभाव

हर शादीशुदा कपल में असहमति होती है, जो शांति से भी हल हो सकती है। हालांकि, अगर ये बहस बड़े झगड़े में बदल जाती हैं, तो बच्चों पर इनका बुरा असर पड़ सकता है। तो माता-पिता के झगड़े बच्चे पर कैसे नेगेटिव प्रभाव डालते हैं? नीचे बच्चों पर इससे पड़ने वाले कुछ गलत प्रभाव दिए गए हैं – 

1. गुस्सा 

पेरेंट्स का बच्चों के सामने झगड़ने का असर काफी बुरा हो सकता है। जब छोटे बच्चे अपने माता-पिता के बीच झगड़े देखते हैं तो इसका सीधा असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है साथ ही उन्हें एंग्जायटी की भी समस्या पैदा हो जाती है। अपने माता-पिता को लड़ते-झगड़ते हुए देखकर बच्चे यह मानने लगते हैं कि हर समस्या को हल करने का यही सही तरीका है। इस प्रकार, वे अपनी परेशानियां भी सभी के साथ ऐसे ही सुलझाने की कोशिश करते हैं। जिसका परिणाम होता है असफल रिश्ते और सही ढंग से अपनी बात न कर पाना।

2. भावनात्मक रूप से कमजोर होना  

घरेलू हिंसा हो या माता-पिता का बच्चों के सामने हाथापाई करने का मामला हो, ये कुछ हालात होते हैं जो बच्चों को भावनात्मक रूप से बहुत तकलीफ देते हैं। पेरेंट्स के बीच रोजाना झगड़े देखने से बच्चों में एंग्जायटी और अन्य मानसिक समस्याएं सकती हैं। बचपन से ही घरेलू हिंसा देखने वाले बच्चों में असुरक्षा की भावना पैदा होती है साथ ही वो अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ नहीं पाते हैं।

3. असफल रिश्ते 

बच्चे वही करते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं। यदि आप और आपका पार्टनर लगातार झगड़ रहे हैं, तो संभावना है कि आपका बच्चा भी यही बात सीखकर बड़ा होगा। जिसका नतीजा यह होगा कि आने वाले समय में आपका बच्चा भी अपने पार्टनर से इसी तरह झगड़े करेगा और उससे जुड़े हर रिश्ते असफल होंगे। इतना ही नहीं आपका बच्चा हर रिश्ते से बचने लगेगा ताकि उसको भी आगे चलकर किसी तरह का दुःख न पहुंचे। 

4. स्वास्थ्य समस्याएं

अपने माता-पिता को रोजाना लड़ते हुए देखकर बच्चे परेशान, उदास और असहाय महसूस कर सकते हैं। ऐसे में उनके खाने-पीने पर असर होने लगता है। या तो वे खाना बंद कर देते हैं या जरूरत से ज्यादा खाने लगते हैं हैं। उनको सिरदर्द या पेट दर्द की परेशानियां होने लगती हैं। उन्हें रात में सोने में भी परेशानी हो सकती है। पेरेंट्स के बीच झगड़े बच्चों में फोबिया आदि जैसे व्यवहार संबंधी मुद्दों को जन्म दे सकते हैं।

5. आत्मसम्मान में कमी 

घरेलू हिंसा के कारण होने वाली शर्म, अपराध बोध, अयोग्यता और लाचारी जैसी मिश्रित भावनाएं बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर डालती हैं। जिसके कारण बच्चे के आत्मसम्मान को नुकसान होता है और उसे प्रोफेशनल या पर्सनल जिंदगी में अच्छी छवि बनाने में मुश्किल होती है।

6. पढ़ाई पर कम ध्यान देना 

माता-पिता के बीच लगातार झगड़े बच्चे के दिमाग को पहले से व्यस्त और हमेशा डर में डाल सकते हैं। वह इसके बारे में सारा दिन सोचता रहता है और दूसरी चीजों पर ध्यान लगाने में असमर्थ होता है, किसी चीज में ध्यान न लगने के कारण बच्चे की पढ़ाई पर भी बहुत ज्यादा असर पड़ता है ।

पढ़ाई पर कम ध्यान देना 

माता-पिता के झगड़ों से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव के संकेत

जैसा कि आपको पहले भी बताया गया है कि माता-पिता का अपने बच्चे के सामने लड़ाई-झगड़ा करना उसके संपूर्ण विकास और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। जानें, पेरेंट्स के झगड़ों से बच्चा किस तरह प्रभावित होता है:

  • माता-पिता को बहस करते हुए देखते ही, बच्चा उसी समय रोना या कुछ ऐसा करना शुरू कर देता है ताकि उस पर अटेंशन जाए। 
  • अपने माता-पिता को लड़ते देख बच्चा एकदम शांत हो जाता है।
  • बच्चा दिखने में और बात करने में काफी असुरक्षित महसूस करता है ।
  • अपने पेरेंट्स को एक दूसरे पर चिल्लाते हुए देखकर बच्चा डर जाता है।
  • बच्चा अपने दोस्तों के साथ खेलने के बजाय उनसे लड़ाई करता है। 
  • बच्चा अन्य बच्चों के साथ ज्यादा घुलमिल नहीं पाता है और उसे ज्यादातर एंटी सोशल कहा जाता है।
  • बच्चा सबके सामने अजीब हरकतें करते नजर आता है।
  • जब उसके माता-पिता बहस करने और लड़ने लगते हैं तो बच्चा खुद को दोष देने लगता है।
  • बच्चा डिप्रेशन का शिकार होने लगता है। 
  • बच्चा स्कूल में और दूसरी एक्टिविटीज में खराब प्रदर्शन करता है।
  • बच्चा अपने माता-पिता से दूर रहना पसंद करता है।
  • माता-पिता का ध्यान लड़ाई से हटाने के लिए बच्चा सिर दर्द, पेट दर्द या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का बहाना बनाता है।

अपने बच्चे के सामने लड़ते समय क्या बातें ध्यान रखें 

यह सभी को पता है कि हर कपल के पास ऐसा करने के अपने कारण अपने होंगे। लेकिन आपको फिर भी अपने झगड़ों को इतना नही खींचना चाहिए जिसके कारण आपका बच्चा डर जाए या आपके झगड़े उसके जीवन पर बुरा प्रभाव डालना शुरू कर दें। अपने बच्चे के सामने लड़ते समय इन बातों पर जरूर ध्यान दें।

  1. अपने बच्चों के सामने कभी भी एक-दूसरे पर हाथ उठाने या गाली देने जैसे काम न करें और न ही भद्दे नामों से पुकारें। यदि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो किसी प्रोफेशनल की सलाह लें ताकि आपकी और आपके बच्चे की जिंदगी बर्बाद न हो।
  2. एक-दूसरे पर चिल्लाने या एक-दूसरे को धमकी देने से बचें, क्योंकि इससे आपके बच्चे पर नेगेटिव असर पड़ सकता है। एक शादीशुदा कपल के रूप में, आप एक दूसरे से असहमत हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप बच्चे के सामने एक दूसरे का अपमान करें। आप या आपके जीवनसाथी में कंट्रोल से बाहर गुस्सा बच्चों के लिए एक बुरा उदाहरण बन सकता है और आगे चल कर उनके रिश्तों और शादी के बारे में उनके विचारों को प्रभावित कर सकता है।
  3. यह सच है कि हर कपल के बीच में कोई न कोई दिक्कत या जीवन चलाने को लेकर बहस होती ही है, लेकिन कोशिश यही करें कि जब आपके बच्चे आसपास हों तो इसे बीच में न लाएं।
  4. अपने विवादों का हल तभी निकालने का प्रयास करें जब वो शुरू हों, ताकि उन्हें बड़ा मुद्दा बनने से रोका जा सके। 
  5. लड़ाई को लंबे समय तक खींचने से बचें। इसके बजाय, इसे आराम से बात करके हल करें और अपने बच्चों के सामने करें। इस तरह, आप और आपके पति या पत्नी दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा और आपके बच्चे अनुभव से सीखेंगे कि असहमति को समझदारी के साथ भी सुलझाया जा सकता है और एक समाधान प्राप्त किया जा सकता है।
  6. कोशिश यही करें कि कभी भी अपने झगड़ो में बच्चों को शामिल न करें। यदि बच्चे को यह महसूस कराया जाता है कि उसे माता-पिता में से एक को चुनना है या पक्ष लेना है, तो वह दुखी और कंफ्यूज महसूस करेगा और लड़ाई के बाद खुद को दोषी ठहरा सकता है।
  7. अपने जीवनसाथी के साथ बहस के बाद, अपने बच्चों को विश्वास दिलाएं कि आप और आपका पार्टनर अभी भी एक-दूसरे से प्यार करते हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और बच्चों को लड़ाई के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। उन्हें समझाएं कि माता-पिता के बीच कभी-कभी बहस हो सकती है।
  8. कोशिश करें कि आप अपने बच्चे के सामने आपा न खोएं और ऐसा होने पर माफी मांगें। यह उसे सिखाएगा कि अपना आपा खोना किसी प्रॉब्लम को सुलझाने का तरीका नहीं है।
  9. तीखी नोकझोंक के दौरान अपने बच्चे के सामने किसी व्यक्ति के बारे में गलत बात करने से बचें। किसी के लिए गंदी भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए। इसके बजाय, धीमी आवाज में अपनी समस्याओं के बारे में बात करें।

झगड़ा और असहमति शादीशुदा जीवन का हिस्सा है। यह पूरी तरह से समझ में आता है कि एक कपल में विचारों को लेकर असहमति हो सकती है, लेकिन जरूरी बात यह है कि उन्हें शांत तरीके से सुलझाया जाए और उनका सही समाधान निकाला जाए। माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनकी लड़ाई से उनके बच्चों का दुनिया को देखने का नजरिया और व्यक्तित्व बहुत प्रभावित हो सकता है, यही कारण है कि आपको इन बातों का बहुत खयाल रखना चाहिए और यही कोशिश करनी चाहिए कि आप बच्चे के लिए एक अच्छी मिसाल कायम करें। अगर किसी कारण झगड़ा हो भी जाए तो ध्यान रहे कि यह आपके बच्चे को प्रभावित नहीं करना चाहिए।

स्रोत: Developmental Science

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