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बच्चों को कुर्सी पर बैठने के लिए प्रोत्साहित करना पेरेंट्स के लिए एक मुश्किल काम हो सकता है। चूंकि बच्चे बहुत एनर्जेटिक होते हैं और जल्दी दूसरी चीजों से आकर्षित हो जाते हैं, इसलिए आपका उन्हें कुछ भी बताना या समझाना ज्यादा देर तक काम नहीं करता है। हालांकि, उन्हें बैठने की ट्रेनिंग देना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे उनमें अनुशासन सीखने की शुरुआत होती है कि उन्हें कब खेलना चाहिए और कब नहीं।
बच्चे बहुत असहज महसूस करने लगने हैं जब उन्हें कुछ देर सीधे बैठने के लिए कहा जाए। बच्चे के इस व्यवहार से पेरेंट्स अक्सर निराश हो जाते हैं और उनके लिए धैर्य बनाए रखना मुश्किल हो जाता है! फिर भी, कभी कभी पेरेंट्स ये चाहते हैं कि बच्चा शांति से एक जगह बैठे, खासकर परिवार के साथ किसी रेस्टोरेंट में या जब घर पर मेहमान आए हों। आप अपने बच्चे को ये मैनर्स कैसे सिखाएं, आइए पता लगाते हैं।
20-24 महीने के बीच के टॉडलर्स आमतौर पर खुद से कुर्सी पर बैठने में सक्षम हो जाते हैं। कुछ बच्चे ऐसा समय से पहले भी शुरू कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि जैसे ही एक बच्चा लेटने की पोजीशन से उठकर खुद बैठने का पोस्चर लेने लगता है, इसका मतलब है कि वह कुर्सी पर बैठने की ट्रेनिंग के लिए तैयार है। हालांकि, 24 महीने के बच्चे को एक जगह पर बैठाना एक अलग ही विषय है! बच्चों के अंदर बहुत एनर्जी होती है और उन्हें हर चीज के बारे में जानने की जिज्ञासा होती है। अच्छी बात ये है कि आपके लिए ये काम असंभव नहीं है और हमारे द्वारा दिए गए कुछ हिंट्स के जरिए आप बच्चे तो बैठने की ट्रेनिंग दे सकते हैं!
बच्चों के साथ, बहुत प्लानिंग और धैर्य की जरूरत होती है। वे धीरे-धीरे कुर्सी पर बैठना सीखते हैं। आप इसके लिए उनके साथ जबरदस्ती न करें। लगातार प्रयास करते रहना बहुत जरूरी है। बच्चे को बैठने की ट्रेनिंग रोजाना दें, वरना उसे इसकी आदत नहीं होगी। तो अब आप बताएं कि आप कौन सा तरीका अपनाते हैं, अपने बच्चे को बैठाने की प्रैक्टिस कराने के लिए?
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