बच्चों को पढ़कर सुनाना – फायदे और शुरू करने का तरीका

बच्चों को पढ़कर सुनाना - फायदे और शुरू करने का तरीका

जब आपने पहली बार गर्भ में, अपने बच्चे की हरकत महसूस की होगी, तब से ही आपने उससे बातें करनी शुरू कर दी होंगी। माँ के गर्भ में रहने के दौरान ही बच्चे सुनने में सक्षम हो जाते हैं और जन्म के बाद जल्दी ही वे अपनी माँ की आवाज को पहचानने भी लगते हैं। इसका मतलब है, कि बच्चे जो कुछ भी सुनते हैं, उस पर प्रतिक्रिया देते हैं। तो क्या आपको नहीं लगता, कि बच्चे के लिए रीडिंग करना यानी उसे पढ़कर सुनाना एक अच्छा आइडिया हो सकता है? अगर आप सोच रही हैं, कि इसकी शुरुआत कैसे करनी है, तो अब आपको इसके बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि इस लेख में, हम इसे शुरू करने के तरीकों और इसके फायदों के बारे में बात कर रहे हैं। 

बच्चों के लिए पढ़ने की शुरुआत कब करें? 

अगर आपको लगता है, कि आपका नवजात शिशु शब्दों को समझने के लिए बहुत छोटा है और उसे पढ़कर सुनाने के लिए यह समय ठीक नहीं है, तो आप गलत हो सकती हैं। बच्चे जितनी भी तरह की आवाजें सुनते हैं, उन सब पर ध्यान देते हैं और बच्चे को पढ़कर सुनाने से उसे विभिन्न आवाजों और शब्दों के बारे में जानकारी होगी और इससे उसमें ध्यान से सुनने की योग्यता का विकास होगा। इसके अलावा पेरेंट्स और बच्चे इस तरह से एक अच्छा समय एक-साथ बिता सकते हैं। 

बच्चे को पढ़कर सुनाने के फायदे

अगर आप सोच रही हैं, कि बच्चे को पढ़कर सुनाना इतना जरूरी क्यों है, तो नीचे दिए गए पॉइंट्स को ध्यान से पढ़ें। इससे आप समझ पाएंगी, कि बच्चे के लिए पढ़ने से उसे क्या फायदे होते हैं: 

1. बच्चे से प्रतिक्रिया पाने का यह एक अच्छा तरीका है

आप देखेंगी, कि बच्चे के लिए पढ़ने की शुरुआत आप जितनी जल्दी कर देती हैं, वह उतनी ही जल्दी अपने हाथ-पैर फैलाकर आपकी आवाज पर प्रतिक्रिया देने लगता है। यह बच्चे का आपको बताने का एक तरीका है, कि आप उसके लिए जो कुछ भी कर रही हैं, वह उस पर ध्यान दे रहा है। इस प्रकार बच्चे से प्रतिक्रिया लेने के लिए रीडिंग एक बेहतरीन तरीका है। 

2. इससे आपसी संबंध मजबूत बनते हैं

बच्चे के लिए रीडिंग करना, उसके साथ जुड़ाव को बढ़ाने का एक बेहतरीन तरीका है। जब आप बच्चे को पढ़कर सुनाती हैं, तो आपकी आवाज काफी मीठी और प्यारी होती है। आपकी आवाज से बच्चे को एक सुकून और शांति का अनुभव होता है और उसे सुरक्षा और प्यार का एहसास होता है। इसलिए माँ और बच्चे का यह समय उनके रिश्तों को मजबूत बनाता है। 

3. यह दिमाग के विकास में मदद करता है

एक अध्ययन से पता चला है, कि जिन बच्चों को जन्म के बाद शुरुआती दिनों के दौरान पढ़कर सुनाया जाता था, भाषा पर उनकी पकड़ बेहतर थी और उनकी वोकैबलरी भी काफी अच्छी थी। ऐसे बच्चों में गणित की योग्यताएं भी बेहतर पाई गईं। साथ ही किसी अन्य स्टडी में यह देखा गया है, कि शुरुआती दिनों में जिन बच्चों के पेरेंट्स ने उनसे बातें करने में ज्यादा समय नहीं बिताया, उनकी तुलना में जिन बच्चों के पेरेंट्स उनसे बहुत सारी बातें करते थे, किंडरगार्टन पहुँचने तक स्टैंडर्ड टेस्ट में भी उन्होंने बेहतर परफॉर्म किया। 

4. पढ़ने की आदत होना

भले ही आप अपने बच्चे को क्या सुना रही हैं, ये वह बता न पाए या समझ न पाए, लेकिन वह आपकी आवाज, उसके रिदम और टोन को अच्छी तरह से समझता है। एक रिसर्च में पाया गया, कि जब एक बच्चे को बहुत सारे शब्द सुनाए जाते हैं, तो इससे उसे खुद रीडिंग की शुरुआत करने के लिए तैयार होने में मदद मिलती है। 

5. बच्चे को विजुअल्स से परिचय कराने का यह एक अच्छा तरीका है

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसकी आँखें फोकस करना सीखती जाती हैं। साथ ही, जन्म के बाद से लगभग 3 महीने की उम्र तक वह एक पिक्चर बुक में विभिन्न तस्वीरों और पैटर्न पर फोकस करने के योग्य हो जाता है। बढ़ते बच्चे विभिन्न आकार और पैटर्न को पहचानना शुरू कर देते हैं, इसलिए आप उनके लिए जितना अधिक पढ़ते हैं और उन्हें पिक्चर बुक दिखाते हैं, उसे विभिन्न पैटर्न के बारे में उतनी ही अधिक जानकारी होती है। 

6. कम उम्र से ही उसमें एक अच्छी आदत बन जाती है

जब आप बच्चे के लिए रीडिंग करती हैं, तो आप उसके लिए केवल एक बुक नहीं पढ़ रही होती हैं, बल्कि आप उसमें एक अच्छी आदत की नींव डाल रही होती हैं। जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, आप देखेंगी कि वह खुद किताबें ढूंढता है और खुद पढ़ने की शुरुआत कर देता है। जब वह अपने परिवार को रीडिंग को एक मजेदार समय के रूप में एंजॉय करते हुए देखता है, तो उसे यह एहसास होता है, कि पढ़ना एक मजेदार एक्टिविटी है। 

7. इससे बच्चा विभिन्न भावनाओं के बारे में जान पाता है

जब आप पढ़ने के दौरान अलग-अलग तरह की आवाजें निकालती हैं और चेहरे के अलग-अलग हाव-भाव दिखाती हैं, तो वह काफी कम उम्र से ही विभिन्न मानवीय भावनाओं को समझने लगता है। 

8. यह बच्चे को स्कूल जाने के लिए तैयार करता है

हालांकि, स्कूल की बात करने के लिए यह सही समय नहीं है, लेकिन यह समझना जरूरी है, कि अच्छी आदतें कभी नहीं जाती हैं और अगर आपका बच्चा कम उम्र से ही किताबों से घिरा रहता है, तो उसके लिए स्कूल जाने की शुरुआत करना भी आसान हो जाता है। 

अलग-अलग एज ग्रुप के बच्चों के लिए किताब कैसे पढें? 

अलग-अलग उम्र के बच्चों के लिए किताबें कैसे पढ़नी चाहिए, इसकी जानकारी नीचे दी गई है: 

1. 4 महीने

4 महीने की उम्र में जब आप उसे पढ़ कर सुनाती हैं, तो वह उसमें अधिक हिस्सेदारी नहीं दिखाता है। लेकिन उसे अपनी बाहों में भर कर कहानी सुनाएं। 

2. 6 महीने

इस उम्र तक आपका नन्हा बच्चा पकड़ने, खेलने और किताब को चाटने में अधिक दिलचस्पी दिखा सकता है। बच्चे को यह सब करने दें और उसे इसकी जानकारी लेने दें। 

3. 8 महीने

इस उम्र तक भी बच्चे के ध्यान को आकर्षित कर पाना आपके लिए मुश्किल होगा, क्योंकि वह किताब को पकड़ने और पन्ने पलटने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाएगा। लेकिन धैर्य के साथ रीडिंग जारी रखें। 

4. 12 महीने

इस समय तक आपका बच्चा किताब में अधिक दिलचस्पी दिखाने लगता है और जब आप उसके लिए पढ़ रही होती हैं, तब वह विभिन्न वस्तुओं की ओर इशारा कर सकता है और आवाजों की नकल भी कर सकता है। 

शिशु के लिए किताब पढ़ते समय जानने योग्य कुछ टिप्स

यहाँ पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो कि आपके और बच्चे के लिए, रीडिंग को एक मजेदार अनुभव बना सकते हैं: 

  • कहानी सुनाते समय, अगर आप अलग-अलग तरह की आवाजों का इस्तेमाल करेंगी या आवाज बदल-बदल कर कहानी सुनाएंगी, तो बच्चे को बहुत मजा आएगा। इसलिए ऐसा करने से न हिचकें। जानवरों की आवाजें निकालें, रोएं, चिल्लाएं और कहानी का आनंद उठाएं। इससे बच्चे को भी कहानी सुनने में मजा आएगा और वह आगे भी इसके लिए इंतजार करेगा। 
  • बच्चे को कहानी सुनाते समय, आप अलग-अलग तरह के हाव-भाव का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। इससे यह आपके बच्चे के लिए एक मजेदार अनुभव बन जाएगा। 
  • अपने बच्चे को बाहों में भर कर प्यार करें। इससे उसके लिए यह एक सुकूनदायक अनुभव बन जाएगा। 
  • बच्चे के लिए पढ़ते समय हंसे, खिलखिलाएं, इससे उसे आनंद आएगा। 
  • भले ही आपका बच्चा कुछ न समझे, फिर भी सवाल पूछती रहें। इससे वह आगे के लिए तैयार हो पाएगा।
  • जब आपका बच्चा किताब को पकड़ सकता हो, तो कहानी पढ़ने के दौरान आप किताब पकड़ने के लिए उसे दे सकती हैं। लेकिन उसे इसे मुँह में न लेने दें और चबाने न दें। 

बच्चे के लिए सही किताब कैसे चुनें? 

क्या ऐसी कोई किताबें हैं, जिन्हें आपको विशेष रूप से बच्चों को पढ़कर सुनानी चाहिए? ऐसी कोई एक खास किताब नहीं है, जिसे आपको बच्चे के लिए चुनना चाहिए। आप कोई भी मजेदार और रोचक किताब चुन सकते हैं। यहाँ पर ऐसे कुछ बिंदु दिए गए हैं, जिन्हें बच्चे के लिए किताब खरीदते समय आपको ध्यान में रखना चाहिए: 

  • एक ऐसी किताब चुनें, जिसका आकार छोटा हो और बच्चा आसानी से पकड़ सके। क्योंकि जब आप किताब को पढ़ेंगी, तो बच्चे को हाथ में किताब पकड़ने में मजा आएगा। 
  • कोई ऐसी किताब खरीदें, जिसमें तस्वीरें कम और सिंपल हों, ताकि बच्चा इसे आसानी से समझ सके। 
  • ऐसी किताबें चुनें, जिसमें सिंपल कहानियां हों और जिसमें पन्ने भी कम हों, क्योंकि आप लंबे समय तक बच्चे के ध्यान को केंद्रित नहीं रख पाएंगी। 
  • आजकल कई तरह की किताबें उपलब्ध होती हैं, जैसे 3डी बुक्स, आवाजों वाली किताबें और भी न जाने क्या-क्या। इसलिए ऐसी किताब चुनें, जिसमें इनमें से कोई विकल्प मौजूद हो, क्योंकि आपका बच्चा किताब को छूकर महसूस करना चाहेगा। आवाजों वाली किताबें भी उसके ध्यान को आकर्षित करेंगी।
  • एक ऐसी कहानी पढ़ें, जो रिदमिक हो और मनोरंजक हो, क्योंकि बच्चों को अलग तरह की चीजें ज्यादा आकर्षित करती हैं, जैसे ब्रूम-ब्रूम करती हुई कार या चू-चू करती हुई ट्रेन आदि। 

ये कुछ ऐसे टिप्स थे, जिनकी मदद से आप बच्चे के लिए रीडिंग कर सकती हैं। पढ़ने से बच्चे को भाषा सीखने में बहुत मदद मिलती है। रीडिंग से बच्चे के बोध ज्ञान के विकास में भी मदद मिलती है, इसलिए जल्दी ही एक मनोरंजक किताब चुनें और बच्चे के लिए पढ़ना शुरू करें। 

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