In this Article
- गुर्दे की पथरी क्या है?
- गुर्दे की पथरी कैसे बनती है?
- बच्चों में किडनी स्टोन होना कितना आम है?
- गुर्दे की पथरी के प्रकार
- बच्चों में किडनी स्टोन होने के क्या कारण हैं?
- बच्चों में गुर्दे में पथरी के लक्षण
- बच्चे में गुर्दे की पथरी का निदान
- बच्चों में गुर्दे की पथरी के रिस्क फैक्टर क्या हैं
- बच्चों में गुर्दे की पथरी का उपचार
- बच्चों में गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार
- बच्चों में किडनी स्टोन बनने से कैसे रोकें
माता-पिता बच्चों की सेहत को लेकर हर संभव सावधानी बरत सकते हैं लेकिन कुछ चीजें उनके बस में नहीं होती हैं। और कभी कभी कुछ ऐसी बीमारियां जो बहुत दुर्लभ मामले में बच्चों को होती हैं, वो पेरेंट्स के लिए परेशानी का कारण बन जाती है, ऐसी ही एक कंडीशन है यूरोलिथियासिस या नेफ्रोलिथियासिस, जिसे आमतौर पर गुर्दे की पथरी के रूप में जाना जाता है, जो बच्चों में बहुत दर्द का कारण बन सकती है। अपने बच्चे को दर्द में देखना कोई भी माता-पिता सहन नहीं कर सकते। इसीलिए इस विषय के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है ताकि आप अपने छोटे बच्चे का जल्द से जल्द डॉक्टर की देखरेख में इलाज शुरू कर सकें। गुर्दे की पथरी यानि किडनी स्टोन के बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें और जानें कि यदि आप अपने बच्चे में इसके लक्षण देखती हैं, तो क्या करें।
गुर्दे की पथरी क्या है?
यूरिनरी ट्रैक्ट यानी पेशाब के मार्ग में मिनरल्स और एसिड सॉल्ट का एकत्रित हो जाना गुर्दे में पथरी या किडनी स्टोन कहलाता है। यह पथरी यूरिन पास होने से रोकती है जिसकी वजह से दर्द की शिकायत होती है। हालांकि बच्चों में पथरी की दिक्कत बहुत कम पाई जाती है लेकिन अब ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है। आमतौर पर बच्चे रिकवर हो जाते हैं और भविष्य में इसके कॉम्प्लिकेशन का कोई खतरा भी नहीं होता है। मगर पथरी की समस्या का समय रहते इलाज नहीं किया गया, तो इससे किडनी की समस्या हो सकती है।
गुर्दे की पथरी कैसे बनती है?
यूरिनरी ट्रैक्ट में दो किडनी, यूरेटर, ब्लैडर और यूरेथ्रा होते हैं। पेशाब में कैल्शियम, सिस्टीन, ऑक्सालेट और यूरिक एसिड जैसे पदार्थ होते हैं। जब ये पदार्थ अधिक हो जाते हैं, तो वे क्रिस्टलाइज हो जाते हैं। यदि ये क्रिस्टल छोटे होते हैं, तो वे यूरिनरी ट्रैक के अंदर चले जाते हैं और यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। और अगर यह शरीर से बाहर नहीं जाते हैं तो इनका आकार बढ़ने लगता जिसकी वजह से दर्द होता है और पेशाब करने में भी परेशानी होती है, अगर पथरी का आकार 0.2 इंच से कम का होता है तो ये यूरिन से जरिए आराम से शरीर से बाहर निकल जाती है।
बच्चों में किडनी स्टोन होना कितना आम है?
बच्चों की तुलना में वयस्कों में पथरी की संभावना ज्यादा होती है, आमतौर पर गुर्दे की पथरी वाले अधिकांश बच्चों में पहले से ही कोई मेडिकल समस्या मौजूद होती है, जिससे उनमें गुर्दे की पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है।
गुर्दे की पथरी के प्रकार
किडनी स्टोन चार प्रकार के होते हैं:
1. कैल्शियम स्टोन
यह स्टोन चारों प्रकार में सबसे आम प्रकार है। कैल्शियम स्टोन के भी दो प्रकार के होते हैं:
- कैल्शियम ऑक्सलेट- कैल्शियम और ऑक्सलेट का कॉम्बिनेशन
- कैल्शियम फॉस्फेट- कैल्शियम और फॉस्फेट का कॉम्बिनेशन
2. सिस्टीन स्टोन
ये पथरी दुर्लभ मामलों में ही देखी जाती है और ये जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण होती हैं। सिस्टीन एक केमिकल है जिसे शरीर स्वाभाविक रूप से बनाता है। जेनेटिक डिसऑर्डर वाले लोगों में, सिस्टीन गुर्दे के माध्यम से यूरिन में सिस्टीन लीक होता है।
3. यूरिक एसिड स्टोन
अगर यूरिन एसिडिक है, तो यूरिक एसिड स्टोन बनने की संभावना काफी होती है। ये स्टोन एसिड से ही बने होते हैं या फिर एसिड और कैल्शियम के कॉम्बिनेशन के साथ बनते हैं।
4. स्ट्रुवाइट स्टोन
यह स्टोन उन लोगों में विकसित होता है जिन्हें बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होता है। कुछ यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) में बैक्टीरिया अमोनिया बनाते हैं। यूरिन में अमोनिया पथरी बनने का कारण बन सकता है। ये स्टोन फॉस्फेट, अमोनियम और मैग्नीशियम से बने होते हैं।
बच्चों में किडनी स्टोन होने के क्या कारण हैं?
नीचे आपको बच्चे के गुर्दे में पथरी बनने के कुछ कारण बताए गए हैं:
- पेशाब में ज्यादा मिनरल्स का होना।
- हाईली कंसंट्रेटेड यूरिन जिसमें पानी की मात्रा कम होती है और मिनरल्स की मात्रा ज्यादा होती है।
- पानी का कम सेवन करना या डिहाइड्रेशन।
- कुछ मामलों में किडनी स्टोन जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से भी बनते हैं ।
- गुर्दे की पथरी की फैमिली हिस्ट्री होना।
- यूरिनरी ट्रैक में दोष होना या लगातार यूटीआई होना।
- मोटापा और कोई एक्टविटी न करना।
- ऐसा आहार जिसमें हाई सोडियम, प्रोटीन या दोनों मौजूद हों।
कुछ मामलों में, गुर्दे की पथरी के विकास के कारण अज्ञात हैं।
बच्चों में गुर्दे में पथरी के लक्षण
नीचे कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं, जिससे आपको बच्चे की किडनी में स्टोन है ये पता चल सके:
- पेट या पीठ दर्द
- हेमाट्यूरिया या पेशाब में खून आना
- लगातार पेशाब आना
- उलटी या मतली
- अचानक जोर से पेशाब महसूस होना
- लंबे समय से यूटीआई या यूरिनरी इन्फेक्शन का होना
- बुखार
बच्चे में गुर्दे की पथरी का निदान
जब आपको लगता है कि आपके बच्चे के किडनी में स्टोन है, तो आपको बेहतर इलाज के लिए इसका सही से निदान किया जाना बहुत जरूरी है और डॉक्टर भी यही सलाह देते हैं। आमतौर पर, एक पूर्ण निदान में नीचे बताई गई चीजें शामिल होती हैं:
- बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री को समझना
- बच्चे की शारीरिक जांच
- लैब और इमेजिंग टेस्ट करना
आइए इनमें से प्रत्येक को थोड़ा विस्तार से समझें।
1. मेडिकल हिस्ट्री
निदान के पहले चरण में आपके बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री को ठीक से समझा जाएगा। इससे डॉक्टर को यह यह पता चलता है कि क्या गुर्दे की पथरी का कारण मेडिकल हिस्ट्री है या कोई अन्य जेनेटिक डिसऑर्डर है। पिछली बीमारी और उसके उपचार के तरीकों से डॉक्टर को बच्चे की स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी मिल सकेगी।
2. शारीरिक जांच
आमतौर पर, डॉक्टर या नेफ्रोलॉजिस्ट बच्चे की शारीरिक जांच करते हैं और बच्चे की सेहत और डाइट, विशेष रूप से तरल पदार्थों पर भी आपसे पूछताछ कर सकते हैं। यदि आप उस स्टोन को कलेक्ट करने में कामयाब रही हैं, जो पेशाब के दौरान बाहर निकल गया था, तो डॉक्टर इसकी जांच करते हैं और इसे आगे के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेज देते हैं।
3. लैब और इमेजिंग टेस्ट
गुर्दे की पथरी के बारे में विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर कुछ लैब टेस्ट की सलाह देते हैं। आपको नीचे इन टेस्ट के बारे में बताया गया हैं:
- यूरिन और ब्लड टेस्ट – यूरिन की जांच करने से हमें यह पता चलता है कि आखिर पथरी बनी कैसे। उदाहरण के तौर पर यूरिन में कैल्शियम की मात्रा ज्यादा होने से पथरी बन सकती है। ब्लड टेस्ट की मदद से इसके रिस्क फैक्टर का पता लगाया जा सकता है, जो बच्चे को प्रभावित कर सकता है।
- जेनेटिक टेस्ट – कुछ जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से किडनी में पथरी हो सकती है, इसीलिए जेनेटिक्स टेस्ट करवाए जाते हैं ताकि दूसरे रिस्क फैक्टर का पता लगाया जा सके।
- स्कैनिंग टेस्ट – डॉक्टर अल्ट्रासाउंड स्कैन करके गुर्दे की पथरी का पता लगाने के लिए यूरिनरी ट्रैक की जांच करते हैं। यदि अल्ट्रासाउंड के परिणाम सही नहीं आते हैं, तो एक कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन किया जाता है। कभी-कभी, एक्स-रे भी किया जाता है।
- इमेजिंग टेस्ट – इमेजिंग टेस्ट इसलिए किया जाता है, ताकि पथरी के आकार को और उसकी सटीक जगह का पता लगाया जा सके, जिससे उपचार करने में आसानी होगी।
- अन्य टेस्ट- स्टोन की केमिकल कम्पोजीशन का पता लगाया जा सकता है, अगर इसे पेशाब करते समय एकत्र किया गया हो, साथ ही इसके प्रकार की पहचान भी इस टेस्ट की मदद से की जा सकती है। किस वजह से पथरी बन रही है यह उन कारणों को भी बता सकता है।
बच्चों में गुर्दे की पथरी के रिस्क फैक्टर क्या हैं
निम्नलिखित कुछ कारक नीचे दिए गए हैं, जो बच्चों में गुर्दे की पथरी बनने के जोखिम को बढ़ाते हैं:
- यदि बच्चे को गुर्दे की पथरी पहले भी हो चुकी हो, तो इसके दोबारा होने की संभावना रहती है।
- बच्चे द्वारा किए जाने वाला तरल पदार्थ का सेवन सीधे यूरीन फॉरमेशन को प्रभावित करता है। कम पानी या अन्य तरल पदार्थ पीने से पेशाब कम बनता है, जिससे पथरी होने का खतरा बढ़ जाता है।
- जिस आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है उसे कीटोजेनिक डाइट कहते हैं। इस डाइट को अपनाने से किडनी स्टोन बनने का खतरा बढ़ जाता है।
- जिन बच्चों को सिस्टिक फाइब्रोसिस होता है, उनमें पथरी होने का खतरा अधिक होता है।
- जन्म के बाद से गुर्दे, यूरेटर और ब्लैडर में असामान्यता होने पर भी पथरी की संभावना हो सकती है।
- कुछ दवाओं के सेवन करने से यूरिन में पथरी बन जाती है। उदाहरण के लिए,
-
- फ्यूरोसमाइड (लासिक्स)
- एसिटाजोलमाइड (डायमॉक्स)
- एलोप्यूरिनॉल (एलोप्रिम, जाइलोप्रिम)
- दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर जो माता-पिता या परिवार से मिला हो, बच्चों में गुर्दे की पथरी की संभावना को बढ़ा देता है।
- आंतों में ऑक्सलेट अवशोषण (सूजन आंत्र रोग) में वृद्धि के कारण बच्चों में गुर्दे की पथरी की कॉम्प्लिकेशन हो सकता है, जो यूरिन में ऑक्सलेट लेवल को प्रभावित करती है।
बच्चों में गुर्दे की पथरी का उपचार
पथरी को खत्म करने के लिए नीचे दिए गए कुछ उपचारों का उपयोग किया जाता है:
- एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्यूएल): यह बच्चों में उपयोग किए जाने वाले उपचार के आम तरीकों में से एक है। पत्थरों को तोड़ने के लिए त्वचा के माध्यम से एकॉस्टिक शॉक वेव को भेजा जाता है जिसके लिए लिथोट्रिप्टर का उपयोग किया जाता है। ये पथरी आसानी से यूरिनरी ट्रैक्ट से होकर शरीर से बाहर निकल सकती है। ईएसडब्ल्यूएल प्रक्रिया के लिए चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन एनेस्थीसिया दिया जाता है।
- यूरेटरल स्टेंट: अगर यूरेटर में ब्लॉकेज हो या यूरेटर सिकुड़ रहा हो तो इस उपचार की जरूरत पड़ सकती है। यूरेटर एक ट्यूब होती है, जो यूरिन को गुर्दे से ब्लैडर तक ले जाती है। स्टेंट एक सॉफ्ट ट्यूब होता है जिसे यूरिन फ्लो में मदद करने के लिए यूरेटर में रखा जाता है। स्टेंट के साथ बच्चा इधर-उधर घूम सकता है लेकिन उसे बहुत ज्यादा एक्टिविटी करने से बचना चाहिए।
- परक्यूटीनियस नेफ्रोलिथोट्रिप्सी (पीसीएनएल): बड़े किडनी स्टोन का इलाज करने के लिए इसे उपयोग किया जाता है। इस तरीके में, एक ट्यूब बच्चे की पीठ में से चीरा लगाकर डाली जाती है। ट्यूब को किडनी में डाला जाता है और डॉक्टर पथरी का पता लगाने और इसे निकालने के लिए नेफ्रोस्कोप का उपयोग करते हैं।
- किडनी स्टोन के लिए नेफ्रोस्टॉमी ट्यूब की प्रक्रिया: यदि गुर्दे की पथरी यूरिन फ्लो को रोक रही है तो इस तरीके में यूरिन को निकालने के लिए एक छोटी ट्यूब का उपयोग किया जाता है। यह इन्फेक्शन को रोकने में मदद करता है और किडनी को होने वाले नुकसान से बचाता है। इस प्रक्रिया में, पेशाब को बाहर निकालने के लिए एक बाहरी बैग का उपयोग किया जाता है।
- यूरेटेरोस्कोपी: इस इलाज एक स्माल स्कोप का उपयोग करके किया जाता है, जिसे यूरेथ्रा के माध्यम से यूरिनरी ब्लैडर में, फिर यूरेटर और गुर्दे में भेजा जाता है। स्कोप में लगाए गए कैमरे डॉक्टरों को विभिन्न उपकरणों का उपयोग करके स्टोन का पता लगाने और उसे निकालने में मदद करते हैं।
बच्चों में गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार
नीचे कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं, जो माता-पिता बच्चों में किडनी स्टोन की परेशानी को कम करने के लिए अपना सकते हैं:
- तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाने से पेशाब बनने में वृद्धि होती है और पथरी बनाने वाले मिनरल कॉम्पोनेंट्स की मात्रा कम होती है।
- तुलसी को यूरिक एसिड के स्तर को स्थिर करने में मदद करने के लिए जाना जाता है। यह गुर्दे में पथरी को बनने से रोक सकती है। इसमें एसिटिक एसिड भी होता है, जो स्टोन को घुलने में मदद करता है।
- अनार के एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पथरी बनने की संभावना को कम कर सकते हैं।
बच्चों में किडनी स्टोन बनने से कैसे रोकें
किडनी स्टोन का इलाज करने के बाद भी बच्चों को किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है। जिन बच्चों में किडनी स्टोन की मेडिकल हिस्ट्री रह चुकी है उन्हें फिर से किडनी स्टोन होने का खतरा रहता है। हालांकि, आप इसके जोखिम को कम करने के लिए नीचे दी गई सावधानियां बरती जा सकती हैं:
- ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं ।
- समय समय पर जांच कराती रहें कि कहीं कोई नया स्टोन तो नहीं बन रहा है, ऐसा करना काफी सहायक साबित हो सकता है।
किडनी शरीर का अहम हिस्सा होती है और किडनी स्टोन का बार-बार होना या इसका ठीक से इलाज न कराना नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि बच्चों में गुर्दे की पथरी के मामले आमतौर पर नहीं देखे जाते हैं, लेकिन सावधानी बरतना हमेशा बेहतर होता है। सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा पर्याप्त तरल पदार्थ पिए, विशेष रूप से पानी। अगर आपको किसी प्रकार का कोई संदेह है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
यह भी पढ़ें:
बच्चों में इंपीटिगो
बच्चों में गलसुआ (मम्प्स) होना
बच्चों में एनीमिया: कारण, लक्षण और उपचार