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बच्चों को खासकर जो बच्चे बहुत छोटे होते हैं उनमें सबसे ज्यादा इन्फेक्शन होने का खतरा बना रहता है। दरअसल बच्चे बहुत ही जल्द बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका इम्यूनिटी सिस्टम धीरे-धीरे स्ट्रांग हो रहा होता है, जिसकी वजह से बच्चों में चिकनपॉक्स और खसरा जैसी बीमारियां और इंफेक्शन होने का खतरा रहता है।
बच्चे को समय पर टीका लगवाना इन्फेक्शन से बचने का सबसे कारगर तरीका है। अगर आपके बच्चे को खसरा जैसी बीमारी होती है तो उसके शरीर पर कुछ लाल धब्बे या निशान नोटिस कर सकते हैं। साथ ही उसे बुखार या फिर भोजन निगलने में परेशानी हो सकती है, ये सभी खसरा के ही लक्षणों में से एक हैं। खसरा क्या है, इसके कारण, उपचार और क्या इसे रोका जा सकता है, यह जानने के लिए इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें।
खसरा, जिसे लाल खसरा या रूबेला के रूप में भी जाना जाता है, ये एक फैलने वाला संक्रामक रेस्पिरेटरी रोग है जिसकी वजह से पूरे शरीर में लाल धब्बे या फिर निशान पड़ जाते हैं और इसके साथ खांसी, तेज बुखार और नाक बहने जैसे लक्षण भी होते हैं।
खसरा एक एयरबोर्न या फिर हवा में फैलने वाला रोग है, यह बहुत ही संक्रामक है और बहुत आसानी से फैलता है। खसरा से पीड़ित रोगियों की गिनती रूबेला वायरस में होती है। रोगी के खांसने या छींकने के दौरान मुँह से निकलने वाले संक्रमित बलगम से वायरस हवा में निकल जाता है, दो घंटे तक सक्रिय रहता है और ज्यादातर आसपास के किसी भी व्यक्ति में फैल जाता है। संक्रमित सतह के संपर्क में आने वाले बच्चे भी इससे संक्रमित हो सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति के साथ खाने-पीने की चीजें शेयर करने पर भी खसरा वायरस फैल सकता है।
बच्चे के पूरे शरीर पर लाल धब्बों का दिखना खसरा का सबसे साफ लक्षण है। हालांकि, ये निशान चार से पाँच दिनों के बाद ही दिखना शुरू होते हैं। इससे पहले कुछ और साधारण लक्षण भी दिखाई देना शुरू हो जाते हैं जिससे बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
पूरे शरीर पर लाल धब्बों के अलावा, बच्चों के शरीर में दिखने वाले लक्षण हैं:
यदि बच्चा खसरा से पीड़ित होता है, तो अन्य लक्षणों के कम होने के बाद भी शरीर पर लाल धब्बे और निशान दिखाई देते रहेंगे।
यदि बीमार बच्चे की त्वचा पर लाल धब्बे या निशान दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से मिलें, वो इसका उपचार करेंगे। एक साधारण लार या ब्लड टेस्ट बच्चे के शरीर में वायरस होने के बारे में संकेत दे सकता है। अगर आप अपने बच्चे में खसरे के लक्षण देखते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मदद लेनी चाहिए और जरूरी टेस्ट करवाने चाहिए।
वहीं ज्यादातर बच्चों में हुए खसरे की बीमारी के बिना किसी कठनाइयों के ठीक होने की संभावना होती है। हालांकि, इस बात की संभावना भी रहती है कि ये स्थिति अन्य मेडिकल परेशानियां भी पैदा कर सकती है। खसरा निम्नलिखित स्वास्थ्य कठिनाइयों को जन्म दे सकता है:
खसरा कभी-कभी गर्भवती महिलाओं में गर्भपात या प्री-मैच्योर बर्थ का कारण बन सकता है।
खसरे के इलाज के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इन्फेक्शन से जुड़े लक्षणों के इलाज के लिए दवा दी जा सकती है। यहाँ कुछ उपाय दिए गए हैं जिन्हें आप आजमा सकती हैं, इसके साथ ही कुछ सावधानियां बरतें:
एमएमआर टीकाकरण खसरा, मम्प्स और रूबेला से बचाने के लिए एक प्रभावी उपाय है। अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि क्या टीका लगाए गए बच्चे को खसरा हो सकता है? खसरे का वैक्सीनेशन दरअसल 95% प्रोटेक्टिव होता है। इसके अलावा, खसरा एक ऐसा वायरस है जिसमें एक बार अगर कोई व्यक्ति संक्रमति हो जाए तो दोबारा उस व्यक्ति को ये नहीं होता।
यदि आपके बच्चे का टीकाकरण नहीं हुआ है, तो आसपास की जगह पर अच्छे से साफ-सफाई का ध्यान रखें और अपने बच्चे को खसरे से पीड़ित किसी व्यक्ति के संपर्क में न आने दें। इसके अलावा अपने बच्चे को छूने या किसी और को उसे छूने देने से पहले हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने का ध्यान रखें।
साथ ही स्वस्थ आहार आपके बच्चे की दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए। यह उसके इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत तो करेगा ही साथ ही शरीर को प्राकृतिक रूप से इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करेगा।
एमएमआर वैक्सीन जिसका इस्तेमाल खसरे से बचाव के लिए किया जाता है, ये एक तरह की लाइव अटेनुएटेड वैक्सीन है जिसमें एक लाइव वायरस को कमजोर किया जाता है और बच्चे को दिया जाता है। कमजोर वायरस शरीर की कोशिकाओं में रेप्लिकेट करेगा और इम्यून सिस्टम से इसकी प्रतिक्रिया को ट्रिगर करेगा। यह खसरा पैदा करने वाले वायरस से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम को तैयार करता है, जिससे बाहरी शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है।
हालांकि टीकाकरण होने के बाद बच्चे को हल्का बुखार हो सकता है।
एमएमआर वैक्सीन बारह से पंद्रह महीने की उम्र के बच्चों को दी जाती है। चार से छह साल की उम्र के बीच फिर से वैक्सीन की दोबारा खुराक दी जाती है। यह खुराक बच्चे को खसरे से जीवन भर सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त मानी जाती है।
एक साल से कम उम्र के बच्चों को यह टीका नहीं लगाया जाता है।
अगर आपको खसरे के लक्षण दिखाई देते हैं, खासकर यदि आपका बच्चा शिशु है तो आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। वहीं अगर आपका बच्चा निम्न में से किसी भी स्थिति से पीड़ित है तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें:
भले ही लक्षण बहुत गंभीर न हों और खसरे की संभावना की ओर इशारा न करें लेकिन बच्चे को समय पर राहत मिले इसके लिए डॉक्टर से परामर्श करना सबसे बेहतर है।
बच्चे, विशेष रूप से शिशु, किसी भी इन्फेक्शन पैदा करने वाले एजेंट्स को लेकर काफी सेंसिटिव होते हैं। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वो हमेशा एक सुरक्षित वातावरण में रहें जो कि बीमारियां पैदा करने वाले तत्वों से मुक्त हो और समय पर वैक्सीनेशन लगवाना भी जरूर है। अपने बच्चे में उसकी दिनचर्या के हिस्से के रूप में स्वस्थ आदतों को शामिल करें और हर समय व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्व पर जोर दें।
अगर आपके परिवार का कोई सदस्य खसरे से संक्रमित हो जाता है, तो ध्यान रखें कि आपका बच्चा किसी भी तरह व्यक्ति के संपर्क में नहीं आना चाहिए। आपके बच्चे की बुनियादी आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने से उसके इम्यून सिस्टम में सुधार होगा और इन्फेक्शन को दूर रखने में मदद मिलेगी।
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