बच्चों में ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी)

बच्चों में ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी)

ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) एक ऐसी समस्या है, जो कि बच्चों में बहुत आम है और यह अनचाहे विचार, भावनाओं और डर को ट्रिगर करती है। जबकि हर बच्चे में स्थिति के कारण ट्रिगर होने वाला व्यवहार अलग होता है, लेकिन इसका कारण बनने वाले वाली छुपी हुई समस्या को पहचाना जा सकता है और उचित इलाज के साथ नियंत्रित किया जा सकता है। 

कभी-कभी ओसीडी को अस्थिर या सनकी व्यवहार समझने की भूल हो जाती है और इसे पहचानने में बहुत देर हो जाती है। पेरेंट्स के लिए ओसीडी और इसके संकेतों और लक्षणों को समझना बहुत जरूरी है, ताकि उनके बच्चों को सही समय पर सही मदद की जा सके। 

ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर क्या है?

ओसीडी एक न्यूरो बायोलॉजिकल बीमारी है, जो कि बच्चों को अनचाहे विचारों या डर के कारण दोहराने वाला व्यवहार करने के लिए विवश करती है। इस स्थिति के कारण बच्चों में किसी खास चीज या कुछ खास चीजों को लेकर अत्यधिक घबराहट या डर देखा जाता है, जिसे आमतौर पर ऑब्सेशन के नाम से जाना जाता है। इस तनाव को कम करने के लिए वे अक्सर बार-बार एक ही हरकतें करते हैं। 

अचानक होने वाली घबराहट और काम को बार-बार दोहराया जाना इसकी एक पहचान है। बच्चों में ओसीडी के लक्षण एडीएचडी, टॉरेट सिंड्रोम और ऑटिज्म जैसी बीमारियों के लक्षणों से काफी मिलते-जुलते होते हैं। 

ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर क्या है?

बच्चों में ओसीडी कितना आम है?

ओसीडी को संपूर्ण विश्व में चौथी सबसे आम बीमारी के रूप में जाना जाता है और हर 7 में से एक व्यक्ति इससे ग्रस्त होता है। बच्चों में डेढ़ साल जितनी कम उम्र में ही ओसीडी हो सकता है। छोटे बच्चे अक्सर अपने डर और ऑब्सेशन को व्यक्त कर पाने में अक्षम होते हैं, जिसके कारण इसकी पहचान कठिन हो जाती है, पर यह असंभव नहीं है। वे मजाक उड़ाए जाने या बुली किए जाने के डर से अपनी विवशता को छुपाने की कोशिश करते हैं। कई वयस्कों ने भी यह पाया है, कि उन्हें ओसीडी की शुरुआत बचपन में ही हो गई थी। 

बच्चों में ओसीडी के कारण

जहां ओसीडी के वास्तविक कारण पर अभी भी रिसर्च जारी है, वहीं ऐसे कुछ कारण हैं, जिनसे बच्चों में ओसीडी ट्रिगर हो सकता है: 

  1. सेरोटोनिन जो कि दिमाग का एक केमिकल न्यूरोट्रांसमीटर होता है, एक दूसरे से बात करने के लिए मस्तिष्क में सेल्स कोशिकाओं को जोड़ता है। सेरोटोनिन की कमी के कारण बच्चे ओसीडी का शिकार हो सकते हैं। यह अनुवांशिक भी हो सकता है, क्योंकि ऐसा पाया गया है, कि जिन माता-पिता के मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर कम होता है, उनके बच्चों में भी सेरोटोनिन की कमी पाई जाती है। 
  2. स्ट्रेप्टोकोकल जैसे संक्रमण, स्ट्रैप थ्रोट या स्कारलेट फीवर जैसे संक्रमण के कारण बच्चों में ओसीडी हो सकता है, जिन्हें पीडियाट्रिक ऑटोइम्यून न्यूरो साइकाइट्रिक डिसऑर्डर एसोसिएटेड के नाम से जानते हैं (पीएएनडीएस)। 
  3. ओसीडी से ग्रस्त कुछ बच्चों के मस्तिष्क के स्कैन में असामान्यताएं, खासकर ऑर्बिटल कॉर्टेक्स में असमान्यताएं पाई गई हैं, जो कि दिमाग का एक ऐसा हिस्सा है, जो बोध ज्ञान क्षमताओं और निर्णय लेने की क्षमताओं के लिए जिम्मेदार होता है। इसके कारण ऐसा माना जाता है, कि यह भी ओसीडी का एक कारण हो सकता है। 
  4. ऐसा भी पाया गया है, कि डिप्रेशन से ग्रस्त बच्चों को ओसीडी या इसके लक्षणों के विकसित होने का खतरा अधिक होता है। 
  5. अत्यधिक घबराहट पैदा करने वाले वातावरणीय कारक भी बच्चों में बार-बार दोहराने वाली आदतों का कारण बन सकते हैं, जिसे ओसीडी के अंदर वर्गीकृत किया जा सकता है। 

बच्चों में ओसीडी के कारण

ओसीडी के लक्षण

बच्चों में ओसीडी के ज्यादातर लक्षण काफी तीव्र होते हैं। हालांकि यह भी संभव है, कि इन्हें कुछ अन्य लक्षण समझ लिया जाए या गलत समझ लिया जाए। ज्यादातर बच्चे कंपल्सिव गतिविधियों या व्यवहार करने लगते हैं, जो कि उनके ऑब्सेशन या अनचाहे डर का एक नतीजा होता है। यहां पर कुछ लक्षण दिए गए हैं, जिन पर आप ध्यान दे सकते हैं: 

  1. जर्म्स, धूल या बीमारियों का अत्यधिक डर, जिसके कारण वे जरूरत से ज्यादा सावधानी बरतते हैं और बार-बार हाथ धोते हैं। 
  2. कीटाणुओं के संपर्क से बचने के लिए दस्ताने पहनना या पूरी आस्तीन के कपड़े पहनना। 
  3. किसी एक जगह या चीज को बार-बार साफ करना। 
  4. अत्यधिक संदेह के कारण चीजों को बार-बार चेक करना, जैसे दरवाजा लॉक है या नहीं या किताबें पैक हुई या नहीं इसे बार-बार चेक करना। 
  5. किसी खास शब्द या शब्दों के समूह का बार-बार इस्तेमाल करना। 
  6. एक परफेक्ट सिमिट्रिकल पद्धति में चीजों को व्यवस्थित करने की आदत। 
  7. हर दिन एक सख्त रूटीन का पालन करना। 
  8. लकी-अनलकी नंबरों में जरूरत से ज्यादा विश्वास और लकी नंबर को सुनिश्चित करने के लिए हर कदम या गतिविधि को हर बार गिनना। 
  9. परफेक्शन की इच्छा में चीजों को बार-बार करना। 
  10. कुछ खास काम या किसी खास काम को करने के लिए अचानक लगातार और तीव्र इच्छा होना। 
  11. शब्दों को बार-बार दोहराना। 
  12. एक ही सवाल बार-बार पूछना। 
  13. दूसरों के द्वारा कहे गए शब्दों को उन्हें ही बार-बार कहना। 
  14. किसी प्रिय व्यक्ति को चोट लगने का अत्यधिक डर। 
  15. किसी खास चीज को संग्रह करना। 

पहचान

ओसीडी की पहचान के लिए कोई विशेष लैब टेस्ट नहीं होता है। लेकिन अगर आप अपने बच्चे में ओसीडी के लक्षणों को नोटिस कर रही हैं, तो आप इसकी पहचान के लिए चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट या एक साइकेट्रिस्ट जैसे प्रशिक्षित मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मिल सकती हैं। एक चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से मदद लेने से पहले आपको अपने बच्चे के लक्षणों और उनकी फ्रीक्वेंसी का पूरा रिकॉर्ड रखने की जरूरत होगी, ताकि आप डॉक्टर को सही जानकारी से अवगत करा सकें। 

चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट आपका और आपके बच्चे का इंटरव्यू लेंगे या आपको एक विस्तृत प्रश्नोत्तरी भरने को कहेंगे। आपके बच्चे के ओसीडी टेस्ट में लक्षणों और उनकी गंभीरता को लेकर कई सवाल शामिल होंगे, ताकि उनकी बीमारी की गंभीरता को समझा जा सके। आपका बच्चा इस बीमारी से ग्रस्त केवल तब ही पाया जाएगा, जब ओसीडी उसके दैनिक जीवन को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहा हो। 

कुछ चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट अन्य मेडिकल समस्याओं की संभावना का पता लगाने के लिए एक शारीरिक जांच या लैब टेस्ट भी कर सकते हैं। ओसीडी की जल्द पहचान होने से बच्चे के लिए सही इलाज ढूंढने में आपको मदद मिलेगी। 

बच्चों में ओसीडी का इलाज

ओसीडी का कोई इलाज नहीं है। लेकिन अगर जल्द ही इसकी पहचान हो जाती है, तो इसके लक्षणों को कम करने के लिए या खत्म करने के लिए भी, प्रभावी उपचार दिया जाएगा। ओसीडी के सौम्य मामलों से ग्रस्त बच्चे नियमित थेरेपी के साथ ठीक हो सकते हैं और गंभीर लक्षणों से ग्रस्त बच्चों को दवाएं दी जाती हैं। बच्चे की आयु, बीमारी, लक्षण, उसकी गंभीरता और दवाओं के लिए सहनशीलता के आधार पर दवा और थेरेपी दोनों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। 

इसके इलाज को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है: 

1. मनोचिकित्सा संबंधी 

एक्स्पोजर एंड रिस्पांस थेरेपी नामक एक कॉग्निटिव व्यव्हार संबंधी थेरेपी के इस्तेमाल से सनक की जड़ को पहचाना जाता है। बच्चों में यह इलाज काफी कारगर पाया गया है और उनके कंपल्शन को बेहतर बनाने में यह काफी मदद करता है। थैरेपिस्ट कुछ मामूली पाबंदियां भी लगा सकते हैं, जैसे बच्चा एक दिन में किसी हरकत को कितनी बार दोहरा सकता है, ताकि अत्यधिक व्यवहार को धीरे-धीरे और अंत में खत्म किया जा सके। 

हालांकि थेरेपी एक लंबी प्रक्रिया है और छोटे बच्चे जो अब तक यह समझ नहीं पाए हैं, कि उनकी हरकतों को समय रहते हुए कम करने की जरूरत है, उनके लिए यह कठिन हो सकता है। 

मनोचिकित्सा संबंधी 

2. दवाइयों के द्वारा

जब इलाज के लिए थेरेपी एक विकल्प नहीं रह जाती है या संभव नहीं होती है, उस स्थिति में सिलेक्टिव सेरोटोनिन रिअपटेक इन्हिबिटर या एसएसआरआई जैसी दवाएं दी जाती हैं। ये मस्तिष्क में विशेष कर न्यूरोट्रांसमीटर्स को लक्ष्य करती हैं और एंटी डिप्रेशन के रूप में भी काम करती हैं, जिससे घबराहट में कमी आती है और बच्चा थेरेपी लेने के लिए तैयार हो जाता है। 

अगर ओसीडी स्ट्रेप्टोकोकल इंफेक्शन के कारण ट्रिगर हुआ हो, तो बच्चे को एंटीबायोटिक भी दिए जा सकते हैं।

अन्य विकार जो ओसीडी के साथ हो सकते हैं

ज्यादातर बच्चों में ओसीडी के साथ-साथ अन्य डिसऑर्डर भी पाए जाते हैं। ओसीडी से ग्रस्त लोगों और बच्चों में अक्सर कुछ मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकार दिखाई देते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: 

  1. एंग्जाइटी डिसऑर्डर
  2. बाइपोलर डिसऑर्डर
  3. डिप्रेशन
  4. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर या एएसडी
  5. एडीडी (अटेंशन डिफिसिट डिसऑर्डर) या एडीएचडी (अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर)
  6. खाने संबंधी विकार
  7. टिक्स या टौरेट सिंड्रोम
  8. बॉडी डिस्मोरफिक डिसऑर्डर या शरीर में किसी वास्तविक या काल्पनिक कमी को लेकर ऑब्सेशन
  9. होर्डिंग डिसऑर्डर (अनावश्यक रूप से कोई चीज जमा करना)
  10. ट्राइकोटिल्लोमेनिया या ओब्सेसिव हेयर पुलिंग डिसऑर्डर (बार-बार बाल खींचने की आदत)
  11. एक्सोरिएशन या एक्सट्रीम स्किन पिकिंग डिसऑर्डर (त्वचा को कुरेदने का विकार)

अन्य विकार जो ओसीडी के साथ हो सकते हैं

इनमें से कुछ बीमारियां बच्चों में ओसीडी के लक्षणों जैसी दिख सकती हैं और आमतौर पर ओसीडी से संबंधित बीमारियों की श्रेणी में आती हैं। 

स्कूल के दौरान ओसीडी को मैनेज करना

स्कूल में शिक्षकों को अपने बच्चे की बीमारी के बारे में बताना एक ऐसा निर्णय जो आपका फैसला ही हो सकता है। हालांकि शिक्षकों और स्कूल को इसकी जानकारी देना फायदेमंद होता है। हो सकता है, कि ओसीडी के कारण आपके बच्चे को सामाजिक, भावनात्मक या पढ़ाई में दिक्कतें आएं। इनकी जानकारी होने पर शिक्षक उस पर अतिरिक्त ध्यान देने में सक्षम हो सकते हैं। 

साथ ही, चूंकि ओसीडी के लक्षण स्पष्ट दिखते हैं, ऐसे में हो सकता है, कि शिक्षकों को इस बीमारी के बारे में पहले से ही जानकारी हो। क्योंकि ज्यादातर स्कूल व्यावहारिक बीमारियों से ग्रस्त बच्चों को संभालने के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग देते हैं। आप इस बारे में अपने बच्चे के टीचर से विचार-विमर्श भी कर सकती हैं, ताकि आप यह समझ पाएं कि उन्हें इस बीमारी के बारे में कितनी जानकारी है और ओसीडी से ग्रस्त बच्चों की मदद के तरीकों को लेकर आप उन्हें अपडेट कर सकें। किताबें, वीडियो और वेबसाइट जो इस बीमारी पर चर्चा करते हैं, उन्हें शिक्षकों के साथ शेयर किया जा सकता है। 

स्कूल के दौरान ओसीडी को मैनेज करना

ओसीडी से ग्रस्त टीनएज बच्चों को संभालना

जो किशोर उम्र के बच्चे ओसीडी से ग्रस्त होते हैं, उनकी व्यावहारिक समस्याएं अक्सर नियंत्रण से परे होती हैं। आपके लिए जरूरी है, कि आप अपने टीनएज बच्चे को ओसीडी का सामना करने के लिए आगे बढ़कर दिलचस्पी दिखाएं और उसे ओसीडी के कारण जो मानसिक और भावनात्मक तनाव हो रहा है, उसे कम करने में मदद के लिए थेरेपी में हिस्सा लेने के लिए तैयार कर सकें। यहां पर कुछ बातें दी गई हैं जिन पर आप ध्यान दे सकती हैं: 

  • ओसीडी के उसके लक्षणों को लेकर शिकायत न करें या उस पर कटाक्ष न करें। यह एक बीमारी है जिस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। 
  • ओसीडी के बारे में जितना संभव हो सके सीखें और जानकारी हासिल करें। 
  • अपने बच्चे से बात करें और तनाव को हैंडल करने और रिलैक्स करने के तरीके ढूंढने में उसकी मदद करें, उदाहरण के लिए आप अपने बच्चे के साथ योगा और दूसरी क्लासेस ज्वाइन कर सकती हैं। 
  • उसे कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के लिए थेरेपिस्ट के पास जरूर लेकर जाएं। 
  • उसके लिए हमेशा उपलब्ध रहें और अपने बच्चे को यह एहसास होने दें, कि वह कभी भी आप से मदद ले सकता है। 
  • अपने बच्चे के कंपल्शन को एक स्वस्थ स्थान देने के तरीकों के बारे में थेरेपिस्ट से बात करें। 
  • अपने परिवार और दोस्तों से मदद लें, ताकि बच्चे को इस बीमारी से बाहर आने में वे आपकी मदद कर सकें। 
  • अगर संभव हो तो फैमिली थेरेपी के लिए परिवार को तैयार करें, ताकि हर कोई इस बीमारी को अच्छी तरह समझ सके और बच्चे को इससे राहत दिलाने में मदद कर सके। 
  • अपना धैर्य बनाए रखने और शांत रहने का पूरा प्रयास करें, ताकि परेशान होने के बावजूद आप बच्चे के व्यवहार को नियंत्रित रख सकें। आपके बच्चे को यह विश्वास होना चाहिए, कि वह आप पर भरोसा कर सकता है। 
  • अगर आपके सामने कोई ऐसी स्थिति आ जाती है, जिसके बारे में आप दुविधा में हैं, तो तुरंत बच्चे के थेरेपिस्ट या किसी अन्य मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मदद लें। 
  • हमेशा अपने बच्चे को सपोर्ट करें और एक समय पर एक ही कदम उठाएं और किसी भी कार्य के लिए उस पर दबाव न डालें। 
  • इस बात का ध्यान रखें, कि आपका बच्चा दी गई दवाओं का नियमित रूप से सेवन करे। 

सही ध्यान और इलाज के बावजूद, ओसीडी के लक्षणों को कम होने में और स्पष्ट सुधार दिखने में बहुत लंबा समय लग सकता है। याद रखें, हमेशा वह इलाज चुनें जो आपके बच्चे के लिए सही हो और वह उस पर सही तरह से अमल करे। ओसीडी से निपटने में अपने बच्चे की मदद करने के लिए आपकी सक्रिय हिस्सेदारी बहुत जरूरी है और इस रास्ते में हर कदम पर उसे सहयोग देना और उसका मार्गदर्शन करना भी आपके लिए आवश्यक है। 

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