बच्चों पर वीडियो गेम्स का प्रभाव

बच्चों पर वीडियो गेम्स का प्रभाव

बच्चों के विकास पर वीडियो गेम्स के प्रभावों को समझने के लिए कई रिसर्च हो चुकी हैं। अलग-अलग उद्देश्यों के लिए कई प्रकार के गेम बनाए जाते हैं, कुछ मनोरंजक और रिलैक्सिंग हो सकते हैं जबकि कुछ गेम्स चैलेंजिग और सीखने वाले होते हैं यानी मस्तिष्क के विकास के लिए अच्छे साबित हो सकते हैं। हालांकि, सभी वीडियो गेम्स बच्चों के लिए अच्छे नहीं होते हैं और उनके प्रभाव नकारात्मक भी हो सकते हैं।

बच्चों पर वीडियो गेम्स का सकारात्मक प्रभाव 

बच्चों पर वीडियो गेम्स का सकारात्मक प्रभाव 

यहां बच्चों के वीडियो गेम्स खेलने से उन पर होने वाले कुछ पॉजिटिव इफेक्ट्स के बारे में बताया गया है:

1. एक टीम के रूप में साथ काम करना

आज अधिकतर गेम्स ऑनलाइन खेले जाते हैं और इसमें अक्सर देश या दुनिया के कई खिलाड़ी शामिल होते हैं, जो आपके बच्चे को दूसरे खिलाड़ियों के साथ खेलने के लिए मोटिवेट करते हैं। यह आपके बच्चे को एक टीम के रूप में साथ काम करने और समस्याओं को एक साथ हल करने के लिए जरूरी स्किल को विकसित करने में  मदद करते है।

2. बेहतर निर्णय लेने की क्षमता

गेम के फंक्शन रियल टाइम में होते हैं और ज्यादातर खेल तेज गति वाले होते हैं। ऐसे गेम को खेलने के लिए खिलाड़ी को कम समय में जल्दी फैसला लेना होता है। यह डिसीजन मेकिंग स्किल को बनाने में मदद करता है जैसे स्पोर्ट्स या मेडिकल जैसे वास्तविक जीवन के क्षेत्रों में, जहां अक्सर दबाव में निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। ऐसे गेम्स से फायदा होता है, क्योंकि आगे चलकर बच्चों को प्रेशर में रहकर अपने फैसले जल्दी लेने की काबिलियत पैदा होती है।

3. झटपट लिए फैसले में गलती न करना 

वीडियो गेम्स के जरिए सभी निर्भर मापदंडों (डिपेंडिंग पैरामीटर) को तेजी से कैलुकेट करना सीखकर आपका बच्चा सही और जल्दी फैसला लेने में सक्षम होता है। यह एक बहुत ही उपयोगी स्किल है, यही वजह है कि सैनिकों और डॉक्टरों को भी अपने निर्णय लेने के कौशल को तेज करने के लिए वीडियो गेम खेलने की सलाह दी जाती है।

4. हाथों और आँखों के बीच तालमेल 

वीडियो गेम खेलने से, बच्चे के हाथ और आँख के बीच का कोआर्डिनेशन बेहतर होता है। वे जब भी गेम को सीखना शुरू करते हैं, तो उनके अंगों की गति उनके आसपास की चीजों और स्थान को देखने के तरीके को प्रभावित करती है। रोजमर्रा के कामों को करने के लिए भी हाथ और आंख के बीच एक अच्छे कोआर्डिनेशन की जरूरत होती है। यह पहेली को सुलझाने के अलावा लगभग हर तरह के खेलों के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है।

5. बेहतर कॉग्निटिव फंक्शन 

जब एक ही स्किल को कई बार दोहराया जाता है, तो मस्तिष्क उसकी एक इमेज विकसित करना शुरू कर देता है और अपने कामों को उसके मुताबिक करने के लिए नए न्यूरल पाथ और ट्रांसमीटर को बनाता है। ऐसे में जब मस्तिष्क फोकस के साथ मानसिक समस्याओं को तेजी से हल करने में सक्षम होने के लिए खुद को ढालने लगता है, तो जो आखिरकार वास्तविक जीवन में भी मुद्दों को हल करने में मदद कर सकता है।

बच्चों पर वीडियो गेम्स के नकारात्मक प्रभाव 

बच्चों पर वीडियो गेम्स के नकारात्मक प्रभाव 

वीडियो गेम खेलने के कुछ नुकसान भी बताए गए हैं, जो इस प्रकार हैं: 

1. सेहत की समस्याएं

फिजिकल एक्टिविटी में शामिल होने की जगह वीडियो गेम खेलने में बहुत ज्यादा समय बिताना बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। अगर वह घर से बिल्कुल बाहर नहीं निकलता है और लोगों से मेलजोल नहीं बढ़ाता तो उसका कॉग्निटिव डेवलपमेंट प्रभावित हो सकता है। लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहने और वीडियो गेम खेलने से मोटापा बढ़ने की संभावना होती है, इसके अलावा मांसपेशियों और जोड़ों में कमजोरी आ सकती यही, हद से ज्यादा एक्जर्शन के कारण हाथ और पैर की अंगुलियां सुन्न हो सकती हैं और कई रिसर्च से पता चलता है कि लगातार लंबे समय तक वीडियो गेम्स खेलने से आंखों की रोशनी भी कमजोर हो जाती है।

2. पढ़ाई में समस्या

वीडियो गेम खेलने में जो मजा आता है वो बच्चों को स्कूल में बिताए पूरे दिन में भी नहीं मिलता है। बच्चे वीडियो गेम की तुलना में बाकी की एक्टिविटी में उतनी ज्यादा रुचि नहीं दिखाते हैं। बच्चे वीडियो गेम्स के लिए स्कूल के काम पर ध्यान नहीं देते है। एग्जाम के लिए पढ़ाई करना और होमवर्क आदि करना तक छोड़ देते हैं और इसकी जगह वीडियो गेम्स को चुनते हैं। जिसके परिणामस्वरूप बच्चे का प्रदर्शन स्कूल में धीरे-धीरे खराब हो सकता है, साथ ही उसकी इमोशनल इंटेलिजेंस पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। 

3. गलत मूल्यों से संपर्क 

बाजार में मौजूद कई वीडियो गेम्स में बहुत ज्यादा हिंसा, अति-कामुकता, गालियां, जातिवाद और कई अन्य नकारात्मक चीजें दिखाई जाती हैं, जो बच्चों पर बहुत ही बुरा असर डालती हैं और लगातार इस प्रकार के वीडियो देखने पर बच्चा उसी तरह के व्यवहार को अपनाने की कोशिश करने लगता है, जैसा कि खेलों में दिखाया जाता है। क्योंकि उसकी मस्तिष्क संरचना अभी भी विकसित हो रही होती है और बच्चे रियल और वर्चुअल दुनिया में सही और गलत में अंतर नहीं कर पाते हैं। 

4. सामाजिक रूप से अलग कर देता है

भले ही मल्टीप्लेयर गेम मौजूद हों, लेकिन अधिकतर बच्चे उन्हें अपने कमरे में अकेले ही खेलना पसंद करते हैं। यह वास्तविक जीवन में उनके इंटरपर्सनल स्किल को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, और वे अकेले रहना पसंद करने लगते हैं और डिजिटल रूप से ही बातचीत करना पसंद करते हैं। ऐसे बच्चे लोगों से बातचीत करने में खुद को असफल और सामाजिक समारोहों में बोरियत महसूस करते हैं। यही नहीं, उनके काम और व्यक्तिगत जीवन में भी तालमेल की कमी, डिप्रेशन, एंग्जायटी, तनाव की संभावना अधिक बढ़ जाती है।

5. आक्रामक व्यवहार

वीडियो गेम्स में हिंसा और उनके जरिए मिलने वाली संतुष्टि के कारण बच्चों के व्यवहार में भी आक्रामकता और अधीरता महसूस की जा सकती हैं। ऐसे में बच्चों पर कोई प्रतिबंध लगाने या किसी काम को करने से रोकने वाले व्यक्ति पर वो हमला भी कर सकते हैं या आक्रामक बर्ताव कर सकते हैं।

बच्चों में वीडियो गेम की लत के लक्षण

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी 2018 की मेडिकल रेफरेन्स बुक, इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीजेज में ‘गेमिंग डिसआर्डर’ को शामिल किया है। वीडियो गेम की लत लगना काफी आसान है। आपका बच्चा भी इसका आदी हो सकता है अगर उसमें निम्नलिखित लक्षण हैं: 

1. इनकार करना

लत लगने का पहला संकेत रक्षात्मक हो सकता है यानी आपका बच्चा इस बात को मानने से इंकार कर सकता है कि वह वीडियो गेम पर बहुत अधिक निर्भर है, भले ही आप उसे इसका सबूत दें।

2. खेल संबंधी खर्चे

आपका बच्चा खेल को अपग्रेड करने और उससे संबंधित अलग-अलग चीजों को खरीदने के लिए खर्च करने के लिए पैसे मांग सकता है, या वो अपनी इस आदत को बढ़ावा देने के लिए आपके किसी सामान की चोरी भी कर सकता है।

3. जीवन के अन्य पहलुओं में अरुचि होना

वीडियो गेम की दुनिया आपके बच्चे के जिंदगी को इस हद तक बर्बाद कर सकती है कि उसे दोस्त और परिवारजन उबाऊ लगने लगें। पढ़ाई न करना, दोस्तों के साथ जुड़ाव खत्म करने के अलावा कुछ बच्चे बुनियादी स्वच्छता बनाए रखना भी छोड़ देते हैं (कई दिनों तक नहाना छोड़ देना), क्योंकि वो अपना पूरा समय वीडियो गेम खेलने में बिताने लगते हैं। 

4. अनियंत्रित गेमिंग टाइम्स

आमतौर पर वीडियो गेम खेलने वाला बच्चा आपसे ये वादा कर सकता है कि वह केवल 10 मिनट तक ही खेलेगा या जब तक वह एक खास स्तर को पूरा नहीं कर लेता है, लेकिन वह अगर आगे नहीं बढ़ पाता है तो बार-बार आपसे थोड़ा और टाइम बढ़ाने की मांग करेगा, जिससे वो हद से ज्यादा घंटों तक वीडियो गेम खेल सके।

5. विफलता को समझने में असमर्थ होना

अगर आपका बच्चा अपने खेल में पिछड़ रहा है या अपने स्तर को पूरा नहीं कर पाता है, तो ऐसी स्थिति में वो किसी के साथ भी आक्रामक व्यवहार कर सकता है। क्योंकि वो खेल में होने वाली हार को सामान्य रूप से लेने की जगह खुद को छोटा समझने लगेगा, साथ ही गुस्सा और निराशा महसूस करेगा। जबकि वो यह समझने में असमर्थ है कि यह केवल एक खेल है और हर खेल में हार जीत होना बहुत ही सामान्य बात होती है।

6. छुपाना और खेलना

अगर बच्चा बहुत ज्यादा वीडियो गेम खेलता है और ऐसे में आप उसे डांटते हैं या गेम खेलने से रोकते हैं, तो वह आपको बिना बताए चुपचाप या छुपकर खेलने के तरीके खोज सकता है या झूठ बोलना या कोई अन्य बहाना बनाना शुरू कर सकता है।

7. लगातार व्यस्त

बच्चा वीडियो गेम से दूर होने पर भी, विचलित या विचारों में खोया हुआ दिखाई देता है, आमतौर पर खेल से संबंधित बातों के बारे में सोचता है या लगातार इसके बारे में बात करता है। गेम खेलने की आदत के बारे में किसी भी बात का उल्लेख उसे इरिटेट कर सकता है। 

माता-पिता बच्चों को वीडियो गेम का ठीक से आनंद लेने और समस्याओं से बचने में कैसे मदद कर सकते हैं?

बच्चों के लिए वीडियो गेम के कई फायदे और नुकसान हैं, लेकिन पेरेंट्स यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ पहलुओं को ध्यान में रख सकते हैं कि उनके बच्चे बिना किसी समस्या के खेल का आनंद ले सकें।

  • प्रीस्कूल जाने की उम्र वाले अपने बच्चे को वीडियो गेम खेलने की अनुमति न दें।
  • कोई गेम खरीदने या बच्चे को इसे खेलने देने से पहले, रेटिंग, आयु सीमा और इसके साथ दी गई किसी भी सामग्री यानि कंटेट और चेतावनियों की जांच जरूर करें।
  • खुद खेल खेलने की कोशिश करें और खुद को उनकी दुनिया का हिस्सा बनाएं। इससे बच्चा खेल के अलग-अलग पहलुओं पर आपसे खुलकर चर्चा कर सकेगा।
  • गेम खेलने के लिए एक निश्चित समय बनाएं। इसमें दोस्त के घर गेम खेलना भी शामिल होना चाहिए।
  • अपने बच्चे की अजनबियों के साथ किसी भी ऑनलाइन बातचीत पर नजर रखें और ध्यान रहे कि वे किसी को भी कोई व्यक्तिगत जानकारी न दे।
  • किसी भी तरह के गैजेट्स को अपने बच्चे के कमरे से दूर रखें, खासकर रात के समय।
  • यह सुनिश्चित करें कि बच्चे की गेमिंग वाली जगह पर कोई भी नजर रख सके, साथ ही आप भी स्क्रीन को दूर से आसानी से देख सकें।
  • अगर आप एक गेमर हैं, तो अपने लिए वही नियम लागू करें, जो आप बच्चे को सिखाना चाहते हैं।
  • उसे अपना होमवर्क और अन्य कार्यों को पूरा करने के बाद ही वीडियो गेम खेलने दें।
  • अन्य शारीरिक गतिविधियों या मैदानी खेलों को भी बच्चे के जीवन का हिस्सा बनाएं।

छोटे बच्चों के लिए वीडियो गेम की सलाह नहीं दी जाती क्योंकि स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी उनकी आंखों पर बुरा असर डाल सकती है। इस तरह के खेल कोमल मस्तिष्क पर अनुचित मूल्यों और अनैतिकताओं को सच मानने की गलती कर सकते हैं, यही कारण है कि आपको अपने बच्चे को लंबे समय तक खुश रखने के लिए कुछ अन्य गतिविधियों यानी एक्टिविटीज को तलाशने का प्रयास करना चाहिए। आप बच्चे को व्यस्त रखने के लिए क्राफ्ट किट खरीद सकते हैं। वर्कशीट और स्टोरीबुक के साथ मस्ती से भरा एक्टिविटी बॉक्स बच्चे को बिजी रखने का एक शानदार तरीका है। इसके अलावा, उसे हर दिन अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए कुछ समय जरूर देना चाहिए, इससे उसमें आत्म-नियमन कौशल यानि सेल्फ रेगुलेशन स्किल को विकसित करने में मदद मिलेगी, जो जीवन के सभी पहलुओं और सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी।

स्रोत: Webmd

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