गर्भावस्था के दौरान होने वाले दर्द के प्रकार और उनके उपाय

गर्भावस्था के दौरान होने वाले दर्द के प्रकार और उनके उपाय

गर्भावस्था के दौरान होने वाले दर्द आमतौर पर चिंताजनक नहीं होते हैं, लेकिन तभी जब वह प्री-एक्लेमप्सिया या प्री-टर्म लेबर से जुड़ा न हो। यह दर्द ज्यादातर गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले बदलावों के कारण और साथ ही वजन के बढ़ने से भी होते हैं।

गर्भावस्था के दौरान महसूस होने वाले दर्द के आम प्रकार

गर्भावस्था के दौरान महसूस होने वाले दर्द के आम प्रकार

प्रेगनेंसी के भी अपने अलग साइड इफेक्ट्स होते हैं। गर्भावस्था के समय बहुत सारे दर्द और तकलीफ को सहना पड़ता है। इस दौरान गर्भवती महिला को होने वाले दर्द के आम अनुभव के बारे में नीचे विस्तार में बताया गया है। 

1. पेट दर्द

गर्भावस्था के समय इस तरह के दर्द के लक्षण बिल्कुल सामान्य होते हैं। यह गैस, जलन, कब्ज और यहाँ तक ​​कि गर्भ में बढ़ते बच्चे के कारण भी होता है। ऐसा दर्द कभी-कभी गर्भधारण की शुरुआत में इंप्लांटेशन के दौरान होने वाले क्रैम्प से भी हो सकता है। दूसरा कारण, गर्भाशय को सहारा देने वाले लिगामेंट्स के खिंचने से भी दर्द महसूस होता है। गलत लेबर, ब्रेक्सटन-हिक्स कॉन्ट्रैक्शन और गर्भावस्था के 8वें महीने में होने वाला दर्द भी कई कारणों में से एक हो सकते हैं। सही लेबर के दौरान भी ज्यादातर महिलाएं गंभीर रूप से क्रैम्प का अनुभव करती हैं।

उपाय

गर्भावस्था के दौरान छोटी-मोटी समस्याओं के कारण होने वाले पेट दर्द को रोकने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे बहुत तेज न चलें, जिस तरफ दर्द हो रहा हो उस ओर न झुकें, ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, और लाइट स्ट्रेचिंग या वॉक करें ताकि पेट में गैस न बने और जो गैस बनी हो वो पास हो जाए। इस प्रकार आप पेट में हो रहे दर्द को कम कर सकती हैं।

डॉक्टर से सलाह कब लें?

यदि दर्द योनि से ब्लीडिंग या सफेद डिस्चार्ज के साथ हो या उसके बिना लंबे समय तक बना रहता है, तो आपको अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

2. पीठ दर्द

गर्भावस्था के दौरान होने वाले पीठ दर्द दो तरह के हो सकते हैं। पहला पीठ के निचले हिस्से में और दूसरा पोस्टीरियर पेल्विक दर्द यानी कि पेट के निचले हिस्से में होने वाला दर्द। गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द कई कारणों से हो सकता है जैसे कि वजन बढ़ना, उठने-बैठने का गलत तरीका, हार्मोनल बदलाव, गर्भाशय के बढ़ने की वजह से मांसपेशियों का अलग होना और तनाव भी इसका कारण हो सकता है।

उपाय

प्रेगनेंसी के दौरान के होने वाले पीठ दर्द को सही तरीके से उठने-बैठने, प्रेगनेंसी की स्टेज में सही एक्सरसाइज करने और बाएं ओर सोते वक्त अपने दोनों पैरों के बीच तकिया रखने से कम किया जा सकता है। इस तरह के पीठ दर्द से राहत दिलाने में एक्यूपंक्चर भी कारगर साबित होता है। जिस जगह पर दर्द हो रहा हो वहां पर गर्म और ठंडा सेंक करने से भी दर्द कम होगा।

डॉक्टर से सलाह कब लें?

यदि गर्भावस्था के दौरान आपकी पीठ में दर्द होने के साथ बुखार भी है, तो यह इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। यह दर्द गंभीर भी हो सकता है, जिससे आपको पेशाब करने में भी मुश्किल हो सकती है। इसलिए ऐसे हालात में तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाएं।

3. योनि का दर्द

वेजाइना यानी योनि का दर्द गर्भावस्था के कुछ शुरुआती दर्द में से एक है। इस दर्द का कारण अक्सर यूट्रस के फैलने और पेल्विक में अधिक मात्रा में खून के प्रवाह की वजह से होता है। यहाँ तक ​​​​कि कब्ज (जो प्रेगनेंसी हार्मोन और गर्भावस्था के दौरान प्रिस्क्राइब किए गए आयरन और विटामिन सप्लीमेंट्स खाने से होता है) भी दर्द के पीछे एक कारण हो सकता है।

उपाय

यदि गर्भावस्था के दौरान कब्ज आपके लिए चिंता की बात है, तो अपने आहार में वो खाना शामिल करें जिसमें अधिक फाइबर हो और जितना हो सके उतना पानी पिएं। आप गर्भावस्था के लिए सुरक्षित बॉवेल सॉफ्टनर के लिए अपने डॉक्टर से भी पूछ सकती हैं। कुछ पेल्विक एक्सरसाइज करने से भी दर्द में राहत मिलती है। एक अच्छे थेरेपिस्ट से गर्भावस्था के समय आप मालिश करवा सकती हैं और साथ ही गुनगुने पानी से नहाना बिलकुल न भूलें। आप प्रेग्नेंसी सपोर्ट कपड़े भी ट्राई कर सकती हैं जो पेट को सहारा देते हैं जिससे पेल्विक क्षेत्र, कूल्हों और पीठ के निचले हिस्से से दबाव कम पड़ता है।

डॉक्टर से सलाह कब लें?

आपको दर्द के साथ योनि से होनी वाली ब्लीडिंग के खतरे को भी नोटिस करना चाहिए, गंभीर रूप पेल्विक क्षेत्र में दर्द होना, चलने में मुश्किल होना, गंभीर रूप से या हल्का सिरदर्द होना, शरीर में सूजन, बुखार या ठंड लगना। अगर आपको योनि में दर्द के साथ इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।

4. कार्पल टनल सिंड्रोम

कलाई में दर्द, अंगुलियों के जोड़ों के साथ-साथ इनका सुन्न पड़ना, झुनझुनी महसूस करना कार्पल टनल सिंड्रोम के सामान्य लक्षण माने जाते हैं। ये अवस्था आमतौर पर गर्भावस्था के दूसरे, तीसरे महीने में होती है और प्रसव के बाद तक भी जारी रह सकती है। कई बार दर्द इतना तेज हो जाता है कि बच्चे को कैरी करना भी नामुमकिन सा हो जाता है!

उपाय

किसी अच्छे थेरेपिस्ट से मालिश करवाने से आपको दर्द से राहत मिलेगी। दर्द वाली जगह पर ठंडे या गर्म पैड से सिकाई करें, कलाई को समय-समय पर घुमाएं या फिर जब भी आप अधिक काम करें तो कुछ देर के लिए दर्द वाली जगह पर एक पट्टी बांध लें, जो आपको कार्पल टनल सिंड्रोम से होने दर्द और सुन्न पड़े हाथों से राहत देगा।

डॉक्टर से  सलाह कब लें?

कलाई में तेज दर्द या हाथों का सुन्न होना जिससे चीजों को पकड़ने में काफी दिक्कत होती है, जो आपके लिए चिंता का विषय होता है। इसलिए ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लें। यदि प्रसव के बाद भी लक्षण बने रहते हैं तो आप अपने डॉक्टर को भी बुला सकती हैं।

5. सिरदर्द

गर्भावस्था के शुरुआती समय में सिरदर्द होना आम बात है। हालांकि, ये दर्द वक्त के साथ काफी कम हो जाता है और आखिरी दो तिमाही में पूरी तरह से बंद हो जाता है।

उपाय

ठंडी सिकाई, सिर की मालिश करना, ढेर सारा पानी पीना, अच्छी नींद लेना, टहलना और तनाव मुक्त होना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले सिरदर्द को ठीक करने के कुछ तरीके हैं। आप कुछ दर्द निवारक दवाएं भी ले सकती हैं लेकिन अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही। 

डॉक्टर से सलाह कब लें

गर्भावस्था के दौरान कई बार सिरदर्द का मतलब कुछ गंभीर भी हो सकता है। जब भी आपको गंभीर सिरदर्द के साथ धुंधला दिखे, आंखों के सामने रौशनी छाना, पसलियों के नीचे तेज दर्द होना, मतली और शरीर में सूजन महसूस होना आदि हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें। ये प्री-एक्लेमप्सिया के संकेत हो सकते हैं।

6. पैर में ऐंठन होना 

पैरों में ऐंठन होना एक चुभने वाला दर्द की तरह महसूस होता है, जो कि अचानक से बढ़ जाता है। कभी-कभी आपको अपना पैर सीधा करने के लिए भी किसी की मदद की जरूरत पड़ सकती है। इन ऐंठन के कारण पिंडली में और यहाँ तक ​​कि जांघ के पिछले हिस्से में भी दर्द बना रहता है। खराब ब्लड सर्कुलेशन के कारण पैर की पिंडलियों और जांघों में ऐंठन होती है।  

उपाय

जैसे ही आपको पैरों में ऐंठन हो, तो उसी समय उठकर अपने पैरों को स्ट्रेच करने की कोशिश करें। ऐसा करने के लिए आप किसी की मदद भी ले सकती हैं। या फिर खड़े होकर किसी चीज को पकड़ के अपने पैरों को हिलाने की कोशिश करें। आपको यह भी सलाह दी जाती है कि मैग्नीशियम की डोज मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन को कम करने में मदद करती है। इसलिए आप सप्लीमेंट की जगह वो भोजन भरपूर लें जिसमे मैग्नीशियम की मात्रा अधिक हो।

डॉक्टर से सलाह कब लें?

यदि आपको बार-बार और अधिक दर्द के साथ ऐंठन महसूस हो, तो अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

7. साइटिका

रिलैक्सिन हार्मोन बच्चे के जन्म के लिए पेल्विक को तैयार करता है, जिससे लिगामेंट्स ढीले हो जाते हैं, जिसकी वजह से साइटिक नर्व बीच में सिकुड़ जाती है। जब ऐसा होता है तब आपके कूल्हों और पैरों के पिछले हिस्से में बहुत तेज दर्द होता है।

उपाय

साइटिका के दर्द से होम्योपैथी निजात दिला सकती है। इसके अलावा, आप गुनगुने पानी से नहा सकती हैं या दर्द वाले स्थान पर हीटिंग पैड से सिकाई कर सकती हैं।

डॉक्टर से सलाह कब लें?

जैसे ही आप अपने कूल्हों और पैरों के पिछले हिस्से में तेज दर्द महसूस करती हैं, तुरंत आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए ।

8. पाइल्स 

पाइल्स यानी बवासीर, गर्भावस्था के दौरान हार्मोन में परिवर्तन के कारण होने वाली एक बेहद आम लेकिन गंभीर कब्ज की समस्या से पैदा होता है।

उपाय

बवासीर को ठीक करने के लिए सबसे पहले कब्ज से बचना जरूरी है। इसलिए ढेर सारा पानी पिएं और अपनी डाइट में फाइबर से भरपूर खाने को शामिल करें। इस प्रकार कब्ज को मैनेज किया जा सकता है। अपने खाने में हेल्दी चीजों को ज्यादा शामिल करें और मसालेदार खाना कम खाएं। नहाते वक्त गुनगुने पानी में बेकिंग सोडा मिलाएं, इससे उस जगह ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाएगा। बवासीर में होने वाली खुजली से राहत पाने के लिए आप बेकिंग सोडा का पेस्ट उस जगह पर लगा सकती हैं। विच हेजल और नींबू का जूस बवासीर में सूजन और ब्लीडिंग को ठीक करता है।

नॉन-सर्जिकल उपायों में बाइपोलर कोएगुलेशन, पाइल्स आर्टेरिअल लिटिगेशन, रबर बैंडिंग और फ्रीजिंग शामिल हैं। जब बवासीर के कारण हो रही ब्लीडिंग को कंट्रोल न किया जा सके या जब अंदर और बाहर दोनों तरफ कई बवासीर हो, तो ऐसे में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।

डॉक्टर से कब सलाह लें

तेज दर्द और अधिक ब्लीडिंग की शिकायत पर अपने डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।

9. पसली का दर्द

पसली का दर्द आमतौर पर आखिरी तिमाही के दौरान होता है। हालांकि, कुछ महिलाएं इसे प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में भी महसूस करती हैं। यह दर्द तभी बढ़ता जब आपका बच्चा पेट में बड़ा होता है या फिर जब आप खुद को पसली के उलटी तरफ पुश करने की कोशिश करती हैं।

उपाय

पसली के दर्द से आपको 36वें हफ्ते के बाद ही कुछ राहत मिल सकती है, जब आपका गर्भाशय और शिशु थोड़ा नीचे आ जाते हैं। तब तक आप ढीले कपड़े पहनें, सही तरीके से बैठें-उठें, तकिए का इस्तेमाल करें, वॉक करें, योग करें और गुनगुने पानी से नहाएं जिससे आपको दर्द से थोड़ी राहत मिलेगी।

डॉक्टर से सलाह कब लें?

आपको अपने डॉक्टर से पसली में होने वाले तेज दर्द के बारे में बताना चाहिए साथ ही दवाइयों के लिए भी पूछना चाहिए। 

10. स्तनों में दर्द

स्तनों में दर्द किसी भी तिमाही या सभी तिमाही में हो सकता है। यह खासतौर पर गर्भावस्था के दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तन के कारण होता है। तीसरी तिमाही के दौरान मिल्क ग्लैंड कोलोस्ट्रम बनाने के लिए खुद को तैयार कर रहे होते हैं, ऐसे में ब्रेस्ट का दर्द और भी बढ़ जाता है।

उपाय

गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द होना आम बात है और इससे राहत पाने का कोई स्थाई इलाज नहीं है। हालांकि, आप नहाते वक्त स्तनों को जोर से रगड़ने के बजाय एक सपोर्ट ब्रा पहनकर धीरे से साफ करने की कोशिश करें, इससे दर्द को कम किया जा सकता है।

डॉक्टर से सलाह कब लें?

जब स्तनों पर रेडनेस या दाने निकलने लगें या फिर दर्द बहुत तेज हो तो तुरंत अपने डॉक्टर को जाकर दिखाएं।

गर्भावस्था के दौरान महिला द्वारा अनुभव किए जाने वाले लगभग सभी दर्द और तकलीफ आम होते हैं और इसमें चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है। हालांकि, कुछ महिलाओं को मेडिकल सहायता की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए, यदि आप अच्छा महसूस नहीं करती हैं, तो हमेशा अपनी चिंता को अपने डॉक्टर से जरूर साझा करें।

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