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ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ब्रेस्ट कम्प्रेशन – फायदे और तकनीक

अगर ‘ब्रेस्ट कंप्रेशन’ शब्द आपको सुनने में अजीब लगता है और आप इसे दूध निकालने से जोड़ती हैं तो काफी हद तक आप इस प्रक्रिया को समझने के करीब हैं। यह नई मांओं के लिए एक उपयोगी तकनीक है जिससे वे अपने ब्रेस्ट में मौजूद दूध की मात्रा को आसानी से खाली कर सकती हैं और बच्चा पहले से ज्यादा बेहतर रूप से दूध पी सकता है। ‘ब्रेस्ट कंप्रेशन’ के कारण दूध का उत्पादन बढ़ जाता है, क्योंकि बच्चा पहले से अधिक बार और अच्छी तरह से दूध पीता है, इस प्रकार आप अपने ब्रेस्ट को पूरी तरह खाली कर सकती हैं। 

ब्रेस्ट कंप्रेशन क्या होता है?

माँ के दूध बनने और उसकी आपूर्ति को पहले से ज्यादा प्रभावी ढंग से बच्चे तक पहुंचाने या चूसने को बढ़ावा देने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीक के रूप में ‘ब्रेस्ट कंप्रेशन’ को जाना जाता है। माँ बच्चे को दूध पिलाने की स्थिति में रखती है और अपनी अंगुलियों से ब्रेस्ट को नीचे से पकड़ती है जबकि अंगूठे को ब्रेस्ट के ऊपर रखती है। इसके बाद वह धीरे से ब्रेस्ट को दबाते हुए इसे निचोड़ती है जिससे ज्यादा दूध निकल सके और बच्चा पर्याप्त दूध पी सके। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ब्रेस्ट को दबाकर आप यह तय करती हैं कि आपका सारा दूध बच्चे को मिल सके। इस प्रक्रिया के दौरान, सामान्य स्थिति की तुलना में दूध ग्रंथियों पर धीरे से ज्यादा दूध छोड़ने के लिए दबाव डाला जाता है, जिसके फलस्वरुप दूध का प्रवाह बढ़ जाता है। अगर बच्चे को हर बार चूसने पर पहले से ज्यादा दूध मिलता है, तो इससे वह जल्दी दूध पीने के लिए तैयार रहता है। इससे दूध पिलाने की आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) बढ़ जाती है और दूध का उत्पादन भी बढ़ जाता है क्योंकि ब्रेस्ट समय पर पूरा खाली हो जाता है। 

ब्रेस्ट कंप्रेशन करने के क्या लाभ होते हैं?

हालांकि, दूध को निकालने के लिए ब्रेस्ट कंप्रेशन तकनीक को बहुत ही कम महत्व दिया जाता है, जबकि यह बच्चे को दूध पिलाने के लिए सबसे उपयोगी तरीकों में से एक है। ब्रेस्ट कंप्रेशन के निम्नलिखित फायदे होते हैं:

  • यह तकनीक नवजात बच्चों को दूध पिलाने में मदद करती है खासकर उन्हें जो अक्सर दूध पीते समय सो जाते हैं और पूरा दूध नहीं पीते हैं, आमतौर पर ऐसा तब होता है जब दूध का प्रवाह धीमा हो जाता है और रुक-रुक कर आता है। जैसे बड़े बच्चों को अपना खाना खत्म करने के लिए बार बार कोहनी मारनी पड़ती है, वैसे ही ब्रेस्ट को थोड़ा सा दबाकर, दूध की थोड़ी मात्रा को बढ़ाकर बच्चे के मुंह में डाला जाता है। जिससे फीड को पूरा करने में मदद मिलती है, और बेबी भी अपना पेट भरा हुआ महसूस करता है।
  • लंबे समय तक दूध पिलाने की वजह से अक्सर माँओं को निप्पल में दर्द महसूस होता है, लेकिन ब्रेस्ट कंप्रेशन के जरिए बच्चे को पिलाए जा रहे दूध की मात्रा को बदले बिना ही दूध पिलाने के समय को कम किया जा सकता है।
  • यह तकनीक उन बच्चों के लिए बहुत मददगार है, जिनका आमतौर पर वजन नहीं बढ़ता है, जबकि वह एक ब्रेस्टफीडिंग सेशन के दौरान अन्य की तुलना में ज्यादा दूध पीते हैं।
  • कई छोटे बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराने में मुश्किल होती है, जिसकी वजह से वे पर्याप्त दूध नहीं पी पाते हैं और भूखे रह जाते हैं। ऐसे में बच्चे अपने मसूड़ों का प्रयोग करके ब्रेस्ट को दबाकर संकुचित करते हैं या दूध को पर्याप्त मात्रा में खींचने के लिए अपने मुंह से एक वैक्यूम बनाते हैं, इसलिए यह ब्रेस्ट कंप्रेशन तकनीक बच्चों को पूरी तरह से दूध पिलाने में बहुत मददगार साबित होती है।
  • जिन मांओं के ब्रेस्ट में दूध की आपूर्ति कम होती है, वे रोजाना दूध पिलाने के समय ब्रेस्ट कंप्रेशन करके इसे बढ़ा सकती हैं।
  • ब्रेस्ट कंप्रेशन तकनीक, ब्रेस्ट से दूध को तेजी से खाली करने में मदद करती है और तेजी से दूध के उत्पादन को भी बढ़ाती है। जो मांएं दूर रहते हुए दूध को स्टोर करके रखती हैं, वे भी इसके फायदे लेने के लिए इस तकनीक का उपयोग कर सकती हैं।
  • मैस्टाइटिस (दूध ग्रंथि का रुकना या उसमें इंफेक्शन) का अनुभव करने वाली मांएं दूध के प्रवाह को बनाए रखने के लिए ब्रेस्ट कंप्रेशन का उपयोग कर सकती हैं। मैस्टाइटिस, एक बंद दूध ग्रंथि के कारण होता है। यह एक तरह का ऐसा इंफेक्शन है जो ब्रेस्ट से दूध को निकालने की प्रक्रिया को मांओं के लिए एक दर्दनाक अनुभव बना देता है। अगर आपको लगता है कि मैस्टाइटिस ब्रेस्ट कंप्रेशन को भी दर्दनाक बना सकता है, तो ऐसे में आप दर्द से बचने के लिए इंफेक्शन वाली जगह के ऊपर या आसपास थोड़ा सा और धीरे से ही दबाएं।

स्तनपान के समय ब्रेस्ट कंप्रेशन कैसे करें

अगर ब्रेस्ट कंप्रेशन करने में कोई समस्या नहीं है और आपके बच्चे को जितना दूध चाहिए, उसे उतना दूध मिल रहा है, तो ब्रेस्ट कंप्रेशन की जरूरत नहीं है, लेकिन जब आपके बच्चे को ज्यादा दूध पिलाना प्राथमिकता बन जाती है, तो ऐसे में ब्रेस्ट कंप्रेशन तकनीक बहुत मददगार साबित होती है। बच्चे को दूध पिलाने वाली स्थिति में ब्रेस्ट कंप्रेशन को दोनों (माँ और बच्चे) के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए आपको नीचे दिए गए कुछ चरणों का पालन करना चाहिए।

  1. अपने बच्चे को एक हाथ से पकड़ें जबकि दूसरे हाथ की हथेली से उसके सिर को सहारा दें।
  2. अब अपने स्तन को दूसरे हाथ से पकड़ें और अंगूठे को ब्रेस्ट के ऊपरी हिस्से की तरफ रखें, जबकि बाकी अंगुलियों को छाती के निचले हिस्से पर (छाती के पसली वाले हिस्से के पास) रखा जाना चाहिए।
  3. अब देखें कि बच्चा सही तरीके से दूध पी रहा है या नहीं। अगर बच्चा “ओपन माउथ-पॉज-क्लोज माउथ” करके दूध पी रहा है, तो इसका मतलब है कि बच्चा चूसने की विधि का उपयोग कर सकता है और वो आसानी से ज्यादा मात्रा में दूध पी सकता है।
  4. यह ध्यान से देखें कि बच्चा कब “ओपन माउथ-पॉज-क्लोज माउथ” विधि का प्रयोग करना बंद कर देता है और सिर्फ ब्रेस्ट को कुतरता या नोचता रहता है। अब आप ब्रेस्ट को इस तरह से दबाएं कि जिससे पूरे ब्रेस्ट पर उसका दबाव महसूस हो सके। इसके बाद आप अपनी अंगुलियों को ब्रेस्ट के आसपास बिल्कुल न घुमाएं बल्कि उसे पकड़ें और इस तरह से दबाएं कि उसे चोट न लगे, लेकिन जब आप ब्रेस्ट पर कंप्रेशन करती हैं, तो बच्चे को “ओपन माउथ-पॉज-क्लोज माउथ” से फिर से सांस लेना शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा यह भी तय करें कि जब बच्चा निप्पल को चूस रहा हो तो कंप्रेशन का उपयोग करें, लेकिन बच्चे के दूध पीने की प्रक्रिया को बिल्कुल न रोकें। बच्चे को दूध पिलाते समय ब्रेस्ट को कैसे संकुचित करना है, इसके लिए आपको वीडियो देखने से भी मदद मिल सकती है।
  5. ब्रेस्ट के कंप्रेशन पर दबाव तब तक बनाए रखें जब तक कि बच्चा वास्तव में ब्रेस्ट को पूरी तरह से चूसकर खाली न कर दे। अगर बच्चा बिना दूध पिए ब्रेस्ट को चूसता है या नहीं चूसता है, तो ऐसे में कंप्रेशन पर दबाव देना बंद कर दें, लेकिन अगर आप कंप्रेशन देना बंद कर देती है तो बच्चा भी ब्रेस्ट को पूरी तरह से चूसना बंद कर सकता है, जब दोबारा ब्रेस्ट से दूध निकलना शुरू होगा, तो वह फिर से दूध पीना शुरू कर देगा।
  6. कंप्रेशन पर प्रेशर कम करने से आप अपने हाथों को थोड़ा आराम दे पाएंगी और ब्रेस्ट में फिर से दूध को उत्पन्न कर सकेंगी, लेकिन अगर कंप्रेशन पर आपके दबाव कम करने से बच्चा ब्रेस्ट को चूसना बंद कर दें तो परेशान न हों, क्योंकि बहुत जल्द ही दूध उसके मुंह में फिर से आना शुरू हो जाएगा।
  7. जैसे ही बच्चा ब्रेस्ट को चूसना शुरू करता है, वह “ओपन माउथ-पॉज-क्लोज माउथ” वाले  पुराने तरीके पर वापस आ जाता है और अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो ऊपर बताए गए कंप्रेशन को आजमाएं।
  8. बच्चे को करवट के बल तब तक लिटाए रखें जब तक आपको यह पक्का न हो जाए कि कंप्रेशन के बाद भी बच्चा ब्रेस्ट को चूस नहीं रहा है। अब थोड़ी देर के लिए बच्चे को दूध पीने वाली स्थिति में ही रखें, क्योंकि अचानक सीधा करने से दूध के पलटने (उल्टी) की समस्या हो सकती है। बच्चा थोड़ी देर के लिए बीच में दूध जरूर पी सकता है, लेकिन जब बच्चा आखिर में दूध पीना बंद कर दे, तो उसे गोदी से उतार दें और थोड़ा आराम करें।
  9. अगर बच्चा ज्यादा दूध पीने को कहता है, तो ऐसे में उसे दूसरे ब्रेस्ट से दूध पिलाएं और पहले की तरह पूरी प्रक्रिया को दोहराएं।
  10. आप अपने थके हुए हाथों को थोड़ा आराम देने के लिए एक बार दूध पिलाते समय बच्चे की कई बार करवट बदल सकती हैं।
  11. बच्चे को दिए जाने वाले भोजन को बेहतर बनाने के लिए उस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
  12. जब बच्चा ब्रेस्ट को चूसता है लेकिन दूध नहीं पीता है तो ऐसे में ब्रेस्ट को दबाएं और बच्चे को चूसने दें। यहां पर यह भी सलाह दी जाती है कि अगर बच्चे ने ब्रेस्ट को चूसना बंद कर दिया है तो उसके लिए डॉक्टर की सलाह पर कंप्रेशन जरूर करवाएं।

क्या सभी माएं ब्रेस्ट कंप्रेशन कर सकती हैं?

ऐसा कहीं भी कोई नियम नहीं है जिसके मुताबिक सभी मांओं को अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय अपने स्तनों को संकुचित (ब्रेस्ट कंप्रेशन) करना चाहिए। जब तक आपका बच्चा अपनी जरूरत के मुताबिक दूध पीकर वजन बढ़ा रहा है और खुश रहता है। साथ ही आपका दूध उसकी भूख को खत्म करने के लिए पर्याप्त मात्रा में बनता है, आपको ब्रेस्ट कंप्रेशन की कोई जरूरत नहीं होगी। अगर आपके निपल्स में दर्द है या निपल्स के पास कोई खरोंच है, तो ब्रेस्ट कंप्रेशन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। अगर नहीं, तो ज्यादातर मांएं जरूरत होने पर बिना किसी रोक-टोक के ब्रेस्ट कंप्रेशन कर सकती हैं।

क्या ब्रेस्ट कंप्रेशन ब्लॉक डक्ट का कारण बन सकता है?

हालांकि, अनुभव के मुताबिक बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय मांओं को ब्रेस्ट को दबाने या निचोड़ने में  सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि अगर ब्रेस्ट कंप्रेशन सही तरीके से किया जाए तो इससे ब्लॉक डक्ट की समस्या नहीं होती है। पहले की नई माँओं के लिए यह एक सामान्य होता डर था, लेकिन अब जानकारी और जागरूकता ने इस तरह के संदेह को काफी हद तक खत्म कर दिया है। अगर सही तकनीक के मुताबिक धीरे और आराम से इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, तो ब्रेस्ट कंप्रेशन दूध के प्रवाह को बढ़ाने और बच्चे को एक बार फिर से ब्रेस्ट को चूसने के लिए एक बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि पूरे फीडिंग के समय के दौरान ब्रेस्ट पर बहुत ज्यादा या बार बार दबाव न डालें। इसकी जगह, ऊपर बताए गए स्टेप के अनुसार कुछ अंतराल पर इसे दबाएं और छोड़ें।

ब्रेस्ट कंप्रेशन तकनीक को बहुत ही कम महत्व दिया जाता है लेकिन यह एक बेहतरीन तकनीक है यह तय करने के लिए कि आपके बच्चे को कुछ समय अंतराल पर सही से ब्रेस्टफीडिंग कराई जा सके और बच्चे का पेट को पूरी तरह से भर जाए। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ब्रेस्ट धीरे से दबाने से न सिर्फ बच्चे को लंबे समय तक दूध पिलाया जा सकता है, बल्कि इससे मिल्क सप्लाई भी बढ़ती है। क्योंकि ब्रेस्ट पहले की तुलना में ज्यादा अच्छी तरह से खाली हो जाते हैं।

यह भी पढ़ें:

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समर नक़वी

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