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कई माँओं को यह सवाल होता है या फिर उन्हें चिंता होती है कि क्या सर्दी बुखार या बीमारी के दौरान बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना चाहिए या नहीं? आप और आपके बच्चे की हेल्थ से जुड़ा यह सवाल मन में उठना सही भी है। इस आर्टिकल के जरिए आपको अपने सवालों का जवाब मिल सकता है और ऐसे हालात में आपको क्या करना चाहिए यह भी गाइड किया गया है। जिसमें आपको बताया गया है कि कैसे आप सावधानी बरतते हुए बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं ताकि उसे आपसे इन्फेक्शन होने का खतरा कम रहे।
आमतौर पर, हाँ – सर्दी-जुकाम, बुखार, गले में दर्द, खांसी आदि मामले में आपका बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना सुरक्षित है। नर्सिंग के दौरान यह कॉमन डिजीज बच्चे में ट्रांसफर नही होती हैं। ऐसा संभव है कि बच्चे के आपके बहुत ज्यादा करीब आने से आपकी बीमारी और बढ़ सकती है। इस तरह के केस में सावधानी बरतना ही बेहतर है, हालांकि आपके शरीर में भी कुछ ऐसे एंटीबॉडी मौजूद होते हैं जो आपके बच्चे को इन्फेक्टेड होने से बचाते हैं।
अधिकांश मामलों में, जब आपको सर्दी, बुखार या कोई अन्य इन्फेक्शन होता है, तो ऐसे में आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं।
यहाँ आपको कुछ कारण बताए गए हैं कि आप बीमारी के दौरान भी अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना कैसे जारी रख सकती हैं:
यदि आप बीमारी के कारण बच्चे को दूध पिलाना बंद कर देती हैं, तो आगे हो सकता है कि बच्चा दूध पीने से इनकार कर दे। इसके अलावा ये बच्चे की हेल्थ के लिए और उसकी इम्युनिटी को बनाए रखने के लिए जरूरी होता है। बच्चे को दूध छुड़वा देने से उसकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, खासतौर पर पहले साल के दौरान।
ब्रेस्टमिल्क में एंटीबॉडी गुण होते हैं, जो बच्चे की इम्युनिटी को मजबूत करते हैं और कॉमन इन्फेक्शन से बचाते हैं।एंटीबॉडीज के कारण बच्चे को माँ से इन्फेक्शन के ट्रांसमिट होने का खतरा कम हो जाता है।
मास्टिटिस तब होता है, जब बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कम कराया जाता है, जिसकी वजह से ब्रेस्ट में दूध जमा हो जाता है और इससे सूजन व इन्फेक्शन हो जाता है। बीमारी के दौरान भी ब्रेस्टफीडिंग जारी रखने से इसका खतरा कम रहता है और आपके बच्चे के लिए दूध की सप्लाई भी पर्याप्त रहती है।
ब्रेस्टफीडिंग माँ और बच्चे दोनों के लिए ही फायदेमंद है, ब्रेस्टफीडिंग से ऑक्सीटोसिन निकलता है, जिससे माँ को अच्छा महसूस होता और यह उनके स्ट्रेस को भी कम कर देता है। ब्रेस्टफीडिंग से डिप्रेशन भी कम होता है और यह बीमारी के दौरान फिजिकल और इमोशनल हेल्थ के लिए भी अच्छा है।
ब्रेस्टफीडिंग आपके बच्चे को हाइड्रेटेड रखने के लिए बहुत जरूरी है और अगर वो थोड़ा बहुत बीमार हो जाते हैं तो उस दौरान हाइड्रेशन की जरूरत होती है। जब बीमार माँ ज्यादा से ज्यादा खुद को हाइड्रेटेड रखती है तो अपने बच्चे को भी हाइड्रेटेड रख पाती है।
बीमारी के दौरान ब्रेस्टफीडिंग न कराने से दूध की सप्लाई कम हो जाती है। यह आपके बच्चे के लिए चैलेंजिंग हो सकता है, क्योंकि आपके ठीक होते-होते दूध की सप्लाई कम हो सकती है, जिसकी वजह से आपको उसे फॉर्मूला दूध देना पड़ सकता है।
ब्रेस्टफीडिंग से न्यूट्रिएंट आराम से डायजेस्ट हो जाते हैं जो दूध और खाने में मौजूद होते हैं। ब्रेस्टफीडिंग से ये न्यूट्रिएंट आसानी से अब्सॉर्ब हो जाते हैं।
वैसे आपको बीमार होने के बावजूद भी ब्रेस्टफीडिंग जारी रखना चाहिए। ऐसी कुछ कंडीशन हैं जिसमें डॉक्टर आपको ब्रेस्टफीडिंग के लिए मना करते हैं। जिनमें एचआईवी, सेप्टिसीमिया और एचएलटीवी – 1 जैसी बीमारियां शामिल हैं। ये सभी ऐसी बीमारियां हैं जो सीधे बच्चे को उसकी माँ से ब्रेस्टमिल्क के जरिए ट्रांसफर हो जाता है।
यहाँ तक कि फूड पॉइजनिंग के मामले में, ब्रेस्टफीडिंग जारी रखना जरूरी है। जब तक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (जैसे उल्टी या दस्त) के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तब तक इन्फेक्शन के फैलने का खतरा नहीं होता है। यदि फूड पॉइजनिंग सेप्टीसीमिया की ओर बढ़ती है, तो बैक्टीरिया ब्लडफ्लो में पारित हो जाता है, तो ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग से बचना चाहिए। हालांकि यह बहुत दुर्लभ स्थिति में होता है। फूड पॉइजनिंग को लेकर आप अपने डॉक्टर से बात करें।
कभी-कभी स्तनपान करते समय दवाएं लेना सुरक्षित होता है – जैसे कि पेरासिटामोल और आइबुप्रोफेन – हालांकि इसे लेने से पहले भी अपने डॉक्टर से बात करें। आप ओवर-द-काउंटर दवाएं लेने से बचें और एंटीबायोटिक्स लेते समय सावधानी बरतें। अगर आपको एंटीबायोटिक दी जा रही है तो अपने डॉक्टर से इसके लिए स्पेसिफिक गाइडेंस प्राप्त करें।
ज्यादातर बीमारी बिना दवा लिए ठीक हो जाती है, तो जितना ज्यादा हो सके दवा लेने से परहेज करें। लेकिन अगर मेडिसिन ले रही हैं तो ध्यान रखें कि वो आपके लिए सेफ हो और यह भी चेक करें कि यह दवा लंबे समय के लिए असरदार है या कुछ समय के लिए ही काम करती है। जो माएं ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं, उन्हें शार्ट एक्टिंग दवा लेना चाहिए। ये ज्यादा इफेक्टिव होती हैं और इसके साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं।
बच्चों पर कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट होता है। दोनों ही तरह से, चाहे उन्हें डायरेक्टली दिया जाए या माँ के दूध के जरिए उनके शरीर में ट्रांसफर हो। ये साइड इफेक्ट्स निर्भर करते हैं दवाओं पर, और इस बात पर कि कैसे आपका बच्चा उस दवा की खुराक ले रहा है। आपको कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से पूछना चाहिए, जो आपको लगता है कि बच्चे को नुकसान पहुँचा सकती है।
हाँ, अगर आप बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं तो अपने डॉक्टर को यह बात बताएं। हालांकि बीमारी के दौरान बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना सेफ है, कुछ दवाएं जो डॉक्टर द्वारा लिखी जाती हैं वो ब्रेस्टमिल्क के जरिए बच्चे को नुकसान पहुँचा सकती है, इसलिए डॉक्टर को ब्रेस्टफीडिंग के बारे में जरूर बताएं, खासकर जब बात बीमारी के ट्रीटमेंट के लिए हो।
सर्दी या बुखार के साथ ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं के लिए यहाँ कुछ आसान घरेलू उपचार बताए गए हैं:
यहाँ आपको सावधानी बरतने के लिए कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो बच्चे को माँ के जरिए बीमारी पारित करने से बचा सकते हैं, तो आइए जानते हैं:
ऐसा लगता है कि बुखार, सर्दी से संबंधित बीमारियों के दौरान ब्रेस्टफीडिंग कराना एक चिंता का विषय हो सकता है, जबकि ऐसा नही है। खतरा तब होता जब आप और आपके बच्चों के करीब आने से बैक्टीरिया ट्रांसमिट होने का खतरा होता है। आपके बीमार होने पर भी ब्रेस्टफीडिंग जारी रखने के कई कारण हैं, क्योंकि लगातार ब्रेस्टफीडिंग की कमी माँ और बच्चे दोनों के लिए खराब हो सकती है, खासकर बच्चे के पहले वर्ष के दौरान। बीमार होने पर आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपका बच्चा आपके जरिए बीमार न हो। आप इस लेख में बताए गए घरेलू उपचारों का भी उपयोग करें। लेकिन यह साफ है कि कॉमन डिजीज के दौरान ब्रेस्टफीडिंग से कोई खतरा नहीं होता है। अगर फिर भी आपको चिंता हो रही है तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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