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कई माता-पिता यदि अपने बच्चे को बहुत ज्यादा खांसते हुए देखते हैं और उनकी खांसी में म्यूकस निकलता हुआ देखते हैं तो चिंतित हो सकते हैं। बच्चों में थोड़ा बहुत कफ आना या उल्टी आना सामान्य है पर यदि बच्चे को बहुत ज्यादा उल्टी होती है तो यह एक चिंता का विषय हो सकता है। बच्चों को अधिक उल्टी होने के कई कारण हो सकते हैं। पर आपके बच्चे में ऐसा क्यों हो रहा है इसका पता लगाना भी जरूरी है। बच्चों की उल्टी में म्यूकस कब और क्यों आता है, क्या यह सामान्य है और अन्य जानकारियों के लिए यह लेख पढ़ें।
बच्चों की उल्टी में म्यूकस आना या उनका दूध उलटना एक सामान्य बात है। कई माता-पिता शुरूआत से ही अपने बच्चे को दूध उलटते हुए या उसमें थोड़ा म्यूकस निकलते हुए देखते हैं। यद्यपि थोड़ा बहुत म्यूकस आना एक आम बात है पर यदि बार-बार ऐसा होता है तो यह एक चिंता का कारण भी हो सकता है। बच्चे की उल्टी में म्यूकस के साथ खून दिखना या अन्य लक्षण, जैसे दर्द व अन्य समस्याएं चिंता का कारण हैं और इसका तुरंत इलाज करवाने की आवश्यकता है।
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बच्चों के जन्म के बाद शुरूआती दिनों में उनका पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है जिसके परिणामस्वरूप भोजन न पचने के कारण अक्सर बच्चों को उल्टी होती है। इसमें बच्चे के गले से लेकर पेट तक का शरीर प्रभावित होता है। बच्चों के पेट के आंतरिक अंगों को विकसित होने में समय लगता है और वह भोजन को शरीर में बनाए रखने के लिए तैयार होता है। शुरूआती समय में बच्चा जो भी दूध पीता है वह मुंह से बाहर निकाल सकता है जिसके कारण उसे पीले रंग की उल्टी होती है।
कई बच्चे जब सीधे बैठना शुरू कर देते हैं तो उनमें दूध उलटने या म्यूकस आने की समस्या खत्म हो जाती है। जबकि कई बच्चों में यह समस्या 7-8 महीने की आयु तक रहती है और यहाँ तक कि 1 वर्ष के बच्चों तक में भी यह समस्या रहती है।
बच्चे के दूध उलटने और उल्टी में म्यूकस आने का कोई एक निश्चित कारण नहीं है। ज्यादा दूध पी लेने से लेकर किसी दूसरी बीमारी तक कोई भी कारण हो सकता है। बच्चे में दूध उलटने या उल्टी में म्यूकस आने के कुछ कारण, इस प्रकार हैं;
चूंकि बच्चे का इम्यून सिस्टम अब भी विकसित हो रहा है जिसकी वजह से उसे कई बैक्टीरिया और वायरस प्रभावित कर सकते हैं। बच्चों में बैक्टीरिया और वायरस के प्रभाव से उन्हें इन्फेक्शन या अन्य बीमारी भी हो सकती है। आमतौर पर इससे बच्चे के तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव पड़ता है और उसे अधिक खांसी होती है जिसके परिणामस्वरूप उसे उल्टी जैसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा कुछ बैक्टीरिया बच्चे के पाचन तंत्र व आंतों पर प्रभाव डालते हैं जिस वजह से बच्चे को उल्टी, पाचन संबंधी समस्या और डायरिया भी हो सकता है।
यदि बच्चे को बहुत तेज उल्टी होती है या उबकाई आती है तो संभव है बच्चा पायलोरिक स्टेनोसिस से ग्रसित हो सकता है। यह बच्चों को उनके जन्म के बाद के शुरूआती सप्ताह में कभी-कभी होता है। इस समस्या में बच्चों की आंतों से जुड़ी मांसपेशियों में सूजन हो सकती है जिस कारण से भोजन नलिका में ही रह जाता है। भारत में हर साल इस दुर्लभ समस्या के लगभग 1 मिलियन से कम मामले ही सामने आए हैं।
जैसा कि पायलोरिक स्टेनोसिस के कारण बच्चों की मांसपेशियों में सूजन आती है उसी प्रकार से बच्चे के इंटेस्टाइनल पाथ में भी बाधा आ सकती है। बच्चों में कभी-कभी आंतें एक के ऊपर एक पलट जाती हैं जिसकी वजह से भी आंतों में बाधा आती है। कुछ ऐसे मामले भी हैं जिसमें बच्चे की आंतें आपस में उलझ जाती हैं और इस वजह से भी बच्चे की आंतों में भोजन या दूध फंस सकता है। इन सभी समस्याओं के कारण भी बच्चे को तेज उल्टी हो सकती है।
बायोलॉजी के अनुसार, उल्टी में शरीर पेट या पाचन तंत्र से अनचाहे पदार्थों को बाहर निकालता है। यह बच्चों में अपच के कारण होता है और साथ ही यदि कोई टॉक्सिक या हानिकारक पदार्थ खा लेता है तब भी उसे यह समस्या हो सकती है।
मोशन सिकनेस बहुत आम है और यह बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी हो सकती है। मोशन सिकनेस तब होता है जब मस्तिष्क को सुनने और देखने का संबंध टूटने के संकेत मिलते हैं। यदि शरीर और आँखों को मोशन का एक समान अनुभव नहीं होता है तो मोशन सिकनेस की समस्या हो सकती है जो उल्टी होने का कारण होता है।
बच्चों में कम्युनिकेशन का सिर्फ एक ही तरीका होता है इसलिए वे अपनी समस्याएं जैसे कि भूख, डर, दर्द या इरिटेशन, यह सभी वह सिर्फ रोकर बताने का प्रयास करते हैं। हालांकि, यदि बच्चा बहुत देर तक रोता है तो उसे गाग रिफ्लक्स हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप उसे तेज खांसी या उल्टी हो सकती है।
यदि बच्चे को पेट या गले में बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन हुआ है तो इस वजह से भी उन्हें उल्टी हो सकती है। सर्दी और जुकाम की वजह से ज्यादातर गले में इन्फेक्शन होता है जिसके परिणामस्वरूप बच्चों को गैग रिफ्लक्स या उल्टी होने की संभावना होती है। यदि बच्चे के पाचन तंत्र में इन्फेक्शन हुआ है तो उसका पेट और आंतें कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण भी बार-बार उल्टी हो सकती है।
उल्टी एक बायोलॉजिकल रिएक्शन है जिसके कारण शरीर से भी टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। यदि बच्चे को एलर्जिक रिएक्शन होता है तो भी समान रूप से ही बच्चे को उल्टी होती है। एलर्जी किसी भी चीज या किसी खाद्य पदार्थ से संवेदनशीलता की प्रतिक्रिया होती है, जैसे ड्राई फ्रूट्स, दूध, मछली और इत्यादि। यदि आप अपने बच्चे को कोई नया खाद्य पदार्थ खिलाती हैं तो उसे यह समस्या हो सकती है।
कई महिलाओं के स्तनों का निप्पल सामान्य से अधिक बड़ा होता है या वे बच्चे के लिए उस बोतल का उपयोग करती हैं जिसमें छेद बड़ा हो। इस कारण से जब बच्चा दूध पीता है तो दूध का बहाव अधिक तेज व ज्यादा होता है और बच्चा बहुत तेजी से दूध पीने लगता है। बच्चे का पेट पूरी तरह से विकसित न होने के कारण अतिरिक्त दूध गले से ही बाहर आ जाता है।
यदि बच्चे ने दूध पीते-पीते ज्यादा हवा भी अंदर ले लिया हो या उसे पाचन संबंधी समस्या हो गई हो तो उसके पेट में गैस बनने लगती है। हालांकि छोटे बच्चों को यह पाचन संबंधी समस्या के कारण कम और दूध के साथ हवा निगल जाने के कारण ज्यादा होती है। ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चे को चूसने के लिए पैसिफायर या खाली बोतल दे देते हैं जिससे बच्चे के पेट में हवा भर जाती है और यह रिफ्लक्स का कारण बनती है।
बच्चों का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित होने में समय लगता है और यह वॉल्व के विकसित न होने के कारण होता है। वॉल्व का पूरी तरह से विकास न होने पर यह भोजन को शरीर में बनाए रखता है। यदि बच्चा अधिक मात्रा में दूध पी लेता है तो उसके अविकसित वॉल्व पर दबाव पड़ता है और इसी दबाव के कारण दूध पेट में जाने के बजाय गले से बाहर आ जाता है।
यदि बच्चे को उल्टी के साथ पीला म्यूकस आता है या वह दूध उलटता है तो इससे बचने के लिए कई तरीके हैं। निम्नलिखित तरीकों का उपयोग करने पर संभावना है कि बच्चे को कोई गंभीर समस्या नहीं होगी, वे कौन से तरीके हैं आइए जानें;
बच्चे को दूध पिलाने के बाद उसे डकार दिलवाना एक सामान्य समस्या है। यदि आपका बच्चा बार-बार उल्टी करता है तो आप उसे अलग-अलग तरह से डकार दिलवाने का प्रयास कर सकती हैं। सुनिश्चित करें कि आप अपने बच्चे को ¼ या ⅛ दूध पिलाने के बाद डकार दिलवाती हैं। इससे दूध पीने के बाद बच्चे का दूध उलटना कम हो सकता है।
यदि आपका बच्चा बोतल से दूध पीता है तो सुनिश्चित करें कि उसके निप्पल में छोटा छेद हो और उससे अधिक मात्रा में दूध न निकल रहा हो। यह दूध के बहाव को नियंत्रित करने में मदद करता है और बच्चा अपनी आवश्यकता के अनुसार दूध पी सकता है। दूध के बहाव को कम करने के लिए बच्चे को ब्रेस्टफीड करवाने से पहले थोड़ा सा दूध बाहर निकाल लें और फिर उसे पीने दें।
यदि आपका बच्चा गाय का दूध पीने के बाद बार-बार दूध उलट देता है तो हो सकता है वह लैक्टोज इन्टॉलरेंट हो। इसलिए बच्चे को सोया दूध पिलाना ही अच्छा है और आप देख सकती हैं यदि इसे पीने के बाद उसमें कोई भी बदलाव होता है या नहीं। दुर्लभ मामलों में यदि बच्चे को सामान्य दूध या किसी अन्य दूध से एलर्जी होती है तो उसके लिए स्पेशल फार्मूला दूध की जरूरत पड़ सकती है।
बच्चे के पेट का वॉल्व कमजोर होने के कारण वह जितना दूध पीता है उसे उतना पचाने में परेशानी हो सकती है। इसलिए आप अपने बच्चे को कम मात्रा में और कई बार दूध पिलाने का प्रयास कर सकती हैं। इससे उसे पर्याप्त न्यूट्रिशन मिलता रहेगा और वह दूध को प्रभावी रूप से पचा भी सकेगा।
माँ का दूध पीने के कारण बच्चे को वह सभी चीजें प्रभावित करती हैं जो एक माँ अपने आहार में खाती है। यदि आप अपने आहार में कोई ऐसी चीज खाती हैं जो बच्चे को प्रभावित कर सकती है तो उसे तुरंत बदल दें और देखें कि इससे आपके बच्चे की उल्टी ठीक होती है या नहीं। यदि ऐसा नहीं होता है तो यह तब तक करें जब तक आपको पता नहीं चल जाता कि आपके बच्चे को कौन सा खाद्य पदार्थ प्रभावित कर रहा है।
बच्चे को बहुत जल्दी में दूध न पिलाएं, आप उसे दूध पिलाने के लिए किसी शांत जगह पर ले जा सकती हैं और फिर बहुत आराम से धीरे-धीरे दूध पिलाना जारी रखें। दूध पीने के बाद बच्चे को लगभग आधे घंटे के लिए एक तकिया रख कर सीधा आराम करने दें।
आपकी यह चिंता बहुत स्वाभाविक है कि क्या बच्चा सोते समय भी उल्टी कर सकता है या उसे चोकिंग हो सकती है। सभी एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब तक बच्चा अपनी पीठ के बल (सलाह दी जाती है) सोता है तब तक उसे ऐसी समस्या नहीं होती है।उसी प्रकार से जब तक बच्चे को सांस लेने में समस्या नहीं होती है, जैसे क्लेफ्ट पैलेट तब तक उसे उल्टी के दौरान चोकिंग नहीं होगी।
जैसा कि पहले भी बताया गया है कि बच्चों को उल्टी अक्सर उन्हें गलत तरीके से फीड कराने या उनके द्वारा कोई बाहरी पदार्थ खा लेने से होती है। कुछ बातों का ध्यान रखकर बच्चों की इन समस्याओं को सरलता से ठीक किया जा सकता है और उनकी उल्टियां काफी हद तक कम हो सकती हैं। बच्चों की उल्टी में म्यूकस आने से कई जटिलताएं हो सकती हैं इसलिए इसके कुछ निम्नलिखित संकेत चिंता का कारण बन सकते हैं, आइए जानते हैं;
बच्चे की उल्टी में म्यूकस या दूध आने की जानकारी रखना उतना ही जरूरी है जितना कि इसका उपचार करना। चूंकि यह एक सामान्य समस्या है इसलिए शांत रहें और इसका कारण समझने का प्रयास करें और यदि आवश्यकता हो तो आप डॉक्टर के पास भी जा सकती हैं।
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