शिशु

शिशु की लार टपकना (ड्रूलिंग)

यदि किसी व्यक्ति के मुंह से बिना किसी कारण के सलाइवा निकलता है तो उसे लार टपकना कहते हैं। हमारे शरीर में 6 सैलिवरी ग्लैंड होते हैं जो हमारे लिए सलाइवा उत्पन्न करते हैं और जब यह ज्यादा उत्पन्न होने लगता है तो लार के रूप में बाहर निकलता है। बच्चों में ड्रूलिंग या लार टपकना आम है। शिशुओं में ड्रूलिंग अक्सर 3 महीने की उम्र में शुरू होती है। कुछ बच्चों की थोड़ी ही लार टपकती है पर कुछ बच्चों की बहुत ज्यादा लार टपकती है। यदि आपके बेबी की लार बहुत ज्यादा टपकती है तो यह मुंह की मांसपेशियों का विकास न होने की वजह से या मुंह में बहुत ज्यादा सलाइवा उत्पन्न होने से होता है। पर इसके बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह एक शारीरिक विकास है। 

क्या छोटे बच्चों की लार टपकना आम है?

छोटे बच्चों में लार टपकना आम है और पहले दो महीनों में भी बच्चे की लार टपकना शुरू हो सकती है। छोटे बच्चों को मुंह की मांसपेशियों के फंक्शन और निगलने पर नियंत्रण नहीं होता है इसलिए सोते समय भी उनकी लार टपक सकती है। यदि बच्चे की लार टपकना शुरू हो गई है तो यह समस्या बच्चे की 18 से 24 महीने की उम्र तक रह सकती है। दांत निकलते समय लार टपकना बहुत आम बात है इसलिए आप दिन भर में 5 – 6 बार बच्चे के कपड़े बदलने के लिए तैयार रहें। पर यदि 4 साल के बाद भी बच्चे की लार टपकती है तो यह नॉर्मल नहीं है। 

1 से 24 महीने की उम्र के छोटे बच्चों की लार टपकना

बच्चे की लार टपकना नॉर्मल है और यह विकास में भी मदद करती है। बढ़ती उम्र के साथ जीवन के अलग-अलग चरण में बच्चे की लार थोड़ी ज्यादा टपकना शुरू हो सकती है, आइए जानें; 

1. 1 – 3 महीने

जब बच्चा 1 से 3 महीने के बीच की उम्र का होता है तो उसे बिलकुल भी ड्रूलिंग नहीं होती है। इस समय पर बच्चे का चेहरा हमेशा ऊपर की तरफ रहने की वजह से ड्रूलिंग होना दुर्लभ है। पर कुछ शिशुओं की लार 3 महीने की उम्र से ही टपकना शुरू हो जाती है। 

2. 6 महीने

6 महीने की उम्र तक ड्रूलिंग काफी हद तक नियंत्रित रहती है पर जब बच्चा बैबलिंग यानी बोलने की शुरुआत करता है या अपने मुंह में टॉयज रखना शुरू करता है तो उसकी लार टपकना भी शुरू हो जाती है। इस समय तक ज्यादातर बच्चों के दांत निकलना शुरू हो जाते हैं जिसकी वजह से भी ड्रूलिंग होती है। 

3. 9 महीने

इस उम्र तक बच्चे रोल और क्रॉल करना शुरू कर देता है। इस समय दांत निकलने के कारण बच्चे की लार टपकना जारी रह सकती है। दांत निकलने से लार टपकना शुरू हो सकती है। 

4. 15 महीने

15 महीने की उम्र में बच्चे चलना और दौड़ना शुरू कर देते हैं पर चलते या दौड़ते समय उनके मुंह से लार नहीं टपकती है। हालांकि यदि वे किसी ऐसी एक्टिविटी में व्यस्त हैं जिसमें बहुत ज्यादा ध्यान लगाने की जरूरत पड़ती है तो उनकी लार टपकना शुरू हो जाएगी। 

5. 18 महीने

नियमित एक्टिविटीज या मोटर स्किल्स का विकास करने वाली एक्टिविटीज में व्यस्त रहने से बच्चे की लार नहीं टपकती है। पर खाना खाते समय या कपड़े पहनते समय उनकी लार टपकना शुरू हो सकती है। 

6. 24 महीने

24 महीने यानी 2 साल की उम्र तक आते-आते तक बच्चे का लार टपकना बहुत कम हो जाता है। बल्कि यह बिलकुल खत्म ही हो जाता है। 

क्या बेबी के विकास में ड्रूलिंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?

हाँ, बच्चे के विकास व वृद्धि में ड्रूलिंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चे के दांत निकलने का संकेत ड्रूलिंग होना है। यदि टॉडलर्स की लार टपकती है तो यह शारीरिक विकास का भी संकेत है। यदि बच्चे की लार टपकती है तो यह संकेत देता है कि बेबी विकास के नए चरण में पहुंच चुका है। यदि दूध या खाने को सूंघने के बाद बच्चे की लार टपकना शुरू हो जाती है तो यह संकेत देता है कि बच्चे में सूंघने की क्षमता का विकास हो रहा है। 

ड्रूल में एंजाइम होते हैं जो 4 से 6 महीने की उम्र के बच्चे को सॉलिड व सेमी-सॉलिड फूड पचाने में मदद करते हैं। सलाइवा से पेट का एसिड बेअसर हो जाता है और यह बच्चे की आंतों में परत बनाने में मदद करता है और इसोफेगस की परत को इरिटेशन से सुरक्षित रखने में मदद करता है। चिपचिपा नेचर होने के कारण सलाइवा खाने को एक साथ रखने में मदद करता है ताकि निगलने में आसानी हो सके। 

छोटे बच्चों की बहुत ज्यादा लार टपकना क्या है?

यदि उम्र होने के बाद भी बच्चे के मुंह से बहुत ज्यादा लार टपकती है तो इसे एक्सेसिव ड्रूलिंग कहते हैं। यदि 2 साल की उम्र के बाद भी बच्चे की लार बहुत ज्यादा टपकती है तो आपको इसके बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। यद्यपि यह बहुत ज्यादा सलाइवा उत्पन्न होने की वजह से होता है पर बहुत ज्यादा लार तभी टपकती है जब मुंह और जीभ का कोऑर्डिनेशन सही न हो। यह कोऑर्डिनेशन न होने की वजह से निगलने में दिक्कत हो सकती है। 

छोटे बच्चों में बहुत ज्यादा लार टपकने के कारण क्या हैं?

छोटे बच्चों और टॉडलर्स में लार टपकने की समस्या निम्नलिखित कारणों से हो सकती है, आइए जानें;

1. दांत निकलना

यद्यपि 6 से 8 महीने की उम्र तक बच्चे के दांत नहीं निकलते हैं पर इसकी प्रक्रिया पहले से ही शुरू हो जाती है। यही कारण है कि 3 महीने की उम्र से ही बच्चे को ड्रूलिंग होना शुरू हो जाती है। दांत निकलना शुरू होने पर बहुत ज्यादा सलाइवा उत्पन्न होता है और जब दांत मसूड़ों से बाहर निकलना शुरू कर देता है तब बच्चे की लार अक्सर टपकने लगती है। 

2. मुंह खुला रहना

यदि बच्चे को ज्यादा समय तक मुंह खुला रखने की आदत है तो उसकी लार टपकने लगती है। यदि बच्चा नाक बंद होने या सिर्फ एक आदत होने की वजह से मुंह खुला रखता है तो वह नियमित रूप से सलाइवा नहीं निगल पाता है और उसकी लार टपकने लगती है।

3. एक जगह पर लंबे समय तक केंद्रित रहना

जब बच्चे किसी एक काम पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो उनका दिमाग उत्तेजित हो जाता है। इस उत्तेजना की वजह से सलाइवा 6 गुना ज्यादा उत्पन्न होता है। शिशु अक्सर सलाइवा को निगलने में सक्षम नहीं हो पाते हैं और जब वे किसी एक काम पर फोकस करते हैं तो उनका ध्यान जीभ व मुंह के मूवमेंट से भटक जाता है और इसके परिणामस्वरूप लार टपकना शुरू हो जाती है। 

4. भोजन

विभिन्न प्रकार के भोजन के स्वाद से भी मुंह के अंदर मौजूद ग्लैंड्स से सलाइवा आने लगता है। खट्टा और तीखा खाने से सलाइवा बहुत ज्यादा उत्पन्न होता है। यदि बच्चा तीखा खाता है या फल, जैसे संतरे, लाइम, अंगूर खाता है तो उसके मुंह में बहुत ज्यादा सलाइवा उत्पन्न हो सकता है। 

5. न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर

ज्यादातर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, जैसे बेल्स पाल्सी और सेरेब्रल पाल्सी में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे लार टपकना और बहुत ज्यादा सलाइवा उत्पन्न होना। बेल’स पाल्सी नर्व की एक समस्या है जो कुछ समय के लिए ही रहती है और इससे चेहरे के एक भाग पर प्रभाव पड़ता है। दिमाग को प्रभावित करने वाले रोग, जैसे सेरेब्रल पाल्सी, बेल्स पाल्सी, होंठों की एब्नॉर्मल पोजिशन की वजह से भी ड्रूलिंग होती है। 

6. दवा के साइड इफेक्ट्स

नींद को प्रेरित करने, दर्द को कम करने, बेबी की आंखों की जांच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं सहित मा द्वारा ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ली गई दवा से लार का उत्पादन बढ़ सकता है। मेटल पॉइजनिंग बहुत ज्यादा होने से भी हाइपरस्लाइवेशन हो सकता है जिससे बच्चों की लार टपकने लगती है। 

छोटे बच्चों में लार टपकने के ट्रीटमेंट

बच्चों में लार टपकना नॉर्मल है और यह उनके शारीरिक विकास का एक मुख्य भाग भी है। हालांकि दो साल की उम्र होने के बाद लार टपकना नॉर्मल नहीं है। यदि बच्चा 2 साल की उम्र के बाद भी ड्रूलिंग करता है तो इसे नजरअंदाज न करें। इसे मेडिकल अटेंशन की जरूरत है इसलिए डॉक्टर से इस बारे में चर्चा करें। यदि बच्चे की लार बहुत ज्यादा टपक रही है तो पेडिअट्रिशन को दिखाएं क्योंकि इससे सोशल लाइफ और रोजाना की एक्टिविटीज पर प्रभाव पड़ता है। यदि बच्चे की लार ज्यादा टपकती है तो डॉक्टर किसी भी निर्णय तक पहुंचने के लिए निम्नलिखित संकेतों की जांच करते हैं और फिर इसका इलाज भी करते हैं। वे संकेत कौन से हैं, आइए जानें;

  • क्या बच्चा होंठों को अच्छी तरह सील कर लेता है और जीभ को घुमा सकता है।
  • क्या बच्चा आराम से निगल पा रहा है।
  • क्या बच्चे की नाक बंद या भरी हुई है।
  • क्या बच्चे में नेचुरल तरीके से निगलने का रिफ्लेक्स होता है।
  • बच्चे का पोस्चर और जबड़ा दृढ़ है या नहीं।

जांच के बाद डॉक्टर निम्नलिखित ट्रीटमेंट कराने की सलाह देते हैं, जैसे;

  • बच्चे को होंठ बंद करने का अभ्यास कराना।
  • बच्चे की डाइट से एसिडिक भोजन कम करना।
  • बच्चे को निगलने में सक्षम बनाने के तरीकों पर काम करना।
  • बच्चे के चेहरे की मांसपेशियों को टाइट करने के तरीकों का उपयोग।
  • ओरल सेंसरी जागरूकता में सुधार लाना ताकि बच्चे को मुंह या चेहरा गीला होने से संबंधित कारणों को समझने में मदद मिल सके।
  • बच्चे का जबड़ा, गाल और होंठों हो मजबूत बनाने के लिए ओरल मोटर थेरेपी का उपयोग करना। इस थेरेपी से बच्चे को सलाइवा निगलने में मदद मिलेगी।

ड्रूल रैश क्या है?

मुंह से लगातार सलाइवा निकलने के कारण बच्चे का निचला होंठ, गाल, गले और सीने की त्वचा में इरिटेशन हो सकती है। यदि बच्चे की लार बहुत ज्यादा टपकती है तो सलाइवा उसके गाल, गले या सीने पर भी आ सकता है और आपको इन जगहों पर लाल रंग के रैशेस दिखाई देंगे। यदि लार टपकने से बच्चे के मुंह के आस-पास लाल रैशेस होते हैं तो इसे ड्रूल रैश कहते हैं। ड्रूल रैश को ठीक करने के लिए प्रभावी जगह को अच्छी तरह से साफ करें, इसे सुखाएं और फिर लैनोलिन बेस्ड क्रीम लगाएं। बच्चे के गले में बिब भी बांधें ताकि लार कई जगहों पर न फैले और जल्दी ठीक होने में मदद मिल सके। हालांकि बच्चे की त्वचा में क्रीम लगाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। 

डॉक्टर से कब मिलें

यदि 4 साल की उम्र होने के बाद भी बच्चे की लार टपकती है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की वजह से भी बच्चे की लार लगातार टपक सकती है जिसमें पेडिअट्रिशन की मदद लेना बहुत जरूरी है। इससे संबंधित थेरेपी या दवा के बारे में जानने के लिए डॉक्टर से चर्चा करें। हालांकि यदि थेरेपी या दवा से आराम नहीं मिलता है तो आपको हायर लेवल का ट्रीटमेंट कराना चाहिए। 

ड्रूलिंग से बच्चे को नेचुरल तरीके से खाने को नरम करने व निगलने में आसानी हो जाती है। यद्यपि इससे बच्चे के कई जरूरी शारीरिक फंक्शन पूरे होते हैं पर फिर भी इसके ज्यादा होने व 4 साल की उम्र के बाद भी इसमें सुधार न होने पर पर नजर रखें। इस समस्या को गंभीर होने से पहले डॉक्टर की मदद जरूर लें। 

यह भी पढ़ें:

शिशुओं में ओरल थ्रश
शिशुओं में हाथ, पैर और मुंह की बीमारी
शिशु में टंग टाई (चिपकी हुई जीभ) होना

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

जादुई हथौड़े की कहानी | Magical Hammer Story In Hindi

ये कहानी एक लोहार और जादुई हथौड़े की है। इसमें ये बताया गया है कि…

2 days ago

श्री कृष्ण और अरिष्टासुर वध की कहानी l The Story Of Shri Krishna And Arishtasura Vadh In Hindi

भगवान कृष्ण ने जन्म के बाद ही अपने अवतार के चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए…

2 days ago

शेर और भालू की कहानी | Lion And Bear Story In Hindi

शेर और भालू की ये एक बहुत ही मजेदार कहानी है। इसमें बताया गया है…

2 days ago

भूखा राजा और गरीब किसान की कहानी | The Hungry King And Poor Farmer Story In Hindi

भूखा राजा और गरीब किसान की इस कहानी में बताया गया कि कैसे एक राजा…

2 days ago

मातृ दिवस पर भाषण (Mother’s Day Speech in Hindi)

मदर्स डे वो दिन है जो हर बच्चे के लिए खास होता है। यह आपको…

2 days ago

मोगली की कहानी | Mowgli Story In Hindi

मोगली की कहानी सालों से बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। सभी ने इस…

2 days ago