शिशु

छोटे बच्चों में मंगोलियन स्पॉट

पैदा हुए बच्चे में बर्थमार्क का होना बहुत ही आम बात हैं, लेकिन जब वे मंगोलियन स्पॉट की तरह होते हैं, तो वे माता-पिता के लिए चिंता का कारण बन जाता है। आपको यह पता होना चाहिए कि इन बर्थमार्क से बच्चों को कैंसर या स्वास्थ्य से जुड़ा कोई खतरा नहीं होता है। एशियाई बच्चों में मंगोलियाई धब्बे आम होते हैं और जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, ये धब्बे गायब हो जाते हैं। यह समझने के लिए आगे पढ़ें कि वे कैसे बनते हैं और इस रोग का निदान कैसे किया जाता है। 

मंगोलियन स्पॉट क्या होता है?

मंगोलियन स्पॉट एक प्रकार के बर्थमार्क हैं जो अक्सर जन्म के समय शिशुओं के शरीर पर मौजूद होते हैं या कुछ दिन बाद दिखाई देते हैं। इन्हें स्लेट ग्रे नेवी और डर्मल मेलानोसाइटोसिस भी कहा जाता है। ये धब्बे ब्लू-ग्रे रंग के होते हैं और बाद में इनका कलर गहरे नीले से हल्के ग्रे में बदल जाता है। पूरे बर्थमार्क का रंग एक समान होता है। मंगोलियाई धब्बे विभिन्न आकारों में बन सकते हैं और कई तो बिना किसी स्पष्ट शेप और किनारों के ही कुछ सेंटीमीटर तक बड़े हो जाते हैं। ये फ्लैट होते है और त्वचा के ऊपर नहीं उठते। ये आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से या बच्चे के कूल्हों पर होते हैं और कभी-कभी बाहों या पैरों पर भी बनते हैं। मंगोलियाई धब्बे चिंता का कारण नहीं हैं क्योंकि वे कोई स्वास्थ्य से जुड़ा कोई खतरा पैदा नहीं करते हैं। जिन बच्चों को ये होते हैं, उनके बड़े होने के साथ-साथ धब्बे गायब हो जाते हैं, या आप कह सकती हैं कि जब तक वे अपनी टीनएज में नहीं पहुँचते।

मंगोलियाई ब्लू स्पॉट कितने आम हैं और ये किसे होते हैं?

मंगोलियाई धब्बे आमतौर पर अफ्रीकी, मिडल ईस्ट और एशियाई मूल के बच्चों में पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों के लगभग तीन-चौथाई बच्चों में आपको यह देखने को मिल सकता है। दिलचस्प बात यह है कि मंगोलियन स्पॉट शब्द 1885 में एडविन बेल्ज द्वारा गढ़ा गया था, जो एक जर्मन प्रोफेसर थे। उनका मानना ​​​​था कि केवल नॉन-कॉकेशियान और मंगोलों ने ही इन निशानों को विकसित किया था। नीले-ग्रे रंग के धब्बे लगभग 80% एशियाई, 90% अफ्रीकी और मूल अमेरिकी और 70% हिस्पैनिक्स में देखे जाते हैं। प्रीमैच्योर बच्चों की तुलना में पूरा समय लेकर पैदा हुए बच्चों में नीले-ग्रे रंग के धब्बे होने की संभावना अधिक होती है। लड़कों और लड़कियों दोनों को यह बर्थमार्क होने की लगभग समान संभावना है, लेकिन कुछ स्टडीज से पता चलता है कि लड़कों में मंगोलियाई धब्बे की संभावना थोड़ी अधिक है।

छोटे बच्चों के शरीर पर मंगोलियाई धब्बे होने का क्या कारण है?

जब एक बच्चा गर्भ में होता है, तो उसकी त्वचा में विकसित होने वाले सेल सतह पर चले आते हैं। गर्भावस्था के 11वें और 14वें सप्ताह के दौरान, एक स्पेशल सेल जिन्हें डर्मल मेलानोसाइट्स कहा जाता है (कोशिकाएं जो मेलेनिन का उत्पादन करती हैं) त्वचा की ऊपरी परत तक जाती हैं। ये डर्मल सेल आमतौर पर गर्भावस्था के 20वें सप्ताह तक गायब हो जाते हैं। एक्सपर्ट का मानना ​​है कि जब ये सेल्स त्वचा की ऊपरी परत तक नहीं जाते हैं और गायब हो जाते हैं, तो वे जन्म के समय मंगोलियाई धब्बे बनाती हैं। क्योंकि ये मेलानोसाइट्स त्वचा की परतों के नीचे फंस जाते हैं, इसलिए वे नीले-ग्रे रंग के हो जाते हैं।

त्वचा में मेलेनिन (त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार पिगमेंट) की मात्रा सामान्य रूप से बर्थमार्क का रंग निर्धारित करती है। गहरे रंग की त्वचा वाले बच्चों में इस प्रकार के बर्थमार्क होने की संभावना अधिक होती है।

स्पॉट कैसा दिखता है?

बच्चे पर मंगोलियन स्पॉट को आसानी से चोट या नील पड़ने के निशान समझा जा सकता है क्योंकि उनका रंग भी नीला होता है।

मंगोलियाई बर्थमार्क की विशेषताएं:

  • वे नीले या नीले-ग्रे रंग के होते हैं।
  • उनकी बनावट आसपास की त्वचा के सामान्य होती है।
  • मंगोलियाई धब्बे आमतौर पर 2-8 सेमी चौड़े होते हैं।
  • इन निशानों का कोई प्रॉपर शेप या किनारा नहीं होता है।
  • वे जन्म के समय होते हैं या जन्म के तुरंत बाद दिखाई देते हैं।
  • मंगोलियाई धब्बे आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से या कूल्हों पर दिखाई देते हैं।

क्या मंगोलियन स्पॉट खतरनाक होते हैं?

मंगोलियाई धब्बे खतरनाक नही हैं और इसे किसी भी मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं होती है। यह कैंसर और किसी अन्य बीमारी का लक्षण नहीं हैं। ज्यादातर मामलों में, धब्बे सालों में फीके पड़ जाते हैं और बच्चे के टीनएज में आने तक पूरी तरह गायब हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों को दुर्लभ मेटाबोलिक कंडीशन से जोड़ा गया है जैसे कि:

  • हंटर सिंड्रोम
  • हर्लर डिजीज
  • नीमन-पिक डिजीज
  • मनोसिडोसिस
  • म्यूकोलिपिडोसिस

उन बेबीज में रिस्क होने की अधिक संभावना है जिनकी पीठ और कूल्हों पर बड़े और व्यापक मंगोलियाई धब्बे हैं। कभी-कभी उन्हें रीढ़ की हड्डी की गंभीर समस्या स्पाइना बिफिडा ऑकल्टा के लक्षण के लिए गलत समझ लिया जाता है। हालांकि, इससे संबंधित धब्बे लाल रंग के होते हैं न कि मंगोलियन स्पॉट की तरह नीले-ग्रे रंग के।

न्यूबॉर्न बच्चों में मंगोलियन स्पॉट का इलाज कैसे करें?

मंगोलियन स्पॉट को किसी प्रकार की विशेष देखभाल या ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। ये दर्दनाक नहीं होते हैं, इसलिए वे त्वचा से संबंधित किसी भी समस्या से जुड़े नहीं होते हैं। जैसा कि वे ज्यादातर पीठ के निचले हिस्से और कूल्हों पर दिखाई देते हैं, इसलिए वह बाहर से दिखाई नहीं देते हैं। हालांकि, यदि धब्बे टीन ऐज के बाद और बड़े होने पर भी बने रहते हैं, तो इसे हटाने की प्रक्रियाओं पर विचार किया जा सकता है।

लेजर से धब्बे हटाने की प्रक्रिया से एडल्ट्स में अच्छे रिजल्ट दिखते हैं। मेडिकल साइंस की एक स्टडी से पता चलता है कि अलेक्जेंड्राइट लेजर के साथ लोगों को पॉजिटिव परिणाम मिले हैं। डर्माटोलोगिक सर्जरी में एक अन्य स्टडी में पाया गया कि मंगोलियन स्पॉट उपचार ने अलेक्जेंड्राइट लेजर के उपयोग के लिए बहुत अच्छी प्रतिक्रिया दी है यदि कोई व्यक्ति 20 साल से कम उम्र का है। यह भी पाया गया है कि अलेक्जेंड्राइट लेजर के साथ अन्य प्रकार के लेजर के साथ स्किन ब्लीचिंग क्रीम भी अच्छी तरह से काम करती हैं।

पेरेंट्स को बच्चे के जन्म के समय स्पॉट की तस्वीरें क्यों लेनी चाहिए?

मंगोलियाई धब्बे गहरे नीले या नीले-ग्रे रंग के होते हैं जिन्हें आसानी से “स्पैंक मार्क्स” या एब्यूज से जुड़े मार्क्स की तरह गलत माना जाता है। यह टीचर्स या डेकेयर के लोगों को चाइल्ड एब्यूज का गलत संकेत दे सकता है, जिससे पेरेंट्स के लिए कॉम्प्लिकेशन बढ़ सकते हैं। इन गलतफहमियों से बचने के लिए बच्चे के जन्म के समय धब्बों की तस्वीरें लें। फोटोग्राफ धब्बे के गायब होने को ट्रैक करने या किसी भी नए निशान जो स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकते है उनको नोटिस करने का भी एक अच्छा तरीका है।

डॉक्टर की मदद कब लेनी चाहिए ?

ज्यादातर मंगोलियाई धब्बे समय के साथ फीके पड़ जाते हैं और बच्चे के लिए कोई खतरा नहीं होते हैं। हालांकि, यदि आप देखती हैं कि कोई स्पॉट रंग या शेप बदलता है, तो यह कुछ और हो सकता है और यह आवश्यक है कि आप इसे स्किन के डॉक्टर को दिखाएं। यदि टीनएज में स्पॉट आपके बच्चे के लिए शर्मिंदगी का कारण बनते हैं या उन्हें सहज महसूस नही होता है तो आप मेडिकल मदद भी ले सकती हैं। इसके अलावा, मंगोलियन स्पॉट से आपके बच्चे को बिल्कुल कोई परेशानी नहीं होती है न ही उससे कोई नुकसान होता है और साथ ही यह समय के साथ अपने आप ही मिट जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी आपके मन में कोई संदेह हो तो आप डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

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समर नक़वी

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