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गणेश चतुर्थी एक ऐसा त्यौहार है जो भक्त बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन लोगों के द्वारा विशेष आयोजन किया जाता है। कहीं कहीं तो सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं। बच्चों में इस पर्व की खास धूम देखने को मिलती है। बच्चे उन्हें अपना दोस्त मानते हैं। इस पर्व के उपलक्ष में भव्य पंडाल का भी आयोजन किया जाता है। गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र एक मुख्य त्यौहार है। जिसमें हर समुदाय के लोग शामिल होते हैं और बहुत खुशी के साथ इस पर्व का आनंद उठाते हैं। यदि आपको इस पर्व के बारे में निबंध लिखना है या फिर अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहते है तो हमने इस लेख में छोटे से बड़े बच्चों तक के लिए निबंध कैसे लिखा जाए इसके बारे में बताया है। साथ ही हमने इससे जुड़ी कुछ अहम बातों की भी जानकारी दी है, तो यदि इसके बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़ना न भूलें।
यदि आपके बच्चे को स्कूल में गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन लिखने को मिला है तो हमने बेहद ही सरल शब्दों में इसके बारे में 10 लाइन बताया है इसे पढ़ें।
गणेश चतुर्थी बच्चे से लेकर बूढ़े सभी के लिए एक खास त्यौहार है जिसका इंतजार सबको होता है। यदि आपको स्कूल में इसके बारे में निबंध लिखने को मिला है तो हमने इस आर्टिकल में कम शब्दों में निबंध लिखा है इससे आपको हेल्प मिल सकती है तो चलिए आगे पढ़ते हैं:
हिंदू धर्म में हर त्यौहार को मनाने के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा है। इसी वजह से वे हर पर्व से जुड़कर बेहद धूमधाम से मनाते हैं। गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष से शुरू होता है। इस त्यौहार की धूम खासकर महाराष्ट्र में होती है क्योंकि यहीं से इस पर्व का आरंभ हुआ था। गणेश चतुर्थी के दिन लोग नए नए कपड़ें पहनकर गणेश जी की मूर्ति को बैंड बाजों के साथ लाते हैं और इन्हें अपने मंदिर में स्थापित करते हैं। इनकी पूजा लगातार 10 दिनों तक होती है और 11वें दिन इनका विसर्जन कर दिया जाता है। इस दौरान घर में रंग-रंग के पकवान बनते हैं और गणेश जी को भोग लगाया जाता है। गणेश जी को लोग प्यार से बप्पा बोलते हैं। बाप्पा को मोदक अधिक प्रिय है। ऐसा माना जाता है की गणेश भगवान हमारे विघ्नों को हर लेते हैं इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। महाराष्ट्र और कर्णाटक में यह त्योहार लगभग हर घर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार का इंतजार बच्चे बड़ी बेसब्री से करते हैं क्योंकि उन्हें ढेर सारी मिठाइयां और स्वादिष्ट भोजन खाने को मिलता है। गणेश जी बच्चों के लिए एक मित्र के सामान होते हैं जो जाते जाते उनकी सारी पीड़ा को अपने साथ ले जाते हैं।
यदि आप विद्यालय में पढ़ते हैं और आपको गणेश चतुर्थी पर निबंध लिखने को कहा गया है। लेकिन आपको समझ नहीं आ रहा है कि निबंध कैसे लिखें की यह पढ़ने में प्रभावी लगे और आपको प्रशंसा मिले। इसके लिए नीचे की पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और गणेशोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह महाराष्ट्र का मुख्य त्यौहार है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र है। इस त्यौहार की धूम चतुर्थी के पहले से ही शुरू हो जाती है। बच्चों के लिए यह त्यौहार बहुत ही खास होता है क्योंकि बप्पा बच्चों के दोस्त समझे जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि यह त्योहार हम क्यों मनाते हैं? इस त्यौहार का आरंभ सार्वजनिक तौर पर कब हुआ? तो चलिए इस पर्व के बारे में जानते हैं।
हिंदू धर्म के पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष महीने की चतुर्थी तिथी को हुआ था। इसलिए हर वर्ष यह पर्व इसी दिन मनाया जाता है। यह पर्व गणेशोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व हिंदुओं का मुख्य त्यौहार है लेकिन इसके बावजूद भी यह पर्व विभिन्न समुदाय के लोग भी मनाना पसंद करते है। जिसका उदाहरण आप सपनों की नगरी मुंबई में देख सकते हैं। मुंबई में लगभग हर सितारे इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
ऐसे तो गणेश चतुर्थी का त्यौहार बहुत पहले से मनाया जाता रहा है। लेकिन मुख्य रूप से इस त्यौहार का चलन 1893 में बाल गंगाधर तिलक के द्वारा हुआ था। उस समय अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही थी और तिलक जी को इसके लिए एक मंच की आवश्यकता थी। गणेश चतुर्थी उन्हें अवसर की तरह प्रतीत हुआ तभी से यह त्योहार सार्वजनिक तौर पर मनाया जाने लगा।
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव से रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश बुद्धि, ज्ञान, प्रगति और समृद्धि के देवता माने जाते हैं और साथ ही ये विघ्नहर्ता भी हैं जिनकी पूजा करने से ये हमारे सारी परेशानियों, रुकावटों और विघ्नों को दूर करते हैं। गणेश चतुर्थी उत्सव पर लोग गणपति बाप्पा को अपने घर लाते हैं, पूरे दस दिन उनकी खूब सेवा करते हैं, उन्हें उनकी मनपसंद मिठाइयों और भोजन का भोग लगाते हैं और सुबह-शाम उनकी आरती करते हैं।
शिवपुराण के अनुसार माता पार्वती ने एक बार स्नान करने से पहले हल्दी का उबटन लगाया था। बाद में उन्होंने उबटन उतारा और इससे एक पुतला बनाकर उसमें प्राण डाल दिया। इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ।
ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म माँ पार्वती के उबटन के मैल से हुआ था। एक दिन माता पार्वती स्नान के लिए जा रही थी और पुत्र गणेश को माँ पार्वती ने आदेश दिया कि कोई भी आए उन्हें अंदर प्रवेश न करने दिया जाए। भगवान गणेश ने अपनी माता का आदेश मानते हुए भगवान शिव को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी। भगवान शिव ने हर प्रयास किया लेकिन गणेश जी ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। जिससे शिव जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश जी पर वार कर दिया और उनका सर धड़ से अलग हो गया। उसके बाद माता पार्वती अपने पुत्र को मृत देख रोने लगी। तब भगवान शिव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने आदेश दिया कि जो भी जीव पहले दिखे उसका सर ले आएं। सबसे पहले उन्हें हाथी दिखा तो उन्होंने उस हाथी का सिर को गणेश जी के शरीर से जोड़ दिया और उनमें जान डाल दी। तब से उनका नाम गणपति, गजानन रख दिया गया और आशीर्वाद के रूप में यह वरदान दिया गया कि इनकी पूजा सबसे पहले की जाएगी और यदि ऐसा नहीं हुआ तो उनकी पूजा सफल नहीं मानी जाएगी।
ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त गणेश चतुर्थी के उत्सक पर भगवान गणेश को अपने घर लाकर पूजा अर्चना करते हैं उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है और वो अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं। इस त्यौहार का सबसे ज्यादा आनंद महाराष्ट्र में देखने को मिलता है। वहां बड़े बड़े पंडाल और मेले का आयोजन होता है। जैसे लालबागचा राजा, सिद्धिविनायक मंदिर, दगडुशेठ हलवाई आदि। जिस प्रकार हम भगवान गणेश को पूजते हैं उसी तरह हमें उनके गुणों को भी अपनाना चाहिए जिससे की हम जीवन में एक अच्छे इंसान बन सकें।
गणेश चतुर्थी एक ऐसा त्यौहार है जिसके लिए बच्चे से लेकर बूढ़े सभी नजरे बिछाए रहते हैं। इस पर्व से संबंधित कई रोचक बाते हैं जिनमे से कुछ अहम तथ्यों के बारे में यहां बताया गया है, इसे पढ़ें।
गणेश चतुर्थी में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इससे जुड़े कुछ सवाल ऐसे हैं जिसके जवाब बच्चों को जरूर पता होना चाहिए। तो चलिए जानते हैं उन प्रश्नों के बारे में –
गणेश चतुर्थी इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
भगवान गणेश का वाहन चूहा या मूषक है ।
गणेश चतुर्थी का त्योहार 10 दिन तक मनाया जाता है और 11वें दिन इनकी मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है।
गणेश चतुर्थी मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है ।
गणेश चतुर्थी का सबसे बड़ा सिद्धिविनायक मंदिर में लगता है।
सीखने की चाह हो तो हम छोटी से छोटी चीज से भी काफी कुछ सीखते हैं। गणेश जी सभी धर्मों और जाति से परे हैं इसलिए सभी लोग चाहे किसी भी धर्म या जाति के हो उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। हमें इस निबंध से यह सीख मिलती है कि हमें दयालु और विनम्र होना चाहिए। कोई आपको कितना भी परेशान करें लेकिन आपको अपनी विनम्रता में रहकर उसका जवाब देना चाहिए। बच्चे इस पर्व से यह भी सीख सकते हैं हम जैसे भी हैं सर्वश्रेष्ठ हैं इसलिए हमें खुद को किसी से कम नहीं आंकना चाहिए।
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