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कोई महिला गर्भपात यानी अबॉर्शन के लिए चाहे सर्जिकल प्रक्रिया का विकल्प चुने या पिल्स ले, इसके कारण किसी न किसी कॉम्प्लिकेशन का सामना करना ही पड़ता है। कई महिलाओं का मानना है कि जब डॉक्टर द्वारा सर्जिकल अबॉर्शन की प्रक्रिया अपनाई जाती है, तो कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं होते हैं, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। गर्भपात के गंभीर साइड इफेक्ट्स होते हैं – जिसमें मेंटल स्ट्रेस से लेकर शारीरिक तकलीफ होने तक कई चीजों से एक महिला को गुजरना पड़ता है । इसलिए, गर्भपात के बाद ठीक होने के लिए सही तरह से देखभाल की जरूरत होती है।
अबॉर्शन एक महिला के लिए शारीरिक और भावनात्मक रूप से थका देने वाला होता है। डॉक्टर की देखरेख के बाद भी, कई साइड इफेक्ट्स हो जाते हैं।
यह शायद गर्भपात के बाद महिलाओं में होने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है। प्रक्रिया के दौरान, प्लेसेंटा और गर्भाशय के बीच ब्लड वेसल्स से बहुत ज्यादा रक्त बह जाता है। अगर रक्तस्राव लंबे समय तक बना रहता है, तो इससे भारी ब्लीडिंग हो सकती है। गर्भपात के बाद हल्की से लेकर भारी ब्लीडिंग का अनुभव हो सकता है। गर्भपात के बाद खून के थक्के भी निकल सकते हैं, हालांकि अगर यह कुछ घंटों से ज्यादा समय तक जारी रहता है, तो यह कॉम्प्लिकेशन का संकेत हो सकता है।
क्रैम्प गर्भपात का एक अन्य साइड इफेक्ट है, जो परेशानी पैदा कर सकता है। यदि गर्भावस्था के 12 सप्ताह के बाद किसी महिला का गर्भपात होता है, तो उसे क्रैम्प होने की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि, पेल्विक रीजन में दर्द का अनुभव शरीर में इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि ऐसा हमेशा ही हो। इसलिए, यदि दर्द लंबे समय तक रहता है, तो आपको डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
अबॉर्शन के बाद, एक महिला को दुर्गंधयुक्त योनि स्राव (वेजाइनल डिस्चार्ज) हो सकता है, जो मूल रूप से गर्भाशय (यूट्रस), फैलोपियन ट्यूब या वेजाइना में इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो यह पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज को जन्म दे सकता है, इसलिए इसके बारे में डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।
अबॉर्शन कराने वाली महिला के शरीर में होने वाले विभिन्न परिवर्तनों के कारण उसके शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो सकता है। हालांकि, अगर तापमान 100.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ जाता है, तो डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।
गर्भावस्था खत्म होने के बाद एक महिला को सेप्टिक शॉक का अनुभव भी हो सकता है। इसके लक्षणों में ठंड लगना, पेट में दर्द, बुखार और लो ब्लड प्रेशर की समस्या शामिल है। पेट दर्द, ब्लीडिंग और बुखार जैसे लक्षण भी यूटेराइन में सुराख होने का संकेत हो सकते हैं।
अबॉर्शन के बाद महिलाओं की प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है। कई महिलाएं गर्भपात के बाद भावनाओं के रोलर-कोस्टर से गुजरती हैं, जबकि अन्य महिलाएं इससे निकलने का प्रयास करती हैं। कुछ के लिए, यह राहत अहसास दिलाता है, वहीं अन्य महिलाओं को इस प्रक्रिया से गुजरने का गहरा अफसोस होता है। किसी भी मामले में, इन भावनाओं को स्वीकार करना और मान लेना कि ये फिजिकल साइड इफेक्ट्स का ही एक हिस्सा है, तो आपको इन हालात का सामना करने में आसानी होगी। यदि अफसोस या पछतावे की इन भावनाओं को जल्दी खत्म नहीं किया जाता है, तो वे आगे चलकर डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं।
यदि आप दर्द या क्रैम्प जैसी समस्या का अनुभव करती हैं या कोई इन्फेक्शन है, तो खुद से इलाज करने का या दवा लेने का प्रयास न करें। सभी लक्षणों के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं – वह आपको सबसे बेहतर तरीके से गाइड कर सकते हैं। गर्भपात के बाद इन्फेक्शन को रोकने के लिए, डॉक्टर आमतौर पर एजिथ्रोमाइसिन और फ्लैगिल की सलाह देते हैं। ताकि गर्भाशय (यूट्रस) को उसके मूल आकार में वापस लाया जा सके। मेथरजिन एर्गोमेट्रिन दवा दी जाती है। हालांकि, इन दवाओं को केवल डॉक्टर द्वारा निर्धारित किए जाने पर ही लिया जाना चाहिए।
यदि आपका हाल ही में अबॉर्शन हुआ है, तो आपके शरीर में कई तरह के परिवर्तन होंगे। जबकि कुछ लक्षण लगभग दो सप्ताह तक बने रहेंगे और कुछ गर्भपात के 72 घंटों के भीतर कम हो जाएंगे। जल्द से जल्द ठीक होने के लिए, गर्भपात के बाद सही तरह से देखभाल करना आवश्यक होता है। यहाँ आपको कुछ टिप्स दिए गए हैं जो आपको जल्दी रिकवर होने में मदद करेंगे –
चूंकि गर्भपात के दौरान बहुत सारा खून बह जाता है, इसलिए पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेने से मदद मिल सकती है। गर्भपात के बाद, आपको रोजाना 8-9 गिलास पानी पीना चाहिए और अपने प्रोटीन और विटामिन का सेवन बढ़ाना चाहिए।
प्रेगनेंसी से बचने के लिए आपको अबॉर्शन के बाद गर्भनिरोधक का उपयोग करने पर विचार करना चाहिए। हार्मोनल बदलावों के कारण गर्भपात के बाद आपकी फर्टिलिटी बढ़ जाती है, इसलिए यदि आप यौन संबंध बनाने की योजना बना रही हैं, तो बर्थ कंट्रोल का ऑप्शन चुने। बेहतर यही है कि आप कम से कम दो सप्ताह के लिए शारीरिक संबंध बनाने से दूर रहें – अपने शरीर को ठीक होने के लिए कुछ समय दें, फिर आप अपने साथी के साथ यौन संबंध बना सकती हैं। डॉक्टर आमतौर पर महिलाओं को अगले पीरियड्स तक शारीरिक संबंध से बचने की सलाह देते हैं।
अबॉर्शन सर्जरी कराने के बाद, आप अपने स्तनों में बदलाव देख सकती हैं। वे लगभग दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक कोमल और भारी महसूस हो सकते हैं। इसलिए इस दौरान अच्छी फिटिंग वाली ब्रा पहनें और अपने स्तनों को उत्तेजित करने से बचें।
गर्भपात के बाद, आपको हल्के से भारी ब्लीडिंग का अनुभव हो सकता है, ब्लीडिंग के जरिए शरीर प्राकृतिक रूप से खुद रिकवर करता है। आप इसके लिए पैड का उपयोग कर सकती हैं और उन्हें बार-बार बदलती रहें। लेकिन अगर बहाव काफी भारी है, तो यह सुझाव दिया जाता है कि डॉक्टर से परामर्श करें, क्योंकि हैवी ब्लीडिंग इन्फेक्शन का संकेत हो सकती है।
यदि गर्भावस्था के 12 या अधिक सप्ताह के बाद अबॉर्शन हुआ है, तो आपको गंभीर रूप से क्रैम्प का अनुभव हो सकता है। आपका यूट्रस भी अपनी सामान्य स्थिति में लौटने की कोशिश करेगा, जिससे क्रैम्प महसूस होता है। यदि आप क्रैम्प या गंभीर रूप से दर्द का अनुभव करती हैं, तो आप गर्म सिकाई या हीटिंग पैड का उपयोग कर सकती हैं। हीटिंग पैड दर्द को कम करेगा और आपको राहत प्रदान करेगा।
अबॉर्शन से आप पर इमोशनली काफी प्रभाव पड़ता है और यह उथल-पुथल आपको काफी परेशान कर सकती है, जिससे आप उदास महसूस कर सकती हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप उन भावनाओं को अपने अंदर से बाहर निकालने का प्रयास करें। इसके लिए आपका सबसे अच्छा सपोर्ट सिस्टम है आपके पति! इसलिए अपने पार्टनर से बात करें और उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। टहलने के लिए बाहर जाएं या दोस्तों के साथ कुछ समय बिताकर अपने मूड को बेहतर करने की कोशिश करें।
अबॉर्शन कराने के बाद, आपको आराम करने की आवश्यकता होगी। आप पहले की तरह काम नहीं कर सकती हैं। आपके शरीर को ठीक होने के लिए कुछ समय लगेगा और इसके लिए आपको ठीक से आराम की जरूरत होगी। इसलिए हो सके तो एक-दो हफ्ते घर पर ही रहें और आराम करें। पर्याप्त नींद लें और हेल्दी खाना खाएं – ये आपको जल्द ठीक होने में मदद करेंगे!
गर्भपात के बाद आपका शरीर अगले पीरियड्स के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर देगा। तो आप गर्भपात के 4-8 सप्ताह बाद अपने पीरियड्स के आने की उम्मीद कर सकती हैं। लेकिन पहले एक या दो हफ्तों के दौरान पीरियड के साथ क्रैम्प का अनुभव होने की अपेक्षा की जा सकती है।
आपके पीरियड्स आपके द्वारा उपयोग किए जाने वाले बर्थ कंट्रोल मेथड पर भी निर्भर करेंगे। यदि आप गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग नहीं करती हैं तो आपके पीरियड्स 8 सप्ताह तक रहने चाहिए।
आप गर्भपात के बाद यौन संबंध बना सकती हैं, लेकिन डॉक्टर, सेक्स से पहले लगभग 2 सप्ताह तक रुकने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे इन्फेक्शन का खतरा कम होता है। दूसरी गर्भावस्था को रोकने के लिए भी शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए।
अबॉर्शन के तुरंत बाद आपका शरीर अगले पीरियड्स की तैयारी शुरू कर देगा। इसलिए यदि आप असुरक्षित यौन संबंध बनाती हैं, तो आप अपने पीरियड्स से पहले कभी भी गर्भवती हो सकती हैं। यदि आप गर्भवती होने से बचना चाहती हैं, तो आपको अपने पति के साथ बर्थ कंट्रोल के तरीकों पर चर्चा करनी चाहिए। गर्भपात के बाद, आपके पीरियड्स चार से आठ सप्ताह के बाद फिर से शुरू हो जाने चाहिए, जब तक कि आप गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन न कर रही हों।
अबॉर्शन आपकी सेहत को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप भावनात्मक और शारीरिक रूप से इस कठिन दौर से बाहर आने के लिए पर्याप्त आराम करें। आपका शरीर खुद आपको बताएगा कि अपने नार्मल रूटीन में कब लौटना है और आपको उसी के अनुसार चलना चाहिए। ज्यादा काम करने से क्रैम्प और ब्लीडिंग बढ़ सकती है, इसलिए खासतौर पर ऐसे समय में एक्सरसाइज करने से बचें। हेल्दी खाना खाएं और अपना अच्छा ख्याल रखें। इसके अलावा, गर्भपात के चार सप्ताह बाद किसी भी इन्फेक्शन या अन्य समस्याओं से बचने के लिए और यह जानने के लिए कि आपका शरीर कैसे ठीक हो रहा है, पैल्विक टेस्ट के लिए जाएं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आपका शरीर गर्भपात के बाद से पूरी तरह से उबर चुका है या नहीं और क्या अब आप एक हेल्दी लाइफ जीने के लिए तैयार हैं।
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