In this Article
आजकल जुड़वां बच्चों की गर्भधारण के मामले बढ़ रहे हैं, और यह काफी हद तक इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ के कारण हो सकता है। जहां सामान्य गर्भावस्था में जुड़वां बच्चे होने की संभावना लगभग 6 % होती है, वहीं आईवीएफ के साथ यह 25 % तक पहुंच जाती है।
चूंकि आईवीएफ इलाज काफी महंगा होता है, कई कपल्स चाहते हैं कि पहली बार में ही प्रेगनेंसी पक्की हो जाए। इसके परिणामस्वरूप वे कई एम्ब्र्यो यानी भ्रूणों को गर्भाशय में स्थानांतरित करने का अनुरोध कर सकते हैं, जिससे जुड़वां होने की संभावना बढ़ जाती है। आईवीएफ के लिए जिम्मेदार जुड़वां गर्भधारण की बढ़ती संख्या के कारण, आईवीएफ और जुड़वा बच्चों के बीच की कड़ी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ एक प्रकार की सहयोगी प्रजनन तकनीक और प्रक्रिया है जिसमें आपकी ओवरी (अंडाशय) से अंडों को इकट्ठा करके आपके शरीर के बाहर शुक्राणु के साथ एक लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। फर्टिलाइजेशन के बाद बनने वाले फीटस को आपके यूट्रस में ट्रांसफर करने से पहले कुछ दिनों के लिए लैब में बढ़ने दिया जाता है।
इसके दो अलग-अलग स्टेप्स होते हैं जब फीटस को आपके यूट्रस में ट्रांसफर किया जाता है तो उसे दो स्टेप्स – क्लीवेज (दरार) स्टेप और ब्लास्टोसिस्ट स्टेप में बांटा जाता है। फर्टिलाइजेशन के तीन या चार दिनों के बाद पहला यानी क्लीवेज (दरार) स्टेप होता है, और ब्लास्टोसिस्ट स्टेप फर्टिलाइजेशन के एक सप्ताह बाद शुरू होता है जब फीटस अपने अधिकतम विकास तक पहुंच जाता है। अगले छह से बारह दिनों के भीतर फीटस यूट्रस की लाइनिंग यानी अंदरूनी दीवार में इम्प्लांट हो जाता है जिससे एक सफल गर्भावस्था शुरू हो जाती है।
ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एम्ब्रियोलॉजी अथॉरिटी (एचईएफए) के अनुसार, पांच में से एक प्रेगनेंसी में ट्विन्स होने की संभावना बढ़ जाती है। यह इसलिए होता है क्योंकि आईवीएफ के दौरान गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने के लिए आपके यूट्रस में कई फीटस डाले जाते हैं। इसीलिए कभी-कभी यूट्रस लाइनिंग पर एक से अधिक फीटस को इंजेक्ट करने की वजह से जुड़वां गर्भावस्था होती है।
हालांकि, एक फीटस के साथ भी जुड़वां होना संभव है, जहां एक अंडा दो जायगोट बनाने के लिए विभाजित हो जाता है। इन्हें मोनोजायगोटिक ट्विन कहा जाता है। दूसरी ओर, डाइजायगोट ट्विन्स दो अलग-अलग अंडों के फलस्वरूप सामने आते हैं। यह तब हो सकता है जब दो या दो से अधिक भ्रूण आपके यूट्रस में पहुंचाए जाते हैं।
यदि आप इसका जवाब जानना चाहती हैं कि क्या आईवीएफ से आपको आईडेंटिकल ट्विन यानी एक जैसे दिखने वाले जुड़वां बच्चे हो सकते हैं, तो इसका उत्तर हां है। यह सच हो सकता है अगर आपके फीटस ब्लास्टोसिस्ट स्टेप के बाद यूट्रस में पहुंचाए जाते हैं। हालांकि इसकी कोई ठोस वजह पता नहीं चल पाई है।
जुड़वां गर्भावस्था वाली महिलाएं, सामान्य गर्भावस्था वाली महिलाओं की तुलना में प्रेग्नेंसी से जुड़े लक्षणों को जल्दी महसूस करती हैं:
एचसीजी हार्मोन लेवल का बढ़ना गर्भ में जुड़वां बच्चे होने का शुरूआती लक्षण होता है।
अगर आप पीरियड मिस होने के पहले प्रेगनेंसी टेस्ट करती हैं और वो पॉजिटिव आता है, तो ये जुड़वां होने का एक लक्षण है। क्योंकि जुड़वां गर्भावस्था में एचसीजी के लेवल का टेस्ट किया जाता है और ट्विन प्रेग्नेंसी में एचसीजी का लेवल आमतौर पर बढ़ा हुआ होता है।
अगर आपका तेजी से वजन बढ़ रहा है खासकर गर्भावस्था के दौरान बढ़ने वाले वजन की तुलना में भी वजन ज्यादा बढ़ गया है, तो ये जुड़वां गर्भावस्था का संकेत है।
राउंड लिगमेंट दर्द पेट के निचले हिस्से में होने वाला बेहद तेज दर्द होता है। आमतौर पर ये प्रेगनेंसी के तीसरे चरण में होता है, लेकिन अगर आपको ये दर्द दूसरे चरण में ही होने लगे तो ये भी ट्विन प्रेग्नेंसी की ओर इशारा करता है।
अगर आपके यूट्रस के आकार में तेजी से बदलाव हो रहा है यानी उसका सामान्य गर्भावस्था की तुलना में आकार बढ़ा हुआ है तो ये भी ट्विन प्रेग्नेंसी का संकेत है। क्योंकि दोनों बच्चे गर्भ में जगह बनाने की कोशिश करते हैं।
एएफपी टेस्ट रिजल्ट में भ्रूण के प्रोटीन लेवल को मापा जाता है। यदि आपके एएफपी टेस्ट का परिणाम ज्यादा है, तो यह जुड़वां गर्भावस्था हो सकती है।
इसके अलावा अत्यधिक थकान, मूड में बार-बार बदलाव आना और मतली को भी जुड़वां गर्भावस्था के संकेतों में से एक माना जाता है।
आमतौर पर डॉक्टर आईवीएफ जुड़वां गर्भावस्था की सलाह नहीं देते हैं क्योंकि यह मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत सारे खतरे पैदा कर सकती है। एक मां के लिए जुड़वां या एकाधिक गर्भावस्था के कुछ जोखिमों का उल्लेख नीचे किया गया है:
ट्विन प्रेग्नेंसी से प्री-एक्लेमप्सिया का खतरा बढ़ सकता है। यह हाई बीपी, शरीर में सूजन और पेशाब में बढ़े हुए प्रोटीन की वजह से होता है। ये सभी मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान विकसित होने वाली डायबिटीज आपके बच्चे के आकार को सामान्य से बड़ा करने का एक कारण बन सकता है। वेजाइनल बर्थ के दौरान आपको और बच्चे को चोट लगने का खतरा अधिक होता है, साथ ही बच्चों को सांस लेने में मुश्किल होना, दौरे, पीलिया और यहां तक कि दूध पिलाने की समस्या जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
जुड़वां गर्भावस्था, डिलीवरी के दौरान सी-सेक्शन की जरूरत को बढ़ा देती है। डिलीवरी के दौरान और डिलीवरी के बाद भी काफी खून बहने की संभावना रहती है। वेजाइनल बर्थ की तुलना में सी-सेक्शन में रिकवरी का समय भी अधिक लग सकता है।
इनके अलावा, आईवीएफ ट्विन्स के लिए भी कुछ जोखिम पैदा कर सकती है।
आमतौर पर लगभग 60 फीसदी जुड़वां बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं, और 12 फीसदी 32 सप्ताह से पहले पैदा होते हैं। इससे बच्चों के लिए मेडिकल कॉम्प्लिकेशन बढ़ सकते हैं और कई बार ये घातक भी होता है।
आधे से अधिक ट्विन्स का वजन 2.5 किलोग्राम से कम होता है और 32 सप्ताह से पहले पैदा हुए जुड़वां बच्चों का वजन जन्म के समय 1.6 किलोग्राम से कम होता है। देखने, सुनने, सांस लेने और दिल की समस्याएं, साथ ही सेरेब्रल पाल्सी, जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
एक ही प्लेसेंटा वाले जुड़वां बच्चों में टीटीटीएस हो सकता है, जिसके कारण एक बच्चे को ज्यादा खून मिलता है और दूसरे में इसकी कमी होती है। यह मामला लगभग 10 % ट्विन प्रेगनेंसी में होता है।
अगर आप जुड़वां बच्चों के लिए आईवीएफ का सहारा नहीं ले रही हैं और एक ही गर्भधारण करना चाहती हैं, तो आप अपने आईवीएफ स्पेशलिस्ट से ईएसईटी या केवल एक फीटस इम्प्लांटेशन के बारे में चर्चा कर सकती हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जब एक सफल गर्भधारण के लिए हेल्दी फीटस की पहचान करने के बाद केवल एक भ्रूण को ही आपके यूट्रस में इंजेक्ट किया जाता है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप कम से कम एक सफल गर्भावस्था प् सकें, आईवीएफ उपचार के प्रारंभिक चरणों में कई फीटस लेना इसका एक हिस्सा होता था। हालांकि, टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ, विशेषज्ञ अब ऐसे सबसे स्वस्थ भ्रूण की पहचान करने में सक्षम होते हैं, जिसमें इम्प्लांटेशन की सबसे अच्छी संभावना हो। यह एक भ्रूण के साथ भी गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, कई गर्भधारण से मां और बच्चे में मेडिकल कॉम्प्लिकेशन का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, अधिकांश डॉक्टर जुड़वां बच्चे पैदा करने के लिए आईवीएफ का विकल्प चुनने के खिलाफ सलाह देते हैं।
यह भी पढ़ें:
जुड़वां गर्भावस्था के शुरुआती संकेत और लक्षण
जुड़वां गर्भावस्था में होने वाली संभावित जटिलताएं
जुड़वां बच्चों के साथ गर्भावस्था – डिलीवरी नॉर्मल या सिजेरियन?
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…