गर्भावस्था

जुड़वां बच्चों के साथ गर्भावस्था – डिलीवरी नॉर्मल या सिजेरियन?

तो आप जुड़वां बच्चों की मां बनने वाली हैं! आप उत्साहित होने के साथ-साथ नर्वस भी होंगी और अपने जुड़वां बच्चों की प्रेगनेंसी और लेबर के बारे में अनुमान लगाती रहती होंगी। पर अब आपको इसे लेकर और अधिक चिंतित रहने की जरूरत नहीं है। हम इस लेख में आपको वह सब जानकारी देने की कोशिश करेंगे, जो कि जुड़वां बच्चा की मां को जानने की जरूरत होती है। 

आमतौर पर जुड़वां बच्चों की डिलीवरी कब होती है?

अगर आप जुड़वां बच्चों की मां बनने वाली हैं, तो आपके मन में उठ रहे कई तरह के सवालों में से एक सवाल यह भी हो सकता है, कि आपके क्यूट ट्विन्स इस दुनिया में कब आ सकते हैं। यह सबसे अधिक इस बात पर निर्भर करता है, कि आप की गर्भावस्था कैसे आगे बढ़ती है और आपका स्वास्थ्य कैसा है। अगर आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या नहीं है और आपकी गर्भावस्था में किसी तरह की जटिलता नहीं है, तो आप अपनी गर्भावस्था के 35 से 38 सप्ताह के बाद कभी भी अपने बच्चों को जन्म देने की उम्मीद रख सकती हैं। अगर बच्चों का जन्म 38 सप्ताह के बाद होता है, तो स्टिल बर्थ यानी मृत बच्चे के जन्म का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि जुड़वां बच्चों की गर्भावस्था में प्लेसेंटा इस समय के बाद बच्चों को सपोर्ट नहीं कर पाता है। बच्चों की डिलीवरी के लिए आप इंड्यूस लेबर या सी-सेक्शन का चुनाव कर सकती हैं। आपके डॉक्टर आपके लिए बेहतर विकल्प के चुनाव में मदद कर सकते हैं। 

अगर आपके गर्भ में जुड़वां बच्चे हैं तो क्या आपको सी-सेक्शन की जरूरत पड़ेगी?

अगर आपके गर्भ में जुड़वां बच्चे हैं, तो एक बच्चे की मां बनने वाली महिलाओं की तुलना में आपको सी-सेक्शन डिलीवरी की संभावना अधिक होती है, पर ऐसा जरूरी नहीं है कि अगर आपके गर्भ में जुड़वां बच्चे हैं, तो आपकी सी-सेक्शन डिलीवरी ही होगी। निम्नलिखित परिस्थितियों में आपके डॉक्टर आपको सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दे सकते हैं: 

  • अगर आपके प्लेसेंटा ने आपके सर्विक्स की ओपनिंग को ढक रखा है यानी आपका प्लेसेंटा प्रीविया है।
  • अगर पहले भी आपकी सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी है।
  • अगर आपके बच्चे छोटे हैं (डिलीवरी की तारीख के करीब)

अगर आप लेबर में हैं, तो निम्नलिखित परिस्थितियों में आपको एक इमरजेंसी सी सेक्शन से गुजरना पड़ सकता है:

  • अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर या प्री-एक्लेमप्सिया है
  • अगर आपका लेबर जटिल हो जाता है
  • अगर लेबर के द्वारा आपके एक या दोनों बच्चे संकट में आ जाते हैं
  • अगर अंबिलिकल कॉर्ड बर्थ कैनाल में गिर जाता है
  • अगर आपका लेबर बहुत धीमा है और बढ़ नहीं हो रहा है

मोनोकोरियोनिक ट्विन्स मामले में अगर किसी तरह के कॉम्प्लिकेशन हो, तो आपके डॉक्टर आपको सी-सेक्शन की सलाह दे सकते हैं। अगर आपके जुड़वां बच्चों में से एक बच्चे का सिर हेड डाउन पोजीशन में हो, तो आपके लिए नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ सकती है। अगर किसी तरह की जटिलता ना हो, तो आप अपनी नॉर्मल डिलीवरी की संभावना के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं। 

क्या जुड़वां बच्चों के जन्म के लिए दो बार लेबर से गुजरना पड़ता है?

नहीं, आप को दो बार लेबर से नहीं गुजरना पड़ता है। जुड़वां बच्चों को जन्म देना एक बच्चे को जन्म देने जैसा ही होता है। फर्क केवल इतना सा है, कि आपको दो बच्चों को बाहर निकालना होता है। लेकिन लेबर का पहला स्टेज या सर्विक्स की खुलना केवल एक बार ही होती है। 

आपके डॉक्टर आपकी डिलीवरी के लिए अतिरिक्त मदद ले सकते हैं, क्योंकि जुड़वां बच्चों की डिलीवरी से ज्यादातर डिलीवरी से खतरे जुड़े होते हैं। नॉर्मल डिलीवरी के मामले में भी मेडिकल हस्तक्षेप की जरूरत पड़ सकती है। 

जुड़वां बच्चों के जन्म के दौरान क्या होता है?

जुड़वां बच्चे प्रीटर्म या प्रीमैच्योर जन्म लेते हैं। अधिकतर मामलों में, आप अपनी प्रेगनेंसी के 38 सप्ताह से पहले लेबर में जा सकती हैं। इसलिए आपको अपने डॉक्टर से डिलीवरी के विकल्पों के बारे में पहले से ही बात करनी चाहिए। आपके डॉक्टर जुड़वां बच्चों के जन्म की प्रक्रिया आपको समझाएंगे, साथ ही डिलीवरी के विकल्पों के बारे में भी आपको बताएंगे जो आपको डिलीवरी के दौरान दिए जा सकते हैं। 

आइए इन विकल्पों पर एक नजर डालते हैं

1. वेजाइनल डिलीवरी

जुड़वां बच्चों में वेजाइनल यानी नॉर्मल डिलीवरी के मामले में आपको लेबर के पहले स्टेज का अनुभव केवल एक बार ही होता है। जब आपका सर्विक्स खुल जाता है, तब लेबर का दूसरा स्टेज शुरू होता है, जिसमें हर बच्चे का पुशिंग स्टेज होता है। हालांकि आपको दो बार पुश करना होता है, पर दूसरा बच्चा आसानी से बाहर आ जाता है। दूसरा बच्चा पहले बच्चे के बाद जल्दी बाहर आ जाता है (औसतन 17 मिनट के बाद)। अगर दूसरा बच्चा ब्रीच पोजीशन में हो, तो आपके डॉक्टर बच्चे को बाहर से या अंदर से घुमा सकते हैं। 

2. सी-सेक्शन

अगर आपका पहला बच्चा ब्रीच पोजीशन में हो, जुड़वां बच्चे ट्रांसवर्स पोजीशन में हों या अगर किसी तरह की जटिलता हो, तो आपको सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दी जा सकती है। आपको सर्जरी के लिए एक तारीख की सलाह दी जा सकती है और अगर आपका लेबर उस तारीख से पहले शुरू हो जाता है, तो आपको उसी दिन सिजेरियन डिलीवरी से गुजरना पड़ेगा। जुड़वां बच्चों की सिजेरियन डिलीवरी एक बच्चे की सिजेरियन डिलीवरी जैसी ही होती है। 

सामान्य डिलीवरी के कुछ मामलों में आपकी एक बच्चे की डिलीवरी नॉर्मल और दूसरे बच्चे की डिलीवरी सी-सेक्शन के द्वारा हो सकती है। पर यह स्थिति दुर्लभ है और यह केवल 5% मामलों में देखी जाती है। 

मां बनने वाली महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी से बचना चाहती हैं। अगर आप भी इससे बचने के तरीके ढूंढ रही हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करने से पहले आपको यह लेख आगे पढ़ लेना चाहिए। 

सिजेरियन डिलीवरी से बचने के लिए आप क्या कर सकती हैं?

सिजेरियन डिलीवरी की बात सुनकर कई महिलाएं घबरा जाती हैं। जब आपको या आपके बच्चे के स्वास्थ्य को कोई खतरा होता है, तब आपको सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दी जाती है। जुड़वां बच्चों की सभी डिलीवरी सिजेरियन डिलीवरी नहीं होती, बल्कि लगभग आधे जुड़वां बच्चों का जन्म नॉर्मल होता है। इसलिए अगर आपकी गर्भावस्था में किसी तरह के कॉम्प्लिकेशन नहीं है, तो आपकी सामान्य डिलीवरी होने की संभावना है। अगर आप भविष्य में  सिजेरियन डिलीवरी से बचना चाहती हैं, तो आपको निम्नलिखित बातों को आजमाना चाहिए: 

  • एक्टिव रहें: प्रेगनेंसी के दौरान एक्टिव रहने से नॉर्मल डिलीवरी की आपकी संभावना बढ़ जाती है। हालांकि जुड़वां बच्चों के साथ प्रेगनेंसी के आखिरी महीनों में एक्टिव रहना बहुत मुश्किल होता है।
  • स्वस्थ और फिट रहना: प्रेगनेंसी के दौरान आपका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। खासकर अगर आपके गर्भ में जुड़वां शिशु हैं तो। जुड़वां बच्चे होने का यह मतलब नहीं है, कि आप बहुत सारा वजन बढ़ा लें। स्वस्थ भोजन और नियमित एक्सरसाइज के साथ हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से आपकी नॉर्मल डिलीवरी होने में मदद मिलती है।

  • अपने बच्चों को सही पोजीशन में लाने कोशिश करें: सामान्य डिलीवरी के लिए प्रेगनेंसी के अंत समय के दौरान आप अपने बच्चों को हेड डाउन पोजीशन में सेटल करने की कोशिश कर सकती हैं। ऑप्टिमल फीटल पोजीशन से आपको बच्चों की पोजीशनिंग करने में मदद मिल सकती है। अगर जरूरत हो, तो इससे बच्चों को लेबर के दौरान प्रभावी रूप से घुमाने में मदद मिलती है। हालांकि इसे साबित करने के लिए कोई पुख्ता वैज्ञानिक सबूत उपलब्ध नहीं है।
  • बिना प्लान की हुई सी सेक्शन डिलीवरी से बचें: कभी-कभी जब आप लेबर में होती हैं, तो आपको इमरजेंसी सी-सेक्शन में जाना पड़ सकता है। अपने साथी, परिवार के सदस्य और डॉक्टर से भी सपोर्ट मिलने पर आप अचानक या इमरजेंसी सी-सेक्शन डिलीवरी में जाने से बच सकती हैं।

रिकवरी

चाहे वेजाइनल डिलीवरी हो या सी सेक्शन, जुड़वां बच्चों की डिलीवरी से रिकवर होने में लगभग उतना ही समय लगता है, जितना एक बच्चे की डिलीवरी से रिकवर होने में। हालांकि डिलीवरी के दौरान आपका अधिक ब्लड लॉस हो सकता है। आपके घुटने और कूल्हे में कुछ समय के लिए दर्द हो सकता है, क्योंकि आखिरी तिमाही में ये बहुत सारा वजन उठाते हैं। आपके ब्रेस्ट और पेट को वापस अपने आकार में आने में थोड़ा अधिक समय लग सकता है। सिंगल बच्चे की डिलीवरी की तुलना में जुड़वां बच्चों के मामले में आपको पोस्टपार्टम ब्लड या लोकिया का अधिक अनुभव हो सकता है। जुड़वां बच्चे के कारण हो सकता है आपका वजन भी अधिक बढ़ गया हो। 

अपने शरीर के साथ धैर्य बनाए रखना और शांत रहना ही सबसे बड़ा मंत्र है। लगभग 6 सप्ताह के बाद आपके डॉक्टर आपको हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करने की अनुमति दे सकते हैं। अपने शरीर का आकार वापस पाने के लिए और प्रेगनेंसी फैट से छुटकारा पाने के लिए ब्रेस्टफीडिंग सबसे अच्छा तरीका है। ब्रेस्टफीडिंग से न केवल आपका शरीर ऑक्सीटोसिन नामक फील गुड हार्मोन रिलीज करता है, बल्कि यह एक बच्चे को जन्म देने वाली मां की तुलना में प्रेगनेंसी फैट को भी तेजी से घटाने में मदद करता है। 

जुड़वां बच्चों की डिलीवरी नॉर्मल डिलीवरी के जितनी आसान नहीं होती है। आपको इस बात का ध्यान रखना पड़ता है, कि इसके साथ खतरे जुड़े होते हैं। आपके बच्चों को कुछ दिन नियोनेटल यूनिट में रहना पड़ सकता है या फिर कुछ समय के लिए स्पेशल केयर में रहना पड़ सकता है। हालांकि अगर प्रेगनेंसी के दौरान उचित देखभाल और सावधानी बरती जाए, तो जटिलताओं की संभावना बहुत कम हो जाती है। आपको अपने डॉक्टर या मिडवाइफ के साथ लगातार संपर्क में बने रहने की सलाह दी जाती है। अगर आप नॉर्मल डिलीवरी या सिजेरियन डिलीवरी को चुन रही हैं, तो अपने डॉक्टर के साथ इन दोनों से जुड़े हुए फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से चर्चा करें। 

यह भी पढ़ें: 

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सी-सेक्शन प्रसव – इसके लाभ और जोखिम क्या हैं?

पूजा ठाकुर

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