यदि आप बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं तो जाहिर है आप सोचती होंगी कि उसका वीनिंग यानी दूध कब छुड़ाना चाहिए। यहाँ तक कि यदि बच्चा फॉर्मूला दूध पीता है तो भी आप उसे सॉलिड फूड खिलाना शुरू करने के बारे में सोच रही होंगी। माँ का दूध पीने के बाद कुछ बच्चों का पर्याप्त वजन नहीं बढ़ता है वहीं कुछ बच्चे फीडिंग सेशन के बाद भी चिड़चिड़े और भूखे रहते हैं। कभी-कभी आमतौर पर 4 से 6 महीने की उम्र में बच्चों में वीनिंग कराने के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। तो बच्चों को सॉलिड फूड खिलाना शुरू करने का सही समय कब है? 6 महीने से पहले, 4 से 6 महीने के बीच या 6 महीने के बाद?
इस बारे में पूरी जानकारी यहाँ बताई गई है, आइए जानें;
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन, यूनीसेफ और अन्य हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार किसी भी कारण से बच्चे को 6 महीने से पहले सॉलिड फूड खिलाना शुरू नहीं करना चाहिए।
इसलिए यदि बच्चा 6 महीने से पहले ही सॉलिड फूड खाने में रुचि लेता दिखाई दे तो वास्तव में वह आपकी नकल कर रहा होता है। यदि बच्चा हर समय चिड़चिड़ा दिखता है तो इसका यह मतलब नहीं है कि उसे भूख लगी होगी। यह अन्य व्यवाहरिक या मेडिकल समस्याएं हो सकती हैं जिनके बारे में आपको पेडिअट्रिशन से बात करनी चाहिए।
सॉलिड फूड खिलाना शुरू करने से पहले आपको बच्चे में उम्र के अलावा अन्य लक्षण भी देखने चाहिए। क्या बच्चा अपना सिर सीधा रख सकता है? क्या बच्चा सपोर्ट के साथ बैठ सकता है? यदि इन सवालों के जवाब हाँ हैं और डॉक्टर भी इसकी सलाह देते हैं तो आप बच्चे को लिक्विड डाइट देना शुरू कर सकती हैं।
बच्चे को सॉलिड फूड 6 महीने बाद खिलाना शुरू करने के कारण
1. बच्चा शारीरिक रूप से सॉलिड फूड खाने के लिए तैयार रहेगा
बच्चे की आंतों में सेल की परत अब तक अच्छी तरह से बंद नहीं हो पाती है। यहाँ तक कि पूरा समय लेकर जन्मे बच्चे भी 6 से 8 महीने की उम्र तक सेमी-सॉलिड या सॉलिड फूड खाने में सक्षम नहीं होते हैं।
2. सॉलिड फूड ब्रेस्ट मिल्क और फॉर्मूला मिल्क से ज्यादा न्यूट्रिशियस नहीं होता है
सॉलिड फूड न्यूट्रिशियस कम हो सकते हैं और इनमें कैलोरी की मात्रा ज्यादा होती है जिसकी वजह से बच्चे को मोटापे की समस्या हो सकती है।
3. सॉलिड फूड को निगलना पड़ता है
बच्चा 6 महीने की उम्र तक खाना निगलने में सक्षम नहीं होता है।
4. सॉलिड फूड से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं
यदि बच्चे को सॉलिड फूड खिलाना बहुत जल्दी शुरू कर दिया तो इससे उसे एलर्जी और एक्जिमा होने के साथ कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे डायबिटीज, गैस की समस्या, कान में इन्फेक्शन और सेलिएक रोग।
5. बच्चे की इम्युनिटी बेहतर होगी
ब्रेस्ट मिल्क में इम्युनिटी बढ़ाने वाले 50 से भी ज्यादा तत्व होते हैं और इससे अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ने में मदद मिलती है जो आंतों को सुरक्षित रखते हैं। 4-6 महीने के बजाय 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग कराने से उसे रेस्पिरेटरी और गैस से संबंधित इन्फेक्शन नहीं होता है।
6. बच्चे के पाचन तंत्र को मैच्योर होने में समय लगेगा
छोटे बच्चों में फैट, प्रोटीन और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट का पाचन पूरी तरह से नहीं होता है पर माँ के दूध में एंजाइम होते हैं जो पाचन को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये एन्जाइम्स 6 – 9 महीने तक नहीं बनेंगे।
7. सॉलिड फूड खिलाना शुरू करना आसान होगा और बच्चा खुद से खा सकेगा
जब बच्चा सीधे बैठकर फूड आइटम खुद से उठाकर खाना शुरू करता है तब यह समझना चाहिए कि उसके मसूड़े मजबूत हो रहे हैं और वह सॉलिड फूड को निगल सकता है और भोजन खाना शुरू करने के लिए तैयार है।
8. बच्चे को आयरन की कमी नहीं होगी
सात महीने तक सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों में एनीमिया कम होता है।
9. माँ को दूध की आपूर्ति करने में आसानी होगी
जो बच्चे ज्यादा सॉलिड फूड खाते हैं या बहुत जल्दी ही सॉलिड फूड खाना शुरू करते हैं वे ब्रेस्टफीड करना भी बहुत जल्दी छोड़ देते हैं। 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को सॉलिड फूड खिलाने के बजाय ब्रेस्ट मिल्क ही पिलाना चाहिए। बच्चा जितना ज्यादा सॉलिड फूड खाएगा, वह माँ का दूध उतना ही कम पिएगा और कम दूध पीने का मतलब है ब्रेस्ट में कम दूध की आपूर्ति होना।
10. माँ के गर्भवती होने की संभावना कम होती है
6 महीने बनाम 4 महीने तक विशेष रूप से स्तनपान कराने वाली मांओं में लैक्टेशनल एमेनोरिया का लंबा समय होता है – डिलीवरी के बाद जब ब्रेस्टफीडिंग के कारण महिला को पीरियड्स नहीं होते हैं तो प्राकृतिक रूप से इंफर्टिलिटी रहती है।
11. माँ को वजन घटाने में आसानी होगी
जो मांएं बच्चे को 4 महीने के बजाय 6 महीने तक ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं उनका डिलीवरी के बाद का वजन तेजी से कम होता है।
12. बच्चे को चोकिंग की समस्या नहीं होगी
जब बच्चा बड़ा होता है और सीधा बैठने लगता है तो टंग थ्रस्ट रिफ्लेक्स चोकिंग से बचाने में मदद करता है। 6 महीने से ज्यादा उम्र का बच्चा भी अक्सर भोजन को मुंह के अंदर लेने व चबाने में सक्षम नहीं होता है। इसलिए जब तक वह 6 महीने से बड़ा न हो जाए तब तक आप उसे सॉलिड फूड न खिलाएं। इससे बच्चे को चोकिंग से बचने में मदद मिलेगी।
इस बात का ध्यान रखें कि यदि आप बच्चे को 6 महीने तक सॉलिड फूड नहीं खिलाती हैं और उसे सिर्फ ब्रेस्ट मिल्क ही पिलाती हैं तो इससे उसे स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे मिलते हैं। हालांकि आप 6 महीने तक के बच्चे को सॉलिड फूड खिलाना शुरू करने में देरी न करें। ज्यादा दिनों तक इंतजार करने से भी बच्चे का विकास धीमा हो सकता है, ओरल मोटर फंक्शन में देरी हो सकती है या यहाँ तक कि बच्चा ठोस आहार खाने से मना कर सकता है। बच्चे के लिए समय के साथ हर चीज होना बहुत जरूरी है।
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