शिशु

क्या एक ब्रेस्ट से ज्यादा दूध आना नॉर्मल है

डॉक्टर 6 महीने तक के शिशु को सिर्फ मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैं। हालांकि ब्रेस्टफीडिंग उतना आसान नहीं है जितना लगता है। इसके साथ कभी-कभी कई कॉम्प्लिकेशंस आते हैं। इस दौरान कभी-कभी आपको अपना एक ब्रेस्ट दूसरे से ज्यादा भारी लगेगा या सिर्फ एक ही ब्रेस्ट से दूध तेजी से आएगा। 

ब्रेस्ट में दूध की अलग-अलग आपूर्ति के बारे में जानने और दोनों ब्रेस्ट में इसकी आपूर्ति बढ़ाने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 

क्या एक ब्रेस्ट से दूध की आपूर्ति ज्यादा होना आम है?

ब्रेस्ट में दूध की आपूर्ति बच्चे की आवश्यकता के अनुसार होती है। मान लीजिए आप या आपका बेबी दाहिने के बजाय बाएं ब्रेस्ट से फीडिंग करना पसंद करता है तो बाएं ब्रेस्ट में दूध की आपूर्ति ज्यादा होगी। इसके परिणामस्वरूप दाहिने ब्रेस्ट में दूध कम बनेगा जो एक आम बात है। जब आपके शरीर को ऐसे संकेत मिलते हैं कि एक तरफ के ब्रेस्ट में दूध की मांग ज्यादा है, तो इस मांग को पूरा करने के लिए उस तरफ के ब्रेस्ट में ज्यादा से ज्यादा दूध बनने लगता है। 

दोनों ब्रेस्ट में दूध का प्रोडक्शन आसमान होने के कारण क्या हैं?

स्तनपान कराने वाली मांओं के एक ब्रेस्ट में ज्यादा दूध आने के निम्नलिखित कई कारण हैं, आइए जानें;

1. यदि बच्चा या मां एक तरफ से ही फीडिंग पसंद करते हैं

यदि बच्चा सिर्फ एक ही ब्रेस्ट से दूध पीना चाहता है और उसी तरफ से ज्यादा से ज्यादा दूध पीता है तो उस ब्रेस्ट में ज्यादा से ज्यादा दूध की आपूर्ति होगी। यदि मां बेबी को सिर्फ एक ब्रेस्ट से फीडिंग कराती है तो उसी ब्रेस्ट में ज्यादा दूध उत्पन्न होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे के निप्पल चूसने से दूध का प्रोडक्शन और बहाव उत्तेजित होता है। 

2. सर्जरी या चोट

यदि मां के एक ब्रेस्ट का ऑपरेशन हुआ है तो उस ब्रेस्ट में कम दूध बनेगा। चोट लगने से भी दूध की आपूर्ति में प्रभाव पड़ता है। यदि पहले कभी ब्रेस्ट में चोट लगी है तो इससे मिल्क डक्ट्स डैमेज हो सकते हैं और दूध का प्रोडक्शन कम हो सकता है। 

3. दोनों ब्रेस्ट की बनावट में अंतर

दोनों स्तनों की बनावट बिल्कुल एक जैसी नहीं हो सकती है। निप्पल का स्ट्रक्चर भी अलग-अलग हो सकता है। एक स्तन में दूसरे की तुलना में अधिक मिल्क डक्ट्स हो सकते हैं। हो सकता है कि आपके बेबी के लिए एक स्तन के निप्पल के मुकाबले दूसरे स्तन पर लैचिंग करना आसान हो।

4. यदि लेट डाउन रिफ्लेक्स (दूध का बहाव) में अंतर है

ब्रेस्ट में दूध के बहाव की तेजी से भी फर्क पड़ता है। यदि एक ब्रेस्ट में दूध का बहाव, जिसे लेट-डाउन रिफ्लेक्स कहते हैं, दूसरे से कम है तो बच्चा उस ब्रेस्ट से दूध नहीं पिएगा। इसके विपरीत यदि एक ब्रेस्ट में दूध का बहाव बहुत तेजी से होता है तो बच्चे को दूध निगलने में दिक्कत हो सकती है इसलिए भी वह उस ब्रेस्ट से दूध नहीं पिएगा। 

दोनों ब्रेस्ट से एक सामान दूध की आपूर्ति कैसे करें

ब्रेस्ट में एक समान मात्रा में दूध उत्पन्न करने के लिए आप निम्नलिखित कुछ उपाय कर सकती हैं, आइए जानें;

  • जिस ब्रेस्ट में दूध कम आता है आप उससे बच्चे को दूध पिलाना शुरू करें। बच्चे के द्वारा कम दूध वाले ब्रेस्ट को चूसने से यह स्टिमुलेट होगा और दूध अधिक मात्रा में उत्पन्न होगा।
  • नर्सिंग सेशन के बाद आप ब्रेस्ट पंप से ब्रेस्ट मिल्क निकाल लें। इससे भी दूध की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी। आप यह दूध स्टोर करें और आवश्यकता पड़ने पर बाद में बच्चे को पिलाएं। बच्चे को अलग-अलग पोजीशन में ब्रेस्टफीडिंग कराएं ताकि वह दोनों ब्रेस्ट से दूध पी सके। यदि आप दूध को पंप से नहीं निकालती हैं तो बच्चे को ड्रीम फीड कराएं। बच्चे को उस ब्रेस्ट पर लैच कराएं जिससे वह पीना चाहता है और पोजीशन को बिना बदले धीरे से उसे दूसरे ब्रेस्ट की ओर खिसकाकर फीडिंग शुरू कर दें।

  • जिस ब्रेस्ट से शिशु ज्यादा दूध नहीं पीता है उसे अपने हाथ से मालिश करें और कुछ मिनट के लिए गर्म सिकाई करें। इस तरीके से दूध की आपूर्ति स्टिमुलेट होगी। हालांकि, इस बात का ध्यान रखें कि यदि बच्चा उस ब्रेस्ट से दूध नहीं पीता है या आप उस ब्रेस्ट पर पंप का उपयोग नहीं करती हैं तो यह तरीका काम नहीं करेगा।
  • बच्चे के लिए ब्रेस्टफीडिंग कम्फर्टेबल करने के लिए नई पोजीशन में उस ब्रेस्ट से दूध पिलाएं जिसमें दूध कम आता है। इसमें अक्सर फुटबॉल होल्ड पोजीशन मदद करती है, यदि दूध का बहाव बहुत ज्यादा होता है तो मांओं को इस पोजीशन का उपयोग करना चाहिए। दूध का बहाव बहुत ज्यादा होने के मामले में पीठ के बल लेटने की पोजीशन भी मदद कर सकती है। यदि ब्रेस्ट से दूध का बहाव अत्यधिक होता है तो बच्चे के द्वारा लैचिंग करने से पहले थोड़ा सा दूध हाथ से निकालने से भी मदद मिलेगी।
  • यदि बच्चे को नींद आ रही है या वह थका हुआ है तो आप उसे कम उपयोग किए जाने वाले ब्रेस्ट से दूध पिलाएं।
  • उस ब्रेस्ट से शुरुआत करें जिससे दूध कम आता है और हर फीडिंग के दौरान बच्चे को लगभग 2-3 बार दोनों साइड से फीडिंग कराएं।
  • बच्चे को तभी ब्रेस्टफीड कराएं जब वह चाहता है। फीडिंग के समय में देरी न करें या इसे बाद में भी न करने की सोचें। जिस ब्रेस्ट में दूध का प्रोडक्शन बहुत ज्यादा होता है उसे खाली करें। बच्चे को हर दो घंटे में या वजन दोबारा से बढ़ने तक जब भी वह चाहता है उससे पहले ही ब्रेस्टफीड कराएं। इसके बाद उसे उसकी इच्छा के अनुसार ही ब्रेस्टफीड कराएं और तब तक दूध पिलाएं जब तक वह खुद से निप्पल चूसना न छोड़े। इस बात का ध्यान रखें कि यदि बच्चा एक ब्रेस्ट को अच्छी तरह से लैच नहीं करता है तो उस तरफ ज्यादा दूध ट्रांसफर नहीं होगा जिसके परिणामस्वरूप मिल्क प्रोडक्शन कम होगा।

  • ब्रेस्ट में दूध का पर्याप्त उत्पादन करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और अच्छी नींद लें। यदि आपको लगता है कि दूध कम बन रहा है तो आप गैलेक्टगॉग के उपयोग के बारे में लैक्टेशन कंसल्टेंट से बात करें। डॉक्टर इसे दवा के रूप में प्रिस्क्राइब करेंगे या इसके नेचुरल सब्सटैंसेस से भी दूध के उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलती है। हर्बल गैलेक्टगॉग के कुछ उदाहरण में मेथी के पत्ते या बीज, लहसुन, सौंफ, जौ और अल्फा-अल्फा शामिल हैं।

क्या एक ब्रेस्ट में ज्यादा दूध आने से बेबी पर प्रभाव पड़ेगा?

शिशु को लगातार ब्रेस्टफीड कराने से उसे अपनी न्यूट्रिशनल आवश्यकताओं के अनुसार पर्याप्त दूध मिलेगा। यहां तक कि यदि एक ब्रेस्ट से कम दूध आता है तो दूसरे ब्रेस्ट में पर्याप्त दूध आएगा। यदि आप बच्चे को सिर्फ एक ही तरफ से स्तनपान कराती हैं तो इसमें चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि ऐसी कई महिलाएं हैं जो बच्चे को सिर्फ एक ब्रेस्ट से ही फीडिंग कराती हैं। इसकी वजह से दोनों ब्रेस्ट का साइज अलग हो सकता है, लेकिन साइज को बराबर करने के लिए बच्चे को दोनों तरफ से दूध पिलाएं। 

बच्चों को दूध पिलाने से संबंधित हर मां का अनुभव अलग होता है। यदि आपके एक ब्रेस्ट में कम दूध आता है तो आप चिंतित हो सकती हैं पर जब तक बच्चे को दूसरे ब्रेस्ट से दूध पिला रही हैं तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। ब्रेस्ट मिल्क की आपूर्ति पूरी करने में आपका स्वास्थ्य भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए ज्यादा से ज्यादा आराम करें, न्यूट्रिशियस डाइट लें और भरपूर पानी व लिक्विड पीकर हाइड्रेटेड रहें। 

यह भी पढ़ें:

शिशु को स्तनपान कैसे कराएं
स्तनपान के दौरान मिल्क डक्ट्स ब्लॉक होना
नवजात शिशु को स्तनपान कराने के 10 जरूरी टिप्स

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

जादुई हथौड़े की कहानी | Magical Hammer Story In Hindi

ये कहानी एक लोहार और जादुई हथौड़े की है। इसमें ये बताया गया है कि…

1 week ago

श्री कृष्ण और अरिष्टासुर वध की कहानी l The Story Of Shri Krishna And Arishtasura Vadh In Hindi

भगवान कृष्ण ने जन्म के बाद ही अपने अवतार के चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए…

1 week ago

शेर और भालू की कहानी | Lion And Bear Story In Hindi

शेर और भालू की ये एक बहुत ही मजेदार कहानी है। इसमें बताया गया है…

1 week ago

भूखा राजा और गरीब किसान की कहानी | The Hungry King And Poor Farmer Story In Hindi

भूखा राजा और गरीब किसान की इस कहानी में बताया गया कि कैसे एक राजा…

1 week ago

मातृ दिवस पर भाषण (Mother’s Day Speech in Hindi)

मदर्स डे वो दिन है जो हर बच्चे के लिए खास होता है। यह आपको…

1 week ago

मोगली की कहानी | Mowgli Story In Hindi

मोगली की कहानी सालों से बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। सभी ने इस…

1 week ago