गर्भावस्था

माँ और बच्चे पर एपिड्यूरल के साइड इफेक्ट्स

बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया के दौरान दर्द से राहत के लिए एपिड्यूरल का इस्तेमाल काफी आम बात है। एपिड्यूरल एनेस्थीसिया शरीर के किसी विशेष हिस्से में दर्द को रोकने में मदद करता है। सामान्य एनेस्थीसिया, जिससे शरीर के उस हिस्से में पूरी तरह से सेंसेशन की कमी हो जाती है, के विपरीत एपिड्यूरल एनेस्थीसिया शरीर के निचले हिस्से में किसी भी तरह के सेंसेशन को कम करके दर्द से राहत दिलाता है। हालांकि कई महिलाएं डिलीवरी के समय इसे चुनती हैं, लेकिन एपिड्यूरल एनेस्थीसिया के भी साइड इफेक्ट्स हैं जो माँ और बच्चे दोनों पर पड़ते हैं। 

एपिड्यूरल एनेस्थीसिया का माँ पर दुष्प्रभाव

माँ पर एपिड्यूरल एनेस्थीसिया के निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स हैं:

1. ब्लड प्रेशर में गिरावट आना

एपिड्यूरल एनेस्थीसिया देने से ब्लड प्रेशर के लेवल में अचानक से गिरावट आ सकती है। जिसकी वजह से मतली या चक्कर आ सकते हैं। यही कारण है कि एपिड्यूरल एनेस्थीसिया के बाद ब्लड प्रेशर पर लगातार निगरानी रखी जाती है ताकि इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चे तक ब्लड फ्लो पर्याप्त हो रहा है। ब्लड प्रेशर के लेवल के अचानक से गिरने पर माँ को तुरंत आइवी ड्रिप, दवाएं और ऑक्सीजन दी जाती है।

2. सिरदर्द

स्पाइनल फ्लूइड के लीकेज होने की वजह से लगभग 1% महिलाओं को गंभीर सिरदर्द का अनुभव हो सकता है। यदि सिरदर्द लगातार बना रहता है, तो  “ब्लड  पैच” किया जाता है, जो कि महिला के अपने खून को एपिड्यूरल स्पेस में इंजेक्ट करने की एक प्रक्रिया है। इससे सिरदर्द से राहत मिलती है।

3. पेशाब की समस्या

एपिड्यूरल एनेस्थीसिया से पेशाब करने में समस्या हो सकती है। एपिड्यूरल एनेस्थीसिया दिए जाने के बाद पेशाब करने में मदद करने के लिए एक यूरिन कैथेटर की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, यह एक दुर्लभ स्थिति है।

4. पीठ दर्द

सबसे आम एपिड्यूरल साइड इफेक्ट्स में से एक पीठ दर्द है। जहां सुई डाली जाती है उसके कारण पीठ दर्द होता है। यह स्पाइनल कॉर्ड के फ्लूइड के लीकेज या किसी भी अन्य पदार्थ से एलर्जी के कारण भी हो सकता है, जो इंजेक्ट किए जाते हैं ।

5. नॉर्मल डिलीवरी मुश्किल हो जाती है

एपिड्यूरल अक्सर डिलीवरी के दौरान बच्चे को बाहर निकालना मुश्किल कर देता है। इसलिए, जन्म देने के लिए सी-सेक्शन या फोरसेप जैसे अन्य मेडिकल उपायों की आवश्यकता होती है।

6. डिलीवरी के बाद सुन्न हो जाना

जिन महिलाओं को प्रसव के दौरान एपिड्यूरल एनेस्थीसिया दिया जाता है, उनके शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाता है। लेकिन एशिया ऐसा के बाद भी काफी समय तक रह सकता है, इतना कि उन्हें थोड़ी दूरी तक चलने में भी सहायता की जरूरत होती है।

7. नर्व का डैमेज होना

एपिड्यूरल एनेस्थीसिया देने से कभी-कभी उस हिस्से में परमानेंट डैमेज हो सकता है, जहां कैथेटर को डाला गया है। इसे ठीक होने में कई हफ्ते या महीने भी लग सकते हैं और कुछ महिलाएं पूरी तरह से ठीक भी नहीं हो पाती हैं।

8. अन्य दुष्प्रभाव

एपिड्यूरल एनेस्थीसिया दिए जाने के बाद कुछ महिलाओं को कंपकंपी, कान की समस्या जैसे कान बजना, पैरों में झुनझुनाहट, खुजली या बुखार भी आ सकता है।

एपिड्यूरल का बच्चे पर साइड इफेक्ट

एपिड्यूरल एनेस्थीसिया बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है:

  1. एपिड्यूरल में इस्तेमाल होने वाली लोकल एनेस्थेटिक से न्यूबॉर्न बेबी का इम्युनिटी सिस्टम प्रभावित हो सकता है।
  2. एपिड्यूरल की वजह से भ्रूण तक जाने वाले ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो सकती है। यह तब होता है जब माँ का ब्लड प्रेशर लेवल सामान्य से कम हो जाए।
  3. एपिड्यूरल एनेस्थीसिया दिए जाने के बाद, नई माँ को बुखार भी आ सकता है। जिससे बेबी का एपीजीएआर स्कोर प्रभावित होता है। इसके कारण पैदा हुए बच्चे को दौरे भी पड़ सकते हैं जो कई बार जानलेवा साबित होता है।
  4. इसकी वजह से कभी-कभी फीटल ब्रैडीकार्डिया होता है, जो एक ऐसी स्थिति है जिसमें भ्रूण की हार्ट बीट कम हो जाती है।
  5. प्रसव के दौरान एपिड्यूरल का इस्तेमाल करने वाली मांओं द्वारा पैदा होने वाले बच्चों में एक न्यूरो-व्यवहार संबंधी समस्या हो सकती है।
  6. न्यूबॉर्न को लैच करने और चूसने में अधिक समय लग सकता है क्योंकि एपिड्यूरल एनेस्थीसिया बच्चे के कोमल तालू की संवेदना को कम कर देता है जो ऐसा करने के लिए जरूरी है।
  7. पैदा होने के बाद बच्चे को प्रोसेस करने में अधिक समय लग सकता है। यहां तक उसे अपनी माँ से दूर एनआईसीयू में अधिक समय बिताना पड़ता है।

एपिड्यूरल पोस्टपार्टम के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?

एपिड्यूरल केवल लेबर के दौरान ही नहीं होता है। बल्कि उसका इस्तेमाल तब भी होता है जब शरीर के निचले हिस्सों में ऑपरेशन होता है या पोस्ट ऑपरेटिव दर्द को दूर करने के मामलों में भी उपयोग किया जाता है। हालांकि, सालों के बाद भी लोग इसके साइड इफेक्ट का अनुभव करते हैं और वे बच्चे जो डिलीवरी के दौरान एपिड्यूरल का उपयोग करने वाली माँ द्वारा पैदा हुए हैं, उनमें भी जन्म के बाद एपिड्यूरल के साइड इफेक्ट देखे जा सकते हैं। एपिड्यूरल के कुछ पोस्टपार्टम साइड इफेक्ट्स के बारे में नीचे बताया गया है:

1. एपिड्यूरल हेमेटोमास

यह तब होता है जब एक एपिड्यूरल सुई या कैथेटर ब्लड वेसल को पंचर कर देती है। इंजेक्शन के दौरान या कैथेटर डालते वक्त बैक्टीरिया प्रवेश कर सकते हैं, जिससे एपिड्यूरल फोड़ा हो सकता है।

2. छोटी समस्याएं

कुछ मामलों में, व्यक्ति को एपिड्यूरल के कुछ घंटों बाद भी शरीर के विशेष एरिया में सुन्नता, झुनझुनी या कमजोरी जैसे मामूली न्यूरोलॉजिकल समस्याएं महसूस होती हैं। ये समस्याएं आपके नर्व डैमेज होने के कारण होती हैं, जबकि इसमें सिर्फ एक सुई या एपिड्यूरल कैथेटर का ही उपयोग किया गया है।

3. पैरालिसिस

शरीर का एक बड़ा हिस्सा पैरालाइज होना, उसमे कमजोरी आना या सनसनी पैदा होना दुर्लभ कॉम्प्लिकेशन का कारण होते हैं। यह रक्त के संचय (एपिड्यूरल हेमेटोमा) या मवाद (फोड़ा) के दबाव के कारण हो सकता है जो रीढ़ की हड्डी और उसके आसपास की नसों को नुकसान पहुंचाता है।

4. पीठ दर्द

पीठ में दर्द उस जगह पर होता है जहां एपिड्यूरल सुई लगाई गई है। यह खास तौर पर टिश्यू में हो रही जलन के कारण होता है। हालांकि, यह दर्द आमतौर पर कुछ ही दिनों में खत्म हो जाता है।

5. त्वचा में खुजली

आपकी स्किन में खुजली होना एपिड्यूरल में इस्तेमाल की गई दर्द निवारक दवाओं के साइड इफेक्ट का कारण है। ऐसे में दवा बदलकर इसका इलाज किया जा सकता है।

एपिड्यूरल एनेस्थीसिया बच्चे के जन्म के दौरान दर्द से राहत का एक अत्यधिक प्रभावी रूप माना जाता है। लेकिन इतने सारे साइड इफेक्ट्स के साथ इसे माँ और बच्चे दोनों के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। पर यह बच्चे के जन्म के दौरान बाकी कई तरीकों से अधिक फायदेमंद है, जब तक आवश्यकता न हो, इसका उपयोग करने से बचना चाहिए।

यह भी पढ़ें:

आसान प्रसव के लिए टिप्स
लेबर और डिलीवरी की तैयारी के स्मार्ट तरीके
प्रसव पीड़ा प्रेरित करने के लिए कैस्टर ऑयल

समर नक़वी

Recent Posts

अच्छी आदतों पर निबंध (Essay On Good Habits in Hindi)

छोटे बच्चों के लिए निबंध लिखना एक बहुत उपयोगी काम है। इससे बच्चों में सोचने…

2 days ago

कक्षा 1 के बच्चों के लिए मेरा प्रिय मित्र पर निबंध (My Best Friend Essay For Class 1 in Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना बहुत उपयोगी होता है क्योंकि इससे वे अपने विचारों को…

2 days ago

मेरा प्रिय खेल पर निबंध (Essay On My Favourite Game In Hindi)

खेल हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ये न सिर्फ मनोरंजन का साधन…

4 days ago

पुस्तकों के महत्व पर निबंध (Essay On Importance Of Books In Hindi)

पुस्तकें सीखने, जानने, समझने और आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे आदर्श पर्याय मानी जाती हैं। ये…

5 days ago

कक्षा 2 के बच्चों के लिए मेरी माँ पर निबंध (My Mother Essay For Class 2 in Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना एक बहुत ही मजेदार और सीखने वाली गतिविधि होती है।…

5 days ago

कक्षा 1 के बच्चों के लिए मेरा परिचय पर निबंध (Essay On Myself For Class 1 In Hindi )

निबंध लेखन बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण एक्टिविटी होती है। इससे बच्चों की रचनात्मक लेखन…

6 days ago