शिशु

मैस्टाइटिस – कारण, लक्षण और इलाज

न्यूट्रिशन और इम्यूनिटी के अलावा ऐसे कई कारण हैं, जिनके लिए ब्रेस्टफीडिंग को प्रोत्साहन दिया जाता है। साथ ही इस प्रक्रिया के दौरान, मां और बच्चे के बीच का संबंध भी मजबूत होता है। अगर मां मैस्टाइटिस नामक एक इंफेक्शन की गिरफ्त में आ जाए, तो ब्रेस्टफीडिंग भी प्रभावित हो सकती है। यह संक्रमण स्तनपान को प्रभावित करता है, जिसके कारण कभी-कभी मां को इसे बंद करना पड़ता है। आइए इसके कारण, लक्षण और इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं और इस स्थिति को समझने की कोशिश करते हैं। 

मैस्टाइटिस क्या है?

ब्रेस्ट में मैस्टाइटिस, असल में स्तन में एक तरह की सूजन या गांठ होती है, जिसके साथ दर्द, लालीपन और नरमी भी देखी जाती है। आमतौर पर, मांएं डिलीवरी के बाद शुरुआती 3 महीनों के अंदर एक्यूट मैस्टाइटिस का अनुभव करती हैं। इसमें ब्रेस्टफीडिंग कराने की मनाही नहीं होती है, पर यह आमतौर पर महिला को प्रभावित कर सकता है। जिन महिलाओं को किसी तरह की क्रोनिक हेल्थ प्रॉब्लम होती है या डायबिटीज जैसी कोई लाइफस्टाइल बीमारी होती है, उन्हें मैस्टाइटिस का खतरा अधिक होता है (फिर चाहे वह नई मां हो या न हो)। कैंसर के कारण भी मैस्टाइटिस हो सकता है। 

मैस्टाइटिस के कारण

जैसा कि पहले बताया गया है, मैस्टाइटिस में ब्रेस्ट में सूजन, इन्फ्लेमेशन या आकार का बढ़ना देखा जाता है। मैस्टाइटिस के कई कारण हो सकते हैं। 

नई मांओं में ब्रेस्ट इन्फ्लेमेशन, बच्चे के मुंह से आने वाले बैक्टीरिया के संक्रमण के नतीजे के रूप में होना सबसे आम होता है, जो कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में आने वाली बारीक दरारों के द्वारा ब्रेस्ट के मिल्क डक्ट में प्रवेश कर जाते हैं। जबकि यह आम नहीं है, लगभग 1 से 3% नई मांएं मैस्टाइटिस से जूझती हैं। 

कभी-कभी अपर्याप्त ब्रेस्टफीडिंग के कारण, मिल्क डक्ट ब्लॉक होने से मैस्टाइटिस हो जाता है। विभिन्न कारणों से शिशु एक बार में मां के ब्रेस्ट में मौजूद दूध को खाली करने में सक्षम नहीं होता है। ऐसे में, दूध ब्रेस्ट में जमा होने लगता है, जिसके कारण मैस्टाइटिस हो जाता है। बच्चे को नियमित रूप से दूध पिला कर इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। हालांकि, क्लॉग्ड मिल्क डक्ट ब्रेस्ट इंफेक्शन के कारण होने वाले मैस्टाइटिस की संभावना को बढ़ा देते हैं और किसी मौजूदा इंफेक्शन को और बिगाड़ भी सकते हैं। 

मैस्टाइटिस के संकेत और लक्षण

क्लॉग्ड ब्रेस्ट डक्ट के लक्षण नीचे दिए गए हैं: 

  • आपको पूरे ब्रेस्ट या इसके किसी एक हिस्से में दर्द, सूजन, नरमी और कभी-कभी गर्माहट का अहसास हो सकता है। कुछ मांएं किसी खास हिस्से में इन्फ्लेमेशन का भी अनुभव कर सकती हैं, वहीं कुछ महिलाएं पूरे ब्रेस्ट में दर्द या सेंसिटिविटी महसूस करती हैं।
  • इसका सबसे महत्वपूर्ण संकेत होता है, ब्रेस्ट के एक हिस्से में एक ऐसी कठोर गांठ का बनना, जो निप्पल की ओर पॉइंट कर रही हो, जिसे अक्सर छूने पर मुलायम महसूस होता हो।
  • ब्रेस्ट में गांठ होने से आपको थकान और खुजली हो सकती है। कभी-कभी शरीर में फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं, खासकर ठंड लगना और/या बुखार। अगर ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां में फ्लू के लक्षण दिखें, तो हो सकता है, कि वह बिना किसी लक्षण को महसूस किए मैस्टाइटिस से जूझ रही हो।
  • आप निप्पल से सफेद डिस्चार्ज या खून के धब्बे भी महसूस कर सकती हैं।
  • लगातार रहने वाला एक तेज बुखार, जो आसानी से कम न हो और ब्रेस्ट का मुलायम होना। अगर इंफेक्शन के कारण मैस्टाइटिस हो जाए, तो आपको एनर्जी की कमी महसूस हो सकती है।
  • निप्पल में दरारें और उनमें से बहता हुआ खून भी इसका एक आम लक्षण है। हो सकता है, आपको ब्रेस्टफीडिंग रोकनी पड़े या फिर हर फीड के बीच आपको लंबे ब्रेक लेने पड़ें।

नॉन-लेक्टेशनल मैस्टाइटिस के लक्षण नई माँ में दिखने वाले मैस्टाइटिस के लक्षण जैसे ही होते हैं। लेकिन नॉन-लेक्टेशनल मैस्टाइटिस लेक्टेशनल मैस्टाइटिस जितना आम नहीं होता है। 

मैस्टाइटिस (ब्रेस्ट इंफेक्शन) की पहचान

अगर आप ऊपर दिए गए लक्षण देख रही हैं, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। समय पर इलाज होने से तकलीफ कम करने में मदद मिलती है, ब्रेस्टफीडिंग में आने वाली रुकावट से बचाव होता है और अन्य कॉम्प्लिकेशंस भी दूर रहते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो लेक्टेशन कंसल्टेशन भी ले सकती हैं। 

आमतौर पर, मैस्टाइटिस की पहचान लक्षण, हिस्ट्री और मेडिकल टेस्ट के आधार पर की जाती है। स्थिति को प्रभावित करने वाले जर्म्स की पहचान के लिए, डॉक्टर ब्रेस्ट मिल्क का सैंपल लेने की सलाह दे सकते हैं। डायग्नोसिस के आधार पर, डॉक्टर ब्रेस्ट में दर्द के छिपे हुए कारण को ढूंढ सकते हैं। अन्य समस्याओं को नजरअंदाज किया जा सकता है, जैसे बच्चे के मुंह में असामान्यता, निप्पल में फिशर्स, भरे हुए मिल्क डक्ट या यीस्ट इंफेक्शन। आपको एक मैमोग्राम कराने की सलाह दी जा सकती है, ताकि ब्रेस्ट कैंसर के संभावित इन्फ्लेमेटरी फॉर्म का पता लगाया जा सके। यह एक प्रकार का बहुत ही दुर्लभ कैंसर है, जिसमें मैस्टाइटिस जैसे ही लक्षण दिखते हैं। 

मैस्टाइटिस पैदा करने वाले खतरे

मैस्टाइटिस होने से जुड़े खतरे इस प्रकार हैं: 

  • अगर निप्पल में दरारे हों और उनमें दर्द हो रहा हो, तो इंफेक्शन की संभावना हो सकती है।
  • ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बराबरी से ब्रेस्ट का इस्तेमाल न करने से और दूध पूरी तरह से खाली न करने से डक्ट भर सकते हैं।
  • ब्रेस्ट पर ठीक से लैच न करना। यदि बच्चा ठीक से लैचिंग नहीं करता है, तो वह ब्रेस्ट से दूध को ठीक से नहीं खींचेगा। बल्कि अगर आप भी बच्चे को सही पोजीशन में दूध नहीं पिलाती हैं, तो इससे आपके निप्पल में इरिटेशन हो सकती है और यह खतरा बढ़ सकता है।
  • अनियमित एक्सप्रेसिंग या फीडिंग
  • एक टाइट फिटिंग ब्रा
  • एक से अधिक डिलीवरी
  • परिवार में मैस्टाइटिस का पूर्व अनुभव होना
  • खराब न्यूट्रिशन, जिससे मैमरी ग्लैंड में बैक्टीरिया का पनपना आसान हो जाए

मैस्टाइटिस के कॉम्प्लिकेशंस

अगर इस स्थिति का इलाज न किया जाए, तो इसके कारण आपके ब्रेस्ट में पस से भरे टिशू इकट्ठे हो सकते हैं, जो कि आगे चलकर गाढ़े होने के कारण सख्त हो सकती हैं। ऐसा होने पर पस को बाहर निकालने के लिए सर्जिकल प्रक्रिया की जरूरत पड़ सकती है। 

मैस्टाइटिस कितने लंबे समय तक रहता है?

अगर समय पर पहचान हो जाए, तो मैस्टाइटिस का इलाज आसानी से किया जा सकता है और इसे ठीक होने में अधिक समय नहीं लगता है। अगर आपको एंटीबायोटिक्स की सलाह दी जाती है, तो आपको यह कोर्स जरूर पूरा करना चाहिए। अगर आप यह नोटिस करती हैं, कि आपके ब्रेस्ट अभी भी मुलायम हैं और आपको अभी भी बुखार है, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हों और आपको मैस्टाइटिस हो तो क्या करना चाहिए?

अगर आप एक नई मां हैं, तो यह जरूरी है, कि मैस्टाइटिस के बावजूद आप ब्रेस्टफीडिंग को जारी रखें, ताकि स्तनों में दूध इकट्ठा न हो। इसके लिए यहां पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें फॉलो किया जा सकता है:

  • फीडिंग के दौरान आपको दर्द हो सकता है। लेकिन इसे जारी रखें, क्योंकि इससे आपकी समस्या हल हो जाएगी।
  • ब्रेस्ट में गांठ वाले क्षेत्र में मालिश करने की कोशिश करें। अपने चेस्ट के पास से शुरू करते हुए निप्पल की ओर बढ़ें।
  • फीडिंग के पहले थोड़े समय के लिए ब्रेस्ट पर गर्म फलालेन रखने से आपको थोड़ा आराम मिल सकता है। इससे लेट डाउन रिफ्लेक्स होगा और आपके लिए फीडिंग कराना काफी आसान हो जाएगा।
  • कभी-कभी विभिन्न कारणों से आपका बच्चा आपके ब्रेस्ट को पूरी तरह से खाली करने में सक्षम नहीं होता है। अगर नियमित रूप से ऐसा होता है, तो दूध को एक बोतल में पंप करके बच्चे को पिलाने की आदत डालें।
  • रुकावट को हटाने के लिए फीडिंग के दौरान पोजीशन को बदलें और फीडिंग के लिए सबसे प्रभावी पोजीशन अपनाएं।

मैस्टाइटिस का इलाज

आमतौर पर ब्लॉक्ड मिल्क डक्ट के इलाज में इंफेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए ओरल एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ब्रेस्टफीडिंग या पंपिंग के द्वारा दूध को बाहर निकालना भी एक अन्य इलाज है। इससे ब्रेस्ट में अधिक बैक्टीरिया के इकट्ठा होने से बचाव होता है और इंफेक्शन की अवधि कम हो जाती है। 

क्या मैस्टाइटिस आपके बच्चे पर प्रभाव डालता है?

यदि आपको मैस्टाइटिस हो भी जाता है, तो आपको यह पता होना चाहिए कि यह आपके बेबी पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डालेगा। वह प्रभावित ब्रेस्ट से भी फीडिंग ले सकता है। हालांकि दूध का स्वाद कुछ समय के लिए सामान्य से थोड़ा नमकीन लग सकता है। यदि बच्चा दूध के द्वारा इंफेक्शन के बैक्टीरिया को ग्रहण कर भी लेता है, तो उसके डाइजेस्टिव एसिड उन्हें खत्म कर देंगे। इस बात का उल्लेख करना जरूरी है, कि बच्चे पर मैस्टाइटिस के एंटीबायोटिक्स का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। दवा का केवल एक अप्रत्यक्ष प्रभाव यह होता है, कि प्रभावित ब्रेस्ट से दूध की सप्लाई कम हो सकती है। 

मैस्टाइटिस के लिए घरेलू उपचार

यहां पर मैस्टाइटिस के लिए कुछ प्राकृतिक उपचार दिए गए हैं, जिन्हें आप इस स्थिति से आराम पाने के लिए घर पर आजमा सकती हैं:

  1. हर बार फीडिंग के पहले आप ब्रेस्ट पर कोल्ड पैक का इस्तेमाल कर सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें, कि इसे सीधे त्वचा पर न लगाएं, क्योंकि इससे त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है और इसलिए इसे हमेशा एक साफ कपड़े से ढक कर ही इस्तेमाल करें। ठंडी सिकाई करने से सूजन से आराम मिलता है। वहीं दूसरी ओर गर्म सिंकाई ब्लॉक्ड डक्ट को खाली करने में मदद करती है और साथ ही ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाकर दूध के बहाव को बढ़ाती है। यह लेट डाउन रिफ्लेक्स को बढ़ावा देती है, जिससे दूध पिलाने की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
  2. बंद गोभी के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि उनमें सल्फर होता है, जो सूजन को कम करने में मददगार होता है। यह दूध पिलाने वाली मां को कई तरह की समस्याओं से आराम दिला सकता है, जैसे इंगोर्जमेंट या ब्लॉक्ड डक्ट। इसके लिए बंद गोभी के कुछ पत्तों को कम से कम आधे घंटे के लिए फ्रिज में रखें और फिर इसे अपने प्रभावित ब्रेस्ट पर रखें। जब यह गरम हो जाए तो इसे हटा कर ताजा पत्ता रख लें।
  3. आप एक अन्य रेमेडी भी आजमा सकते हैं, जो कि आसानी से किचन में उपलब्ध होती है। लहसुन में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया को मारने में बहुत उपयोगी होते हैं। सुबह उठने के बाद दो कच्ची लहसुन की कलियों का सेवन करें। आप इसे जूस या पानी के साथ भी ले सकती हैं।
  4. एकिनेशिया नामक एक हर्ब, जो कि इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है, वह भी इंफेक्शन से लड़ने में मदद कर सकती है। इस हर्ब में मौजूद फ्लेवोनॉयड में एंटीबायोटिक और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं। आप एकिनेशिया की जड़ के सॉल्यूशन को प्रभावित जगह पर दिन में कम से कम 4 से 5 बार लगा सकती हैं। लेकिन बच्चे को दूध पिलाने से पहले इसे गर्म पानी से अच्छी तरह से साफ करना न भूलें।
  5. एंटीबैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर एप्पल साइडर विनेगर भी मैस्टाइटिस के इलाज के लिए एक प्राकृतिक इलाज है। यह सूजन को कम कर सकता है, इंफेक्शन से लड़ सकता है और इसे फैलने से रोक सकता है। यह एनर्जी बूस्ट करने में भी मदद करता है। इसके लिए एक भाग एप्पल साइडर विनेगर और दो भाग गुनगुने पानी को मिलाकर एक सलूशन बनाएं और इसे प्रभावित जगह पर रखें। इसे कम से कम 15 मिनट तक रहने दें और फिर धो दें। जब तक यह इन्फेक्शन खत्म नहीं हो जाता, तब तक इसे दिन में कम से कम दो या तीन बार दोहराते रहें।

मैस्टाइटिस से कैसे बचें?

मैस्टाइटिस से बचने के लिए ब्रेस्ट को कसकर बांधने वाले टाइट फिटिंग टॉप या ब्रा न पहनें। हमेशा करवट से ही सोएं, क्योंकि पीठ के बल सोने से दूध ब्रेस्ट में इकट्ठा हो जाता है। 

इस बात का ध्यान रखें, कि लगातार फीडिंग कराती रहें और बच्चे की कोई भी फीडिंग मिस न होने दें। क्योंकि इससे ब्रेस्ट में इंगोर्जमेंट हो सकती है, जिससे मिल्क डक्ट ब्लॉक हो सकते हैं। बच्चे के लैच करने से पहले ब्रेस्ट को मसाज करना या कंप्रेशन देना भी ब्लॉकिंग से बचने का एक प्रभावी तरीका है। आप फीडिंग की सही पोजीशन के लिए खासकर डिजाइन किए गए तकिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 

आपको बार-बार मैस्टाइटिस क्यों होता है?

अगर आपको इस समस्या का अनुभव बार-बार हो रहा है, तो हो सकता है, कि आप इस स्थिति से पूरी तरह से ठीक न हुई हों। अगर आप चिंता या तनाव में हैं, तो भी मैस्टाइटिस का खतरा अधिक हो सकता है। इसलिए अगर आपको यह दूसरी बार होता है, तो इसके इलाज में देर न करें। क्योंकि इस इंफेक्शन के कारण ब्रेस्ट में पस बन सकता है और सर्जरी करनी पड़ सकती है। 

यह भी एक अस्थाई दौर है और समय के साथ यह दूर हो जाएगा। लेकिन, लक्षणों को नजरअंदाज न करें और इस स्थिति से बचने के लिए ऊपर दी गई सावधानियां बरतें। 

यह भी पढ़ें: 

निप्पल में घाव या दर्द: कारण, उपचार और बचाव
ब्रेस्टफीडिंग और जॉन्डिस – कारण, इलाज और बचाव
स्तनपान के दौरान स्तन में खुजली – कारण और उपचार

पूजा ठाकुर

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